रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिये आ
अब तक दिल-ए-खुशफ़हम को हैं तुझ से उम्मीदें
ये आखिरी शम्में भी बुझाने के लिये आ
रंजिश ही सही...
इक उम्र से हूँ लज्ज़त-ए-गिरया से भी महरूम
ऐ राहत-ए-जां मुझको रुलाने के लिये आ
रंजिश ही सही...
कुछ तो मेरे पिन्दार-ए-मोहब्बत का भरम रख
तू भी तो कभी मुझ को मनाने के लिये आ
रंजिश ही सही...
माना के मोहब्बत का छुपाना है मोहब्बत
चुपके से किसी रोज़ जताने के लिए आ
रंजिश ही सही...
जैसे तुम्हें आते हैं ना आने के बहाने
ऐसे ही किसी रोज़ न जाने के लिए आ
रंजिश ही सही...
पहले से मरासिम ना सही फिर भी कभी तो
रस्म-ओ-रहे दुनिया ही निभाने के लिये आ
रंजिश ही सही...
किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम
तू मुझ से खफा है तो ज़माने के लिये आ
रंजिश ही सही...
Lyrics By: अहमद फ़राज़
Performed By: मेहदी हसन
Taal: दादरा
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिये आ
अब तक दिल-ए-खुशफ़हम को हैं तुझ से उम्मीदें
ये आखिरी शम्में भी बुझाने के लिये आ
रंजिश ही सही...
इक उम्र से हूँ लज्ज़त-ए-गिरया से भी महरूम
ऐ राहत-ए-जां मुझको रुलाने के लिये आ
रंजिश ही सही...
कुछ तो मेरे पिन्दार-ए-मोहब्बत का भरम रख
तू भी तो कभी मुझ को मनाने के लिये आ
रंजिश ही सही...
माना के मोहब्बत का छुपाना है मोहब्बत
चुपके से किसी रोज़ जताने के लिए आ
रंजिश ही सही...
जैसे तुम्हें आते हैं ना आने के बहाने
ऐसे ही किसी रोज़ न जाने के लिए आ
रंजिश ही सही...
पहले से मरासिम ना सही फिर भी कभी तो
रस्म-ओ-रहे दुनिया ही निभाने के लिये आ
रंजिश ही सही...
किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम
तू मुझ से खफा है तो ज़माने के लिये आ
रंजिश ही सही...
Lyrics By: अहमद फ़राज़
Performed By: मेहदी हसन
Taal: दादरा
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