सुनाइये कुछ अनसुना सा
जिंदगी में कुछ रहनुमा सा
ख्वाब और हकीकत में
हो गया एक फासला सा
तुम न मिले तो समझ आया
जिंदगी में न कुछ हुआ सा
मंजरों का दौर भी अब
रह गया अब सुना सा
जिंदगी में एक मलाल भी
तुम सा न कोई मिला सा
मुझको तुम मिलोगी एक दिन
रह गया अब भरम जरा सा
रचना - लव तिवारी
25-07-2017
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