राजस्थान और गुजरात में टिड्डी दल के हमले के बाद उत्तर-प्रदेश में भी अलर्ट जारी कर दिया है। खासकर, गन्ना किसानों के लिए दवा से अधिक सतर्कता की जरूरत बताई गई है। इसीलिए किसानों को गन्ना खेतों के आसपास थाली और ढोल बजाने को कहा गया है। पश्चिमी उत्तर-प्रदेश को अधिक संवदेनशील माना जा रहा है, जिनमें मुख्य रूप से मुरादाबाद, सहारनपुर, मुज्जफरनगर, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, मथुरा, अलीगढ़ आगरा व मेरठ आदि जिले शामिल हैं। इसके अलावा पूर्वी उत्तर-प्रदेश में भी टिड्डी दल के हमले को लेकर सतर्कता बरती जा रही है। हालांकि माना जा रहा है कि उत्तर-प्रदेश में फिलहाल टिड्डी दल का कोई खतरा नहीं है। विशेषज्ञों के अनुसार इसके दो कारण हैं। पहला, उन्हें फिलहाल,राजस्थान और गुजरात में पर्याप्त रूप से भोजन मिल रहा है और दूसरा उत्तर-प्रदेश की पश्चिमी सीमा टिड्डी दल के हमले वाले क्षेत्रों से 1000 किलोमीटर दूर है, हालांकि अनुकूल हवा के साथ टिड्डी दल एक दिन में भी 300 किलोमीटर आगे बढ़ सकता है। अगर, ऐसा होता भी है तो 4 से 7 दिनों का समय टिड्डी दल को यहां पहुंचने में लगेगा। इसीलिए किसानों के लिए यह चेतावनी जरूरी है कि वे इसकी लड़ाई लड़ने के लिए स्वयं ही तैयार रहे।
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने डाउन-टू-अर्थ को बताया कि टिड्डी दल के हमले का फिलहाल, यूपी में खतरा नहीं है, लेकिन सतर्कता बरतने के लिए प्रशासन की तरफ से निर्देश मिले हैं, जिसके तहत किसान अपने खेतों की रखवाली कर रहे हैं, लेकिन दवा का छिड़काव अभी नहीं किया गया है। पश्चिमी उत्तर-प्रदेश खेती के लिहाज से उत्तम क्षेत्र है, यहां अभी गन्ना, गेंहू, सरसों आदि की फसल लहलहा रही है। अगर, इस वक्त टिड्डी दल का हमला होता है तो वह फसल को काफी नुकसान पहुंचा सकता है। इसीलिए अभी टिड्डी दल को भगाने के लिए प्राथमिक उपायों के आधार पर सतर्कता बरती जा रही है।
पूर्वी उत्तर-प्रदेश के जिला गाजीपुर के किसान नेता अजय तिवारी ने डाउन-टू-अर्थ से कहा कि यहां 30-35 साल पहले टिड्डी दल का हमला हुआ था, लेकिन इस बार अभी तक पूर्वी उत्तर-प्रदेश में ऐसा हमला नहीं हुआ है। राजस्थान और गुजरात में टिड्डी दल का जिस प्रकार हमला हुआ है और वहां करोड़ों की फसल को नुकसान पहुंचा है, उससे यहां टिड्डी दल न आए, ऐसा नहीं है। अगर, नहीं भी होता है तो फिर भी एहतियात जरूरी है। प्रशासन के स्तर से किसानों को जागरूक किया जा रहा है। यहां के गन्ना के अलावा गेंहू व सरसों के खेतों की रखवाली के लिए किसान हर वक्त निकल रहे हैं, जो डंडे, थाली और ढोल नगाड़ों के साथ खेतों में जा रहे हैं।
अधिकारी कर रहे जागरूक
प्रदेश के गन्ना आयुक्त ने जनवरी के मध्य में प्रदेश के टिड्डी दल के हमले के लिहाज से अतिसंवेदनशील मंडलों के गन्ना अधिकारियों को पत्र लिखकर सतर्क रहने को कहा था और गन्ना शोध संस्थान के वैज्ञानिकों से भी जागरूकता कार्यक्रमों में सहयोग करने के लिए कहा गया है। प्रदेश के गन्ना आयुक्त संजय भूस रेड्डी के अनुसार प्रीवेंशन इज बेटर देन क्योर का सिद्धांत अपनाकर अभियान चलाया जाना जरूरी है। उन्होंने बताया कि अगर, टिड्डी एक बार दल समेत हमला कर दे तो पूरी फसल चौपट कर देती है। इसीलिए कीटों के संभावित हमले को विफल करने के लिए अधिकारी और कर्मचारी भी भ्रमण कर रहे हैं और किसानों को सतर्कता के जरूरी उपाय बता रहे हैं। इसीलिए उत्तर-प्रदेश के संवेदनशील क्षेत्रों में सतर्कता के तहत थाली या ढोल बजाकर इन्हें भगाने को कहा गया है, क्योंकि टिड्डी दल शोर से डर कर भागते हैं। इसके अलावा घास में इनके अंडे पनपने की संभावना को देखते हुए गन्ना किसानों को खेतों में और मेड़ में घास की सफाई करने को भी कहा गया है। वहीं, वाल पेटिंग, पंपलेट और हैंडबिल का भी वितरण कर किसानों को जागरूक किया जा रहा है।
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