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जनवरी 2021 ~ Lav Tiwari ( लव तिवारी )

Lav Tiwari On Mahuaa Chanel

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रविवार, 17 जनवरी 2021

मस्कुलर डिस्ट्रोफी राष्ट्रीय दिव्यांगता कानून 2016 के तहत स्थाई दिव्यांगता श्रेणी में रखा गया है।- लव तिवारी

मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के टाइप डीएमडी को को सबसे गंभीर और प्रमुख टाइप माना जाता है, 

परंतु इसका मतलब यह नहीं होता कि बाकी सभी मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के टाइप को भुला दिया जाए, 

परंतु जब भी सरकार या कहीं भी जाते हैं तो सिर्फ डीएमडी बताया जाता है, अगर सिर्फ डीएमडी के लिए केस हुआ, तो बाकी सभी मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पीड़ितों के साथ मैं भी अपना नाम वापस ले लूंगा, 

और अगर सरकार ने सिर्फ डीएमडी के लिए ही नीति बनाई, तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहे।


गुरुवार, 14 जनवरी 2021

कैसे पता चला कि हमें है भयानक बीमारी मुस्कुलर डिस्ट्रोफी और इसका न कोई इलाज - लव तिवारी

वर्ष 2012 में जिला सरकारी अस्पताल में कार्यरत डॉक्टर श्री प्रेम प्रकाश उपाध्याय एवम ग़ाज़ीपुर जिले के प्रसिद्ध डॉक्टर एवं पूर्व मुख्य चिकित्सा अधिकारी आदरणीय श्री आर पी शर्मा जी के कथनानुसार मुस्कूलर डिस्ट्रॉफी के सन्देह पर हम दोनों भाई इस क्षेत्र के बड़े अस्पताल काशी हिन्दू विश्वविधालय में अपने अगले इलाज के लिए गए। वहाँ पर न्यूरो मेडिसिन की चिकित्सक डॉ दीपिका जोशी एवं न्यूरो सर्जन डॉक्टर विवेक शर्मा सर और उनकी टीम ने कुछ प्रारम्भिक परिक्षण के बाद हमे मुस्कुलर डिस्ट्रॉफी के परीक्षण के दिल्ली स्थित आल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस  ( एम्स) के लिए रेफर किया गया।  फरवरी 2013 में मेरे शरीर के मांस के टुकड़े को मसल बॉयोप्सी के लिए भेजा गया कुछ दिनों बाद हमे इस बात की पूर्ण पुष्टि हुई कि हम दोनों भाई एक भयंकर बीमारी मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित है, और इस बीमारी का विश्व मे कही पर इलाज नही है। इलाज न होने की वजह से एम्स के चिकित्सक समूह ने हमे कैल्शियम की चन्द खुराक के साथ हमे अपने घर भेज दिया।।

पिछले 8 वर्षों में हमने कई राज्यो में आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति,  होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति के साथ अन्य कई छोटे उपचार जैसे विशेष तेल की मालिश, अन्य क्षेत्रीय वैद्यों के दवा और उनके सुझाव को अपने ऊपर लागू करने के बावजूद भी हमे किसी भी प्रकार सफलता नही मिली।  पिछले वर्ष हम दक्षिण भारत के प्रसिद्ध अस्पताल CMC क्रिसचयन मेडिकल कॉलेज वेल्लोर तमिलनाडू भी गया वहा भी हमें निराशा ही हाथ मिली। इन आठ वर्षों के बाद शरीरिक विकलांगता दिन पर दिन बढ़ती जा रही है और हमे कई तरह के दिक्कत का सामना करना पड़ता है।

1-  दीवारों के सहारे  जमीन पर चलना
2- सोते समय करवट लेने में परेशानी एवम किसी विशेष सहारे के बदौलत बिस्तर से उठना।
3 - हाथ और पैरों की कमजोरी दिन पर दिन बढ़ती जा रही है।
4- जमीन से उठते समय जमीन पर हाथ से सहारा लेना।

इस बीमारी से व्यक्ति जिंदा लाश बन कर जीता है दैनिक एवम व्यवहारिक कार्य जैसे पेशाब स्नान कपड़े पहनना लेटना उठना बैठना आदि कार्यों को करने में असक्षम होता है। पिछले 12 महीने पुरानी बीमारी पर सरकार इतनी सुविधायें एवं  व्यवस्था को अंजाम दे रही है तो मुस्कुलर डिस्ट्रॉफी पर क्यों नही हम अपने राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार से इस बिमारी पर बचाव,आर्थिक सहयोग, विशेष पेंशन स्कीम  या सरकारी नौकरी और इलाज के लिए विनम्र निवेदन करते है।





मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से जूझ रहे पीड़ितों की केवल समस्याएं और नही कोई समाधान- लव तिवारी

विषय: बेहद जटिल और गंभीर मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से जूझ रहे पीड़ितों की समस्याएं और समाधान के लिए मदद के लिए

महोदय,

उपरोक्त विषयक निवेदन है कि मैं लव कुमार तिवारी पीड़ित ( हम दोनों भाई लव कुमार एवं कुश कुमार) पुत्र श्री जय प्रकाश तिवारी निवासी ग्राम पोस्ट युवराजपुर थाना - सुहवल जिला गाज़ीपुर उत्तर प्रदेश के निवासी है । पिछले 10 वर्षों से अधिक हम इस गंभीर बीमारी मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से जूझ रहे है।

मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से बच्चे और युवा दोनों पीड़ित है, बच्चों में यह बीमारी बचपन में 2 - 3 या 5 साल से और युवाओं में 15 - 16 या 20 वर्ष की उम्र में शुरू होती है और बहुत तेजी से पूरे शरीर की मांसपेशियां काम करना बंद कर देती हैं। पीड़ित इस प्रकार दूसरों पर निर्भर हो जाता है कि वह अपने आप हिल - डुल भी नहीं सकता, खाना नहीं खा सकता, पानी नहीं पी सकता, मच्छर नहीं उड़ा सकता, शरीर में कहीं भी खुजली हो तो खुजा नहीं सकता, रोगी बहुत कम आयु में ही बिस्तर पर पहुंच जाता है और कुछ ही समय में पीड़ित की मृत्यु हो जाती है, अगर बीमारी बचपन में शुरू होती है तो पीड़ित मुश्किल से 10 - 12 या 18 साल तक जी पाता है, और अगर युवावस्था में शुरू हो तो पीड़ित 32 -35 या 40 साल तक जी सकता है,

मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के शुरुआती लक्षण निम्न हैं,
शुरुआत में पीड़ित एड़ीयों पर चलना शुरू करता है, चलते चलते गिर जाना, घुटनों पर हाथ रखकर उठना, पेट का अत्यधिक आगे निकल आना, रीढ़ की हड्डी का मुड़ना, हाथ - पैर लगातार पतले होते जाना, लगातार तीव्र गति से पूरे शरीर की मांसपेशियों का कमजोर होना, सांस लेने में परेशानी होना,

बीमारी से पीड़ित व्यक्ति जिंदा लाश के समान होता है। अपने आप सभी सामान्य कार्य जैसे- शौचालय, पेशाब, स्नान, कपड़े पहनना, लेटना, उठना - बैठना, आदि भी करने में सक्षम नहीं होता है, मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पीड़ित सभी कार्यों के लिए दूसरों पर निर्भर होता है,

मस्कुलर डिस्ट्रॉफी कई प्रकार की होती है, कुछ मुख्य प्रकार निम्न हैं,

DMD - Duchene Muscular Dystrophy
BMD - Becker Muscular Dystrophy
LGMD - Limb Girdle Muscular Dystrophy
FSHD - Facioscapulohumeral Muscular Dystrophy

मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के सभी टाईप जानलेवा है, प्रतिदिन पीड़ित जान गंवा रहे हैं,

मस्कुलर डिस्ट्रॉफी एक बेहद गंभीर, भयानक एवं जटिल बीमारी है, मस्कुलर डिस्ट्रॉफी वर्तमान समय में भारत एवं उत्तर प्रदेश में बड़ी महामारी के रूप में विकसित हो रही है, ध्यान रहे यह एक आनुवंशिक बीमारी है, इसलिए यह पीढ़ी दर पीढ़ी चलती रहती है, कई परिवारों में तीन - तीन, चार - चार पीड़ित हो जाते हैं, इस गंभीर बीमारी के कारण परिवार बर्बाद हो चुके हैं, घर और जमीन भी बिकने के कगार पर है, पीड़ित एवं उनके परिवार मानसिक प्रताड़ना से गुजर रहे हैं,

अभी तक मस्कुलर डिस्ट्रॉफी का पूरा इलाज मौजूद नहीं है, हालांकि कुछ दवाएं मौजूद है जो मांसपेशियों में थोड़ा Improvement कर सकती हैं, अमेरिका, जापान, कनाडा, आस्ट्रेलिया, इंग्लैंड अथवा कुछ अन्य देशों में इस बीमारी का इलाज जीन थेरेपी से करने की कोशिश कर रहे हैं तथा इस पर बहुत तेजी से काम कर रहे हैं, कई कंपनियां ह्यूमन ट्रायल कर रही है, जल्द हम इसका पूरा इलाज आने की उम्मीद कर रहे हैं, परंतु भारत में मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के लिए अभी तक कोई बड़ी रिसर्च नहीं हो रही हैं,

मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पीड़ितों के इलाज (जीन थेरेपी या अन्य कोई भी इलाज) के लिए तीव्र गति से प्रयास किया जाना चाहिए तथा सरकार द्वारा सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि अब मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पीड़ितों को इलाज के अभाव में अपना जीवन गंवाना नहीं पड़ेगा,

केन्द्र सरकार और राज्य सरकार को मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पीड़ितों के बचाव तथा इलाज के लिए निम्न कार्य करने चाहिए

1. देश और प्रदेश के सभी अस्पतालों में मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पीड़ितों के सभी टेस्ट फ्री किए जाए, क्योंकि इसके टेस्ट बहुत महंगे होते हैं,

2. माँ के गर्भ में ही मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के टेस्ट किए जाएं जिससे भविष्य में किसी भी बच्चे को मस्कुलर डिस्ट्रॉफी जैसी गंभीर बीमारी से ना जूझना पड़े,

3. इस बीमारी के लिए जागरूकता बहुत जरूरी है जानकारी के अभाव में भी बहुत से पीड़ित बहुत जल्दी जान गंवा रहे हैं, इसलिए केन्द्र सरकार और प्रदेश सरकार संयुक्त रूप से इसके लिए अभियान चलाएं,

4. जिस रफ्तार के साथ कोरोना वैक्सीन पर काम किया गया है उतनी रफ्तार के साथ मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के इलाज के लिए काम किया जाए, जिससे सभी पीड़ितों को इस गंभीर बीमारी से हमेशा के लिए राहत और छुटकारा मिल सकें,

5. हमारे देश के वैज्ञानिक दुनिया में नेतृत्व कर रहे हैं इसलिए हम मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के इलाज के लिए दूसरों देशों पर निर्भर नहीं रह सकते, चूंकि केन्द्र और राज्य सरकार आत्मनिर्भर बनाने पर जोर दे रही हैं इसलिए हमें भी आत्मनिर्भर बनना चाहिए,

हमारी पहली प्राथमिकता यही होनी चाहिए कि पीड़ितों को जल्द से जल्द इलाज मिलें, इसलिए सभी पीड़ितों को गारंटी दी जाए कि दुनिया के किसी भी देश (अमेरिका, कनाडा, जापान, इंग्लैंड, आस्ट्रेलिया) या भारत में जो भी पूरा इलाज आएगा वो सभी पीड़ितों को नि: शुल्क दिया जाएगा,

मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित प्रत्यक्ष रूप से सिर्फ स्वयं विकलांग होता है, परंतु परोक्ष रूप से उसका पूरा परिवार विकलांग होता है, क्योंकि जिस परिवार में मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित व्यक्ति मौजूद हो उसके परिवार के सदस्य भी उसे अकेला छोड़कर कहीं भी नहीं जा सकते हैं, हम स्वयं कई सालों से क्वारंटीन है आज तक हमनें बाहर की दुनिया नहीं देखी,

मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पीड़ितों को विकलांगता में ले लिया गया है, परंतु यह विकलांगता से भी बेहद खतरनाक है, क्योंकि बाकी विकलांगता में एक या दो अंग खराब होते हैं, जबकि मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पूरा शरीर काम करना बंद कर देता है, इसलिए हमें कुछ अतिरिक्त सुविधाएं दी जाए,

जब तक मस्कुलर डिस्ट्रॉफी का इलाज नहीं है तब तक हमें कुछ मूलभूत सुविधाएं दी जाए, (इलाज होने के बाद सरकार ये सुविधाएं वापस ले लें हमें कोई आपत्ति नहीं होगी)

1. पीड़ितों को Care Taker मुहैया कराया जाए, जिससे पीड़ित को अपने सभी कार्य के लिए किसी और पर निर्भर ना रहना पड़े,

2. जो पीड़ित कुछ करने के लिए सक्षम है उन्हें जरूरी संसाधन उपलब्ध कराएं जाए, जिससे वे आसानी से जीवन यापन कर सकें,

3. जो पीड़ित स्कूल जाने या पढ़ाई करने में सक्षम हैं उनके लिए सभी स्कूलों में फ्री शिक्षा की व्यवस्था कराई जाए,

4. इस बीमारी में पौष्टिक आहार महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं परंतु सभी पीड़ित अच्छा आहार नहीं ले पाते इसलिए पौष्टिक आहार की व्यवस्था की जाए,

5. फिजियोथेरेपी से कुछ हद तक इस बीमारी को थोड़ा रोका जा सकता है इसलिए फिजियोथेरेपी की व्यवस्था की जाए तथा प्रदेश के सभी जिलों में मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पीड़ितों के लिए कम से कम एक पुनर्वास केन्द्र बनाया जाए,

6. मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पीड़ितों को आर्थिक सहायता जैसे आंध्र प्रदेश सरकार मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पीड़ितों को प्रतिमाह ₹5000 की आर्थिक सहायता दे रही है, कुछ इसी प्रकार सभी पीड़ितों को आर्थिक सहायता दी जाए,

7. जो पीड़ित अच्छी पढ़ाई कर चुके हैं तथा रोजगार करने में सक्षम हैं उनको रोजगार उपलब्ध कराए जो आसानी से किए जा सकें तथा जो पीड़ित नौकरी या रोजगार नहीं कर सकते उनके अभिभावक या जो देखभाल करता हो (माता - पिता या भाई - बहन) उसको किसी भी विभाग में एक सरकारी नौकरी दी जाए,

8. मस्कुलर डिस्ट्रॉफी को आयुष्मान भारत योजना में शामिल किया जाए तथा सभी पीड़ितों को आयुष्मान कार्ड उपलब्ध कराए जाएँ,

9. सम्बंधित अधिकारी द्वारा मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पीड़ितों के Permanent विकलांग सर्टिफिकेट या UDID कार्ड घर पर ही बनाए जाए, क्योंकि मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पीड़ित कहीं भी आने जाने में असमर्थ होता है, क्योंकि मोटरसाइकिल पर तीन लोग जा नहीं सकते और कार सबके घर नहीं होती है।

10. जिस प्रकार कोरोना वायरस पीड़ित की मृत्यु के लिए सरकार चार लाख का मुआवजा देती है, उसी प्रकार मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से होने वाली मृत्यु के लिए भी मुआवजा घोषित किया जाए,

कुछ डाक्टर्स जैसे बड़े बड़े शहरों में स्टेम सेल थेरेपी वाले तथा और भी कोई मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पीड़ितों और उनके परिवार की मजबूरी का फायदा उठाकर, लूटने का काम कर रहे हैं, जबकि इन सबसे पीड़ित को कोई आराम नहीं होता, उन सभी पर स्थानीय पुलिस, ICMR तथा स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा कड़ी कार्रवाई की जाए, जिससे कोई भी मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पीड़ितों और उनके परिवार की मजबूरी का फायदा उठाने की कोशिश ना करें,

हमें माननीय प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री महोदय जी से मिलने के लिए समय दिया जाए, जिससे सभी पीड़ित मुख्यमंत्री महोदय के सामने अपनी पीड़ा बता सकें

धन्यवाद

पीड़ित का नाम: लव कुमार
पिता का नाम- जय प्रकाश तिवारी
पूरा पता: ग्राम पोस्ट - युवराजपुर थाना सुहवल ब्लॉक- रेवतीपुर
तहसील - जमानियां जिला- ग़ाज़ीपुर उत्तर प्रदेश 232332
फोन: 05487960502
+91-9458668566
+91-9555484663





विकलांग सर्टिफ़िकेट और पेंशन के लिए कैसे करे आवदेन और इसके क्या है फ़ायदे - लव तिवारी

आवदेन करने के लिए आप को सबसे पहले यूनिक डिसेबिलिटी ईडी ( Unique Disability ID) के वेबसाइट swavlambancard.gov.in पर विजिट करके अपने सारे डिटेल को फील अप करके एक enrollment number ( नामांकन संख्या) जेनेरेट करना होगा।

1 वेबसाइट का प्रारूप


2 रजिस्ट्रेशन करके अपने अन्य विस्तार को भरे


3 आप को सारे कार्य को दिशा निर्देश के आधार पर पूर्ण करके दो विशेष दस्तावेज प्राप्त होंगे।

इन दस्तावेजों को साथ आप अपने जिले के सरकारी अस्पताल पर विजिट करे वहाँ दिव्यांग जन बिभाग में सम्पर्क कर अपने दस्तावेज के साथ आधर कार्ड की कॉपी दे । मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं दिव्यांग विभाग के चिकित्सकों के पुष्टि के बाद आप की दिव्यांग यूडी आईडी एवं दिव्यांग जन सर्टिफ़िकेट अगले 7 दिनों के अंदर आपको वेबसाइट पर विजिट कर दोनों डॉक्यूमेंट डाउनलोड कर सकते है।।

विकलांग जन प्रमाण पत्र मिलने के बाद आप को अपने  आय प्रमाण पत्र बनवाना होगा। अगर आप की आय 46000 से कम है कभी कभी आप के तहसील के अधिकारी आप की इनकम शून्य जानते हुए भी आप का आय प्रमाण पत्र 46000 से ऊपर बना देते है जिससे आप की विकलांग पेंशन नही मिलती है 46000 से जितना चाहे कम बनवाये लेकिन अधिक न बने।

अन्य अवश्य दस्तावेज
1 विकलांग प्रमाण पत्र
2 परिवार नकल की कापी ( कुटुम्भ रजिस्टर)
3- प्रधान के प्रस्ताव
4- आधार कार्ड की कॉपी
5 बैंक पासबुक - एकाउंट नंबर /  आई एफ़ सी कोड

इन सारे दस्तावेज के साथ आप का रेजिस्ट्रेशन विकलांग पेंशन के लिए होगा । रजिस्ट्रेशन के बाद कि कॉपी के साथ ऊपर दिए 5 डॉक्यूमेंट को अपने जिले के समाज कल्याण विभाग में जमा करना होगा । फिर कुछ महीने के बाद आप को 3 महीने पर हर महीने के 500 रुपये के हिसाब से 1500 रुपया प्राप्त होगा। 

जैसा कि आप सभी जानते है कि अन्य विकलांग जन  से बहुत दुःखद अपनी भयानक बीमारी मस्कुलर डिस्ट्रॉफी की विकलांगता है। अन्य विकलांग जन विकलांग होते हुए भी बहुत से कार्य को आसानी से कर लेते है । पर अपनी बीमारी में काम करना तो दूर जीना दुस्वार हुआ है।



बुधवार, 13 जनवरी 2021

ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी Duchenne Muscular Dystrophy (DMD) का उपचार क्या है? लव तिवारी

ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (Duchenne Muscular Dystrophy) का उपचार क्या है?

मांसपेशी डिस्ट्रॉफी (Muscular dystrophy) अनिवार्य रूप से बीमारियों का एक समूह है जो अंततः शरीर की मांसपेशियों में कमजोरी का कारण बनती है। कमजोरी बहुत ज़्यादा बढ़ जाती है और कई लोग चलने की अपनी क्षमता खो देते हैं। यह असामान्य जीन की उपस्थिति के कारण होता है जो शरीर में प्रोटीन मांसपेशियों को विकसित करने के तरीके में हस्तक्षेप करता है। दुर्भाग्यवश, इस बीमारी के लिए कोई विशिष्ट इलाज नहीं है। ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (Duchenne Muscular Dystrophy) के लिए उपचार मुख्य रूप से स्थिति को अधिक प्रबंधनीय बनाने और आगे की बीमारी को रोकने पर केंद्रित है।

मांसपेशियों के डिस्ट्रॉफी (Muscular dystrophy) के लिए सामान्य रूप से सिफारिश की जाने वाले कई प्रकार के उपचार होते हैं। डॉक्टर आमतौर पर अपने मरीजों को दवाओं की सलाह देते हैं। ये दवाएं कॉर्टिस्टरॉयड्स या दिल की दवाओं के रूप में हो सकती हैं। दवा के साथ, रोगियों को अक्सर उच्च स्तर की चिकित्सा की सिफारिश की जाती है। इसमें सहायक थेरेपी और डिवाइस शामिल हो सकते हैं जो रोगी को अपनी जीवन शैली से निपटने में आसान बनाते हैं।

मांसपेशी डिस्ट्रॉफी (Muscular dystrophy) रीढ़ की हड्डी में और शरीर के अन्य क्षेत्रों में वक्रता का कारण बन सकती है। जब ऐसा होता है, तो इलाज का सबसे आम रूप सर्जरी है। यह अक्सर मरीजों को सांस लेने और अपने दैनिक कार्यों को ले जाने में आसान बनाता है और उनके मनोबल के लिए भी अच्छा है। चूंकि मांसपेशी डिस्ट्रॉफी एक अपरिवर्तनीय बीमारी है, इसलिए केवल चीजों को बेहतर होने की बजाय चीजों को और खराब होने की उम्मीद है, यही कारण है कि उपचार का एक बड़ा हिस्सा यह सुनिश्चित करने पर केंद्रित है कि रोगी आरामदायक जीवन जी सके।

ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (Duchenne Muscular Dystrophy) का इलाज कैसे किया जाता है?

मस्तिष्क के लिए मांसपेशी डिस्ट्रॉफी (Muscular dystrophy) अधिक सहनशील बनाने के लिए दवाएं अक्सर निर्धारित की जाती हैं। दो प्रकार की दवाएं होती हैं जिन्हें आम तौर पर निर्धारित किया जाता है और ये कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स और दिल की दवाएं (corticosteroids and heart medications) हैं। कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स (corticosteroids) मांसपेशियों की ताकत में सुधार करने में मदद कर सकता है और कुछ प्रकार के मांसपेशी डिस्ट्रॉफी की प्रगति में भी देरी कर सकता है। दूसरी तरफ, दिल की दवाओं में एसीई अवरोधक या बीटा ब्लॉकर्स शामिल हैं क्योंकि मांसपेशी डिस्ट्रॉफी (Muscular dystrophy) दिल की समग्र कार्यप्रणाली को प्रभावित कर सकती है।

चिकित्सा के साथ, सही लक्ष्य भी रोगी के लिए अपना जीवन जीना आसान बनाता है, यही कारण है कि बहुत सारे शारीरिक उपचार शामिल हैं। मांसपेशियों को अच्छी तरह से प्रदर्शन करने के लिए रोगी को दैनिक आधार पर कुछ अभ्यास करने के लिए कहा जा सकता है। इसमें व्यायाम को बढ़ाने के साथ-साथ गति अभ्यास की सीमा भी शामिल है। पैर ब्रेसिज़ अक्सर मांसपेशियों को फैलाए रखने और चलने में सुविधा के लिए उपयोग किया जाता है। इसी तरह, की बीमारियों से ठीक होने के लिए अक्सर वॉकर और व्हीलचेयर का उपयोग किया जाता है। एक निश्चित बिंदु के बाद रोगी को सांस लेने में मदद करने के लिए स्लीप एपेना डिवाइस (Sleepapnoea devices) निर्धारित किए जा सकते हैं।

सर्जरी अनिवार्य नहीं है लेकिन मांसपेशियों को शरीर की समग्र संरचना को प्रभावित करने के बाद जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने के विकल्प के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है। आमतौर पर, रीढ़ की हड्डी में ऐसी अवस्था पैदा हो जाती है जिससे मरीज़ को सांस लेने में परेशानी होती है और उसको बहुत ज़्यादा तकलीफ भी होती है ।




























मंगलवार, 12 जनवरी 2021

सरकार के तमाम विकास योजनाओं के बाद भी कई गांवो की दयनीय स्थिति - लव तिवारी

भारतवर्ष मुख्यतः गांवों का देश है. यहाँ की अधिकांश जनसँख्या गांवों में रहती है. आधे से अधिक लोगों का जीवन खेती पर निर्भर है, इसलिए इस बात की आप कल्पना भी नहीं कर सकतें कि गाँव के विकास के बिना देश का विकास किया जा सकता है। इस विकास का सबसे बड़ा रोड़ा है गांव का सरपंच जिस गांव का सरपंच अच्छा होता है उस गांव का विकास की रफ्तार धीमी नही होती , पांच वर्ष के कार्य काल मे राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार द्वारा लाखो और करोड़ो रूपये गांव के विकास के नाम पर आबंटित होते है लेकिन गांव वही विकास के लिए रोता रहता है। आखिर पैसा जाता कहा है। 

पैसा ग्राम प्रधान एवं उनके सहयोगियों द्वारा जनपद के अधिकारियों के साथ मिल कर गबन कर लिया जाता है। 

1 ग्राम प्रधान
2 ग्राम प्रधान के सहयोगियों जिसके समर्थन से वो प्रधान पद को जीता है।।
3 पंचायत सेग्रेटरी
4 क्षेत्राअधिकारी ( BDO)

और भी बड़े अधिकारी इस कार्य मे समलित होते है।







गुरुवार, 7 जनवरी 2021

इंसा को नही फिक्र जहाँ की, सब अपने बस मन की करते।।- रचना लव तिवारी

मेरी दुनिया मेरे अपने
देखो हो गए कैसे सपने

भाग दौड़ के इस चकाचौंध में
क्या खोया क्या पाया हमने।।

इंसा को नही फिक्र जहाँ की
सब अपने बस मन की करते।।

क्या लेकर जाओगे इस जग से
सब यही बस रह जाते घर मे।।

कभी अकेले सोच के देखो।
क्या पाया क्या खोया तुमने।।

रचना लव तिवारी
युवराजपुर ग़ाज़ीपुर 232332







शनिवार, 2 जनवरी 2021

एक जनाजे में देखा कुछ हिन्दू और मुसलमान थे। जाति मजहब को छोड़ कर देखो वे सारे इंसान थे।। रचना- लव तिवारी

एक जनाजे में देखा कुछ हिन्दू और मुसलमान थे।
जाति मजहब को छोड़ कर देखो वे सारे इंसान थे।।

समझ रहे थे अंत सफर में हर शख्स की वास्तविकता को ,
देखों कुछ राम जप रहे, मुह में कुछ अल्ला के नाम थे।।

सब को पता ये जाति धर्म बस बटाते एक दूसरे को
इनका न कोई अल्ला ताला, न इनका कोई भगवान है।।

वोट की राजनीति इतनी गंदी, नेताओं के हमदर्दी में
हम ये समझ नही पाते, और कहते बदला संसार है।।

मेरी मानो तो संभल जाओ और पहचानों अपनो को
गैर हमेशा अब गैर ही रहते इनका न कोई ईमान है।।

रचना- लव तिवारी
सम्पर्क सूत्र- +91-9458668566
विजिट- http://lavtiwari.blogspot.com?m=0