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मार्च 2020 ~ Lav Tiwari ( लव तिवारी )

Lav Tiwari On Mahuaa Chanel

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शनिवार, 28 मार्च 2020

कोरोना और लॉकडाउन के बिना परवाह किये यूपी-बिहार अपने घर के लिए निकली जनता- लव तिवारी


दिल्ली के आनंद विहार और यूपी के कौशांबी बस अड्डे पर हजारों लोग अपने घर उत्तर प्रदेश बिहार जाने को मौजूद हैं. दिल्ली में इनके लिए जिंदगी इतनी मुश्किल है कि इन्हें हर हाल में अपने गांव पहुंचना है हो भी क्यो न घर का किराया सारे कंपनी का लॉक डाउन में बंद होना इनके मानसिक स्थिति को परेशान कर रखा है। फिर दिल्ली सरकार की फ्री भोजन की दलीलें भी इनको रास नही आई। अपने परिवार के साथ अपनी गृहस्थी सिर पर संभाले इन मजदूरों को न तो सोशल डिस्टेंसिंग की चिंता है और ना ही कोरोना का डर की। दिल्ली में लॉकडाउन के बाद यहां से उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड जाने वाले मजदूरों की बाढ़ सी आ गई है. दिल्ली से यूपी के लिए निकलने वाली सड़कों पर सैकड़ों मजदूर हैं. ये मजदूर अपनी जरूरत के सामान सिर पर उठाकर बच्चों और महिलाओं समेत अपने घर की यात्रा पर निकल पड़े हैं.

उत्तर प्रदेश के योगी सरकार के निर्णय के बाद दिल्ली के आनंद विहार बस अड्डे से डीटीसी की बसें इन मजदूरों को वाराणसी ऐटा, इटावा, झांसी, आगरा, बुलंदशहर, गोरखपुर, लखनऊ लेकर फ्री में जा रही है. बिहार और झारखंड जाने वाले मजदूरों के पास तो कोई विकल्प ही नहीं है. उनका ये कहना है कि जहाँ तक जाएगी वहाँ तक जाएगी आगे की सफर हम खुद अपने पैरों से तय करेंगे। इस व्यवस्था को देखकर दिल्ली पुलिस के जवान इन मजदूरों को लाइन में लगवाकर बसों में चढ़ा रहे हैं।




शुक्रवार, 27 मार्च 2020

दिहाड़ी मजदूर और महामारी कोरोना- लव तिवारी

दिहाड़ी मजदूर और कोरोना

दिहाड़ी मजदूर का अर्थ है । रोज काम के आधार पर मजदूरी,  अगर काम नही है तो न तो मजदूरी और जब मजदूरी नही तो - न परदेश में रहने की जगह न खाने को अन्न , इस बीमारी ने देश के गरीबों को कही का नही छोड़ा और अगर गरीब कई दिन पैदल चलकर  भूखे प्यासे अपने घर  चला भी जाता है  तो उसे गांव के उसके अपने ग्रामीण उसे बिना परीक्षण के गांव में घुसने नही दे रहे है। हो भी क्यो न गांव वालों को अपनी साथ मे ग्रामीण की चिंता है अगर एक भी रोगी आया तो पूरा का पूरा गांव तबाह हो जाएगा। किसी न्यूज़ चैनल ने अफवाह उड़ाई है दो दिन बस और ट्रेन सेवा चालू की जाएगी जिससे रास्ते मे  फसे  व्यक्ति अपने घर गांव जा सके। इस बात को सुनकर लाखो की भीड़ आनंद विहार रेलवे स्टेशन और विवेकानंद बस अड्डा पर उमड़ी पड़ी है।आज एक व्यक्ति पैदल चलकर बिहार जा रहा था  3 दिन बाद जब खाना मिला तो रो पड़ा 😢😢😢

वही मेरे एक मीडियाकर्मी मित्र के द्वारा और अन्य वेबसाइट के आदर पर देश मे कोरोना पीड़ितों की सख्या का पता चलता है, पता नही कब थमेगा ये कहर।

कोरोना लाइव ( शुक्रवार, रात 02:00 बजे तक)

        विश्व में कोरोना मरीज-: 5,90,061
      भारत में कुल कोरोना मरीज-: 891
        भारत में सक्रिय कोरोना मरीज-: 794
        अभी तक इलाज से ठीक हुए-: 76
        कोरोना से मरने वालों की संख्या-: 21

          *राज्यवार कोरोना मरीज*
महाराष्ट्र-: 156              केरल-: 176
कर्नाटक-: 64                तेलंगाना-: 59
गुजरात-: 47                 राजस्थान-: 50
उत्तर प्रदेश-: 51             दिल्ली-: 41
पंजाब-: 38                  हरियाणा-: 33
तमिलनाडु-: 38             मध्य प्रदेश-: 29
लद्दाख-: 13                  आंध्र प्रदेश-: 13
पश्चिम बंगाल-: 15          चंडीगढ़-: 08
जम्मू-कश्मीर-: 20          बिहार-: 09
उत्तराखंड-: 05              मिजोरम-: 03
गोवा:- 03                 हिमाचल प्रदेश-: 03
ओड़िसा-: 03                छत्तीसगढ़-: 06
पुडुचेरी-: 01                  मणिपुर-: 01
अंडमान निकोबार:- 06



कोरोना और बेबसी की तस्वीर -डी एस यादव

आज शोनभद्र में ड्यूटी के दौरान एक बेबस और लाचार पिता से मुलाकात हुई जो अपनी दो बेटियों के साथ साइकिल से 50 किलोमीटर अनपरा से बहुत परेशान हालत में रेनूकूट पहुंचा था रोकने पर उसके द्वारा बताया गया कि उसकी एक लड़की बीमार है कोरोनावायरस की मार के बाद रोजगार ना होने के कारण रेनूकूट से वापस अपने घर साइकिल से जा रहा तथा वह और उसकी बेटियां पैसे न होने के कारण पिछले 10 घंटे से भूखे हैं उनकी हालत देखकर सच में आंखों में आंसू आ गए हमारी चेकिंग अपनी पुलिस टीम द्वारा आपस में सहयोग राशि जमा कर तत्काल आर्थिक सहायता प्रदान की गई उक्त व्यक्ति को कोरोनावायरस के खतरे से अवगत कराते हुए सेनीटाइज किया गया तथा तुरंत घर जाने हेतु बताया बच्चियों को जब हमारे द्वारा खाने के लिए कुछ सुबह की बनी रोटिया दी गई तो उनके चेहरे पर खुशी वह आंखों में चमक देखने लायक थी सच बताऊं उनकी खुशी देखकर ड्यूटी की कई दिन की थकान दूर हो गई! मेरा इस फोटो को शेयर करने का उद्देश्य मात्र यह है कि देश की विषम परिस्थिति में यथासंभव सरकारी तंत्र के कर्मियों के सहयोग से आसपास के गरीब असहाय तथा जरूरतमंद लोगों को यथासंभव सहायता प्रदान करें! इस विषम परिस्थिति से निकलने में सभी भारतवासियों का सहयोग नितांत आवश्यक है---

लेख डी 0 एस0 यादव




गुरुवार, 26 मार्च 2020

कोरोना महामारी और मेरा गांव युवराजपुर - लव तिवारी

उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ीपुर जिला मुख्यालय से 15 किमी दूर सुहवल थाना क्षेत्र के ग्राम युवराजपुर का एक युवक 40 वर्ष 22 मार्च को चेन्नई से लौटता है। कुछ दिन बाद उसकी तबियत खराब हो जाती है। पहले वह गांव के ही डॉक्टर से दवा लेता है लेकिन आराम नहीं मिलता। युवक को 24 मार्च को सांस लेने में भी तकलीफ होने लगती है। गांव के युवा वर्ग को इस बात का पता चलता है । एक व्यक्ति श्याम लाल बाहर से अपने गांव आया है। और उसके बीमारी के लक्षण कोरोना से बहुत मिलते जुलते है। फिर क्या नव युवक द्वारा 112 पर पुलिस को सूचित कर मरीज की जांच की उचित व्यवस्था के लिए प्रयास करता है। जिले की पुलिस संदिग्ध हालात में मरीज को दिशा निर्देश देकर छोड़ देती है । पुलिस ये तो चाहती है कि मरीज सही और उनका इलाज हो लेकिन उनकी सुरक्षा और बचाव भी बहुत जरूरी है। आज दिनांक 25 मार्च को श्याम लाल चेकअप के लिए गए है और भगवान न करे कि श्याम लाल की कोरोना की पुष्टि हो । क्यो कि गांव के माध्यम से पता चला है कि श्याम लाल टी बी जैसे बीमारी से पहले से ग्रसित है।

अगर किसी ग्रमीण या उसके आस पास के व्यक्ति को कोरोना के लक्षण मिलते है तो उसके खून को लगभग 80 किमी दूर युवक का ब्लैड सैंपल जांच के लिए वाराणसी के सर सुदंरलाल अस्पताल भेजा जाता है। इस मामले से आप बड़ी आसानी से यह अनुमान लगा सकते हैं कि ग्रामीण भारत कोरोना जैसी महामारी से लड़ाई के लिए कितना तैयार है। यह सच है कि कोरोना वायरस का ज्यादा असर अभी शहरों तक ही है, लेकिन धीरे-धीरे अब यह गांवों की तरफ भी पैर पसार रहा है। देशभर में अब तक कोरोना के कुल 640 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं जबकि 18 को अपनी जान भी गंवानी पड़ी है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, देश की लगभग 69 प्रतिशत जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है। ऐसे में अब सवाल यह भी है कि क्या ग्रामीण भारत कोरोना जैसी महामारी से निपट पायेगा ? 24 मार्च को लॉकडाउन वाले अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं वाले देश भी इस बीमारी से नहीं लड़ पा रहे हैं, ऐसे में लॉकडाउन ही इससे बचाव का तरीका है ? ग्रामीण भारत की स्वास्थ्य रिपोर्ट और आंकड़े तो यही कहते हैं। "मेरे जिले में रोज बड़ी संख्या में लोग बाहर से आ रहे हैं। जांच की कोई व्यवस्था नहीं है। उनकी कोई जांच नहीं हुई जबकि मैंने सोशल मीडिया के माध्यम से इसकी जानकारी अपने सहयोगियों और ग्रामीणों से पूछी तो लोग ग्राम के संचालक ग्राम प्रधान की गैर मौजूदगी का ढिढोरा पीटने लगे। बड़े भैया शैलेन्द्र सिंह बबलू जैसे समाज सेवी द्वारा लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है। हमें समाचार चैनलों से पता चला है रहा है कि मामला बहुत गंभीर है। हमारे यहां न सामुदायिक, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर इसे लेकर कोई जागरुकता नहीं है।" लॉक डाउन से पहले भारी मात्रा में लोगो का समूह मेरे गांव युवराजपुर और पड़ोसी गांव पटकनिया में आये हुए है। कुछ रूपोर्ट मैंने भारत की स्वास्थ्य जांच एजेंसी से कलेक्ट किये है आप पढ़े और इस वास्तविकता को समझे।

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के मुताबिक लगभग 20 करोड़ की आबादी वाले उत्तर प्रदेश में कोविड-19 टेस्टिंग के लिए 8 लैब बनाये गये हैं। ये लैब लखनऊ, वाराणसी, अलीगढ़, मेरठ, सैफई और गोरखपुर में बनाये गये हैं। अब अगर अपने गांव या शहर ग़ाज़ीपुर में कोई संदिग्ध मरीज मिलता है तो उसकी जांच 400 किमी दूरी लखनऊ में हो पायेगी या फिर 90 किमी दूर वाराणसी में। कोविड-19 टेस्टिंग के लिए देशभर में कुल 119 सरकारी और 25 प्राइवेट लैब बनाये गये हैं। कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य महाराष्ट्र में आठ सरकारी और 4 प्राइवेट लैबों में कोविड-19 वायरस की जांच हो रही है। इनमें 4 लैब मुंबई में, पुणे में तीन और नागपुर में एक लैब बनाये गये हैं। चारों प्राइवेट लैब मुंबई में हैं। इसी तरह बिहार में 5 टेस्ट लैब बनाये गये हैं। इनमें से तीन पटना और दो दरभंगा में हैं। लैंबों की संख्या कम तो हैं ही, गांवों से बहुत दूर भी हैं। ग्रामीण भारत के सामने कोरोनो को हराने में यह भी एक बड़ी मुश्किल सामने आ सकती है। भारत की ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति को और बेहतर भारत सरकार की ही रिपोर्ट नेशनल हेल्थ प्रोफाइल 2019 से समझा जा सकता है। इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में 21,403 सरकारी अस्पताल (प्राथमिक, सामुदायिक और उप-जिला / मंडल अस्पताल को मिलाकर) हैं जिनमें 2,65,275 बेड हैं, जबकि शहरों के 4,375 अस्पतालों में 4,48,711 बेड हैं। देश में तो वैसे हर 1,700 मरीजों पर एक बेड है लेकिन ग्रामीण भारत में इसकी स्थिति चिंताजनक है। ग्रामीण क्षेत्रों में 3,100 मरीजों पर एक बेड है। राज्यों की बात करें तो इस मामले में बिहार की स्थिति सबसे खराब है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसान बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में कुल 10 करोड़ आबादी रहती है जिनके लिए कुल 1,032 अस्पताल है जिनमें महज 5,510 बेड हैं। इस हिसाब से देखेंगे तो लगभग 18,000 ग्रामीणों के लिए एक बेड की व्यवस्था है। भारत के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के अस्पतालों में बेडों की संख्या। वहीं देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की 77 फीसदी (15 करोड़ से ज्यादा) आबादी गांवों में रहती है, जिनके लिए 4,442 अस्पताल और कुल 39,104 बेड हैं। लगभग 3,900 मरीज एक बेड की व्यवस्था है। तमिलनाडु इस मामले में सबसे अच्छी स्थिति में है जहां के ग्रामीण क्षेत्र में कुल 40,179 बेड हैं और कुल 690 सरकारी अस्पताल हैं। इस हिसाब से तमिलनाडु में हर बेड पर लगभग 800 मरीज हैं। बिहार की स्थिति के बारे में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के सचिव डॉ सुनील कुमार बताते हैं, "हमारे यहां तो दो लैबों में जांच होनी थी, लेकिन अभी तक एक में ही काम शुरू हो पाया है। दूसरे के लिए मशीन रखी है, उससे कब जांच होगी यह भगवान ही जाने। इससे आप समझिए कि हमारी सरकार कोरोना वायरस के प्रति कितनी सजग है। गांवों में रोज हजारों की संख्या में लोग बाहर से आ रहे हैं, किसी भी कोई जांच नहीं हो रही है।" "जांच करेगा ही कौन। पूरे प्रदेश में मुश्किल से 600 वेंटिलटर हैं। अस्पतालों में न तो डॉक्टर हैं और न ही बेड। और अगर कहीं कोरोना वायरस गांवों तक पहुंचा तो हम बस लाशें गिनेंगे। ऐसे में इस महामारी से लड़ने के लिए हमारी कोई तैयारी नहीं है। हमारी भलाई इसी में है कि हम खुद को सुरक्षित रखें, अपना बचाव करें।" डॉ सुनील कहते हैं। बेड के अलावा डॉक्टर्स की उपलब्धता भी ग्रामीण भारत के लिए एक बड़ी चुनौती है। रूरल हेल्थ स्टैटिस्टिक्स की मानें तो भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में 26,000 की आबादी पर महज एक एलोपैथिक डॉक्टर हैं जबकि वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) कहता है कि हर 1,000 लोगों पर एक डॉक्टर होने चाहिए वहीं पूरे देश की बात करें तो देश में 10,000 की आबादी पर लगभग सात डॉक्टर हैं। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) के यहां रजिस्टर्ड एलोपैथिक डॉक्टरों की कुल संख्या लगभग 1.1 करोड़ है। कोरोना से लड़ रहे दूसरे देशों की बात करें तो चीन में प्रति 10 हजार की आबादी पर 17 से ज्यादा डॉक्टर हैं। 32 करोड़ की कुल आबादी वाले अमेरिका में प्रति 10 हजार लोगों पर 25 से ज्यादा और 6 करोड़ की कुल आबादी वाले इटली में प्रति 10 हजार पर लगभग 37 डॉक्टर हैं। राज्यों के हिसाब से डॉक्टरों की उपलब्धता के मामले में पश्चिम बंगाल की स्थिति सबसे खराब है। नेशनल हेल्थ प्रोफाइल 2019 की रिपोर्ट के अनुसार पश्चिम बंगाल के ग्रामीण क्षेत्रों में कुल 881 डॉक्टर हैं जबकि यहां की लगभग 6.2 करोड़ आबादी गांवों में रहती है। मतलब लगभग 70,000 लोगों पर एक डॉक्टर है। झारखंड और बिहार की हालत भी खराब है। यहां के ग्रामीण क्षेत्रों में 50,000 से ज्यादा की आबादी पर सिर्फ एक डॉक्टर है। ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं की बुनियाद प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर टिकी है, लेकिन यह बुनियाद भी बेहद कमजोर है। देश के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों की स्थिति इस बारे में हमने पब्लिक हेल्थ रिसोर्स नेटवर्क की निदेशक डॉक्टर वंदना प्रसाद से बात की। वह बताती हैं, "हमारी स्वास्थ्य सेवा कमजोर है इसीलिए तो पूरे देश में लॉकडाउन कर दिया गया। जब मजबूत स्वास्थ्य सुविधाओं वाले देश इससे महामारी से पार नहीं पा रहे हैं तो हमारे लिए तो यह बहुत मुश्किल होगा।" "और हमारी ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाएं तो बहुत ही बदतर हैं। सरकार ने इस ओर कभी ध्यान ही नहीं दिया। हम इस ओर बहुत ज्यादा धेने की जरूरत है। अभी तो फिलहाल इसी में भलाई है कि हम ग्रामीणों को ज्यादा से ज्यादा जागरूक करें और वही करें जैसा सरकार कहती है, लेकिन इससे हमें सबक लेना चाहिए। अगली बार से हमारी व्यवस्था पहले से ही दुरुस्त रहे, न कि विपदा के समय।" वंदना आगे कहती हैं। वर्ष 2019 में 22 नवंबर को एक सवाल के जवाब में लोकसभा में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने 31 मई 2018 की एक रिपोर्ट के हवाले से बताया था कि देश के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में 34,417 डॉक्टरों की जरूरत है जबकि 25,567 डॉक्टर ही तैनात हैं, मतलब प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में ही 8,572 डॉक्टरों की कमी है। यही नहीं, सरकार ने अपने जवाब में यह भी बताया है कि देश के 72,045 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, उपकेंद्र और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ऐसे भी हैं जहां स्टाफ के लिए शौचालय तक की व्यवस्था नहीं है, जबकि 1,15,484 केंद्र ऐसे हैं जहां महिला और पुरुषों के लिए अलग-अलग शौचालय नहीं हैं। 823 स्वास्थ्य केंद्र तो ऐसे भी हैं जहां बिजली तक नहीं है, जबकि 1,313 केंद्रों पर नियमित बिजली नहीं रहती है। देश के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में बिजली और पानी तक की व्यवस्था नहीं है प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं में उत्तर प्रदेश की स्थिति सबसे खराब है। केंद्र सरकार की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में 3,621 डॉक्टरों की जरूरत है जबकि काम केवल 1,344 डॉक्टर ही कर रहे हैं।

आपका अपना ग्रामीण- लव तिवारी
युवराजपुर ग़ाज़ीपुर उत्तर प्रदेश
+919458668566



कोई भी काम करने से पहले साबुन से अपना हाथ धोएँ -कोरोना वायरस

हम जानते हैं कि आज कोरोना वायरस के चलते सिर्फ़ हिंदुस्तान हीं नहीं बल्कि पूरी दुनियां तबाही की ओर अग्रसर है।। 
    पूरी दुनियां में आज डर व्याप्त है। फ़िर भी हम सरकार की बातों पर अमल नहीं कर रहे हैं। दुःख इसी बात का है।। मैं आपसे अनुरोध करता हूँ कि आप चाहे जिस भी राजनीतिक दलों में विश्वास करते हैं करें लेकिन समस्या निपटने के बाद। अभी आप सिर्फ़ आलाकमान की बातों पर ध्यान दें और उनके एक-एक बातों को ध्यान पूर्वक सुनें और उसी हिसाब से अपना जीवन-यापन करें।।

       आप भी जानते हैं कि इस बीमारी को हम सिर्फ़ अपने घरों में बैठकर हीं दूर कर सकते हैं। तो आपसे निवेदन है कि आप अपने-अपने घरों में रहें और कोई भी काम करने से पहले साबुन से अपना हाथ धोएँ और डॉक्टरों की सलाहों को ध्यान से सुनें।

जब आँचल रात का लहराए और सारा आलम सो जाएं।
तुम मुझसे मिलने समा जलाकर ताज महल में आ जाना।

इसी ग़ज़ल के तर्ज पर बना ये भजन जो कोरोना को ध्यान में रखकर लिखी और गाई गयी है आप भी सुने और सुरक्षित रहने के प्रयास करे।


मंगलवार, 24 मार्च 2020

कोविड 19 बिमारी से बचने के लिए योग गुरु युश महाराज के कड़े निर्देश-

किसी भी बीमारी से चाहे वह कोरोना वायरस की कोविड 19 ही क्यों न हो लडऩे का काम हमारी प्रतिरोधक शक्ति करती है और प्रतिरोधक शक्ति जिससे बढती है वे उपाय निम्नलिखित हैं -

1.कम-से कम पांच बार सांस भरकर यानि पूरक करके सांस को अधिकतम देर तक रोकने का प्रयास करें, जो दो मिनट से ज्यादा सांस रोक सकता है वह बीमारी से बचने में समर्थ हो सकता है और तीन मिनट तक सांस रोकने वाला पूर्ण स्वस्थ होता है।

2.प्रणव प्राणायाम, नाडी शोधन प्राणायाम, भ्रामरी उज्जयायी संयुक्त प्राणायाम, कपालभाति प्राणायाम, द्रुत आकाशी प्राणायाम आपको रोगाणुओं से लडने की अद्भुत शक्ति देता है।

3. सप्ताह में एक दिन उपवास करें और प्रभावित व्यक्ति एक ही समय भोजन करें।कम भोजन प्रतिरोधक शक्ति बढाता है।

4. वयस्क अपनी निद्रा एक से तीन घंटे बढा दें और बच्चे दो से तीन घंटे बढा दें वृद्ध एक से दो घंटे बढा दें और इसके लिए शारीरीक परिश्रम,खेल और व्यायाम करें और एक घंटे तक मंत्र जप करें।सेब का सेवन करें।

5.एक सौ आठ बार महामृत्युंजय मंत्र का जप करें।

6.रोगाणु से प्रभावित हरी सब्जियों के सूप ,नारियल पानी, काला अंगूर, किवी ,संतरा, गाजर, टमाटर,बेल,आंवला के रस और पपीता का अनिवार्य सेवन करें।भोजन तीन दिन के लिए बंद कर दें।

7. सोने, चांदी, कान्त लोहा और तांबे का पानी ही पीयें और इसके लिए इन्हें अलग अलग दस मिनट तक तेज आंच में उबालें और बैंगनी रंग की कांच के बोतल में धूप में पन्द्रह दिनों तक रखें।

8.गिलोय, तुलसी, अजवायन, दालचीनी, मेथी, हल्दी,गुलाब, हरसिंगार पत्र, आंवला, पुदीना, अमरूद पत्र,अदरक और लहसुन को बराबर मात्रा में लेकर पीस कर रस निकालें और उसमें थोड़ा सेंधा नमक डालकर एक -एक कप दो से तीन बार पीयें।

9.आधा छोटा चम्मच सोडा बाय कार्ब एक कप पानी में कच्ची हल्दी मिलाकर पीयें।

10.धूप में आधा घंटा रहना(धूप प्रकाश स्नान), कपडे उतारकर शुद्ध प्रातः काल लीन हवा का सेवन पन्द्रह मिनट(वायु स्नान),आरती की लौ की आंच का पूरे शरीर में ताप लेना पंद्रह मिनट (प्रकाश ताप स्नान),शंख ध्वनि और घंटे की ध्वनि तरंगों को पंद्रह मिनट तक ध्यान आसन में बैठकर तन्मयता से सुनना।

11.देवदार, सफेद चंदन, रक्त चंदन, गिलोय, आक,वनतुलसी, आम,पलाश, यूकेलिप्टस पत्र,तेजपत्ता,धतूरा, अपामार्ग, चकवड बीज ,नागरमोथा, इलायची और गुग्गुल के हवन के धुएं से वातावरण को और स्वयं को भी सेनेटाइज करें।

12.राग मालकोश, भैरवी, दुर्गा, कल्याण यमन, भैरव और खमाज दस दस मिनट प्रतिदिन सुनें।

13.ब्रह्मचर्य पालन करें।

14.मादक द्रव्यों से पूर्णतः बचें।

15.भजन कीर्तन करें और निष्काम भाव से सेवा में लगें।

16.आसनों में जानुभालासन ,वृतासन ,चक्रासन, विपरीत भूनासाग्रस्पर्शासन ,पूर्ण धनुरासन, पद्ममकरासन, सर्वांगासन, शीर्षासन, पूर्ण मत्स्येन्द्रासन, सिंहासन और मयूरासन ।

17.उड्डीयान बंध ,बृहस्पति प्राणायाम, केवली प्राणायाम, नौलि प्राणायाम, प्राण अपान संयुक्त प्राणायाम और खेचरी प्राणायाम।



सोमवार, 23 मार्च 2020

थोड़े दिन की तो बात है अपने घर में रहो- अज्ञात

तूफ़ान के हालात है ना किसी सफर में रहो...
पंछियों से है गुज़ारिश अपने शजर में रहो...

