दिलो दिमाग को रो लूँगा आह कर लूँगा
तुम्हारे इश्क़ में सब कुछ तबाह कर लूँगा
अगर मुझे न मिली तुम्हारे सर की कसम
मैं अपनी सारी जवानी तबाह कर लूँगा
सबको दुश्मन बना लिया मैंने
आप से दिल लगा लिया मैंने
हर तरफ रास्ते में कांटे थे
फिर दामन बचा लिया मैंने
आप से...
दिल में ख्वाइश तो कि बहकने की
कैसे दिल को मना लिया मैंने
आप से.....
नीद आती है आँखों में
रोग कैसा लगा लिया मैंने
सबको दुश्मन बना....
1 comments:
what a ghazal....just wow.
एक टिप्पणी भेजें