महान क्रांतिकारी शहीद चंद्रशेखर जी के जन्म दिवस पर चार पंक्तियाँ......
वतन के क्रांतिकारी दो मुँही तलवार थे शेखर।
दहकती आग का गोला गज़ब अंगार थे शेखर ।
गुलामी को नहीं माना रहे आजाद बनकर के
फिरंगी राज की खातिर तो' हाहाकार थे शेखर।
नाम- आजाद,
पिता का नाम- स्वाधीन ,घर- जेल.
यह परिचय उस चिंगारी का था जिसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की आग
में सबसे ज्यादा घी डाला।आज चन्द्रशेखर आजाद जी का जन्म दिवस है।आज़ाद जी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारियों की ऐसी फौज खड़ी की थी जिससे अंग्रेजों की नींद उड़ गई। अंग्रेजों में चन्द्रशेखर का ऐसा खौफ था कि उनकी मौत के बाद भी कोई उनके करीब जाने से डरता था। वीरता, साहस और
दृढ़निश्चयता की ऐसी मिसाल दुनिया में बहुत कम देखने को मिलती है। आज़ाद जी बहुत ही निडर, बलशाली और गरम स्वाभाव के व्यक्ति थे ।अंग्रेज इनके नाम से थर थर कांपते थे ।ये मात्र 15 वर्ष की आयु में ही स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भाग लेने लगे थे ।लाला जी की मृत्यु का बदला लेने के लिए सांडर्स की हत्या और काकोरी ट्रेन में अंग्रेजों का खजाना लूटने में इनकी मुख्य भूमिका थी ।ये हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी के सुप्रीम कमांडर थे ।इन्होंने भगत सिंह व् अन्य साथियों को जेल से छुड़ाने के भरसक प्रयास किये लेकिन असफल रहे और इन्ही प्रयासों में 27 फरवरी 1931 को किसी मुखबिर की सूचना पर अल्फ्रेड पार्क इलाहबाद में पुलिस के साथ मुठभेड़ में शहीद हो गए ।उन्होंने जीते जी गिरफ्तार न होने का प्रण अपने प्राण देकर निभाया ।हम सदैव उनके ऋणी रहेंगे।मैं उन्हें कोटि कोटि नमन करता हूँ ।चंद्रशेखर आज़ाद अमर रहें !
( 23 जुलाई 1906 - 27 फरवरी 1931 )
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