खूब करते हो दिल्लगी साहिब
और फिर उसपे बे-रूखी साहिब....
इश्क़ करें और भी हम तुमसे करें
हमको प्यारी है ज़िन्दगी साहिब....
अब वो साँसों का सिलसिला नहीं
ले लो ये जो हैं बची खुची साहिब...
तुम जताते हो इश्क़-इश्क़ मगर
हमको तो लगे हो अजनबी साहिब...
इस में कुछ आप का भी हिस्सा है
ये जो पलकों पे है नमी साहिब....
वो सिर्फ अंधेरों का इक तमाशा है
जिसे कहते हो तुम रौशनी साहिब...
ये आजकल हो किसके चक्कर में
बात लोगों से है कुछ सुनी साहिब....
हम हैं बेवफा चलो यूँ ही सही
ये जो पलकों पे है नमी साहिब....
वो सिर्फ अंधेरों का इक तमाशा है
जिसे कहते हो तुम रौशनी साहिब...
ये आजकल हो किसके चक्कर में
बात लोगों से है कुछ सुनी साहिब....
हम हैं बेवफा चलो यूँ ही सही
आपकी बात मान ली साहिब..
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