ईद के चाँद हो अपने ही घरवालो के लिए...
ये उनकी खुशकिस्मती है उनकी नज़र में रहो...

माना बंजारों की तरह घूमे हो डगर डगर...
वक़्त का तक़ाज़ा है अपने ही शहर में रहो...

तुम ने खाक़ छानी है हर गली चौबारे की...
थोड़े दिन की तो बात है अपने घर में रहो.

#Corona #कोरोना





रविवार, 22 मार्च 2020

कोरोना वायरस kovid -19 से लड़ाई में होम्योपैथी की भूमिका - डॉ एम डी सिंह

कोरोना वायरस kovid -19 से लड़ाई में होम्योपैथी कैसे नायक की भूमिका निभा सकती है

डब्ल्यू एच ओ कोरोना वायरस के इंफेक्शन को वैश्विक महामारी घोषित कर चुका है । अब तक इसने विश्व के 195 से अधिक देशों को प्रभावित किया है । अब तक पूरे विश्व में 270,000 से ज्यादा लोग पीड़ित हैं और रोज उनकी संख्या बढ़ रही है । रोज एक नया देश इससे प्रभावित भी हो रहा है वहीं 12500 से ज्यादा लोग अपना जीवन गंवा चुके हैं । जहां चीन ने इसे कठोरता के साथ नियंत्रित कर लिया है वहीं यूरोप में यह अनियंत्रित होता प्रतीत हो रहा है।

चीन की सरकार ने अपने वोहान प्रांत की अच्छी तरह घेराबंदी करके कोरोना वायरस को देशभर में फैलने से रोक लिया है । वैसे ही भारतीय सरकार ने पूरे देश की घेराबंदी करके कोरोना वायरस को करीब-करीब नियंत्रित लिया हुआ है। अब तक 300 के आसपास मरीज कोरोना वायरस से पीड़ित अपने देश में चिन्हित हुए हैं उन्हें भी अनेक बाहर से आए हुए। 23 लोग इस रोग से पूरी तरह मुक्त हो चुके हैं। चार मृत्यु हुई है जिसमें एक स्वयं सऊदी अरब से लौटा था दूसरी का पुत्र इटली से कोरोना वायरस लेकर लौटा था। एक ने हॉस्पिटल के छत से कूदकर आत्महत्या कर ली।

भारत में यह पैंडेमिक अभी दूसरे स्टेज में है। पहला स्टेज वह जिसमें किसी संक्रमित देश से कोई संक्रमित व्यक्ति संक्रमण लेकर दूसरे देश में जाता है। दूसरा स्टेज वह जिसमें बाहर से आने वाली संक्रमित व्यक्ति द्वारा
उस घर में कोई व्यक्ति संक्रमित हुआ जिसमें उसने आश्रय लिया। यह दोनों पूरी तरह आईडेंटिफाइड होते हैं
और इन्हें सुरक्षा घेरे में रखा जा सकता है। भारत में ऐसा किया भी गया है। संक्रमण प्रसार का तीसरा चरण वह है जिसमें देश के भीतर संक्रमित हुए लोगों द्वारा संक्रमण पारकर कुछ लोग अचिन्हित रह गए हों। चौथा चरण इन्हीं अचिन्हित लोगों द्वारा संक्रमण का कम्युनिटी प्रसार होना।

तीसरा और चौथा चरण रोग प्रसार की अपेक्षाकृत कठिन अवस्था है। इसमें हमें स्वयं निडर और सतर्क रहते हुए संक्रमण से बचने का प्रयास करना होगा। और संभावित संक्रमण से लड़ने के लिए अपने शरीर की इम्यून सिस्टम को व्यायाम ,जीवन शैली में बदलाव, भोजन में नियंत्रण, एवं कुछ घरेलू आयुर्वेदिक एवं बॉडी इम्यूनिटी को बढ़ाने वाली कुछ होम्योपैथिक औषधियों के सेवन द्वारा स्वयं को तैयार रखा जाय। भीड़-भाड़ से स्वयं को अलग करके, कोई भी लक्षण उत्पन्न होने पर स्वयं को आइसोलेट करके, अथवा नियंत्रण केंद्रों में जाकर इस संक्रमण से लड़ा और हराया जा सकता है। सरकार द्वारा किए जा रहे कई प्रयास अनावश्यक से दिख रहे हैं किंतु सच पूछिए तो इस महामारी को रोकने के लिए वे अत्यंत आवश्यक हैं। हमें उस कार्य में पूरा सहयोग देना होगा। 65 वर्ष से ऊपर के लोगों पर वायरस का दुष्प्रभाव ज्यादा है। ऐसी अवस्था में हम उनका हौसला बढ़ाएं ।बाहर जाने से रोके और घर में ही उनको आनंदित करें।

किसी भी प्रतिद्वंद्वी को हराने के लिए उसकी प्रकृति और शक्तियों को पहले से जान लेना ही सही युद्ध नीति है।

कोरोना वायरस की शक्तियां-
1- प्रकृति और प्रसार- कोरोना वायरस की सबसे बड़ी शक्ति उसके प्रकृति एवं प्रसार के बारे में कम जानकारी का होना है । अमेरिका का आरोप है कि चीन ने फैलाया तो चीन का आरोप है कि उसे कमजोर करने के लिए अमेरिकी सेना ने फैलाया। आज पूरे विश्व को ऐसे विवादों से बचकर इस महामारी से मिलकर लड़ने की जरूरत है और अपने पास उपलब्ध सारे संसाधनों का प्रयोग करके इसके तह में पहुंचने की जरूरत है।

2- निवास और वाहक- कोरोना वायरस कोविड-19 पूर्ववर्ती कोरोनावायरस का नया स्टेन है। कोरोना वायरस पूर्व में सूअर, मुर्गो ,चमगादड़ आदि पशु पक्षियों को आक्रांत करता रहा है। अतः इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि अब भी कोविड -19 के पहले घर और वाहक वही जीव हों , और उनके संपर्क में आकर मनुष्य दूसरा वाहक बन गया है। उन पशुओं को पालने पोसने और उनके मांस को पकाने खाने में विशेष सतर्कता बरतने की जरूरत है। और उनके अंदर भी इसे ढूंढने का प्रयास छोड़ना नहीं चाहिए। इसके संदर्भ में दुनिया के पास स्मालपॉक्स का उदाहरण मौजूद है। जिसके वायरस को रूस के डेयरी उद्योग में लगे मजदूरों के हाथों पर होने वाले चेचक के दानों की तरह दिखने वाले इरप्संस में पाया गया। वे दूसरी वाहक थे प्रथम वाहक गाय थी जिसकी आंतों से चेचक के वायरस गोबर के साथ बाहर आते थे।
आज कई देशों के राजनीतिज्ञ ,उनकी पत्नियां, राष्ट्रपति, स्वास्थ्य मंत्री जैसे बड़े लोग जिनके रहन-सहन और सुरक्षा की अत्यंत विशिष्ट व्यवस्था होती है, कोरोना वायरस के पॉजिटिव पाए गए हैं। कहीं ऐसा तो नहीं कि कोरोना वायरस ने उन पर हमला करने के लिए उनके किचन का प्रयोग किया हो ।और उसके वाहक अनजाने में ही चिकन और सूअर के मांस को धोने काटने पकाने वाले बावर्ची Vector अर्थात वाहक बन गए हों। जैसे कि गोशालाओं में काम करने वाले गाय सेवक cowpox अर्थात स्मालपॉक्स के वाहक बन गए थे। मैं इसे संभावना के रूप में देख रहा हूं जिस पर ध्यान दिया जा सकता है।

