"कोरोना"हाय रे कोरोना , हाथ पड़े धोनासाबुन से ,नौकरी से भी।बेरोजगारी आयी ,भुखमरी भी छायीसब्जी हुई गायब, टोकरी से भी ।।शहरों में मकान खाली होने लगेसारे रोजगार वाले रोने लगे,अर्थव्यवस्था सबकी डांवाडोल हुईसबके चेहरे से हँसी गोल हुई ,दुनिया घबराई ,सबकी सामत आईमात खाये चीन की चोरी से ही।बेरोजगारी आयी भुखमरी भी छायीसब्जी हुई गायब टोकरी से भी।।अस्पतालों की हालत बिगड़ने लगीप्राइवेट क्लीनिक वालों ने मचाई धांधलीरोगियों को दोनों हाथों लूटने लगे,दूसरे भी रोग को कोरोना कह केबात समझ ना आई ,जनता भरमाई ,ऐसी चंडाल, चौकड़ी से भी।बेरोजगारी आयी भुखमरी भी छायीसब्जी हुई गायब टोकरी से भी।।कुछ दयालु लोग भी दिखाई दिये,दे सहारा लोगों की भलाई किये,पुलिस वाले भाइयों ने मेहनत कियेज्यादेतर डॉक्टर भी,अपनी जान पर खेले,कोरोना को हराने में , सतर्कता अपनाने मेंलोग जुट गये चौकसी से भी।बेरोजगारी आयी भुखमरी भी छायीसब्जी हुई गायब टोकरी से भी।।हरबिंदर सिंह "शिब्बू"राष्ट्रीय प्रचारक,(ABKM-Y)#युवराजपुर #ग़ाज़ीपुर #उत्तर_प्रदेश#poetry #कोरोना #poem
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