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अगस्त 2016 ~ Lav Tiwari ( लव तिवारी )

Lav Tiwari On Mahuaa Chanel

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सोमवार, 22 अगस्त 2016

बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में कैसी राजनीती, लव तिवारी

#ग़ाज़ीपुर #बाढ़ #गंगा #उत्तर_प्रदेश
#ब्रेकिंग #न्यूज़ #मोदी #बीजेपी #समाजवादी_पार्टी #भारत #देश #तिरंगा_यात्रा

सपा के #मंत्री जी बाढ़ क्षेत्र में गए कुछ फ़ोटो खिंचवाए और गंगा जी ने पीछे हटने का फैसला लिया।।यह कैसी #राजनीति है,वही समाजवादी पार्टी इसका मूल रूप से दोष केंद्र में बी जे पी सरकार को दे रही है तो बीजेपी वाले इसका दोष  राज्य में वर्तमान सरकार समाजवादी पार्टी को दे रही है, वही बीजेपी सरकार का मुख्य उद्देश्य बाढ़ पीड़ितों की मदद से हट कर तिंरगा यात्रा पर है जो आज कल प्रदेश के विभिन्न नगरो , गावो और शहरों में जोर शोर से चल रहा है

बुधवार, 10 अगस्त 2016

न जाने किस गली में जिंदगी की शाम हो जाये

हमारा दिल सवेरे का सुनहरा जाम हो जाए
चराग़ों की तरह आँखें जलें, जब शाम हो जाए

मैं ख़ुद भी एहतियातन, उस गली से कम गुजरता हूँ
कोई मासूम क्यों मेरे लिए, बदनाम हो जाए

अजब हालात थे, यूँ दिल का सौदा हो गया आख़िर
मुहब्बत की हवेली जिस तरह नीलाम हो जाए

समन्दर के सफ़र में इस तरह आवाज़ दो हमको
हवायें तेज़ हों और कश्तियों में शाम हो जाए

मुझे मालूम है उसका ठिकाना फिर कहाँ होगा
परिंदा आस्माँ छूने में जब नाकाम हो जाए

उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो
न जाने किस गली में, ज़िंदगी की शाम हो जाए

"बशीर बद्र"

बेवफाई को भी तेरे एक राज रखा है मैंने

बेवफाई को भी तेरे, इक राज रखा हैं मैंने,
बेपनाह मोहब्बत का ये #अंदाज रखा हैं मैंने।

गनीमत हैं ये कलम भी तुझसे बदतमीजी करें,
मेरी शायरी में भीे तेरा, लिहाज रखा हैं मैनें।

छलकती हैं आज भी कभी तनहाई मेेें आँखे,
तो लगता हैं की तुझे ही, नाराज रखा हैं मैंने।

तुझे खोकर जैसे, खौफ-ए-खुदा भी न रहा,
तेरे बाद तो यही अपना मिजाज रखा हैं मैंने।

'मोहब्बत' के मायने भी तुझसे ले के तुझी पे थे,
अब तो मेरे पास सिर्फ ये अल्फाज रखा हैं मैंने।

रचना -अज्ञात


बुधवार, 3 अगस्त 2016

फ़िल्म सूत्रधार पर आधारित भारतीय राजनीती लव तिवारी

#लम्बा सफर और #सफ़र के साथी मोबाइल फ़ोन और कुछ किताबे , किताबो को लेकर एक विशेष रोचक बात जहाँ में है  किताबो में जो बात है वो कही और नहीं, पुरे सफ़र किताबो के सहारे  तो नहीं गुजारी जा सकती , फिर क्या किताब के साथ मोबाइल फ़ोन का जिक्र किया था हमने, अक्सर सफ़र को रोचक और यादगार बनाने जे लिए मोबाइल फ़ोन में पुराने फिल्मो का कुछ #बेहतरीन कलेक्शन होते है , #आज के सफ़र में एक फ़िल्म सूत्रधार को देखने और भारतीय राजनीती की मिलती जुलती #मिशाल को दर्शाती इस #फ़िल्म की विशेष कहानी है

