आखिर कौन थे ?
सम्राट पृथ्वीराज चौहान
पूरा नाम :- पृथ्वीराज चौहान
अन्य नाम :- राय पिथौरा
माता/पिता :- राजा सोमेश्वर चौहान/कमलादेवी
पत्नी :- संयोगिता
जन्म :- 1149 ई.
राज्याभिषेक :- 1169 ई.
मृत्यु :- 1192 ई.
राजधानी :- दिल्ली, अजमेर
वंश :- चौहान (राजपूत)
आज की पीढ़ी इनकी वीर गाथाओं के बारे मे..
बहुत कम जानती है..!!
तो आइए जानते है.. #सम्राट #पृथ्वीराज #चौहान से जुडा इतिहास एवं रोचक तथ्य,,,
''(1) #पृथ्वीराज_चौहान ने 12 वर्ष कि उम्र मे बिना किसी हथियार के खूंखार जंगली शेर का जबड़ा फाड़
ड़ाला था ।
(2) #पृथ्वीराज_चौहान ने 16 वर्ष की आयु मे ही
महाबली नाहरराय को युद्ध मे हराकर माड़वकर पर विजय प्राप्त की थी।
(3) #पृथ्वीराज_चौहान ने तलवार के एक वार से जंगली हाथी का सिर धड़ से अलग कर दिया था ।
(4) महान सम्राट #पृथ्वीराज_चौहान कि तलवार का वजन 84 किलो था, और उसे एक हाथ से चलाते थे ..सुनने पर विश्वास नहीं हुआ होगा किंतु यह सत्य है..
(5) सम्राट #पृथ्वीराज_चौहान पशु-पक्षियों के साथ बाते करने की कला जानते थे।
(6) महान सम्राट #पृथ्वीराज_चौहान पुर्ण रूप से मर्द थे ।
अर्थात उनकी छाती पर #स्तन नहीं थे ।
(7) #पृथ्वीराज_चौहान 1166 ई. मे अजमेर की गद्दी पर बैठे और तीन वर्ष के बाद यानि 1169 मे दिल्ली के सिंहासन पर बैठकर पूरे हिन्दुस्तान पर राज किया।
(8) सम्राट #पृथ्वीराज_चौहान की तेरह पत्नियां थी।
इनमे संयोगिता सबसे प्रसिद्ध है..
(9) #पृथ्वीराज_चौहान ने मुहम्मद गौरी को 16 बार युद्ध मे हराकर जीवन दान दिया था..
और 16 बार कुरान की कसम का खिलवाई थी ।
(10) गौरी ने 17 वी बार मे चौहान को धौखे से बंदी बनाया और अपने देश ले जाकर चौहान की दोनो आँखें फोड दी थी ।
उसके बाद भी राजदरबार मे #पृथ्वीराज_चौहान ने अपना मस्तक नहीं झुकाया था।
(11) महमूद गौरी ने पृथ्वीराज चौहान को बंदी बनाकर अनेकों प्रकार की पीड़ा दी थी और कई महीनों तक भूखा रखा था..
फिर भी सम्राट की मृत्यु न हुई थी ।
(12) सम्राट पृथ्वीराज चौहान की सबसे बड़ी विशेषता यह थी की...
जन्मसे शब्द भेदी बाण की कला ज्ञात थी।
जो की अयोध्या नरेश "राजा दशरथ" के बाद..
केवल उन्हीं में थी।
(13) #पृथ्वीराज_चौहान ने महमुद गौरी को उसी के भरे दरबार मे शब्द भेदी बाण से मारा था ।
गौरी को मारने के बाद भी वह दुश्मन के हाथो नहीं मरे..
अर्थात अपने मित्र चन्द्रबरदाई के हाथों मरे, दोनो ने एक दूसरे को कटार घोंप कर मार लिया.. क्योंकि और कोई विकल्प नहीं था ।
दुख होता है ये सोचकर कि ऐसे महान योद्धा का इतिहास और भूगोल ढंग से नहीं लिखा गया है।
राम बहादुर राय
भरौली, बलिया,उत्तरप्रदेश
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