रविवार, 29 अक्टूबर 2023

महिला मोर्चा जिला अध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी ग़ाज़ीपुर एवं वर्तमान में प्रदेश कार्यसमिति भाजपा की श्रीमती रुद्रा पाण्डेय जी से मुलाकात-

पूर्व महिला मोर्चा जिला अध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी ग़ाज़ीपुर एवं वर्तमान में प्रदेश कार्यसमिति भाजपा की सक्रिय सदस्य परम आदरणीया श्रीमती Rudra Pandey जी एवं उनके पति बड़े भैया आदरणीय श्री Pankaj Pandey जी का स्नेह एवं आशीर्वाद कल हमें अपने निवास स्थान चंद्रा कॉलोनी पीरनगर पर प्राप्त हुआ। भारतीय सेना से प्रेरित सेवानिवृत्त होकर बड़े भैया देश सेवा एवं समाजसेवा में उत्कृष्ट योगदान दे रहे है वही भाभी जी राजनीति में सक्रिय होकर केंद्र सरकार एवं उत्तर प्रदेश सरकार के योजनाओं के प्रति अग्रसर होकर समाजसेवा कर रही है। आप दोनों महान व्यक्तित्व जन पर भगवान काशी विश्वनाथ की असीम अनुकंपा बनी रहे। हर हर महादेव।।
#भाजपा #महिलामोर्चा #जिलाध्यक्ष #समाजसेवा #कार्यसमिति #BJP #ग़ाज़ीपुर #उत्तरप्रदेश २३३००१




युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच उत्तर प्रदेश इकाई के तत्वावधान में कल कविता में लघुकथा विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन-

प्रेस विज्ञप्ति
( लखनऊ ) युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच उत्तर प्रदेश इकाई के तत्वावधान में कल दिनांक 28 10 2023 को, कविता में लघुकथा विषय पर एक संगोष्ठी का गूगल मीट के आभासी पटल पर आयोजन किया गया l कार्यक्रम की अध्यक्षता युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच के केंद्रीय अध्यक्ष श्री राम किशोर उपाध्याय जी ने की एवं मंच का संचालन युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष श्री राजेश कुमार सिंह 'श्रेयस' ने किया l कार्यक्रम में आगंतुक अतिथियों का स्वागत मंच के महासचिव श्री नंदकिशोर वर्मा जी 'जलदूत' ने किया कार्यक्रम में हिंदी गद्य साहित्य के पश्चात साहित्यकार श्री रामदेव धुरंधर मॉरीशस ने अपने आशीर्वचन दिए तो वही कार्यक्रम की मुख्य अतिथि एवं केंद्र हिंदी निदेशालय में सहायक निदेशक डॉ0 नूतन पाण्डेय जी रहीं l कार्यक्रम का शुभारंभ जनपद गाजीपुर के प्रसिद्ध संगीतकार बंधु द्वय श्री लव तिवारी एवं कुश तिवारी ने सरस्वती वंदना एवं अतिथि स्वागत गीत से किया l जनपद बलिया के किसान स्नातकोत्तर महाविद्यालय रतसर के प्राचार्य डॉ 0 अभय नाथ सिंह ने अपने सारगर्भित बीज वक्तव्य से दर्शकों को मंत्र मुक्त कर दिया l अन्य वक्ताओं में विशिष्ट अतिथि के रूप में श्री चंद्रेश्वर प्रताप सिंह छ. ग.की उपस्थिति प्रणम्य रही l वक्ताओं ने कविता में लघुकथा विषय को एक नई विधा के रूप में देखा l राजेश कुमार सिंह 'श्रेयस' की लिखी हुई पुस्तक काव्य कथा विधिका ऐसी ही विद्या में लिखा हुई एक काव्य संग्रह है l

युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच उप्र का सौभाग्य था कि इस कार्यक्रम में विश्व स्तर की मानी जानी प्रवासी साहित्यकार डा. अनिता कपूर जी ( अमेरिका ) एवं डा. दीपक पाण्डेय जी सहायक निदेशक, केंद्रीय हिंदी निदेशालय, नई दिल्ली की पूर्णकालिक उपस्थिति रही l लगभग दो घंटे चले इस कार्यक्रम में मंच की संरक्षक श्रीमती प्रमिला पांडे के अतिरिक्त डॉ मोहम्मद जावेद, श्री रामसनेही विश्वकर्मा 'सजल', डॉ श्री प्रकाश मिश्रा, श्री मृदुल कुमार सिंह 'मृदुल', श्री नरेंद्र सिंह सिसोदिया मैं अपनी लधु कथाएं एवं लघु गीत प्रस्तुत किये तो वहीं सयाजीराव विश्वविद्यालय बडौदा गुजरात हिंदी विभाग के प्रोफेसर डा. कनु भाई एवं शोध छात्र श्री अमित कुमार गुप्ता ने भी अपने वक्तव्य से मंच को अभिसंचित किया l कार्यक्रम में श्री शकील अहमद ( बिलासपुर छ. ग.) , श्री रामराज भारती,श्री बृजेश यादव, श्री अतुल राय, श्री आदर्श श्रीवास्तव की उपस्थिति रही l कार्यक्रम के अंत में अध्यक्ष की भाषण देते हुए श्री राम किशोर उपाध्याय ने कविता में लघुकथा विषय पर अपना सारार्भित उद्बोधन दिया, वहीं मंच के महासचिव श्री नंदकिशोर वर्मा जी ने आमंत्रित अतिथियों एवं दर्शकों के प्रति धन्यवाद एवं आभार व्यक्त किया l
....... राजेश 'श्रेयस'



शुक्रवार, 27 अक्टूबर 2023

महान समाजसेवी बड़े भैया श्री Rajkumar Pandey जी का स्नेह आशीर्वाद प्राप्त करते हुए- लव तिवारी

375 सदर विधानसभा ग़ाज़ीपुर के समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता एवं महान समाजसेवी बड़े भैया श्री Rajkumar Pandey जी का स्नेह आशीर्वाद आज हमें अपने निवास स्थान चंद्रा कॉलोनी पीर नगर पर प्राप्त हुआ। लोकप्रिय समाजसेवी एवं सफल व्यवसायी होने के साथ-साथ बड़े भैया निर्बल गरीब असहाय जन के सुख दुःख के साथी है। आज मस्कुलर डिस्ट्रॉफी जैसे गंभीर मुद्दों पर भैया जी बात हुई और भैया भरोसा दिया कि उनसे इस गंभीर मुद्दों पर जहाँ तक मदद हो सके वो मदद करेंगे। इस विशेष सहयोग के लिए हम आपको हृदय के अनन्त गहराइयों से धन्यवाद ज्ञापित करते है साथ ही प्रार्थना करते है कि आप जैसे महान समाजसेवी एवं सफल व्यवसायी पर भगवान काशीविश्वनाथ की अनन्त कृपादृष्टि बनी रहे।
#काशीविश्वनाथ #समाजसेवी #ग़ाज़ीपुर #उत्तरप्रदेश




मंगलवार, 24 अक्टूबर 2023

हें राम आपके जीवन ने जीने का अर्थ बताया है़ जीवन कैसे जिया जाता ऐसे जी कर दिखलाया है़- श्री राजेश सिंह जी

विजयदशमी पर्व की हार्दिक बधाई ...

☘☘☘☘☘☘
हें राम ! आपके जीवन ने ,
जीने का अर्थ बताया है़ ।
जीवन कैसे जिया जाता ,
ऐसे जी कर दिखलाया है़ ॥

वैराग त्याग औऱ नित्य नियम जीवन गाथा का पन्ना है़ ।
ना जाने, हमने क्या पहना ,
सच मे सच्चा यह गहना है़ ॥

वाणी की मृदुल मधुरता का
सच अर्थ आप ने बतलाया ।
वन गमन सहज स्वीकार किया ,
ऐसा साहस कर दिखलाया ॥

कुलगुरु को पिता तुल्य जाना , सेवक को भी सम्मान दिया ।
केवट से चरण धुलाए जब ,
दिल मे अपने स्थान दिया ॥

ऊँच नीच का भेद नही है़,
राम आप की नजरों मे ।
मतंग शिष्य सब दंग हुऐ ,जब पहुचे शबरी के आश्रम मे ॥

हनुमान राम के नेह मिलन ने
नई कहानी लिख डाली।
जन औऱ वन जीवन निकट हुऐ
मित्रता अनोखी रच डाली ॥

सागर की लहरें शान्त हुईं , जब राघव का सानिध्य मिला ।
मद अहंकार सब लोप हुऐ ,
ज्ञान अनोखा दिव्य मिला ॥

मद औऱ नम्रता खूब लड़े ,
सच औऱ झूठ जब टकराये।
चकराया माथा ,कपिदल का
जब रावण के निकट राम आये ॥

संघार पूर्व सम्मान दिया, क्योकि वह राजा ज्ञानी था।
वध किया राम ने पापों का , क्योकि वह अति अभिमानी था ॥

राघव रावन का युद्ध नही,
अधर्म धर्म से हारा था ।
इस महा युद्ध का सच जानो , सत ने असत्य को मारा था ॥

लंका से चलने के पहले,
अपनी सच्चाई दिखलाई थी ।
विभीषण को जब लंका सौपा,तॊ यह सबसे बड़ी विदाई थी ॥

राम अयोध्या मे आये तब रामराज अवध आया ।
राजधर्म का गूढ़ अर्थ , हे राम आपने बतलाया ॥

🙏 *राजेश*...मेरी एक कविता


सोमवार, 23 अक्टूबर 2023

दशहरा पंडित श्री कामेश्वर द्विवेदी गाज़ीपुर उत्तर प्रदेश

... .दशहरा

दशवदन को निरंतर जलाते रहे,
मात्र रंजन ही मन का मनाते रहे।
राम बनने की तो मात्र है कल्पना,
रावणी वृत्ति भीतर सजाते रहे।

जानकी का हरण कर लिया था मगर ,
साथ उनके किया न बुरा आचरण।
आज हैं हर घरों में जो रावण छिपे,
तब के रावण से इनमें हुआ है क्षरण।

मन का रावण जले तो बने बात कुछ,
मात्र पुतला जलाने से क्या फायदा।
राम के पदचिन्हों पै चलना नहीं,
तो दशहरा मनाने से क्या फायदा।


शुक्रवार, 20 अक्टूबर 2023

लागल माई के कचहरी दुःख सुना ल भाई जी- मनोज तिवारी मृदुल

लागल माई के कचहरी दुःख सुना ल भाई जी
दर्शन पाके आपन मनवा जुड़ाल भाई जी

पहीले दिनवा शैलपुत्री के कलिह दर्शनवा
दूसरे दिनवा ब्रम्हचारणी के सज गइले असनवा-२
प्रथमे शैलपुत्री च द्वितीय ब्रम्हचारणी
तीसरे दिनवा चन्द्रघण्टा के रूप अलौकिक सोही
चौथे कुष्मांडा माई धरती अम्बर मोही
माई लगे आके बिगड़ी बना ल भाई जी

लागल माई के कचहरी दुःख सुना ल भाई जी-२

जय सकन्द मात पचवें दिन बोले सकल जहनवां
छःठवे दिन कात्यायनी माई के करे सब पूजनवा-२
एक बार प्रेम से बोलिये कात्यायनी मैया की जय
सातवे दिन माँ कालरात्रि बन सिंह चढ़ल माई अइहें
महा गौरी माई आठवें दिन दुष्टदलन हित आइहे

आके नारियल आ चुनरी चढ़ाल भाई जी-२
दर्शन पाके आपन मनवा जुड़ाल भाई जी-२

लागल माई के कचहरी दुःख सुना ल भाई जी
दर्शन पाके आपन मनवा जुड़ाल भाई जी







शक्ति भर दिह माई, बस देखत रही प्यार से- श्री मनोज तिवारी मृदुल जी


शक्ति भर दिह माई, बस देखत रही प्यार से
झोली के चिंता नइखे भरीये जाई दरबार से

तोहरा शक्ति के चर्चा में, ब्रम्हा विष्णु शिव थाके ले-२
जब रक्तबीज पैदा होले सब लोग तोही के ताके ले
सब लोग तोही के ताके ले….....................
सब शोक नशा द शक्ति द, अंधियार मिटा द शक्ति द
अज्ञान मिटा द शक्ति द, ज्योति बिखरा द शक्ति द
काहे भुलाइल बा आशा बा तोहार बा
तूही प्रकाश देबू इहे इंतेजार बा
शक्ति भर दिह माई, बस देखत रही प्यार से
झोली के चिंता नइखे भरीये जाई दरबार से

तू त सर्वत्र विराजे लू मन्दिर त एगो साधन बा-२
विश्वास करीला मूर्ति में एहि में सुख बा जीवन बा
एहि में सुख बा जीवन बा
पूजा स्वीकारे आ जईह मूर्ति में आके समा जईह
शृंगार हमन से का होई तू आपन रूप देखा जईह
जीवन भर तोहरे गुणवा गावें के इंतजार बा
तूही प्रकाश देबू इहे इंतेजार बा
शक्ति भर दिह माई, बस देखत रही प्यार से
झोली के चिंता नइखे भरीये जाई दरबार से

कोई जग जननी कोई जगदम्बा, जग के पालक गोहरावेला-२
हर जुग में तोहरे जय जय बा, तोहई से सब सुख पावेला
तोही से सब सुख पावेला...........
सब पाप हरेलु जानिला, दुःख नाश करेलु जानिला
पूजा के रीति भले नाही, बाकी गुण गावें जानिला
इहे हमार पूजा ताकत बरीआङ बा
माई के गीत है मनोजवा के शृंगार बा
तूही प्रकाश देबू लागल इन्तेजार बा
शक्ति भर दिह माई, बस देखत रही प्यार से
झोली के चिंता नइखे भरीये जाई दरबार से

शक्ति भर दिह माई, बस देखत रही प्यार से
झोली के चिंता नइखे भरीये जाई दरबार से



दुर्गा मैया के सिंगार हो सिंगार सेवकन के जियरवा खो गईले- मनोज तिवारी मृदुल

दुर्गा मैया के सिंगार हो सिंगार सेवकन के जियरवा खो गईले
तर पूज शरण संसार भक्तन के जियरवा खो गईले

जब जब भीड़ परल भक्तन पर भक्तन के तू तरलू
महिसासुर के मरलू, शुम्भ निशुम्भ के तू संघरलू-२
दुष्ट दलन बदे अवतार भक्तन के जियरवा खो गईले
दुर्गा मैया के सिंगार सेवकन के जियरवा खो गईले

बास सन देव नवरात्र में मईया गौरी बन के आवे
शारदीय नवरात्र में माई दुर्गा रूप देखावे
अरे दुर्गा रूप देखावे
एक शक्ति बा रूप हजार भक्तन के जियरवा खो गईले
दुर्गा मैया के सिंगार सेवकन के जियरवा खो गईले

दीन दुःखी जे केहु आवे, मनसा ओकर पुराला
खाली अचरा जेकेहु आवे, भर के झोली जाला
जग जाने ला-२ .............म्यूजिक
जग जाने सांच दरवार भक्तन के जियरवा खो गईले
दुर्गा मैया के सिंगार सेवकन के जियरवा खो गईले

एक हाथ मे भाला लिहले, दूजे में तलवारिया
लाल लाल अखियां बा तोहरो, भइले सिंघ असवरिया
माई भइले सिंघ असवरिया-२
एहि रूप भईल संघार भक्तन के जियरवा खो गईले
दुर्गा मैया के सिंगार सेवकन के जियरवा खो गईले

दुर्गा मैया के सिंगार हो सिंगार सेवकन के जियरवा खो गईले
तर पूज शरण संसार भक्तन के जियरवा खो गईले







घर हीं मे माई के बुलाईब मंदिर बनवाईब हो- भरत शर्मा व्यास

घर हीं मे माई के बुलाईब मंदिर बनवाईब हो

मईया लाली रे चंदनी टंगवाईब भजन गवाईब हो
कोरस- मैया लाली रे चंदनी टंगवाईब भजन गवाईब हो ) 2

अंगना में बेदीया बनाईब यज्ञ करवाईब हो
मईया सातो रे बहिन के बुलाइब भगतीन हो जाईब हो  2

 सुती उठी देखी के जुराईब पुण्य हम पाईब हो
मैया दुखावा दलिदर भगाईब सुख हम पाईब हे 2

चईत में पाठवा कराइब पंडित बोलवाइब हो
मईया बेला फूलवा लाई के चढाईब हवन कराईब हे 2

गईया के घिऊआ ले आईब दियाना जराईब हो
मईया छांक लवंग के चढाईब माई के मनाईब हे 2

गीत शिवपुरी से लिखवाईब भरत से गवाईब हो 
मईया चरण में सिस झुकाईब नित गुण गाईब हो 2

घर ही में माई के बुलाईब मंदिर बनवाईब हो
मईया लाली रे चंदनी टंगवाईब भजन गवाईब हो 2




गुरुवार, 19 अक्टूबर 2023

21 वी सदी के पहले मइया तोहे मानिला नव दुर्गा के जिनगी सफल बनाईला- मनोज तिवारी मृदुल

माई बसखवा में गोड़वा जरेला कैसे के आई तोहरा द्वार

जेठ के महीनवा में लुहवा सातवे पछुवा दे दहिया के जार


21 वी सदी के पहले मइया तोहे मनाई ला,

नव दुर्गा के पूजा कइके जिनगी सफल बनाई ला,

शारदीय नव रात्रि में मैया के हम शीश नवाईना

21वी एह सदी के….....…


आषाढ़ के महीना चढ़ते का होला


चढते आषाढ वा बदरिया बरसे तोहरे अटरिया

राउर कृपा बनके बरसे सवनवा

भादो अमावस्या के तोहरे जन्मवा -२

सोहर उठे अउरी कजरिया बरसे तोहरे अटरिया-२


नव दुर्गा के पूजा कइके जिनगी सफल बनाई ला

शारदीय नव रात्रि में मैया के हम शीश नवाईना

शारदीय...............

नव दुर्गा...….........


अइले कुवार के महीनवा, कुवार के महिनवा न हो-२

मईया मोरी सजे नवरातन में असंनवा करेला सब पूजनवा न हो

कातिक मास जब आवेला, मास जब आवेला हो

मैया मोरी जाले हुलस तोरि लालनवा तू देलु दर्शनवा न हो


दर्शन से सब पाप कटेला चुनरी फूल चढाईला

नव दुर्गा के पूजा करके जिनगी सफल बनाईला

शारदीय नवरात्र में...........….........


अगहन अइले अंगनवा गईले गेंनवा फुलाय-२

पुष मासे सलवा गो सलवा द न माई के उढाय-२

माई पद पंकज पे तोहरा हर दम शीश नवाईला

नव दुर्गा के पूजा कइके जिनगी सफल बनाईला

शारदीय.……..….

21 वी सदी....…....

शारदीय नवरात्र में हो हो….........




बुधवार, 18 अक्टूबर 2023

धोवत धोवत तोहरी मंदिरवा हथवा खिअइले हे आहे - भरत शर्मा व्यास

धोवत धोवत तोहरी मंदिरवा हथवा खिअइले हे
आहे तबो नहीं काहे मैया दया तोहरा अइले हो अरे तबो..2

कौवा बोले से पहिले आईला मंदिरवा-2
हाजिर बाटे सेवा में हमरो शरीरवा
गावत गावत तोहरी भजनिया होठवा झुरईले हो अरे  तबो नहीं…

साझियां के बेरा नीत बारी ला दियानावा-2
बूते जनी पावे मैया रखीला ध्यानआवा
कितना ले गैया के घिउवा बाती में सुखइले हो अरे तबो नहीं काहे मैया….

ओड़हउल के फूलआवा के बगिया लगवनी
पानी देके निमिया के पेड़वा बड़हवनी
तवना मरुवा के गछिया खूब लहलहैले हो अरे तबो नहीं काहे मैया दया तोहरा..

दुनु बेरा दिही मैया लवंग के छकिंया
दूध के कराह देनी सुनावा के अखियां
जाईला मंदिरवा रोजे-रोज बिना खईले हे
अरे तबो नहीं काहे मैया..

दया कके माई अब दे द दर्शनवा
सादा शिवपुरी पर रखीह ध्यानाआवा
गावत भजनिया भरत शरण में आईले हो
आरे तबो नहीं काहे मैया दया तोहरा अईले हे

आरे तबो नहीं काहे मैंया दया मोहरा अईले हे

धोवत धोवत तोहरी मंदिरवा हथवा खिअईले हे आहे

तबो नहीं काहे मैंया………




रविवार, 15 अक्टूबर 2023

युवा कवि श्री शशिकांत मिश्रा जी का संक्षिप्त परिचय एवं रचनाएं

: प्रारूप
नाम : शशिकांत मिश्र.
जन्मतिथि : 13-12-1992
माता का नाम : श्रीमती दमयंती मिश्रा
पिता का नाम :श्री रमाशंकर मिश्र
जन्म स्थान : ग्राम सिलाइच पोस्ट- बालापुर, तहसील मोहम्दाबाद जिला ग़ाज़ीपुर 233227
शैक्षिक योग्यता : प्रौद्योगिकी में स्नातक ( B. Tech)
संप्रति (पेशा) :नवीकरणीय ऊर्जा सीनियर इंजी.
विधाएं : गीत, ग़ज़ल
साहित्यिक गतिविधियां : छात्र जीवन में मंच पर सक्रियता, नौकरी पेशा में समय का अभाव पर समय मिलने पर लिखना औऱ किसी विशेष परिस्थिति में काव्यपाठ करना।

प्रकाशित कृतियां : कोई नही
पुरस्कार सम्मान : कोई नही
संपर्क सूत्र :+917860357869

रचना----/
घिसते घिसते कलम लिखना आ ही जाएगा
ठोकरें खा खाकर के चलना आ ही जाएगा,

वज़ूद काँटों का है मेरा मगर है यकीन मुझे
फूलों के साथ रहके महकना आ ही जाएगा,

पानी है मंजिल तो कांटो की परवाह न कर
सोना बनने को आंचमें तपना आ ही जाएगा,

पत्थर आखिर रास्ता कब तलक रोकेंगे मेरा
एक दिन पानी की तरह बहना आ ही जाएगा,

मुसाफिर बेचैन है बहुत नया रास्ता देखकर
अभी नया नया परिंदा है उड़ना आ ही जाएगा,

बर्फ बनके अश्क जमा होते रहेंगे पर इनको
आँख से पानी बनके निकलना आ ही जाएगा,

हवाएँ चाहती हैं,बुझा दे सब चरागों को मगर
आँधियों में भी दिए को जलना आ ही जाएगा,

कोई सहारा कहाँ मिलता है ज़रूरत पर ''मिश्रा ''
     देखकर आइना खुद संभलना आ ही जाएगा---शशिकांत मिश्रा




शुक्रवार, 13 अक्टूबर 2023

बस इतनी सी है आदमी की औकात - अज्ञात

आदमी की औकात

एक माचिस की तिल्ली,
एक घी का लोटा,
लकड़ियों के ढेर पे
कुछ घण्टे में राख.....
बस इतनी-सी है
आदमी की औकात !!!!

एक बूढ़ा बाप शाम को मर गया ,
अपनी सारी ज़िन्दगी ,
परिवार के नाम कर गया।
कहीं रोने की सुगबुगाहट ,
तो कहीं फुसफुसाहट ,
....अरे जल्दी ले जाओ
कौन रखेगा सारी रात...
बस इतनी-सी है
आदमी की औकात!!!!

मरने के बाद नीचे देखा ,
नज़ारे नज़र आ रहे थे,
मेरी मौत पे .....
कुछ लोग ज़बरदस्त,
तो कुछ ज़बरदस्ती
रो रहे थे।
नहीं रहा.. ........चला गया..........
चार दिन करेंगे बात.........
बस इतनी-सी है
आदमी की औकात !!!!

बेटा अच्छी तस्वीर बनवायेगा ,
सामने अगरबत्ती जलायेगा ,
खुश्बुदार फूलों की माला होगी ......
अखबार में
अश्रुपूरित श्रद्धांजली होगी.........
बाद में उस तस्वीर पे ,
जाले भी कौन करेगा साफ़...
बस इतनी-सी है
आदमी की औकात !!!

जिन्दगी भर ,
मेरा- मेरा- मेरा किया....
अपने लिए कम ,
अपनों के लिए ज्यादा जीया ...
कोई न देगा साथ...जायेगा खाली हाथ....
क्या तिनका
ले जाने की भी
है हमारी औकात ???

नवरात्री की ढेर सारी शुभकामनायें... 🌹🌹🌹
जय माता दी... 🚩🚩🚩
.



