सब अच्छे चले गये इस कोरोना की महामारी में।
एक तू ही रोता दिख रहा राजनीति के परछाई से।
मानव जन भी मूर्ख होकर बना गया शमशान यहाँ।
देते तुमको वोट भी इस विपत्ति और तन्हाई में।।
नौकरी के नाम पर तुमने युवाओं को छला यहाँ।
गौतम अडानी अमीर हो गये एशिया के दहाई में।
हल चलाकर पेट काटकर भेजता पैसा जो बच्चों को।
उसके आस को तोड़ा तुमने मर गया जो रुसवाई में।।
ऐसा नही की तुम्ही गन्दे और सब दूध के धुले यहाँ।
बड़े उम्मीद से वोट दिया था इस शारिरिक परेशानी में।।
रचना- लव तिवारी
दिनांक- 22 मई 2021
4 comments:
बहुत ही लाजवाब तिवारी जी । लेखनी में आपको आला मकाम मिले हमारी दुआ है ।
Ati sundar rachna h mere mitra...
Lage rahe
Each line is matching the situation.
अति सुंदर लेकिन सत्य दुखदाई ।।।।।
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