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जनवरी 2017 ~ Lav Tiwari ( लव तिवारी )

Lav Tiwari On Mahuaa Chanel

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शनिवार, 28 जनवरी 2017

जो खो जाता है मिलकर जिंदगी में - चन्दन दास

जो खो जाता है मिलकर जिंदगी में-2
ग़ज़ल है नाम उसका शायरी में

निकल आते आंसू हँसते हँसते-3
ये किस गम की महक हर ख़ुशी में
ग़ज़ल है............

कही चेहरा कही आँखे कही लब- 3
हमेशा एक मिलता है करी में
ग़ज़ल है.......

सुलगती रेत में पानी कहा था
कोई बादल छुपा था तिशनगी में
ग़ज़ल है.............

जमी पर आशमा मिलता नही है
फरिश्ता ढूढ़िये मत आदमी में
ग़ज़ल है..........

जाने वाले तेरी तस्वीर ले जा मुझसे- चन्दन दास

मोहब्बत का रिश्ता न टूटे कभी भी
तेरा साथ छुटे तो किस तरह छुटे
बिछड़ना है हमसे तो हँस कर बिछड़ जा
कुछ ऐसे जुदा हो दिल भी न टूटे

जाने वाले तेरी तस्वीर ले जा मुझसे
लूट रहा हूँ तो ये ज़ागीर ले जा मुझसे

लौट कर फिर कभी आवाज न देना मुझको
प्यार करने का ये अंदाज न देना मुझको
हाथ में टुटा हुआ साज न देना मुझको
तेरी ख़त तेरी ये तहरीर भी ले जा मुझसे
जाने वाले......

अब मेरा और मेरी मंजिल का ठिकाना क्या है
मुझसे मत पूछ की जीने का बहाना क्या है
तू नही है तो जमाने को दिखाने क्या है
छीन कर अब मेरी तक़दीर भी ले जा मुझसे
जाने वाले.......

जाने कल क्या हो तेरी आस रहे या न रहे
दिल में ये दौलते अहसास रहे या न रहे
जिंदगी मेरी मेरे पास रहे या न रहे
ख्वाब भी टुटा है ताबीर भी ले जा मुझसे
जाने वाले........
लूट रहा ........


आ भी जाओ कि जिंदगी कम हैं - चन्दन दास

आ भी जाओ जिन्दगी कम है
तुम नहीं तो हर ख़ुशी कम है
आ भी जाओ.......

वादा करके ये कौन आया नहीं- 3
शहर में आज रोशनी कम है
तुम नहीं हो........

जाने क्या हो गया है मौसम को-3
धुप ज्यादा है चाँदनी कम है
तुम नहीं हो.............

आईना देख कर ख्याल आया- 3
आज कल उनकी दोस्ती काम हैं
तुम नहीं हो..........

तेरे दम से ही मुक्कमल हूं-3
बिन तेरे तेरी यामिनी कम है
तुम नहीं हो..........



शुक्रवार, 27 जनवरी 2017

कटेगी ये अब जिंदगी रोते रोते- अनूप जलोटा

कटेगी ये अब जिंदगी रोते रोते
ये कह कर गयी ख़ुशी रोते रोते

गमे दस्ता अपनी अश्को लिखकर
सरे बज़्म हमने पढ़ी रोते रोते
कटेगी.....

ये सोचा था नहीं था कभी जिंदगी में-2
कि रूठेगी हमसे हँसी रोते रोते
कटेगी अब जिंदगी......

परेशान हुए चाँद तारे फलक पर
यु रुखसत हुई चाँदनी रोते रोते
कटेगी.......

ये मालूम होता है किश्मत हमारी-2
कि जैसे खुदा लिखी रोते रोते
कटेगी...............

उम्र भर तो करी नीद ने बेवफ़ाई-2
जो ओढ़ा कफ़न आ गयी रोते रोते
कटेगी ये अब जिंदगी......

ये कह कर गयी........


आप की बेरुखी को क्या कहिये - अनूप जलोटा

आप की बेरुखी को क्या कहिये-2
अपने दिल की लगी को क्या कहिये

काश करते न हम जफ़ा का गिला
उनकी शर्मिंदगी को क्या कहिये
अपने..............

हिज्र में मौत भी नहीं आती
बेहया जिंदगी को क्या कहिये
अपने ..............

लाख चाहा की भूल जाए उन्हें
अपने कम्बख्त जी को क्या कहिये
आप की बेरुखी........

तोड़ दी फिर से दर्द ने तौबा
आदते मय कशी को क्या कहिये
आप की बेरुखी......


फिर मुझे कोई राजनीती की पाठ पढ़ाने आया- लव तिवारी

छोटे बच्चों की तरह मुझको लुभाने आया
फिर मुझे कोई राजनीती की पाठ पढ़ाने आया

बड़ी फ़जीहत है अपनी इस दौर में नेताओं से
आज फिर से कोई मुझमे इंसानियत जगाने आया

रूखी सूखी खाता हुँ और चुपचाप सो जाता हूँ
स्वपन में खीर की हकीकत को मुझे बताने आया

इन्हें भी कसम दे इंसान के ईमान और वसूल की
वरना एक शख़्श ही सबके घर को जलाने आया

बड़ी खौफ है इस चुनावी दौर में कही रंजिश न हो
फिर कोई नेता हिन्दू मुसलमान के मसलो को उलझाने आया

छोटे बच्चों की तरह मुझको लुभाने आया
फिर मुझे कोई राजनीती की पाठ पढ़ाने आया


बुधवार, 18 जनवरी 2017

दिल में लगी आग तो दोस्त बेगाने लगाते है- लव तिवारी

पेड़ पर अनगिनत हरे पत्ते सुहाने लगते है
दिल में लगी हो आग तो दोस्त बेगाने लगते है

में चाहू उन्हें रूह से, और समझे गर जिस्म की बात
ऐसे हालात में मोहब्बत भी अफ़साने लगाते है

हर शख़्स यहाँ ओढ़ा हुआ है फरेब की चादर
एक वफ़ा मिल जाये तो नसीब जगमगाने लगते है

इस वक़्त में गरीबी बनी है मौत का कारण
कोई चंद पैसे लुटाए तो हम घबराने लगाते है

बड़ी तोहमत मिली मुझको किसी अपने के फ़रेब से
एक गुनाह हमसे गर हो जाये तो लोग इतराने लगते है



रचना- लव तिवारी
18-01-2017

सोमवार, 16 जनवरी 2017

फिर वो ख़्वाब में आये और रात सुहानी हों- लव तिवारी

फिर वो ख़्वाब में आये और रात सुहानी हों
मुझसे करे बात फिर कोई कहानी हो

बदल देता है वो रुख हवाओँ का फ़िज़ा में आकर
और कहते है ,मुझ जैसी कई आप की रुबाई हो

मै कैसे समझाऊ उन्हें की वही है मेरा सबकुछ
उन्हें छोड़कर कर कुछ सोचु तो खत्म जवानी हो

बदलते वक़्त की रफ़तार के फिराक में ही था
जो मेरी थी कभी, आज किसी और की दीवानी हो

रचना- लव तिवारी
15- 01- 2017

शनिवार, 14 जनवरी 2017

कोई तारीफ करे तो उसे मोहब्बत समझे- लव तिवारी

कोई तारीफ करे तो उसे मोहब्बत समझे
जिंदगी को केवल न जिंदगी समझे

बड़े उसूल है दुनिंया में रिश्तो  के
आप कौन है इसकी अहमियत समझे

आप को न चाहा तो क्या किया मैंने
उम्र के एक पल की जो हकीकत समझे

दुनिया में आया हू केवल आप के लिए
आप जो गौर से देखे तो मेरी चाहत समझे

प्रस्तुति- लव तिवारी
14-01-2016

गुरुवार, 12 जनवरी 2017

श्रमिक तेरे जीवन की दुःखद है कहानी लव तिवारी

श्रमिक चौक नोएडा (#Labour_Chauk )
आज अचानक सुबह नॉएडा में श्रमिक चौक से गुज़रे, ठण्ड और कपकपाती शरद की हवाओं में एक अजब सा दुःखद अहसास भी मजदूरों की अन्तर्व्यथा को दर्शाता है और साथ में बेरोजगारी की महामारी भी,  कई बार बिना काम मिले भी श्रमिक को घर लौटना पड़ता है, इसका महत्वपूर्ण कारण टेक्नोलॉजी एवं अत्याधुनिक संसाधनों से युक्त मशीने भी है, श्रमिक के हक़ का भी धन बड़े ठेकेदारो के हाथ में जा रहा है,  सरकार की इतनी योजनाओ के बावजूद भी भारत के श्रमिक को आज भी परेशानियो का सामना करना पड़ता है

   
कभी तपती धूप तो कभी शरद हवाओं की
श्रमिक तेरे जीवन में दोनों की अपनी मनमानी
 
हर वक़्त पैसे की क़िल्लत है और लाचारी
सत्ता और मालिक के अत्याचार की गजब कहानी
 
प्रस्तुति- #लव_तिवारी




मंगलवार, 10 जनवरी 2017

आप के दिल में क्या है बता दीजिए

आँख तो प्यार में दिल की जबान होती है
सच्ची चाहत तो सदा बेजुबान होती है
प्यार में दर्द भी मिले तो कैसा घबराना
सुना है दर्द से चाहत जवान होती है

आप के दिल में क्या है बता दीजिए
यु न खामोश रह कर सजा दीजिये

या तो वादा वफ़ा को पूरा करे
या उमीदो की सम्मा बुझा दीजिये
यु न खामोश.....
आप के.........

आप को चाह कर कुछ न चाहा कभी
मेरी चाहत का कुछ तो सिला दीजिये
यु न खामोश.....
आप के .........

फूल मुरझा गए आप की चाह  में
मुस्कुरा कर उन्हें फिर खिला दीजिये
यु न खामोश .........
आप के .......


शनिवार, 7 जनवरी 2017

हिन्दू परम्पराओं के अनुसरण विशेष वैज्ञानिक लाभ

*सूर्य नमस्कार*
हिंदुओं में सुबह उठकर सूर्य को जल चढ़ाते हुए नमस्कार करने की परम्परा है।
वैज्ञानिक तर्क-
पानी के बीच से आने वाली सूर्य की किरणें जब आंखों में पहुंचती हैं, तब हमारी आंखों की रौशनी अच्छी होती है।
*सिर पर चोटी*
हिंदू धर्म में ऋषि मुनी सिर पर चुटिया रखते थे। आज भी लोग रखते हैं।
वैज्ञानिक तर्क-
जिस जगह पर चुटिया रखी जाती है उस जगह पर दिमाग की सारी नसें आकर मिलती हैं। इससे दिमाग स्थ‍िर रहता है और इंसान को क्रोध नहीं आता, सोचने की क्षमता बढ़ती है।
*हाथ जोड़कर नमस्ते करना*
जब किसी से मिलते हैं तो हाथ जोड़कर नमस्ते अथवा नमस्कार करते हैं।
वैज्ञानिक तर्क-
जब सभी उंगलियों के शीर्ष एक दूसरे के संपर्क में आते हैं और उन पर दबाव पड़ता है। एक्यूप्रेशर के कारण उसका सीधा असर हमारी आंखों, कानों और दिमाग पर होता है, ताकि सामने वाले व्यक्त‍ि को हम लंबे समय तक याद रख सकें। दूसरा तर्क यह कि हाथ मिलाने (पश्च‍िमी सभ्यता) के बजाये अगर आप नमस्ते करते हैं तो सामने वाले के शरीर के कीटाणु आप तक नहीं पहुंच सकते। अगर सामने वाले को स्वाइन फ्लू भी है तो भी वह वायरस आप तक नहीं पहुंचेगा।
*तुलसी के पेड़ की पूजा*
तुलसी की पूजा करने से घर में समृद्ध‍ि आती है। सुख शांति बनी रहती है।
वैज्ञानिक तर्क-
तुलसी इम्यून सिस्टम को मजबूत करती है। लिहाजा अगर घर में पेड़ होगा, तो इसकी पत्त‍ियों का इस्तेमाल भी होगा और उससे बीमारियां दूर होती हैं।
*जमीन पर बैठकर भोजन करना*
भारतीय संस्कृति के अनुसार जमीन पर बैठकर भोजन करना अच्छी बात होती है।
वैज्ञानिक तर्क-
पलती मारकर बैठना एक प्रकार का योग आसन है। इस पोजीशन में बैठने से मस्त‍िष्क शांत रहता है और भोजन करते वक्त अगर दिमाग शांत हो तो पाचन क्रिया अच्छी रहती है। इस पोजीशन में बैठते ही खुद-ब-खुद दिमाग से एक सिगनल पेट तक जाता है, कि वह भोजन के लिये तैयार हो जाये।
*दक्ष‍िण की तरफ सिर करके सोना*
दक्ष‍िण की तरफ कोई पैर करके सोता है, तो लोग कहते हैं कि बुरे सपने आयेंगे, भूत प्रेत का साया आ जायेगा, आदि। इसलिये उत्तर की ओर पैर करके सोयें।
वैज्ञानिक तर्क-
जब हम उत्तर की ओर सिर करके सोते हैं, तब हमारा शरीर पृथ्वी की चुंबकीय तरंगों की सीध में आ जाता है। शरीर में मौजूद आयरन यानी लोहा दिमाग की ओर संचारित होने लगता है। इससे अलजाइमर, परकिंसन, या दिमाग संबंधी बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है। यही नहीं रक्तचाप भी बढ़ जाता है।
*भोजन की शुरुआत तीखे से और अंत मीठे से*
जब भी कोई धार्मिक या पारिवारिक अनुष्ठान होता है तो भोजन की शुरुआत तीखे से और अंत मीठे से होता है।
वैज्ञानिक तर्क-
तीखा खाने से हमारे पेट के अंदर पाचन तत्व एवं अम्ल सक्रिय हो जाते हैं। इससे पाचन तंत्र ठीक तरह से संचालित होता है। अंत में मीठा खाने से अम्ल की तीव्रता कम हो जाती है। इससे पेट में जलन नहीं होती है।
*माथे पर कुमकुम का तिलक*
महिलाएं एवं पुरुष माथे पर कुमकुम या तिलक लगाते हैं।
वैज्ञानिक तर्क-
आंखों के बीच में माथे तक एक नस जाती है। कुमकुम या तिलक लगाने से उस जगह की ऊर्जा बनी रहती है। माथे पर तिलक लगाते वक्त जब अंगूठे या उंगली से प्रेशर पड़ता है, तब चेहरे की त्वचा को रक्त सप्लाई करने वाली मांसपेशी सक्रिय हो जाती है। इससे चेहरे की कोश‍िकाओं तक अच्छी तरह रक्त पहुंचता है.
*पीपल की पूजा*
तमाम लोग सोचते हैं कि पीपल की पूजा करने से भूत-प्रेत दूर भागते हैं।
वैज्ञानिक तर्क-
इसकी पूजा इसलिये की जाती है, ताकि इस पेड़ के प्रति लोगों का सम्मान बढ़े और उसे काटें नहीं। पीपल एक मात्र ऐसा पेड़ है, जो रात में भी ऑक्सीजन प्रवाहित करता है.
*कान छिदवाने की परम्परा*
भारत में लगभग सभी धर्मों में कान छिदवाने की परम्परा है।
वैज्ञानिक तर्क-
दर्शनशास्त्री मानते हैं कि इससे सोचने की शक्त‍ि बढ़ती है। जबकि डॉक्टरों का मानना है कि इससे बोली अच्छी होती है और कानों से होकर दिमाग तक जाने वाली नस का रक्त संचार नियंत्रित रहता है।
*दीपक के ऊपर हाथ घुमाने का वैज्ञानिक कारण*
दीपक के ऊपर हाथ घुमाने का वैज्ञानिक कारण
आरती के बाद सभी लोग दिए पर या कपूर के ऊपर हाथ रखते हैं और उसके बाद सिर से लगाते हैं और आंखों पर स्पर्श करते हैं। ऐसा करने से हल्के गर्म हाथों से दृष्टि इंद्री सक्रिय हो जाती है और बेहतर महसूस होता है।
*मंदिर में घंटा लगाने का कारण*
मंदिर में घंटा लगाने का कारण
जब भी मंदिर में प्रवेश किया जाता है तो दरवाजे पर घंटा टंगा होता है जिसे बजाना होता है। मुख्य मंदिर (जहां भगवान की मूर्ति होती है) में भी प्रवेश करते समय घंटा या घंटी बजानी होती है, इसके पीछे कारण यह है कि इसे बजाने से निकलने वाली आवाज से सात सेकंड तक गूंज बनी रहती है जो शरीर के सात हीलिंग सेंटर्स को सक्रिय कर देती है।
*एक गोत्र में शादी क्यूँ नहीं*
एक अमेरिकी वैज्ञानिक ने कहा की जेनेटिक बीमारी न हो इसका एक ही इलाज है और वो है "सेपरेशन ऑफ़ जींस".. मतलब अपने नजदीकी रिश्तेदारो में विवाह नही करना चाहिए ..क्योकि नजदीकी रिश्तेदारों में जींस सेपरेट (विभाजन) नही हो पाता और जींस लिंकेज्ड बीमारियाँ जैसे हिमोफिलिया, कलर ब्लाईंडनेस, और एल्बोनिज्म होने की १००% चांस होती है ..आखिर हिन्दूधर्म में हजारों सालों पहले जींस और डीएनए के बारे में कैसे लिखा गया है ? जो "विज्ञान पर आधारित" है !  हिंदुत्व में कुल सात गोत्र होते है और एक गोत्र के लोग आपस में शादी नही कर सकते ताकि जींस सेपरेट (विभाजित) रहे..
*चप्पल बाहर क्यों उतारते हैं ?*
चप्पल बाहर क्यों उतारते है ?
मंदिर में प्रवेश नंगे पैर ही करना पड़ता है, यह नियम दुनिया के हर हिंदू मंदिर में है। इसके पीछे वैज्ञानिक कारण यह है कि मंदिर की फर्शों का निर्माण पुराने समय से अब तक इस प्रकार किया जाता है कि ये इलेक्ट्रिक और मैग्नैटिक तरंगों का सबसे बड़ा स्त्रोत होती हैं। जब इन पर नंगे पैर चला जाता है तो अधिकतम ऊर्जा पैरों के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर जाती है।
*परिक्रमा करने के पीछे वैज्ञानिक कारण*
परिक्रमा करने के पीछे वैज्ञानिक कारण
हर मुख्य मंदिर में दर्शन करने और पूजा करने के बाद परिक्रमा करनी होती है। परिक्रमा 8 से 9 बार करनी होती है। जब मंदिर में परिक्रमा की जाती है तो सारी सकारात्मक ऊर्जा, शरीर में प्रवेश कर जाती है और मन को शांति मिलती है।


बुधवार, 4 जनवरी 2017

सबको दुश्मन बना लिया मैंने आप से दिल लगा लिया मैंने- चंदन दास

दिलो दिमाग को रो लूँगा आह कर लूँगा
तुम्हारे इश्क़ में सब कुछ तबाह कर लूँगा
अगर मुझे न मिली तुम्हारे सर की कसम
मैं अपनी सारी जवानी तबाह कर लूँगा

सबको दुश्मन बना लिया मैंने
आप से दिल लगा लिया मैंने

हर तरफ रास्ते में कांटे थे
फिर दामन बचा लिया मैंने
आप से...

दिल में ख्वाइश तो कि बहकने की
कैसे दिल को मना लिया मैंने
आप से.....

नीद आती है आँखों में
रोग कैसा लगा लिया मैंने

                                                                     आप से........

                                                                    सबको दुश्मन बना....