आज फिर जो मौसम खुशनुमा हुआ है
जरा पता करो इस शहर मे क्या हुआ है
वो मेहरबान थे उस दौर की यही थी दास्ताँ
फिर वही रंगत है फ़िजा में असर दूसरा हुआ है
सुना है वक़त बदलते है कुछ समय के बाद
आज उनके आने के अहसास का असर जो हुआ है
कभी उनकी बदौलत भी कट जाती थी जिंदगी
वो जो फिर मिले मौसम खुशनुमा हुआ
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें