यहाँ पानी महंगा और जहर सस्ते है।
देखो शहर गांव उजाड़ कर जो बसते है।।
हर कोई होता है भीड़ में तन्हा अकेला।
यहाँ हर शख्श के अपने अपने रास्ते है।।
मेरे पास पराये लोगो का एक हुजूम सा है।
जो लोग बस अपने फ़ायदे की बात करते है।।
ख़ुशी का दौर हो मुझपर या हो दुख के बादल।
हम अकेले हँसते है और तन्हाई में रो लेते है।।
गांव से याद आते है जब अपनों की यादों।
बस एक उम्र वही जो खुद से मिलने को तरसते है।।
रचना- लव तिवारी
दिनांक - 05 फरवरी 2021
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