* बढ़ी भोजपुरी तबे बढ़ी भोजपुरिया *
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मधुर सरल सब रस से भरल लागे,
बोलत सुनत जइसे लागेले मिसिरिया।
भाव से भरल दरियाव नाहीं थाह मिले,
लागे ब्रह्मलेख लेखा एकरो अछरिया।
एतना महान माई भाखा के बिसार काहें,
करेलीं गुलामी दोसरा के जयकरिया।
दुनिया के भाषा सब सीखीं पर याद रहे,
बोलीं भोजपुरी जब मिले भोजपुरिया।।
एही के बचावे बदे फत्ते शाही राज छोड़ी,
बनवा के सहलन लाखों दुखदरिया।
बहियाँ के अपने से कटले कुंवर सिंह,
करेली बयान गंगा माई के लहरिया।
गोरख कबीर लेखा केतने महान लोग,
गावेलें एकर गान बनि के पुजरिया।
काहें के डेरात बानी बोले से लजात बानी!
छतिया के तानि कहीं हईं भोजपुरिया।।
सुरुज के बढ़ला से दिनवा बढ़त जाला,
बढ़ेलें चनरमा त बढ़ेले अँजोरिया।
दान पुन जइसे बढ़ावेला धरम के जी,
चढ़ते आषाढ़ बढ़े जइसे बदरिया।
कुल खानदान जइसे पावेला सपूत के त,
बढ़ि जाला मान जइसे बढ़ेले पगरिया।
ओही तरे बान्ही गाँठ राख लेईं मोर बात,
बढ़ी भोजपुरी तब्बे बढ़ी भोजपुरिया।।
रचनाकार- श्री संजीव कुमार त्यागी
ग्राम पोस्ट- लठूडीह जिला- ग़ाज़ीपुर
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