कल दिनांक 4 नंवबर को परम् पूज्य गुरु जी स्वर्गीय श्री Murlidhar Singh मास्टर साहब जी 78 वे जन्म जयंती का उत्सव बड़े धूम धाम से उनके पैतृक निवास स्थान ग्राम पोस्ट #युवराजपुर #ग़ाज़ीपुर में मनाया गया। पेशे से शिक्षक रहे गुरु जी नई शिक्षा पद्धति के सारी बाते वर्षो पहले से ही जानते थे, छात्र के व्यक्तिगत का विकास, सामाजिक विकास, शारिरिक विकास और मानसिक विकास से वो भली भाती परिचित थे। जब वो बच्चो से मिलते थे तो उनसे मित्रवत व्यवहार करते है। इस बात से भली भाती परिचित हूँ कि जब गांव के छोटे भाइयो से मैं पूछता था कि आप सभी को गणित और अंग्रेजी कौन पढ़ाता है। सभी बच्चें गुरु जी का ही नाम बहुत ही आदर के साथ लेते थे। खेल, चिकित्सा में अहम सहयोग के साथ साथ गांव के संस्कृतिक विरासत को सजोने मे गुरु महत्वपूर्ण योगदान रहा, गुरु जी आज भले ही शारिरिक रूप से हम लोगो के बीच नही हम लोगो की समृतियों में वो सदैव जीवित है,
गुरु जी के पुत्र श्री शांतिभूषण सिंह, श्री विक्रांत सिंह एवं पुत्रबधू गरिमा विक्रांत सिंह हिंदी फिल्म जगत के जानी-मानी हस्तिया है।
Shanti Bhushan - जहाँ बड़े चाचा जी के सानिध्य में अमीर खान ने पीके हिंदी फिल्म में भोजपुरी सीखा है, प्रतिज्ञा, अगले जन्म मोहि बिटिया ही कीजो, जय संतोषी मा, और डॉ भीम राव अम्बेडकर जैसे सुप्रसिद्ध धरवाहिको में चाचा जी अपने स्क्रिप्ट लेखनी से लोहा मनवाया है। Yogesh Vikrant - वही छोटे चाचा श्री विक्रान्त सिंह एक महान स्क्रिप्ट राइटर है। इनके कुशल दिशा निर्देशन में हम दोनों भाइयों ने #संगीत की शिक्षा दीक्षा ली है। बचपन चाचा जी हम दोनों भाइयों के साथ तबले संगत करते थे। गीतकार, संगीतकार, और एक अच्छे अभिवावक के रूप चाचा जी आशीर्वाद हम दोनों भाइयों को निरन्तर मिलता रहता है। Garima Vikrant Singh - चाचीश्री का स्नेह और आशीर्वाद हम दोनों भाइयों को निरंतर मिलता रहता है, आदरणीया चाची गरिमा विक्रांत सिंह जी टीवी धारावाहिक एवं फिल्मी जगत की एक सुप्रशिद्ध अभिनेत्री है अब तक 15 से अधिक टीवी धारावाहिक जिसमे मुख्य रूप से निमिकी मुखिया, इश्क का रंग सफेद, गुस्ताख़ दिल, परिवार, चांद के पर चलो, नमक इश्क का, ये जादू है जिन का, नज़र, और प्रसिद्ध वेब सीरीज निर्मल पाठक की घर वापसी जैसे वेब सीरीज में इनके अभिनय को खूब सराहा गया है। परम् पूज्य गुरुजी के अमर स्मृतियों को स्मरण करते हुए अपनी भावभीनी श्रद्धासुमन अर्पित करता हूँ। आप के दिखाए हुए पद चिन्ह पर निरन्तर चलने का संकल्प लेता हूँ। आप के द्वारा बताई गई सत्य ईमानदारी एवं भाईचारे की जो बीज गांव तथा अपने चाहने वालों के लिए आप ने बोया है उस बीज को हम दोनों भाई निरन्तर प्रयास करके सींचते रहेंगे। हम दोनों भाइयों के दिल मे आप सदैव जीवित है और रहेंगे। मैं पूरे परिवार की और से आप के स्मृतियों को नमन करता हूं।
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