गुरुवार, 10 जुलाई 2014

किसी को सीने से ना लगा, चलन है गला दबाने का

किसी को सीने से ना लगा, चलन है गला दबाने का 
कोई माने या ना माने, यही सच है, ज़माने का !

ज़माने में वही करता है, सबसे ज्यादा खर्च भी
नही अनुभव जिसे है, एक भी पैसा कमाने का !

सुबह से शाम तक जिसने, घोटे हैं गले 
उसे ही मिलता है हक़ भी, ख़ुशी से गुनगुनाने का !

गंवारों को मिला है हक़, सबकी तकदीर लिखने का 
मदारी मान कर खुद को, रोज बन्दर नचाने का !

नहीं जिम्मा की सबकी रूहों को, तू पाक साफ़ करे
सड़न से दूर रख खुद को, ज़मीर अपना बचाने का !

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