"फौजी भाइयों के नाम" ।।
भाव शक्ति का अक्षय स्रोत है, भाव भक्ति का प्रेरक है।
भाव ओज का संवाहक है , भाव चित उत्प्रेरक है ।।
बिना भाव के हृदयस्थल को, उपमा पत्थर की मिलती।
भाव, हृदय जब छिन्न भिन्न हो, प्रेमभावना ही सिलती ।।
भाव भरा ही कहीं , वेदनाओं का बोझ उठता है ।
अधरों पर मुस्कान किसी के खुद मिट कर दे जाता है।।
राष्ट्र भावना से प्रेरित, सीमा पर अलख जगाता है ।
बर्फीले तूफानों में भी जन गण मन धुन गाता है।।
गोले गोली की बौछारें ,डिगा नहीं सकती उसको ।
प्राण बहुत छोटा लगता और देश बड़ा लगता जिसको।।
वीरों की धरती भारत है , यहाँ नहीं कोई कायर है ।
ऐसे वीर जवानों पर , यह पूरा देश न्योछावर है ।।
बहन यहाँ भाई को जब ,सरहद के लिए पठाती है ।
जाने से पहले उसको राखी की याद दिलाती है ।।
याद रहे राखी पर भाई, लेकर छुट्टी घर आना ।
किन्तु शत्रु ललकारे तो मत आना आगे बढ़ जाना।।
लेकर के बंदूकें , शत्रु के सीने पर चढ़ जाना ।
पीठ नहीं दिखलाना भाई , लड़ते लड़ते मर जाना ।।
यही भावनाएं जवान को निर्भय कर जाती होंगी।
उठती होगी फड़क भुजाएँ, भौंहें तन जाती होंगी।।
माँ के छू कर चरण पुत्र जब घर से कदम बढ़ता है।
माँ की ममता और दुआ की शक्ति संग ले जाता है।।
माँ के आँचल की हवायें सरहद तक जाती होंगीं।
माँ के लाडले को सरहद पर भी छू कर आती होंगी।
सेना की वर्दी में पति को देख के चौड़ी छाती होगी ।
अपने मन की कहने में वो तो कुछ कुछ शर्माती होगी।।
तभी डभडभाये नयनों को नीची कर मुस्काती होगी।
रखना अपना ध्यान , दबी आवाज में चेत दिलाती होगी।।
पिता विदा करने बेटे को गाँव की सीमा तक आता है।
और पुत्र आशीष पिता का लेकर सरहद पर जाता है।।
भाव हृदय के छलक नेत्र से जब बाहर आ जाते होंगे।
सीमा पर जाते जवान के लिए कवच बन जाते होंगे।।
देशभक्ति के प्रबल भाव से , हृदय हिलोरे लेता है ।
हँसते हुए वीर सैनिक , सर्वोच्च आहुती देता है ।।
इन्हीं भावनाओं की ताकत का अनुमान लगाता हूँ ।
हर जवान के परिजन के सम्मान में शीश झुकाता हूँ ।।
हरबिंदर सिंह "शिब्बू"
राष्ट्रीय प्रचारक, (ABKMY)
#poetry #poem #मोदी
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें