Lav Tiwari ( लव तिवारी )

निबंध, नाटक, उपन्यास, कहानी, आलोचना, संस्मरण, रेखाचित्र, आत्मकथा, जीवनी, डायरी, यात्राव्रत, कविता, गज़ल, भजन, भोजपुरी, नवगीत, हिन्दीफिल्मी गीत, शायरी, भोजपुरी गीत, पत्र लेखन, जीवन परिचय, भारत की संस्कृति के लिए , लघुकथा, विज्ञानकथा, व्यंग, पुस्तक समीक्षा,भाषा की उन्नति के लिए, साहित्य के प्रसार के लिए, लव तिवारी

शनिवार, 28 जून 2025

भारतीय आध्यात्मिक परम्परा में जाति- श्री माधव कृष्ण गाज़ीपुर उत्तरप्रदेश

›
भारतीय आध्यात्मिक परम्परा में जाति मेरे इष्ट भगवान श्रीकृष्ण हैं। मेरे गुरु परमहंस बाबा गंगारामदास जी हैं। मेरे दीक्षा गुरु भोला बाबा हैं। म...
मंगलवार, 24 जून 2025

जियता में नाहीं नाहीं मुअला में अइल, बेटा ई का कइल- रचना विद्या सागर

›
जियता में नाहीं, नाहीं मुअला में अइल, बेटा ई का कइल, रीतियो रिवाज भूलि गइल जबले जियल माई सबही से कहलस बचवा हमार आई रहिया निहरलस आवेके कहिके ...
गुरुवार, 19 जून 2025

यूनाइटेड यूनिवर्सिटी और हिंदुस्तान समाचार पत्र द्वारा आयोजित प्रतिभा सम्मान समारोह- श्री माधव कृष्ण

›
यूनाइटेड यूनिवर्सिटी और हिंदुस्तान समाचार पत्र द्वारा आयोजित प्रतिभा सम्मान समारोह में गाजीपुर की प्रतिभाओं के साथ मेरे संवाद के प्रमुख अंश:...
मंगलवार, 17 जून 2025

जलवायु परिवर्तन एवं नदी संरक्षण जन चेतना अभियान- लेखक प्रकृति प्रेमी लव तिवारी ग़ाज़ीपुर उत्तरप्रदेश

›
जलवायु परिवर्तन एवं नदी संरक्षण जन चेतना अभियान का आयोजन दिनांक 26 जून 2025 दिन बृहस्पतिवार को प्रातः 10:00 बजे से आलम पट्टी बलिया रोड गाजीप...
शनिवार, 14 जून 2025

शिक्षा के साथ मेरे प्रयोग: अपराजिता सिंह - लेखक श्री माधव कृष्ण

›
शिक्षा के साथ मेरे प्रयोग: अपराजिता सिंह हमें अपने आस पास उन युवाओं को देखने और उनकी सफलताओं को प्रोजेक्ट करने की आवश्यकता है, जो नई पीढ़ी क...

विमान में सैनिको का भोजन

›
विमान में भोजन मैं अपनी सीट पर बैठा था, दिल्ली के लिए उड़ान भरते हुए — लगभग 3 घंटे की यात्रा थी। मैंने सोचा, एक अच्छी किताब पढ़ूंगा और एक घं...
गुरुवार, 12 जून 2025

ससुरा में दारू पीके घूमेला सजनवा रे भउजी हम त जाइब ना गवनवा रे भउजी

›
ससुरा में दारू पीके घूमेला सजनवा रे भउजी हम त जाइब ना गवनवा रे भउजी सुनिला कि संइया मोरा बने रंगबजवा दिन भर मस्त रहे पीके दारू गंजवा बेरिया ...

आगे कइसे दिनवा बीती हो तिरंगा सोच ता रचना श्री सुनील यादव युवा किसान मोहम्मदाबाद ग़ाज़ीपुर

›
आजकल के नेता लोग के देखी राजनीति हो तिरंगा सोच ता आगे कइसे दिनवा बीती हो तिरंगा सोच ता पार्टी जातिवाद वाला नारा लगवेल। आवे जब वोट सबके पहड़ा ...
सोमवार, 9 जून 2025

बकरीद विशेष: बलि प्रथा और हिंदू- माधव कृष्ण ८ जून २०२५ गाजीपुर

›
बकरीद विशेष: बलि प्रथा और हिंदू (१) कल व्हाट्सएप पर एक श्लोक अर्थसहित आया: सिंहान्नैव गजान्नैव व्याघ्रान्नैव च नैव च| अजापुत्रम् बलिम् दद्...
शुक्रवार, 6 जून 2025

युद्ध के दोहे- डॉ एम डी सिंह

›
 युद्ध के दोहे शत्रु पर न करें कभी, आप पूर्ण विश्वास। बदले की मिटती नहीं,कभी अधूरी प्यास।। निर्बल को निर्बल सदा,कभी न समझें आप। मिलते मौका ए...

जगा-जगा रे जगा सिपाही- डॉ एम डी सिंह

›
 जगा-जगा रे जगा सिपाही भर रोम-रोम आक्रोश प्रचण्ड   लिए धमनियों में स्पंदन अखण्ड  विध्वंस को आंदोलित मन से  करने को आतुर अरिदंभ खण्ड  निकला आ...
बुधवार, 4 जून 2025

संसार के लोगों से आशा ना किया करना जब कोई न हो अपना श्री राम जपा करना।

›
संसार के लोगों से आशा ना किया करना, जब कोई न हो अपना, श्री राम जपा करना। जीवन के समंदर में तूफ़ान भी आते हैं, जो प्रभु के भरोसे हैं, प्रभु आ...
बुधवार, 12 फ़रवरी 2025

ये मोहब्बत बड़े बर्बादी की रस्म होती है।- रचना लव तिवारी

›
अपने दिल और दिमाग पर काबू पालो ये मोहब्बत बड़े बर्बादी की रस्म होती है। उसके लाखों दीवाने इस जमी पर। ये बिरानिया हम जैसो को नसीब होती है।। बा...
गुरुवार, 16 जनवरी 2025

चुप लोग ही तो बोलते हैं जनाब जोर से भर देते हैं चुप रहकर भी दिमाग शोर से- डाॅ एम डी सिंह

›
चुप लोग ही तो बोलते हैं जनाब जोर से भर देते हैं चुप रहकर भी दिमाग शोर से खुशियां बटोर कर वे रख लेते हैं चुपचाप गुस्सा भी तह कर रखते रहते हैं...

रजाइयों में बस्ती रचना डाॅ एम डी सिंह

›
रजाइयों में बस्ती : गांव घर शहर गली खेत सड़क परती कोहरे की धुंध में डूबी है धरती चांद भी दिखा नहीं सूर्य भी उगा नहीं है खड़ा श्वेत पटल किन्त...

सच्चाई महाकुंभ प्रयागराज उत्तर प्रदेश लेखक डॉ एम डी सिंह

›
सच्चाई : गंगा जमुना सरस्वती को घाट तोड़ डुबा रही प्रयागराज नहाने आस्था की बाढ़ आ रही अमृतोत्सव के प्रांगण में भव्यता की चढ़ नाव सनातन के महा...

जाड़ में हाड़ कांपता- रचना कुमार अजय सिंह गीतकार एकवना घाट बड़हरा भोजपुर बिहार

›
✍️ जाड़ में हाड़ कांपता ✍️ जाड़ में हाड़ कांपत बा भईया,सुत रजाई तान के बीना काम के मत निकलिह,रक्षा कर तु जान के बेधत बड़ुऐ जाड़ा भीतरी ले,...

महाकुम्भ तीर्थराज प्रयाग पावन संगम मकर संक्रांति लेखक- श्री राजेश कुमार सिंह श्रेयस लखनऊ उत्तर प्रदेश

›
धन्य भूमि भारत जस देशा l महिमा गुन अति रूचिर विशेषा ll एहि ठहि गड़े धर्म ध्वज दंडा l पावन सलिल मातु बह गंगा ll रवितनया वागेश्वरी बेनी l गंग स...

साहित्यिक जीवन परिचय श्री राजेश कुमार सिंह श्रेयस कवि लेखक समीक्षक लखनऊ उत्तर प्रदेश

›
राजेश कुमार सिंह "श्रेयस" कवि, लेखक, समीक्षक जन्मतिथि : 14 अप्रैल 1967 शैक्षिक योग्यता : बी0 एस0 सी0 ( बायो0) श्...
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें
Blogger द्वारा संचालित.