भारतीय राजनीती भी इसी तरह के #सूत्रधार पर आधारित रह कर सीमट सी गयी है जैसे फ़िल्म में  कुमार जब तक राजनीती में नहीं रहता उसे देश सेवा और अपने गांव क्षेत्र का विकास चाहिए होता है लेकिन राजनीती में जाने के बाद वो भी कई साजिश और संयत्र को अंजाम देता है, वास्तविकता को दर्शाती एक जब तक कोई व्यक्ति नेता नहीं रहता उसमे देश प्रेम और सेवा की भावना होती है जैसे वो नेता बनता है उसे अपने कुर्सी और राजनीति में अपने और ऊँचे और बड़े पदों की पाने की लालसा बढ़ती जाती है, इस काम को अंजाम देने के लिए उसके द्वारा विभिन्न प्रकार के अनैतिक कार्य को अंजाम देना पड़ता है , भारतीय पूर्व #प्रधानमंत्रियों में मेरे सबसे योग्य और निष्टावान वक्तित्व के दो प्रधानमंत्री मेरे आदरणीय है एक तो स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री और दूसरे माननीय अटल बिहारी वाजपेयी जी ,  भारतीय सामाजिक व्वस्था को सही ढंग से चलने के लिए संविधान ने मुख्य रूप से  #कार्यपालिका , न्यायपालिका और #व्वस्थापलिका का गठन किया और जब #व्वस्थापलिका का पूरा दायित्व जब भारत के ऐसे राजनीतिज्ञों के हाथ होगी जो फ़िल्म सूत्रधार जैसे कार्यो को अंजाम देगे , मैंने किसी राजनैतिक पार्टी का इस पोस्ट में नाम नहीं लिया है इस पोस्ट को अन्यथा न ले
प्रस्तुति
धन्यबाद - #लव_तिवारी

देश की अखण्डता और एकता को आहत पहुचता सोशल मीडिया- लव तिवारी

तुझे #देखकर बस यही #ख़याल करता हु "राहुल"
के मेरे हर #दर्द की वजह भी तू है, #दवा भी तू।

ऐसे कई अनगिनत राहुल और राजनितिक #विशेषज्ञ अपनी अपनी रोटिया सेकने के फ़िराक में है और देश की #फ़िक्र वो क्या करेगे जो खुद ही सत्ता के लालच का प्रयोग कर देश की सम्पति को लूटते है ,और बाद में देश को #लड़ने #झगड़ने पर मजबूर कर रहे है ,ऐसे मेरे भी मित्र है जो अकसर परेशान करते रहते है, देश की राजनीती की उतनी विशेष जानकारी तो नहीं है लेकिन सोशल मीडिया पर बने कुछ अपने दोस्तों की मानसिकता और आचरण का पता लग गया है हर एक व्यक्ति राजनितिक विशेषज्ञ की भूमिका को एक नए सिरे से अंजाम देने के फ़िराक में है चाहे उसके लेखनी में देश की अखंडता और एकता का नाश हो


ऊपर के लिखे हुए लाइन दर्द की वजह इस लिए है कि तेरे वजह से देश की अखंडता और एकता पर आच आ रही है और मर्ज की दवा इस लिए कि अगर तो सुधर गया तब तो वाकई में तेरे जैसा हकीम भी नहीं है दुनिया में जो मेरा इलाज़ कर सके
धन्यबाद
प्रस्तुति लव तिवारी

आरक्षण योग्यताओ का हनन है - लव तिवारी

#आरक्षण योग्यताओ का हनन है और राजनीती हथियार भी , भारतीय सविंधान में अनुच्छेद 15 एवं 16  के अनुसार #शैक्षणिक रूप से पिछले वर्गों और #सामाजिक रूप से #पिछड़े #वर्गों  के लिए आरक्षण का #प्रावधान है और उन वर्ग को भी जिसके अतीत के साथ अन्याय हुआ है , सही कहे तो आरक्षण एक व्यवस्था है न की #अधिकार  अगर #व्यवस्था को अधिकार मान लिया जाय तो #शब्द अन्याय की #उत्प्पति होती है और वो अन्याय किसके साथ पड़े लिखो के साथ, #गरीब के साथ,
अब सवाल ये उठता है कि
१. क्या तथाकथित #ऊंची जातियों में गरीब और शोषित लोग नहीं है?
२. आरक्षण का आधार #आर्थिक स्थिति हो तो क्या हानि होगी?
३. शिक्षा में आरक्षण पाकर जब सामान शिक्षा हासिल कर ली फिर #नौकरियों और प्रोन्नति में आरक्षण क्या #औचित्य क्या है?
४. #वर्ण-व्यवस्था से तथाकथित नीची जातियां भी विरत नहीं फिर भी कुछ को सवर्ण कहकर समाज को #टुकड़ों में बांटने के पीछे कौन सी #मंशा काम कर रही है?
५. #अंग्रेजो के #दमन को मुट्ठी भर #युवाओं ने नाकों चने चबवा दिए फिर आज का युवा इतना अकर्मण्य क्यों है?
६. क्या हम #गन्दी राजनीति के आगे घुटने टेक चुके हैं?
७. क्या आज सत्य को #सत्य और #झूठ को झूठ कहने वाले लोगों का #चरित्र दोगला हो चला है कि आप से एक #हुंकार भी नहीं भरी ज़ाती?
प्रस्तुति #लव_तिवारी


