मेरा ब्लॉग मेरी रचना- लव तिवारी संपर्क सूत्र- +91-9458668566

उत्तर प्रदेश के जिला गाज़ीपुर के छोटे से गांव युवराजपुर के रहने वाले अजय त्रिपाठी ~ Lav Tiwari ( लव तिवारी )

Flag Counter

Flag Counter

गुरुवार, 7 सितंबर 2023

उत्तर प्रदेश के जिला गाज़ीपुर के छोटे से गांव युवराजपुर के रहने वाले अजय त्रिपाठी

 आईए कुछ जानते हैं।

उत्तर प्रदेश के जिला गाज़ीपुर के छोटे से गांव युवराजपुरके रहने वाले अजय त्रिपाठी सर मेरे पिता जी के उम्र के है और आज ये किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। आज के समय में इनको जो नही जानता है उनका दुर्भाग्य है, भोजपुरी की दुनिया में अपने गीत और संगीत से एक अलग पहचान बनाए हुए हैं।
जब मेरी इनसे बात हुई और मैने इनसे इनके संघर्ष दौर को पुछा तो बताएं कि शिवम् बाबू मेरे जीवन में संघर्ष तो बहुत कम था क्योंकि मुझे संगीत की शिक्षा अपने दादा जी से प्राप्त हुई हैं। आपकों बता दें कि मेरे दादा जी को संगीत से बहुत प्रेम था और संगीत के क्षेत्र में कोलकाता में काफी उनका नाम और चर्चा चलती थीं धीरे धीरे समय चक्र चलता रहा और मैं अपने दादा जी के साथ ही बैठ कर मंदिर में भजन कीर्तन करता था। गांव में जब कोई साँस्कृतिक कार्य होते थे तो लोग मुझे खास कर बुलाते थे क्योंकि उस समय मेरी उम्र लगभग 12 साल की थी और मुझे हारमोनियम (Harmonium) बहुत अच्छा बजाने आता था,जिसको देखने के लिए लोग इकट्ठा हो जाते थे,जिसके चलते मेरा मनोबल ऊंचा होता जा रहा था। लेकिन शिवम् बाबू आपकों बता दूं मैं की उस समय लोक लाज ऐसा था की समाज इस चीज को हेय दृष्टि से देखता था समाज में साथ देने के बजाय परिवार के सदस्यों के कान को भर देते थे, लेकिन मैं सभी चीजों को स्वीकार किया था क्योंकि मुझे तो संगीत विरासत में मिली जिसको मैने सहेजने का कार्य किया था।
इन्ही सब चीजों के वजह से परिवार थोड़ा नाखुश रहता था। एक दिन पिता जी बोले की आप पढ़ाई लिखाई पर ध्यान केंद्रित करो ये गाना बजाना बंद करो तब मैंने पढ़ाई किया और वाराणसी में ही रह के पोस्ट ग्रेजुएट किया। उसके बाद मैं प्रयागराज समिति से तबला वादन को सीखा एक मेरे गुरू जी थे जो बीएचयू में संगीत के प्रोफ़ेसर थे मै उनके सानिध्य में रहकर संगीत की शिक्षा प्राप्त किया उसके बाद मैं दिल्ली निकल पड़ा जहा पर मुझे एक महान् संगीतकार से मुलाकात हुई जिनका नाम धनजय मिश्रा था जो "बेचारे अब इस दुनिया में नही है"। इस शब्द बोलते समय सर थोड़े भाउक हो गाए खैर ये तो दुनियां की रीत है कोई आज जायेगा तो कोई कल जायेगा लेकिन आपकों बता दूं शिवम् बाबू उसकी कमी बहुत शायद कोई पूर्ण कर पाए क्योंकि वो तो मेरे बहूत ही प्रिय था । लेकिन अपने मेहनत और संगीत का गुणी होने की वजह से मैं गुरू भी मानता था।
अगला सवाल जब मैने पुछा की सर आपने पहला संगीत कब किया था तो मुस्कुराते हुए बोले की ओ दौर था 1998_2000 के बीच का जब मैने अपना पहला एल्बम किया था जिसको अपने स्वर से सजाए थे व्यास मौर्या जी ने और आज तक संगीत से जुड़ा हूं
आप सभी को बता दूं मैं की आज भोजपुरी में महारथ हासिल कर चुके हैं। अजय त्रिपाठी सर वाराणसी दूरदर्शन केन्द्र और मऊ दूरदर्शन में भी काम किया है और अपने लेखनी से 2000 गाना जानता के बिच समर्पित कर चुके हैं वो ऐसे शब्द है अगर आपके सामने रख कर बजाना शुरू कर दिया जाए तो आपका मन नहीं भर सकता है।
मैं भी इनका बहुत बड़ा फैन हूं क्योंकि इनके कलम से दो ऐसे गीत लिखे गए हैं जिसमे मेरे गुरू श्री देवरहा बाबा के तापोस्थली की व्याख्या है।
देवरहा बाबा के धरती।।
बाण लगाल होई जब क्या।।
आखरी सवाल था मेरा सर से मैने पूछा कि इस विरासत में मिली हुई संगीत को अब आपके बाद आपके परिवार में कौन इसका निर्वाहन कर रहा है तो हुए हंसते हुए बोले की शिवम यह बहुत अच्छा अपने सवाल किया है। आपको बता दे की शिवम बाबू मेरे जो पुत्र हैं वह इस समय मुंबई में संगीत के क्षेत्र में है जो एक म्यूजिक डायरेक्टर व म्यूजिक प्रोड्यूसर के तौर पर कार्य कर रहे हैं बहुत फीचर फिल्म, वेब सीरीज तथा टी वी सीरीयल में उन्होंने बैकग्राउंड म्यूजिक पर काम किया है और बहुत सी पिक्चर अभी जो आने वाले हैं उसमें भी वह काम कर रहे हैं। भोजपुरी में दो वेब सीरीज आई थी जिसका नाम था लंका में डंका और पकडवा विवाह उसमे वो बैंक ग्राउंड म्युजिक का काम किया था जिनकी उम्र मात्र अभी 20 साल ही है और वो मुझसे भी ज्यादा अनुभवी है क्योंकि ये मेरा बेटा ईशु 2.5 साल का था तो तभी से तबला वादन करता था।
बात इनके परिवार की करे तो परिवार बहुत लंबा चौड़ा!!
Ajai Tripathi सर आपकों सादर प्रणाम आपने मुझे अपना बहुमूल्य समय दिया आपका आशीर्वाद प्यार बना रहे।।
बहुत बहुत धन्यवाद