3- संचरण- प्रत्येक संक्रामक रोग एक से दूसरे तक पहुंचने में किसी न किसी संचार माध्यम का प्रयोग करता है। जैसे एंथ्रेक्स एयर वार्न है, सीधे हवा के माध्यम से तेजी से फैलता है। जौंडिस, पोलियो और टाइफाइड वाटर वार्न हैं यह दूषित जल के माध्यम से फैलते हैं। वैसे ही चिकन पॉक्स , मिजिल्स, स्मालपॉक्स और अब इस कोरोनावायरस का संचरण पीड़ित के मुंह और नाक से खांसी एवं छींक के साथ निकलने वाली जलीय सूक्ष्म बूंदों द्वारा होता है जो किसी भी सतह पर चिपक जाती हैं जहां से वे हाथ को दूषित कर नाक, मुह, आंख के माध्यम से दूसरे में पहुंच जाती है अथवा नजदीक होने की अवस्था में स्वामी द्वारा दूसरे व्यक्ति द्वारा सीधे इन्हेल कर ली जाती हैं। रोगाणुओं के ड्रॉपलेट्स किचन में छौंक लगाने से उड़ने वाले तेल के ड्रॉपलेट्स को भी अपने संचार का माध्यम बनाते हैं जिसपर चिपक कर वे लंबी दूरी तय कर सकते हैं । यही कारण है कि भारत में किसी भी तरह की चेचक का प्रकोप होने पर घर में तेल का प्रयोग वर्जित कर दिया जाता है। मेरी समझ में कोरोना वायरस की ड्रॉपलेट्स को रोकने के लिए भी तेल का प्रयोग बंद करना चाहिए तभी उसका व्यापक बचाव हो पाएगा।

4- मौसम देशकाल- अब तक 195 से ज्यादा देशों पर प्रहार करने वाले इस वायरस के लिए कोई देश अथवा मौसम का तापमान बाधक नहीं प्रतीत होता। यदि ठंडे देश ज्यादा पीड़ित हुए हैं तो गर्म जगहों पर भी यह फैला है। हां आज अमेरिकी वैज्ञानिकों द्वारा एक सूचना अवश्य मिली है की मौसम की ह्यूमिडिटी और गर्मी इसके प्रभाव को सीमित करेंगे। भारत में तेजी से न फैलने का एक कारण यह भी हो सकता है कि यहां अब तक बेमौसम बारिश होती रही है। यही कारण हो सकता है कि आसाम और अन्य उत्तर पूर्वी राज्यों में अब तक कोई पॉजिटिव कोरोना वायरस का मरीज नहीं पाया गया है क्योंकि वहां आमतौर पर साल भर ह्यूमिडिटी बनी रहती है। यदि ऐसा हुआ है तो बेमौसम बरसात भी भारत के लिए वरदान साबित हुई है।

5-इनकुबेशन पीरियड ( Incubation period )- यह वह समय है जिसमें कोई वायरस शरीर के अंदर प्रवेश कर अपनी क्षमता का विस्तार करता है। कोरोना वायरस इसमें करीब 14 दिन का समय ले रहा है वह भी बहुत ही चुपके- चुपके। संक्रमित व्यक्ति को पता भी नहीं चल पाता कि वह इसके चंगुल में आ चुका है। बस थर्मल चेक द्वारा अंदाज लगाया जा सकता है, वह भी बस बीमार होने का।

5- समदर्शी- एक कहावत है 'एक तो तीती लौकी वह भी नीम चढ़ी', यही स्थिति कोरोना वायरस के इस संक्रमण काल को लेकर बनी है। सर्दी और सर्दी -गर्मी के मिलन काल में तरह-तरह के रेस्पिरेट्री परेशानियां आने की संभावना बनी रहती है जैसे कॉमन कोल्ड एंड कफ, एलर्जीकल राइनाइटिस, एलर्जीकल ब्रोंकाइटिस, सामान्य बुखार ,और इन्फ्लूएंजा इत्यादि। यह सब कोरोना वायरस जैसा ही प्रारंभिक लक्षण उत्पन्न करके डराने और न डरने पर उसे छुपाने का भी कार्य कर सकते हैं । हत्या इनके लक्षण मिलते ही अपने क्वालीफाई डॉक्टर से संपर्क करें तथा कुछ समय के लिए अपने को आइसोलेट भी कर लें। अनावश्यक पैनिक में ना आएं।

एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति में टीकाकरण के अतिरिक्त वायरस प्रभावित रोगों की कोई कारगर चिकित्सा उपलब्ध नहीं है । कोरोना वायरस का अभी तक कोई टीका भी नहीं बना है । इसलिए वे बचाव, कंजरवेटिव ट्रीटमेंट एवं रोगियों के आइसोलेशन पर आश्रित हैं। यही कारण है कि पूरा यूरोप जहां एलोपैथिक चिकित्सा व्यवस्था काफी समृद्ध है कोरोना वायरस को रोक पाने में बुरी तरह असफल सिद्ध हो रही है। भारत, बांग्लादेश ,पाकिस्तान ,श्रीलंका नेपाल, भूटान इत्यादि जहां की जनसंख्या बहुत सघन भी है अभी तक कोरोना वायरस के घातक संघार से अपेक्षाकृत कम प्रभावित हुए हैं। इसके पीछे वहां प्रयोग किए जाने वाले घरेलू, आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक औषधियों का बहुतायत में प्रयोग है। आज सारी दुनिया में होम्योपैथी सबसे ज्यादा भारत में विकसित है और निरंतर आयुष मंत्रालय के प्रयास से उन्नति कर रही है।
( दो-तीन दिनों से एक उत्साहवर्धक खबर आ रही है कि इस रोग के टीका खोजने की दिशा में अमेरिका ,भारत सहित पांच देशों के वैज्ञानिक सफलता के काफी नजदीक पहुंच चुके हैं, डब्ल्यूएचओ ने भी कल सूचित किया कि कोरोना वायरस के टीके का प्रारंभिक परीक्षण प्रारंभ कर दिया गया है)
लक्षण-
सर्दी जुकाम ,बुखार, सर दर्द, बदन दर्द थकान के साथ प्रारंभ होने वाला यह रोग जल्द ही गले को प्रभावित करते हुए( सोर थ्रोट) फेफड़ों तक पहुंच जाता है और वहां एक्यूट ब्राँकाइटिस , ड्राई कफ एवं आखिर में संक्रामक निमोनिया के रूप में आक्रांत कर अत्यंत कठिन रूप धारण कर लेता है। इस रोग में सर दर्द, खांसी ,बुखार एवं श्वसन में परेशानी 15-20 दिन तक बनी रह सकती है और दवाएं काम नहीं करती प्रतीत होतीं।

प्रसार- कोरोना वायरस संक्रमित व्यक्ति के खांसी और छींक के माध्यम से ड्रॉपलेट के रूप में बाहर आते हैं जहां से वे सीधे अन्य व्यक्ति द्वारा इन्हेल कर लिए जाते हैं अथवा हाथों को संक्रमित कर अन्य तक पहुंच जाते हैं।मुख्यतः शीत ऋतु में एपिडेमिक के रूप में।

बचाव-
1- किसी भी भयावह रोग से बचने का पहला उपाय है भय मुक्त रहा जाए। भय शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को कम कर देती है और रोग अपना पैर तेजी से फैलाता है।
2- सर्दी से बचने का उपाय किया जाए।
3- साफ सफाई का विशेष ध्यान रखा जाए अपने हाथ ,शरीर, घर और आसपास की।
सार्वजनिक स्थानों पर रहने वालों को अपने हाथ दिन भर में कई बार साबुन अथवा किसी एल्कोहलिक डिसइनफेक्टेंट से साफ करते रहना चाहिए।
4- जहां रोग फैला हो अथवा फैलने की संभावना हो उन सार्वजनिक स्थलों पर मास्क लगाया जाए और छींकते , खांसते समय मुंह पर कपड़ा रखा जाए।
5- ज्ञात संक्रमित मरीजों को आइसोलेट किया जाए।
समतुल्य लक्षणों वाले रोगों की अवस्था में भी स्वयं को संरक्षित किया जाए।
6- व्यायाम, योगासन, प्राणायाम द्वारा शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति (इम्यून)को बढ़ाया जाए।
7- अच्छी तरह धुली हुई हरी सब्जियों का प्रयोग किया जाए । मांसाहार का सेवन एकदम न करें ।
8- आक्रांत स्थानों पर सर्दी ,जुकाम सर दर्द बदन दर्द गले में खराश के लक्षण दिखते ही तुरंत चिकित्सीय सलाह ली जाए।
9- हाथों का सैनिटाइजेशन अत्यधिक आवश्यक है क्योंकि इस वायरस के ड्रॉपलेट्स प्रयोग की जा रही वस्तुओं मेज कुर्सी हैंडल फोन इत्यादि पर घंटों जीवित रहते हैं जो हाथों के माध्यम से मुंह और नाक तक पहुंच सकते हैं इसलिए यदि हम सार्वजनिक स्थलों पर हैं तो बार-बार साबुन से हाथ धो कर अथवा किसी ऐसे सैनिटाइजर जिसमें 65% से ज्यादा अल्कोहल हो का दिन में कई बार प्रयोग करें।
10- भारत में चेचक होने पर तेल का प्रयोग छौंक आदि के लिए बंद कर दिया जाता है इसके पीछे चेचक का इंफेक्शन भी ड्रापलेट द्वारा होना है ,जिससे बचाव के लिए भारत का आम नागरिक ऐसा करता रहा है। वैसे ही कोरोना वायरस के ड्राप्लेट्स भी तेल के ड्रॉप्लेट्स पर चिपक कर घर के अन्य सदस्यों तक पहुंच सकते हैं ऐसी अवस्था में तेल का सेवन और छौंक को सीमित किया जा सकता है।

आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति में इस वायरस के रोकथाम और इलाज की कारगर औषधियां उपलब्ध हैं । जहां आयुर्वेद में गिलोय, तुलसी, अणूस, काली मिर्च ,छोटी कटेरी, हल्दी, मुलहेठी ,लिसोढ़, इत्यादि से बनी हुई दबाएं एवं काढ़ा स्वसन तंत्र को मजबूत करने वाली एवं रोग मुक्त करने वाली कारगर औषधियां हैं। वहीं होम्योपैथी में उपरोक्त आयुर्वेदिक औषधियों के मदर टिंक्चर क्रमशः टीनेस्पोरा कार्डिफ़ोलिया, आसिमम सैंक्टम, जस्टिसिया अधाटोडा,पाइपर नाइग्रा, सोलेनम जैन्थोस्पर्मम एवं कुरकुमा लौंगा, अजाडिरेक्टा इन्डिका , कैलेंडुला ऑफिसिनलिस इत्यादि के नाम से उपलब्ध हैं। इन औषधियों का उपयोग आंतरिक और बाह्य दोनों तरह से किया जा सकता है। इनका उपयोग अत्यंत कारगर साबित होगा ।

लाक्षणिक चिकित्सा पर आधारित होम्योपैथी कोरोना वायरस से आक्रांत मरीजों की चिकित्सा में सबसे ज्यादा कारगर सिद्ध हो सकती है। तथा रोग प्रारंभ होने से पूर्व भी इसकी कुछ औषधियों के प्रयोग से रोग से बचा रहा जा सकता है।


बचाव के लिए उपयोगी होम्योपैथिक औषधियां-
Prophylactic Homeopathic medicines-

1-
थूजा THUJA 1M , यह होम्योपैथी की मुख्य वायरस प्रतिरोधी औषधि है । साथ ही सर्द हवाओं से होने वाले किसी भी रोग से बचाव भी करती है। संक्रमित जगहों पर रहने वालों को यह दवा महीने में एक बार पूरे संक्रमण काल में लेते रहना फायदेमंद होगा।

2-
इग्नेशिया Ignatia 200, इस औषधि का हफ्ते में एक बार सेवन कोरोना वायरस के भय से मुक्त रखने में कारगर होगा। किसी व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत बनी रहेगी जिससे उसके ऊपर इस रोग का प्रभाव बहुत सूक्ष्म अथवा नहीं होगा।

3-
आर्सेनिक अल्ब ARSENIC ALB 30 अथवा 200, यह औषधि ठंड से होने वाले सर्दी, जुकाम ,बुखार, निमोनिया की कारगर औषधि तो है ही । साथ ही गोश्त खाने से होने वाली प्रकोपों के लिए महौषधि है। यह औषधि इसे लेने वालों के अंदर व्यवस्था एवं सफाई के प्रति स्वतः ही सजगता उत्पन्न करने की क्षमता रखती है जो कोरोना वायरस से बचने के लिए फायदेमंद होगा। संक्रमित एरिया में इसका 1 दिन नागा करके एक खुराक लेना कारगर साबित होगा।

4-
न्यूमोकोकिनम PNEUMOCOCCINUM 200, यह दवा अकेले कोरोना वायरस की रोकथाम में कारगर सिद्ध हो सकती है ।इस औषधि को संक्रमण काल में 15 दिन में एक खुराक लेना उपयुक्त रहेगा।

रोग उत्पन्न होने के बाद लक्षणानुसार होम्योपैथिक औषधियां-Aconite nap 30.Arsenic alb 30, Antim ars 30, Hepar sulph30,200, Arsenic Iod 30 , Dulcamara 30, Lycopodium200, Bryonia Alb 30,, Lachesis30,200 ,Phosphorus 30,Antim tart 30, Causticum 200, ऐंटिम सल्फ30, Opium30,Pneumococcinum200, 30,Aspidosperma Q&30, Hepatica30, Sangunaria can इत्यादि , रोग भय से पीड़ित होने पर Ignatia 200 एक खुराक ।

होम्योपैथिक औषधियां अलग अलग मौसम तापमान और परिस्थितियों के अनुसार भी काम करने में सक्षम हैं । अलग-अलग प्रकृति ,भोजन, परिस्थितियों के आधार पर भी होमियोपैथिक औषधियों का चुनाव निश्चित होता है। इस तरह यह संक्रमण किसी भी तापमान वाले जगहों पर कभी भी क्यों न फैले उसकी कारगर लाक्षणिक चिकित्सा देने वाली अनेक औषधियां होम्योपैथी के पास सुलभ हैं ।

19वीं शताब्दी के प्रारंभ में जब प्ले सारी दुनिया में फैल गया तब होम्योपैथी की एक औषधि इग्नेशिया ने उस भयानक महामारी से सारी दुनिया का बचाव किया ।वैसे ही अमेरिका में पशुओं पर जब ऐन्थ्रेक्स का हमला हुआ तो उसके निजोड से वहां के एक पशु चिकित्सक डॉक्टर लक्स ने ऐन्थ्रेसाइनम नामक होमियोपैथिक दवा बनाकर प्रयोग किया । जिसके प्रयोग से अमेरिका की पशु संपदा एवं अर्थव्यवस्था नष्ट होते होते बच पाई। ऐसे अनेक उदाहरण उपलब्ध हैं जिनके आधार पर हम यह कह सकते हैं कि होम्योपैथी कोरोना वायरस को विज्ञान कोविड-19 से लड़ने में अग्रणी भूमिका निभा सकती है । हम इसके लिए पूरी तरह प्रयास कर भी रहे हैं। भारत में तो आयूष मंत्रालय ने इसके लिए कमर भी कस लिया है।(कोरोना नोजोड्स से भी होमियोपैथिक औषधि बनाईं जा सकती है ।)
इन दिनों जर्मनी, फ्रांस ,अमेरिका और यूरोप के अधिकांश देशों ने कुछ खड़यंत्रों के कारण होम्योपैथिक काफी पीछे कर दिया है जिसका खामियाजा वह आज भुगत रहे हैं।

मेरी तरफ से मानवता की भलाई के लिए यह अनुरोध है कि इस कठिन परिस्थिति में दुराग्रहों को भुलाकर होम्योपैथिक औषधियों का एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति के साथ ही पॉजिटिव रोगियों पर प्रयोग किया जाए तो निश्चित ही जल्दी और पूर्ण स्वास्थ्य लाभ प्रदान किया जा सकता है ।और होम्योपैथी पूरी तरह जन स्वास्थ्य की अग्रणी चिकित्सा पद्धति बन सकती है। जो जीव जगत के लिए वरदान होगा।

नोट- उपरोक्त औषधियों को होम्योपैथिक चिकित्सकों की राय पर ही लिया जाना चाहिए।

डॉ एम डी सिंह,
प्रबंध निदेशक,एम. डी. होमियो लैब प्रा.लि.
महाराज गंज, गाजीपुर यू.पी.भारत .
9839099260,9839099261,9839099251
Website- www.mdhomoeolab.com






बुधवार, 18 मार्च 2020

इन्क्यूबेशन पीरियड और कोरोना महामारी की गम्भीरता को समझिए- लव तिवारी

'इन्क्यूबेशन पीरियड और कोरोना महामारी' की गम्भीरता को समझिए: साहसी बनिए पर सिर्फ़ हम ही बुद्धिमान है ऐसा समझने की बेवकूफ़ी मत कीजिए ।

WHO, अमेरिका, यूरोप, प्रधानमन्त्री कार्यालय, IIM, IIT अन्य सभी को बेवकूफ़ मत समझिए जो स्कूल, कॉलेज, मॉल बन्द करवा रहे है ।
बहुत आवश्यक हो तो बाजार से सामान जरूर लें पर शर्ट या जूते एक महीने बाद भी खरीदे जा सकते है । रेस्टोरेंट एक महीने बाद भी जा सकते है ।
यह मैं इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि कई जानकारों को ऐसा करते देखा है । यह बहादुरी नहीं मूर्खता है । ऐसे लोग अब भी गम्भीरता को नहीं समझ रहे है लापरवाही से आप अपने साथ उन अनेक लोगों की जान लेने का प्रयास कर रहे है जो देश के लिए या अपने लिए जीना चाहते है ।इन्क्यूबेशन पीरियड का खेल समझिए जिसे न समझने से इटली बर्बाद हुआ है ।