केजरीवाल सरकार की पर्यावरण के प्रति जागरूकता- लव तिवारी

पर्यावरण एक विशेष मुद्दा ,आधुनिक युग में बढती आबादी और कल कारखानो और वाहनों से दूषित वायु  से भविष्य में एक जटिल समस्या का रूप ले रहा है, इस बड़ी समस्या का निदान किसी मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री को न सोच कर हम सबको करनी चाहिए , क्यों की जब प्रकृति और उसके आवश्यक श्रोत ही धरती पर न रहेगे तो जीवन कहा से रहेगा, पिछले महीने आपने गांव का द्वारा का मौका मिला , वहा भी हर घर में जल शुद्ध करने वाले यंत्र लग रहे है जब की पूरी क्षेत्रफल  के 15 % भाग पर ही आबादी है और 70 % भाग पर खेती 15 % भाग गंगा का तटीय मैदान , जब उन जगहों पर भी बुरा हाल है तो माह नगरो की तो बात ही छोड़िये , भारत के प्रधान मंत्री ने जहा गंगा सफाई अभियान  को एक बड़ा रूप दिया है वही दिल्ली के मुख्यमंत्री जी के इवन और आड नंबर की एक छोटा रूप से पर्यावरण की शुद्धता पर ध्यान दिया है

बचपन में अध्ययन और कई गुरु जी के द्वारा पर्यावण को सही करने के लिए सार्थक उपाय कुछ निम्नवत है

1 हरे पेड़ पौधे को न काटे, और वृक्षारोपण को विशेष बल दिया जाय
2- उर्वरक और कीटनाशक जैसे का प्रयोग खेती के कर्यो  में  कम से कम प्रयोग
3- प्लास्टिल और प्लास्टिक से बनी वस्तुओं का उपयोग कम से कम किया जाय
4- त्योहारो को सात्विक और सही ढंग से मनाया जाय जैसे दीवाली में कम पठाखे का प्रयोग

ऐसी ही अंगित बातो को ध्यान देकर हम और आप पर्यावरण को शुद्ध कर सकते है
केजरीवाल साहब की पर्यावरण शुद्ध करने की मुहिम

1- न्यूज़ पेपर , मेट्रो परिसर और सड़को पर होर्डिंग लगाकर पर्यावरण शुद्ध किया जाय
2- रेडियो में स्पीच देकर दिल्ली और दिल्ली वासियो को जागृत करना
3- पर्यावरण अशुद्ध करने वाले कई विशेष कारको को छोड़ कर केवल इवन और आड नंबर की मदद से पर्यावरण शुद्ध करना

