महँगी से महँगी घड़ी पहन कर देख ली, वक़्त फिर
भी मेरे हिसाब से कभी ना चला ...!!"
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युं ही हम दिल को साफ़ रखा करते थे ..
पता नही था की, 'किमत चेहरों की होती है!!'
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अगर खुदा नहीं हे तो उसका ज़िक्र क्यों ?? और
अगर खुदा हे तो फिर फिक्र क्यों ???
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"दो बातें इंसान को अपनों से दूर कर देती हैं, एक
उसका 'अहम' और दूसरा उसका 'वहम'......
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" पैसे से सुख कभी खरीदा नहीं जाता और दुःख
का कोई खरीदार नहीं होता।"
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मुझे जिंदगी का इतना तजुर्बा तो नहीं, पर सुना है
सादगी मे लोग जीने नहीं देते।
भी मेरे हिसाब से कभी ना चला ...!!"
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युं ही हम दिल को साफ़ रखा करते थे ..
पता नही था की, 'किमत चेहरों की होती है!!'
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अगर खुदा नहीं हे तो उसका ज़िक्र क्यों ?? और
अगर खुदा हे तो फिर फिक्र क्यों ???
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"दो बातें इंसान को अपनों से दूर कर देती हैं, एक
उसका 'अहम' और दूसरा उसका 'वहम'......
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" पैसे से सुख कभी खरीदा नहीं जाता और दुःख
का कोई खरीदार नहीं होता।"
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मुझे जिंदगी का इतना तजुर्बा तो नहीं, पर सुना है
सादगी मे लोग जीने नहीं देते।
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