राम सिया छवि न्यारी
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जनक सुता मंडप पग धारी,
मुदित हुए नर नारी l
कर जयमाला, नयन कर तिरछे ,
निरखत जनक कुमारी ll
मन मह राजत छवि राघव की,
जसु देखी फूलवारी ll
सुमरत गौरा शिव शंकर को,
हर्षित सिय सुकुमारी ll
बाजन वाद्य,दुंदभी बाजे,
सुर गण गगन निहारी l
कमल नयन, रघुकुल मणि सुन्दर ,
कोटि शशि छवि न्यारी ll
नृप विदेह स्वागत में ठाड़े,
अवध बराती उतारी l
कवि गण कुल गुण बांचन लागे,
द्विज -गण मन्त्र उचारी ll
जनक पूरी और अवध पूरी की
प्रेम मिलन की बारी l
जनक नंदनी दुल्हिन शोभित,
दूल्हा अवधबिहारी ll
कामदेव भे आज लजाने,
लाजत रति छवि न्यारी,
येहि पावन मंगल बेला पर,
सखियन गावत गारी ll
©® राजेश कुमार सिंह "श्रेयस"
लखनऊ, उप्र l
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