किसी को सीने से ना लगा, चलन है गला दबाने का
कोई माने या ना माने, यही सच है, ज़माने का !
कोई माने या ना माने, यही सच है, ज़माने का !
ज़माने में वही करता है, सबसे ज्यादा खर्च भी
नही अनुभव जिसे है, एक भी पैसा कमाने का !
नही अनुभव जिसे है, एक भी पैसा कमाने का !
सुबह से शाम तक जिसने, घोटे हैं गले
उसे ही मिलता है हक़ भी, ख़ुशी से गुनगुनाने का !
उसे ही मिलता है हक़ भी, ख़ुशी से गुनगुनाने का !
गंवारों को मिला है हक़, सबकी तकदीर लिखने का
मदारी मान कर खुद को, रोज बन्दर नचाने का !
मदारी मान कर खुद को, रोज बन्दर नचाने का !
नहीं जिम्मा की सबकी रूहों को, तू पाक साफ़ करे
सड़न से दूर रख खुद को, ज़मीर अपना बचाने का !
सड़न से दूर रख खुद को, ज़मीर अपना बचाने का !
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें