फिर वो ख़्वाब में आये और रात सुहानी हों
मुझसे करे बात फिर कोई कहानी हो
बदल देता है वो रुख हवाओँ का फ़िज़ा में आकर
और कहते है ,मुझ जैसी कई आप की रुबाई हो
मै कैसे समझाऊ उन्हें की वही है मेरा सबकुछ
उन्हें छोड़कर कर कुछ सोचु तो खत्म जवानी हो
बदलते वक़्त की रफ़तार के फिराक में ही था
जो मेरी थी कभी, आज किसी और की दीवानी हो
रचना- लव तिवारी
15- 01- 2017
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