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दिसंबर 2017 ~ Lav Tiwari ( लव तिवारी )

Lav Tiwari On Mahuaa Chanel

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बुधवार, 27 दिसंबर 2017

प्रतिभाओ को मत काटो आरक्षण की तलवार से - अज्ञात

करता हूं अनुरोध आज मैं , भारत की सरकार से
प्रतिभाओं को मत काटो , आरक्षण की तलवार से
वर्ना रेल पटरियों पर जो , फैला आज तमाशा है ,
जाट आन्दोलन से फैली , चारों ओर निराशा है.
अगला कदम पंजाबी बैठेंगे महाविकट हड़ताल पर
महाराष्ट्र में प्रबल मराठा , चढ़ जाएंगे भाल पर..
राजपूत भी मचल उठेंगे , भुजबल के हथियार से ,"
प्रतिभाओं को मत काटो , आरक्षण की तलवार से.
निर्धन ब्राम्हण वंश एक दिन परशुराम बन जाएगा ,
अपने ही घर के दीपक से ,अपना घर जल जाएगा.
भड़क उठा गृह युध्द अगर भूकम्प भयानक आएगा
आरक्षण वादी नेताओं का , सर्वस्व मिटाके जायेगा.,
अभी सम्भल जाओ मित्रों , इस स्वार्थ भरे व्यापार से ,
प्रतिभाओं को मत काटो , आरक्षण की तलवार से...
जातिवाद की नहीं , समस्या मात्र गरीबीवाद है ,"
जो सवर्ण है पर गरीब हैं , उनका क्या अपराध है..
कुचले दबे लोग जिनके , घर मे न चूल्हा जलता है ,"
भूखा बच्चा जिस कुटिया में , लोरी खाकर पलता है..
समय आ गया है उनका ,उत्थान कीजिये प्यार से ,
प्रतिभाओं को मत काटो , आरक्षण की तलवार से..
जाति गरीबी की कोई भी , नही मित्रवर होती है ,
वह अधिकारी है जिसके घर , भूखी मुनिया सोती है.
भूखे माता-पिता , दवाई बिना तड़पते रहते हैं ,
जातिवाद के कारण , कितने लोग वेदना सहते हैं.
"उन्हे न वंचित करो मित्र , संरक्षण के अधिकार से ,"
"प्रतिभाओं को मत काटो , आरक्षण की तलवार से...||


सोमवार, 25 दिसंबर 2017

दिखावे की रश्में- मंगला सिंह युवराजपुर गाज़ीपुर उत्तर प्रदेश

दिखावे की रश्में- 25-03-1999

ये जहरीली कैसी हवा चल रही है
घुटन में हर एक जिंदगी पल रही है

बारूदों की ढेर पर आज हम खड़े है
कहा थे चले हम कहा चल पड़े है
लिपटी कफन में ये जिंदी सी लाशें
जिधर देखिये बस चिता जल रही है

ममता का मंदिर सुहागन का आँगन
शहीदों की धरती बनी को अभागन
पावन धरा से विखेरें अमन को
वो रघुकुल की रीति कहा चल रही है

न सोये न जागे न लेते हुए हम
न यादो को उनके समेटे हुये हम
लगाने चले चिताओ के मेले
देखावे के रश्में हमे छल रही है

ओहदे की लालच वजुदों से नफरत
है सोने की लंका में रावण की सोहरत
आओ जरा फिर से सोचे विचारे
ये अपनी ही करनी हमे खल रही है

रचनाकार - मंगला सिंह
युवराजपुर ग़ाज़ीपुर
+91 9452756159




सोमवार, 11 दिसंबर 2017

जब भी रोना चरागो को बुझा कर रोना - ओसमान मीर

अपने साए से अश्को को छुपा कर रोना
जब भी रोना चरागो को बुझा कर रोना

हाथ भी जाते हुए वो तो मिलाकर न गया-3
मैने चाहा जिसे सिने से लगा कर रोना

जब भी रोना..................

लोग पढ़ लेते है चेहरे पर लिखी तहरीरे- 3
कितना दुश्वार है लोगो से छुपा कर रोना

जब भी रोना..................

तेरे दीवाने का क्या हाल किया है गम ने-5
मुस्कुराते हुए लोगो मे भी जाकर रोना

जब भी रोना..............

Link -https://www.youtube.com/watch?v=JDJZwOF3cws&list=RDJDJZwOF3cws