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आप हैं क्यों लबों रुख़सार में उल्झे उल्झे लोग हैं गर्मी ए बाज़ार में उल्झे उल्झे- अहकम ग़ाज़ीपुरी ~ Lav Tiwari ( लव तिवारी )

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गुरुवार, 14 सितंबर 2023

आप हैं क्यों लबों रुख़सार में उल्झे उल्झे लोग हैं गर्मी ए बाज़ार में उल्झे उल्झे- अहकम ग़ाज़ीपुरी

आप हैं क्यों लबों रुख़सार में उल्झे उल्झे
लोग हैं गर्मी ए बाज़ार में उल्झे उल्झे

उम्र भर हम रहे नाकामी ए पेहम के शिकार
मिट गए गैसू ए ख़मदार में उल्झे उल्झे

ढूंढते कैसे गुलिस्तां की तबाही का सबब
रह गए सुर्खीए अख़बार में उल्झे उल्झे

गेसूए ज़ीस्त को सुलझाने की फ़ुर्सत न मिली
जिंदगी हम रहे मझधार में उल्झे उल्झे

कारवां मंज़िले मक़सूद पे पहुंचे कैसे
हैं सभी वक्त की रफ़्तार में उल्झे उल्झे

हाय अफ़सोस किसी को नहीं फ़िक्र ए ऊक़बा
सब सियासत के हैं बाज़ार में उल्झे उल्झे

जिनसे इंसाफ़ की उम्मीद हमें थी अहकम
वह भी है दिरहमो है दीनार में उल्झे उल्झे