आप हम में से कोई भी कोरोना से इन्फेक्टेड हुआ तो ऐसा होते ही तुरन्त उसमें बीमारी के कोई लक्षण नहीं होंगे । उसे खुद भी मालूम नहीं होगा कि उसे कोई परेशानी है या वायरस का इन्फेक्शन हो गया है परन्तु उससे अन्य व्यक्ति में इन्फेक्शन ट्रांसमिट हो सकता है । वायरस से इन्फेक्ट होने से 14 दिन बाद तक कभी भी लक्षण आ सकते है ।
इसलिए आप और हम स्वस्थ लगने वाले व्यक्ति के साथ बैठे हो तब भी हो सकता है वह इन्क्यूबेशन पीरियड में हो ऐसे में हो सकता है हम कोई इन्फेक्शन अपने साथ ले आए और अपने परिवार के सदस्यों या अपने कलीग्स को दे आए । यह हमें भी पता तब चलेगा जब बीमारी के लक्षण दिखने लगेंगे ।

मैं किसी पैथी की बुराई नहीं कर रहा हूँ लेकिन कोई कितने ही दावे करे सच यह है कि COVID-19 का इलाज़ नहीं है । जो कह रहा है उसके पास इलाज़ है वह सफ़ेद झूठ बोल रहा है । जिस दिन बीमारी दिखेगी उस दिन उस व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता और वायरस की बीमार करने की क्षमता तथा उसके फेफड़ों, हार्ट, गुर्दे जैसे अंगों का सामर्थ्य तय करेगा कि वह ज़िन्दा बचेगा या नहीं ।

भारत एक ऐसा देश है जहाँ के कुछ ऐसे शहर है और महा नगर है जो जनसंख्या घनत्व के आधार पर विश्व के सबसे बड़े आबादी वाले क्षेत्र है। जनसँख्या घनत्व का तातपर्य है कम जगह में ज्यादा से ज्यादा लोगो का निवास से मतलब है। जैसे दिल्ली मुम्बई, कोलकत्ता, चेन्नई, वाराणसी, कानपुर जहाँ पर रोग के फैलने से पूरे समुदाय महामारी के चपेट में आ सकता है।

इसलिए यह दुस्साहस दिखाने वाले लोग अपने ही घर के वृद्ध लोगों के हत्यारे साबित होंगे जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो गई है ।
घबराने की आवश्यकता नहीं है पर अनावश्यक गोष्ठियां, घूमना, मिलना कुछ दिनों के लिए बन्द कीजिए । केवल ये दूरियां ही बचा सकती है मास्क, ग्लव्ज़, सैनिटाइजर कोई भी प्रोटेक्टिव नहीं है सिर्फ़ सहायक हो सकते है । अपनी नहीं भी करते हो पर अपनों की चिंता कीजिए । आपको जिन्होंने जीवन दिया है उन्हें मौत मत दीजिए ।
अभी भी वक़्त है सावधान हो जाइए । जो लोग इतनी कवायद कर रहे है उन सबको बेवकूफ़ मत समझिए वरना भारत में आंकड़ा किस कदर भी पार कर जाए तो भी आश्चर्य नहीं होगा चीन और इटली के हालात देखने के बावजूद जो बड़ी ग़लती स्पेन ने की वो अब भारत में न दोहरायें। पिछले सप्ताह कोरोना मरीज़ों की संख्या देखते हुए सरकारी आदेश से स्पेन के स्कूल कॉलेज बंद करवा दिये गये तो कई बच्चे और उनके माता पिता, दादा दादी नाना नानी आदि पार्क में पिकनिक करने लगे। इसका नतीजा यह हुआ कि अचानक से मरीज़ों की संख्या बढ़ने लगी। तब सख़्ती से और दंड से लोगों को समझाया गया कि यह छुट्टियों का समय नहीं बल्कि आपातकाल है। सख़्ती से घर पर रहने के आदेश दिये गये। किंतु इस बीच इनफ़ेक्शन कहाँ तक और कितना फैल गया, फ़िलहाल इसका अंदाज़ा नहीं है। आगे आने वाले दो सप्ताह में इसका पता लग ही जायेगा।

भारत के निवासियों से निवेदन है, इन बड़ी बड़ी ग़लतियों से सबक़ लें, अभी से जागरूक हो जायें और कोशिश करें कि अधिक लोगों से न मिलें। जहाँ भी भीड़ की संभावना हो, यदि अत्यंत आवश्यक न हो तो वहाँ न जायें। कुछ दिन घर में रहें तो सभी सुरक्षित रहेंगे। अपने कॉमन सेंस का प्रयोग करें कि यदि बाहर जाने की वाक़ई ज़रूरत न हो तो परिवार सहित घर में ही बने रहें। ज़रूरी होने पर मास्क अवश्य लगायें। साबुन से बार बार हाथ धोयें । कोई भी पारिवारिक या सामाजिक उत्सव कुछ समय के लिये स्थगित कर दें। आप जितने कम लोगों से मिलेंगे, आप और आपके अपने उतने ही सुरक्षित रहेंगे। याद रखिये कि समझदारी से उठाया गया आपका प्रत्येक क़दम इस महामारी से लड़ने में अत्यंत प्रभावशाली तौर से सहायक हो सकता है। भीड़ से बचें, जागरूकता के साथ सुरक्षित रहें, स्वस्थ रहें।

ताजा जानकारी के अनुसार अभी भारत विभन्न जगह के आधार पर लगभग 140 लोग कॅरोना वायरस से पीड़ित है और सरकार ने इससे निपटने कई कारिगर उपाय कर रखा है। सरकार के द्वारा 112 नंबर को टोल फ्री नंबर और कई हेल्पलाइन नंबर को जारी किया गया है जिससे इस भयानक महामारी को रोकने से बचाया जा सके। सरकार के साथ हमे भी इस रोग के उपचार में बराबर भागीदारी करके सरकार के इस मुहिम में मदद करनी चाहिए ।

अपने साथ आप का शुभचिंतक
लव तिवारी
नोएडा गौतम बुद्ध नगर
उत्तर प्रदेश 201301
टोल फ्री नंबर-112




मंगलवार, 17 मार्च 2020

कौन कहता है कि हमने गलत प्रधानमंत्री चुना है-

1990 की घटना..

आसाम से दो सहेलियाँ रेलवे में भर्ती हेतु गुजरात रवाना हुई। रास्ते में एक स्टेशन पर गाडी बदलकर आगे का सफ़र उन्हें तय करना था लेकिन पहली गाड़ी में कुछ लड़को ने उनसे छेड़-छाड़ की, इस वजह से अगली गाड़ी में तो कम से कम सफ़र सुखद होगा ,यह आशा मन में रखकर भगवान से प्रार्थना करते हुए दोनों सहेलियाँ स्टेशन पर उतर गयी और भागते हुए रिजरवेशन चार्ट तक पहुची और चार्ट देखने लगी।चार्ट देख दोनों परेशान और भयभीत हो गयी क्यों की उनका रिजर्वेशन कन्फर्म नहीं हो पाया था ।

मायूस और न चाहते उन्होंने नज़दीक खड़े TC से गाड़ी में जगह देने के लिए विनती की TC ने भी गाड़ी आने पर कोशिश करने का आश्वासन दिया एक दूसरे को आस्वाशन देते हुए दोनों गाड़ी का इंतज़ार करने लगी , आख़िरकार गाड़ी आ ही गयी और दोनों जैसे तैसे कर गाड़ी में एक जगह बैठ गयी अब सामने देखा तो !

