सन 1975 की बात है -
श्री संजय गांधी ने #जनसंख्या नियंत्रण के लिए #नसबंदी पर जोर दिया था। पूरी सरकारी मशीनरी जुटी थी। अफवाहों का दौर चला कि स्कूल में बच्चों की नसबंदी की जा रही है,अफसर केस देने के लिए कुंआरों की भी नसबंदी करा रहे हैं ।नतीजा क्या रहा उत्तर प्रदेश में कांग्रेस 0/85 हो गई ।श्रीमती इंदिरा जी ,संजय सब हार गए। और अब हालत ये है की 41 साल से किसी ने जनसँख्या नियंत्रण की बात ही नहीं की। इतने सालों में हम दुगने हो गए। आज किसी #पार्टी की हैसियत नहीं की वो जनसंख्या नियंत्रण की बात कर सके।
श्री संजय गांधी ने #जनसंख्या नियंत्रण के लिए #नसबंदी पर जोर दिया था। पूरी सरकारी मशीनरी जुटी थी। अफवाहों का दौर चला कि स्कूल में बच्चों की नसबंदी की जा रही है,अफसर केस देने के लिए कुंआरों की भी नसबंदी करा रहे हैं ।नतीजा क्या रहा उत्तर प्रदेश में कांग्रेस 0/85 हो गई ।श्रीमती इंदिरा जी ,संजय सब हार गए। और अब हालत ये है की 41 साल से किसी ने जनसँख्या नियंत्रण की बात ही नहीं की। इतने सालों में हम दुगने हो गए। आज किसी #पार्टी की हैसियत नहीं की वो जनसंख्या नियंत्रण की बात कर सके।
लाल तिकोन का निशान आज किसी को याद नहीं जो परिवार नियोजन का निशान था और ज्यादातर सरकारी दीवारों पर पेंटेड हुआ करता था। हम दो हमारे दो का नारा बिलुप्त हो गया।जरा सोचिये ये मुहिम अगर सफल हो गई होती और हमारी जनसंख्या दर नियंत्रित होती,
तो हमारी प्रगति कितनी रफ़्तार से होती, हम आज कितने विकसित देश होते। चीन अमरीका हमें सलाम कर रहे होते। इतनी बेरोजगारी ना होती और गरीबी नहीं होती।
हर सामान इफ़रात में होता और सस्ता होता। ज्यादा क्या बोलूं खुद सोच कर देखिये।। संसाधन इतने ही होते पर उपयोग करने वाले आधे।
आज भी कुछ ऐसा ही माहौल है। नोटबन्दी के नाम पर एक अच्छी पहल को एक तंत्र बर्बाद करने पर लगा है। यह मोदी सरकार का दुःसाहस ही सही ,पूरी तैयारी ना सही। कुछ गलतियां भी सही पर अगर नोट बंदी और काले धन के खिलाफ ये मुहिम फेल हुई तो अगले सैकड़ो साल तक कोई भी राष्ट्राध्यक्ष दुबारा इस कदम को उठाने का साहस नहीं करेगा।और हमारी भावी पीढ़ियां न जाने कब तक शायद हमेशा के लिए भ्रष्ट्राचार की व्यवस्था में जीने के लिए अभिशप्त हो जाएंगी।
हम इतिहास के एक निर्ण़ायक मोड़ पर खड़े है, कुछ वैसा ही मोड़ जहाँ पृथ्वीराज चौहान की हार हुई थी और कुतुबुदीन ऐबक ने हिंदुस्तान को गुलाम बना लिया था।
हमारी गुलामी का प्रतीक कुतुबमीनार तामीर हुआ था। ये वैसा ही मोड़ है जहाँ जहांगीर ने अंग्रेजो को तिज़ारत की इजाज़त दी थी। ये इतिहास के उस मोड़ जैसा है जब #पाकिस्तान का जन्म हुआ था जिसका दंश हम 70 साल से भोग रहे है।* नोटबंदी का असफल होना मोदी की नहीं इस देश की असफलता होगी।
हमारी गुलामी का प्रतीक कुतुबमीनार तामीर हुआ था। ये वैसा ही मोड़ है जहाँ जहांगीर ने अंग्रेजो को तिज़ारत की इजाज़त दी थी। ये इतिहास के उस मोड़ जैसा है जब #पाकिस्तान का जन्म हुआ था जिसका दंश हम 70 साल से भोग रहे है।* नोटबंदी का असफल होना मोदी की नहीं इस देश की असफलता होगी।
अतः हम ये भूल जाएं की हम #हिन्दू हैं, #मुसलमान हैं, #सिख या #ईसाई है..कांग्रेसी हैं ,समाजवादी हैं, #हरिजन हैं, बहुजन हैं, और सिर्फ ये सोचें की हम इस मुहिम को अपने देश व बच्चों के भविष्य लिए सफल करेंगे।
एक बार थोड़ी तकलीफ सह जाइये।देश के लिए ना सही अपने ही भावी परिवार के सुखद और संमृद्ध जीवन के लिए ।संजय गांधी की तरह मोदी को भी मत फेल होने दीजिए ।
ये मुहिम सफल या असफल होने से हम एक सफल या असफल राष्ट्र बनेंगे दोस्त यदि आप मेरे पोस्ट से असहमत हो तो इसे अनदेखा कर दे अन्यथा इसे अपने दूसरे दोस्तो को पोस्ट करे.. धन्यवाद
#नोटबंदी #कालाधन #सरकार #मोदी #केजरीवाल #ममता_बनर्जी #कांग्रेस #सपा #बसपा
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