फूल खिला दे शाखों पर, पेड़ों को फल दे मालिक,
धरती जितनी प्यासी है, उतना तो जल दे मालिक,
धरती जितनी प्यासी है, उतना तो जल दे मालिक,
वक़्त बड़ा दुखदायक है, पापी है संसार बहुत,
निर्धन को धनवान बना, दुर्बल को बल दे मालिक,
निर्धन को धनवान बना, दुर्बल को बल दे मालिक,
कोहरा कोहरा सर्दी है, काँप रहा है पूरा गाँव,
दिन को तपता सूरज दे, रात को कम्बल दे मालिक,
दिन को तपता सूरज दे, रात को कम्बल दे मालिक,
बैलों को इक गठरी घास, इंसानों को दो रोटी,
खेतों को भर गेहूँ से, काँधों को हल दे मालिक,
खेतों को भर गेहूँ से, काँधों को हल दे मालिक,
हाथ सभी के काले हैं, नजरें सबकी पीली हैं,
सीना ढाँप दुपट्टे से, सर को आँचल दे मालिक...
सीना ढाँप दुपट्टे से, सर को आँचल दे मालिक...
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