सामने दो पुरूष बैठे थे। पिछले सफ़र में हुई बदसलूकी कैसे भूल जाती लेकिन अब वहा बैठने के अलावा कोई चारा भी नहीं था क्यों की उस डिब्बे में कोई और जगह ख़ाली भी नहीं थी।गाडी निकल चुकी थी और दोनों की निगाहें TC को ढूंढ रही थी शायद कोई दूसरी जगह मिल जाये कुछ समय बाद TC वहा पहुँचा और कहने लगा कि कही जगह नहीं है और इस सीट का भी रिजर्वेशन अगले स्टेशन से हो चूका है कृपया आप अगले स्टेशन पर दूसरी जगह देख लीजिये । यह सुनते ही दोनों के पैरो तले से जैसे जमीन ही खिसक गयी क्यों की रात का सफ़र जो था । गाड़ी तेज़ी से आगे बढ़ने लगी ,जैसे जैसे अगला स्टेशन पास आने लगा दोनों परेशान होने लगी लेकिन सामने बैठे पुरूष उनके परेशानी के साथ भय की अवस्था बड़े बारीकी से देख रहे थे जैसे ही अगला स्टेशन आया दोनो पुरूष उठ कर ,चल दिये. अब दोनों लड़कियो ने उनकी जगह पकड़ ली और गाड़ी निकल पड़ी कुछ क्षणों बाद वो नौजवान वापस आये और कुछ कहे बिना निचे सो गए ।दोनों सहेलियाँ यह देख अचम्भित हो गयी और डर भी रही थी जिस प्रकार सुबह के सफ़र में हुआ उसे याद कर डरते सहमते सो गयी।

सुबह चाय वाले की आवाज़ सुन नींद खुली दोनों ने उन पुरूषों को धन्यवाद कहा तो उनमे से एक पुरूष ने कहा " बहन जी गुजरात में कोई मदद चाहिए हो तो जरुर बताना " अब दोनों सहेलियों का उनके बारे में मत बदल चूका था खुद को बिना रोके एक लड़की ने अपनी बुक निकाली और उनसे अपना नाम और संपर्क लिखने को कहा दोनों ने अपना नाम और पता बुक में लिखा और हमारा स्टेशन आ गया है" ऐसा कह उतर गए और भीड़  में कही गुम हो गए दोनों सहेलियों ने उस बुक में लिखे नाम पढ़े वो नाम थे नरेंद्र मोदी और शंकर सिंह वाघेला वह लेखिका फ़िलहाल General Manager of the center for railway information system Indian railway New Delhi में कार्यरत है और यह लेख 
"The Hindu "इस अंग्रेजी पेपर में पेज नं 1 पर 
"A train journey and two names to remember इस नाम से दिनांक 1 जुन 2014 को प्रकाशित हुआ तो क्या आप अब भी ये सोचते है की हमने गलत प्रधानमन्त्री चुना है?





बुधवार, 11 मार्च 2020

नाव का छेद- अज्ञात

*नाव का छेद*

एक आदमी ने एक पेंटर को बुलाया अपने घर, और अपनी नाव दिखाकर
कहा कि इसको पेंट कर दो

पेंटर ने पेंट ले कर उस नाव को पेंट कर दिया, लाल रंग से जैसा कि नाव का मालिक चाहता था।
फिर पेंटर ने अपने पैसे लिए और चला गया !

अगले दिन, पेंटर के घर पर वह नाव का मालिक पहुँच गया और उसने एक बहुत बड़ी धनराशि का चेक दिया उस पेंटर को !

पेंटर भौंचक्का हो गया, और पूछा - ये किस बात के इतने पैसे हैं ? मेरे पैसे तो आपने कल ही दे दिये थे !

मालिक ने कहा - ये पेंट का पैसा नहीं है, बल्कि ये उस नाव में जो "छेद" था, उसको रिपेयर करने का पैसा है !

पेंटर ने कहा - अरे साहब, वो तो एक छोटा सा छेद था, सो मैंने बंद कर दिया था। उस छोटे से छेद के लिए इतना पैसा मुझे, ठीक नहीं लग रहा है !

मालिक ने कहा - दोस्त, तुम समझे नहीं मेरी बात !
अच्छा मैं विस्तार से समझाता हूँ। जब मैंने तुम्हें पेंट के लिए कहा तो जल्दबाजी में तुम्हें ये बताना भूल गया कि नाव में एक छेद है उसको रिपेयर कर देना !

और जब पेंट सूख गया, तो मेरे दोनों बच्चे उस नाव को समुद्र में लेकर नौकायन के लिए निकल गए !

मैं उस वक़्त घर पर नहीं था, लेकिन जब लौट कर आया और अपनी पत्नी से ये सुना कि बच्चे नाव को लेकर नौकायन पर निकल गए हैं !

तो मैं बदहवास हो गया। क्योंकि मुझे याद आया कि नाव में तो छेद है !

मैं गिरता पड़ता भागा उस तरफ, जिधर मेरे प्यारे बच्चे गए थे। लेकिन थोड़ी दूर पर मुझे मेरे बच्चे दिख गए, जो सकुशल वापस आ रहे थे !

अब मेरी ख़ुशी और प्रसन्नता का आलम तुम समझ सकते हो !

फिर मैंने छेद चेक किया, तो पता चला कि, मुझे बिना बताये तुम उसको रिपेयर कर चुके हो !
उस महान कार्य के लिए तो ये पैसे भी बहुत थोड़े हैं !

मेरी औकात नहीं कि उस कार्य के बदले तुम्हे ठीक ठाक पैसे दे पाऊं !

आप भी ज़रूर ध्यान रखें कि जीवन मे "भलाई का कार्य" जब मौका लगे हमेशा कर देना चाहिए, भले ही वो बहुत छोटा सा कार्य ही क्यों न हो !

क्योंकि कभी कभी वो छोटा सा कार्य भी किसी के लिए बहुत अमूल्य हो सकता है।

उन सभी को जिन्होने 'हमारी जिन्दगी की नाव' कभी भी रिपेयर की है उन्हें हार्दिक धन्यवाद .....
आपका दिन और जीवन सदा मंगलमय रहे ! राधे राधे🙏🏻



रविवार, 8 मार्च 2020

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस और एक महान शख्शियत सविता सिंह- -लव तिवारी

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस आईये आपको मिलवाते है एक महान शख्सियत सविता सिंह जी से मन में विश्वास और कुछ करने की जज्बा हो तो कोई भी बाधा मांयने नही रखती बचपन मे ही पोलियो से एक पैर प्रभावित होने के बाद भी आप ने अपने उद्देश्य को नही छोड़ा और आज एक राजस्व विभाग में नौकरी के साथ एक सामाजिक संस्था समर्पण के बैनर तले चलने वाले राजेश्वरी विकलांग विद्यालय जो 2007 से चल रहा है का संचालन करती है जो समाज के गरीब ,विकलांग जन, की पुर्ण से सेवा और उनके कार्यो में आये अड़चनों का सामना कर उन्हें पूरा सहयोग करती है। और आज 250 से दिव्यांग बच्चो को संभालती है ये इन बच्चों को उनके पैरों पर खड़ा करने के लिए उन्हें शिक्षा देती है ताकि ये बड़े होकर किसी पर बोझ बनने के बजाय आत्मनिर्भर हो सके सविता सिंह ने दिव्यागों को ही आपन परिवार मान लिया है

आपके इस महान कार्य के लिए 3 दिसम्बर 2011 में तत्कालीन उत्तर प्रदेश और विकलांग कल्याण विभाग के द्वारा स्टेट अवार्ड सम्मानित किया गया और 2013 में अमर उजाला रूपायन अचीवर अवार्ड एव 2014 में वाराणसी के तत्कालीन कमीश्नर नितिन गोकर्ण ने भी सम्मानित किया

साल 2015 सबसे खास रहा क्योंकि इस साल इन्हें नेशनल अवार्ड चेन्नई में मिला जो मशहूर संगीतकार ए आर रहमान के हाथों से केविन केयर एपीलिटी अवार्ड और 2018 में 3 दिसम्बर को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगीआदित्यनाथ के द्वारा से भी सम्मानित हुई

पिछले कुछ दिन पहले गृह जनपद ग़ाज़ीपुर में इन आदरणीय जन का स्नेह एवं आशीर्वाद मिला। महिला दिवस पर इस महान व्यक्तित्व को हम सादर प्रणाम करते है और ईश्वर से यही दुआ करते है कि इन्हें और समर्थवान एवम शक्तिशाली बनाये जिससे ये समाज के इस तरह के उत्कृष्ट कार्यो में योगदान करती रहें

#महिला_दिवस










तुम्हारे आने की चाह से मंदिर में दीप जालाये जाते है- लव तिवारी

आ जाओ मेरे पास अब दिन पुराने याद आते है।
तुम्हारा साथ नही तो दिल पर सितम ढाये जाते है।।

अपनी मंजिल तुमसे थी और तुम पर ही खत्म ।
इस मसलों को दिल मे आज भी सुलझाए जाते है।।

कितनी बेरहम है दुनिया जो न हो सके हम एकदूजे के।
मोहब्बत वालो के इस दौर में नसीब आजमाए जाते है।।

कुछ तो है जो दूर रह कर तुम आज भी याद आते हो।
तुम्हारे आने की चाह से मंदिर में दीप जालाये जाते है।।

रचना- लव तिवारी
दिनांक- ०८-मार्च२०२०