उत्तरदायित्व
आप कहते हैं यहां पर मैं सही हूं सब गलत हैं
पर गलत होगा कहीं तो आप जिम्मेदार हैं
काट डाला एक बूढ़े पेड़ को सरकार ने कल
जहर होती हवा में सब लोग हिस्सेदार हैं
पुल बनाना था समन्दर पर गिलहरी चल पड़ी
एक दूजे के दुखों में सभी साझेदार हैं
गधों को अगुवा बनाने का नतीजा देखकर
भी अगर चुपचाप हैं तो निरर्थक किरदार हैं
जमीं पर नफरत भरी है जल रहे हैं घर अगर
धर्म की या ध्यान की हर बात लच्छेदार है
जंग में मोबाइलों का काम रत्ती भर नहीं है
सामने जब दुश्मनों के हाथ में तलवार है
फैल जायेगी नहीं यूं ही मोहब्बत की लहर
गर नहीं हलचल मचाने के लिए तैयार हैं
आपके दो पैर हैं उन पर चलो लेकिन चलो
प्लेन से चक्कर लगाते जहर के फनकार हैं
माचिसों से डीजलों से आग को बुझना नहीं है
अग्निरोधक पुलिस की इस देश को दरकार है
आज सोते रहा गए गर देर तक बिस्तरों में तो
तयशुदा यह उठ न पाएगा कभी संसार है
तोड़ने पर तुले हैं वे खनखनाते बर्तनों को
बुलाओ उन सभी को जो प्यार के कुम्हार हैं
माधव कृष्ण, द प्रेसीडियम इंटरनेशनल स्कूल अष्टभुजी कॉलोनी बड़ी बाग लंका गाजीपुर, ५.१२.२५

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें