दर्द क्या है इसका एहसास उसको ही पता है।
जिंदगी का सफर जिसका मुश्किलों में रहा है।।
नाविक में बैठे उस आदमी को गहराई क्या अंदाजा।
एक लाचार ही समझे जो तैर कर दरिया को पार किया है।।
बातें कल जो करता था वो आज भी वही करेगा।
मजदूर मौन होकर आज भी सैकड़ों दर्द को सहा है।।
दिन जिसका नही रात तो उसकी काली ही होगी।
ग़रीब ही मजदूरी कर रात मे सड़को पर सोता है।
राजनीति आज भी हैं कल भी थी और हमेशा रहेगी।
इस फ़जीहत में बाप बेटो ने अपने को ही डँसा है।।
रचना - लव तिवारी
दिनांक - 02- जून-2020
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