✍️ जाड़ में हाड़ कांपता ✍️
जाड़ में हाड़ कांपत बा भईया,सुत रजाई तान के
बीना काम के मत निकलिह,रक्षा कर तु जान के
बेधत बड़ुऐ जाड़ा भीतरी ले,छेदत बा शरीर के
गरम कपड़ा चादर कोट,रहिह तु सुटर पहिर के
आफत बिपत आइल बा,कुछ दिन चलऽ मान के
बीना काम के मत निकलिह,रक्षा कर तु जान के
ई सर्दी रही भर जनवरी,बचके रहिह लोग बबुआ
खतम भइल खरवास अब,अइहन जइहन अगुआ
सुरक्षीत तु रहबऽ तबही बंटबऽ,दोसरा के ज्ञान के
बीना काम के मत निकलिह,रक्षा कर तु जान के
छुटत नईखे जब धऽ लेता,कसके जेकरा खांसी
गलती से भी मत खाइब लोग,कबहु खाना बासी
अजय चाह पिअत बाड़न, गिलोय डालल छान के
बीना काम के मत निकलिह,रक्षा कर तु जान के
कुमार अजय सिंह,गीतकार
एकवना घाट,बड़हरा भोजपुर
बिहार 802311
मोबाइल न०:-9934483155
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