प्रस्तुति लव तिवारी

मंगलवार, 2 अगस्त 2016

रुद्राभिषेक रूद्र अर्थात भुत भावन शिव का अभिषेक

रुद्राभिषेक : रूद्र अर्थात भूत भावन शिव का अभिषेक
शिव और रुद्र परस्पर एक दूसरे के पर्यायवाची हैं।
शिव को ही रुद्र कहा जाता है
क्योंकि- रुतम्-दु:खम्, द्रावयति-नाशयतीतिरुद्र: यानि की भोले सभी दु:खों को नष्ट कर देते हैं।
हमारे धर्मग्रंथों के अनुसार हमारे द्वारा किए गए पाप ही हमारे दु:खों के कारण हैं।
रुद्रार्चन और रुद्राभिषेक से हमारे कुंडली से पातक कर्म एवं महापातक भी जलकर भस्म हो जाते हैं और साधक में शिवत्व का उदय होता है तथा भगवान शिव का शुभाशीर्वाद भक्त को प्राप्त होता है और उनके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं।
ऐसा कहा जाता है कि एकमात्र सदाशिव रुद्र के पूजन से सभी देवताओं की पूजा स्वत: हो जाती है।
रूद्रहृदयोपनिषद में शिव के बारे में कहा गया है कि-सर्वदेवात्मको रुद्र: सर्वे देवा: शिवात्मका:अर्थात् :-
सभी देवताओं की आत्मा में रूद्र उपस्थित हैं और सभी देवता रूद्र की आत्मा हैं।
हमारे शास्त्रों में विविध कामनाओं की पूर्ति के लिए रुद्राभिषेक के पूजन के निमित्त अनेक द्रव्यों तथा पूजन सामग्री को बताया गया है।
साधक रुद्राभिषेक पूजन विभिन्न विधि से तथा विविध मनोरथ को लेकर करते हैं।
किसी खास मनोरथ कीपूर्ति के लिये तदनुसार पूजन सामग्री तथा विधि से रुद्राभिषेक की जाती है।
रुद्राभिषेक के विभिन्न पूजन के लाभ इस प्रकार हैं-
• जल से अभिषेक करने पर वर्षा होती है।
• असाध्य रोगों को शांत करने के लिए कुशोदक से रुद्राभिषेक करें।
• भवन-वाहन के लिए दही से रुद्राभिषेक करें।
• लक्ष्मी प्राप्ति के लिये गन्ने के रस से रुद्राभिषेक करें।
• धन-वृद्धि के लिए शहद एवं घी से अभिषेक करें।
• तीर्थ के जल से अभिषेक करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है।
• इत्र मिले जल से अभिषेक करने से बीमारी नष्ट होती है ।
• पुत्र प्राप्ति के लिए दुग्ध से और यदि संतान उत्पन्न होकर मृत पैदा हो तो गोदुग्ध से रुद्राभिषेक करें।
• रुद्राभिषेक से योग्य तथा विद्वान संतान की प्राप्ति होती है।
• ज्वर की शांति हेतु शीतल जल/गंगाजल से रुद्राभिषेक करें।
• सहस्रनाम-मंत्रों का उच्चारण करते हुए घृत की धारा से रुद्राभिषेक करने पर वंश का विस्तार होता है।
• प्रमेह रोग की शांति भी दुग्धाभिषेक से हो जातीहै।
• शक्कर मिले दूध से अभिषेक करने पर जडबुद्धि वाला भी विद्वान हो जाता है।
• सरसों के तेल से अभिषेक करने पर शत्रु पराजित होता है।
• शहद के द्वारा अभिषेक करने पर यक्ष्मा (तपेदिक) दूर हो जाती है।
• पातकों को नष्ट करने की कामना होने पर भी शहद से रुद्राभिषेक करें।
• गो दुग्ध से तथा शुद्ध घी द्वारा अभिषेक करने से आरोग्यता प्राप्त होती है।
• पुत्र की कामनावाले व्यक्ति शक्कर मिश्रित जल से अभिषेक करें।ऐसे तो अभिषेक साधारण रूप से जल से ही होता है।
परन्तु विशेष अवसर पर या सोमवार, प्रदोष और शिवरात्रि आदि पर्व के दिनों मंत्र गोदुग्ध या अन्य दूध मिला कर अथवा केवल दूध से भी अभिषेक किया जाता है।
विशेष पूजा में दूध, दही, घृत, शहद और चीनी से अलग-अलग अथवा सब को मिला कर पंचामृत सेभी अभिषेक किया जाता है।
तंत्रों में रोग निवारण हेतु अन्य विभिन्न वस्तुओं से भी अभिषेक करने का विधान है।
इस प्रकार विविध द्रव्यों से शिवलिंग का विधिवत् अभिषेक करने पर अभीष्ट कामना की पूर्ति होती है।
इसमें कोई संदेह नहीं कि किसी भी पुराने नियमित रूप से पूजे जाने वाले शिवलिंग का अभिषेक बहुत हीउत्तम फल देता है।
किन्तु यदि पारद के शिवलिंग काअभिषेक किया जाय तो बहुत ही शीघ्र चमत्कारिक शुभ परिणाम मिलता है।
रुद्राभिषेक का फल बहुत ही शीघ्र प्राप्त होता है।
वेदों में विद्वानों ने इसकी भूरि भूरि प्रशंसा की गयी है।
पुराणों में तो इससे सम्बंधित अनेक कथाओं का विवरण प्राप्त होता है।
वेदों और पुराणों में रुद्राभिषेक के बारे में तो बताया गया है कि रावण ने अपने दसों सिरों को काट कर उसके रक्त से शिवलिंग का अभिषेक किया था तथा सिरों को हवन की अग्नि को अर्पित कर दिया था।
जिससे वो त्रिलोकजयी हो गया।
भष्मासुर ने शिव लिंग का अभिषेक अपनी आंखों के आंसुओ से किया तो वह भी भगवान के वरदान का पात्र बन गया।
रुद्राभिषेक करने की तिथियांकृष्णपक्ष की प्रतिपदा, चतुर्थी, पंचमी, अष्टमी, एकादशी, द्वादशी, अमावस्या, शुक्लपक्ष की द्वितीया, पंचमी, षष्ठी, नवमी, द्वादशी, त्रयोदशी तिथियों में अभिषेक करने से सुख-समृद्धि संतान प्राप्ति एवं ऐश्वर्य प्राप्त होता है।
कालसर्प योग, गृहकलेश, व्यापार में नुकसान, शिक्षा में रुकावट सभी कार्यो की बाधाओं को दूर करने के लिए रुद्राभिषेक आपके अभीष्ट सिद्धि के लिए फलदायक है।
किसी कामना से किए जाने वाले रुद्राभिषेक में शिव-वास का विचार करने पर अनुष्ठान अवश्य सफल होता है और मनोवांछित फल प्राप्त होता है।
प्रत्येक मास के कृष्णपक्ष की प्रतिपदा, अष्टमी, अमावस्या तथा शुक्लपक्ष की द्वितीया व नवमी के दिन भगवान शिव माता गौरी के साथ होते हैं, इस तिथिमें रुद्राभिषेक करने से सुख-समृद्धि उपलब्ध होती है।
कृष्णपक्ष की चतुर्थी, एकादशी तथा शुक्लपक्ष की पंचमी व द्वादशी तिथियों में भगवान शंकर कैलाश पर्वत पर होते हैं और उनकी अनुकंपा से परिवार मेंआनंद-मंगल होता है।
कृष्णपक्ष की पंचमी, द्वादशी तथा शुक्लपक्ष की षष्ठी व त्रयोदशी तिथियों में महादेव नंदी पर सवार होकर संपूर्ण विश्व में भ्रमण करते है।
अत: इन तिथियों में रुद्राभिषेक करने पर अभीष्ट सिद्ध होता है।
कृष्णपक्ष की सप्तमी, चतुर्दशी तथा शुक्लपक्ष की प्रतिपदा, अष्टमी, पूर्णिमा में भगवान महाकाल श्मशान में समाधिस्थ रहते हैं।
अतएव इन तिथियों में किसी कामना की पूर्ति के लिए किए जाने वाले रुद्राभिषेक में आवाहन करने पर उनकी साधना भंग होती है जिससे अभिषेककर्ता पर विपत्ति आ सकती है।
कृष्णपक्ष की द्वितीया, नवमी तथा शुक्लपक्ष की तृतीया व दशमी में महादेव देवताओं की सभा में उनकी समस्याएं सुनते हैं।
इन तिथियों में सकाम अनुष्ठान करने पर संताप या दुख मिलता है।
कृष्णपक्ष की तृतीया, दशमी तथा शुक्लपक्ष की चतुर्थी व एकादशी में सदाशिव क्रीडारत रहते हैं।
इन तिथियों में सकाम रुद्रार्चन संतान को कष्ट प्रदान करते है।
कृष्णपक्ष की षष्ठी, त्रयोदशी तथा शुक्लपक्ष की सप्तमी व चतुर्दशी में रुद्रदेव भोजन करते हैं।
इन तिथियों में सांसारिक कामना से किया गया रुद्राभिषेक पीडा देते हैं।
ज्योर्तिलिंग-क्षेत्र एवं तीर्थस्थान में तथा शिवरात्रि-प्रदोष, श्रावण के सोमवार आदि पर्वो में शिव-वास का विचार किए बिना भी रुद्राभिषेक किया जा सकता है।
वस्तुत: शिवलिंग का अभिषेक आशुतोष शिव को शीघ्र प्रसन्न करके साधक को उनका कृपापात्र बना देता है और उनकी सारी समस्याएं स्वत: समाप्त हो जाती हैं।
अतः हम यह कह सकते हैं कि रुद्राभिषेक से मनुष्य के सारे पाप-ताप धुल जाते हैं।
स्वयं श्रृष्टि कर्ता ब्रह्मा ने भी कहा है की जब हम अभिषेक करते है तो स्वयं महादेव साक्षात् उस अभिषेक को ग्रहण करते है।
संसार में ऐसी कोई वस्तु, वैभव, सुख नही है जो हमें रुद्राभिषेक करने या करवाने से प्राप्त नहीं हो सकता है