मुझे तुम क्यों याद आते हों
अंधेरी रातो में कभी दिन के उजालो में
मुझे तुम क्यों.......
कभी कुछ सोचु तो तुम्हारा ख़्याल आये बस
न सोचूँ तो दिल परेशान होये बहुत
अब इस मसले का उपाय भी बताओ तुम
मुझे तुम क्यों याद आते हो ये सवाल बताओ तुम
मुझे तुम क्यों........
कभी कुछ लिखूं कविता और कहानी भी
उसमे भी मौजूद है केवल तेरी रवानी ही
मैं अक्सर ढूढ़ता हूं कुछ नये अल्फाजो को
फिर अक्सर बन जाती है ग़ज़लें सुहानी भी
मुझे तुम क्यों याद आते........
मैं अक्सर सोचता हूं कि तुम बिन मेरा क्या होगा
न होगी तुम तो फिर सुना मेरा जहाँ होगा
यही सोच कभी घबरा कर परेशान होता हूँ
तुम्हारी यादों के बगैर मैं समशान होता हूँ मुझे
तुम क्यों याद आते हो.........
प्रस्तुति- लव तिवारी
अंधेरी रातो में कभी दिन के उजालो में
मुझे तुम क्यों.......
कभी कुछ सोचु तो तुम्हारा ख़्याल आये बस
न सोचूँ तो दिल परेशान होये बहुत
अब इस मसले का उपाय भी बताओ तुम
मुझे तुम क्यों याद आते हो ये सवाल बताओ तुम
मुझे तुम क्यों........
कभी कुछ लिखूं कविता और कहानी भी
उसमे भी मौजूद है केवल तेरी रवानी ही
मैं अक्सर ढूढ़ता हूं कुछ नये अल्फाजो को
फिर अक्सर बन जाती है ग़ज़लें सुहानी भी
मुझे तुम क्यों याद आते........
मैं अक्सर सोचता हूं कि तुम बिन मेरा क्या होगा
न होगी तुम तो फिर सुना मेरा जहाँ होगा
यही सोच कभी घबरा कर परेशान होता हूँ
तुम्हारी यादों के बगैर मैं समशान होता हूँ मुझे
तुम क्यों याद आते हो.........
प्रस्तुति- लव तिवारी
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