सोमवार, 9 अक्टूबर 2023

गाजीपुर के सुप्रसिद्ध शिक्षक कवि आदरणीय श्री कन्हैया लाल जी का संक्षिप्त परिचय एवं रचनाएं

_____________________
नाम- श्री कन्हैया लाल
जन्म तिथि - 2- जुलाई-1964
माता का नाम - स्वर्गीय सुदामी देवी
पिता का नाम - स्वर्गीय श्री हरि लाल
शैक्षिक योग्यता - बीएससी बीएड
संप्रति (पेशा) सरकारी अध्यापक जनता उच्चतर माध्यमिक विद्यालय जंगीपुर ग़ाज़ीपुर उत्तर प्रदेश

पता- ग्राम तारनपुर पोस्ट थाना- जंगीपुर जिला- ग़ाज़ीपुर उत्तर प्रदेश 233305

विधाएं - गीत, कविता, समसामयिक कविता

साहित्यिक गतिविधियां - काव्य गोष्ठी में भाग लेना तथा संचालन की अहम भूमिका का निर्वहन करना

प्रकाशित कृतियां - कोई नही
पुरस्कार/सम्मान कोई नही
सम्पर्क सूत्र -८४१३३९७१०६
विशिष्ट परिचय - शिक्षक और पूर्व प्रांतीय संयोजक उद्योग व्यापार समिति उत्तर प्रदेश

रचना- बदकिस्मत

देर से जगते नींद में रहते,
जिद में करते ज़ख्मी बात,
जनक कहें जग जाओ बेटा,
दुश्मन लगते ऐसे तात,

हवा भोर की पसन्द नहीं है,
दवा पर उनका रहा भरोसा,
आलस को वे दोष ना देते,
माता पिता पर करते रोषा,
विस्तर छोड़े मुंह न धोए,
मोबाईल बस पहुंची हाथ,
देर से जगते नींद में रहते,
जिद में करते ज़ख्मी बात।।

काम धाम से नहीं है मतलब,
मन ना लगता करें पढाई,
फेस बुक तो फेस दिल का,
सेल्फी पर बस करें चढ़ाई,
प्रोफाइल में पोस्ट हैं करते,
दिन बीता अब आई रात,
देर से जगते नींद में रहते,
जिद में करते ज़ख्मी बात।।

कुछ लायक जो समझे अपने,
बालों का करते श्रृंगार,
नहीं नहाएं तन हो ठंडा,
चल देते कोचिंग के द्वार,
दोस्तों में है कमेंट दिखाते,
प्रोफाइल में अपनी गात,
देर से जगते नींद में रहते,
जिद में करते ज़ख्मी बात।।

कोचिंग में वे यही देखते,
कहां है बैठी सुन्दर तितली,
नजर है उनकी यही ढूंढती,
कौन चमकती कितनी बिजली,
कोचिंग से जाकर मनन हैं करते,
बीत जाती है सारी रात,
देर से जगते नींद में रहते,
जिद में करते ज़ख्मी बात।।

कन्हैया लाल
शिक्षक
जनता उच्चतर माध्यमिक विद्यालय जंगीपुर गाज़ीपुर मोबाइल संख्या ८४१३३९७१०६
_____________________



बदकिस्मत कन्हैया लाल शिक्षक जनता उच्चतर माध्यमिक विद्यालय जंगीपुर गाज़ीपुर

बदकिस्मत

देर से जगते नींद में रहते,
जिद में करते ज़ख्मी बात,
जनक कहें जग जाओ बेटा,
दुश्मन लगते ऐसे तात,

हवा भोर की पसन्द नहीं है,
दवा पर उनका रहा भरोसा,
आलस को वे दोष ना देते,
माता पिता पर करते रोषा,
विस्तर छोड़े मुंह न धोए,
मोबाईल बस पहुंची हाथ,
देर से जगते नींद में रहते,
जिद में करते ज़ख्मी बात।।

काम धाम से नहीं है मतलब,
मन ना लगता करें पढाई,
फेस बुक तो फेस दिल का,
सेल्फी पर बस करें चढ़ाई,
प्रोफाइल में पोस्ट हैं करते,
दिन बीता अब आई रात,
देर से जगते नींद में रहते,
जिद में करते ज़ख्मी बात।।

कुछ लायक जो समझे अपने,
बालों का करते श्रृंगार,
नहीं नहाएं तन हो ठंडा,
चल देते कोचिंग के द्वार,
दोस्तों में है कमेंट दिखाते,
प्रोफाइल में अपनी गात,
देर से जगते नींद में रहते,
जिद में करते ज़ख्मी बात।।

कोचिंग में वे यही देखते,
कहां है बैठी सुन्दर तितली,
नजर है उनकी यही ढूंढती,
कौन चमकती कितनी बिजली,
कोचिंग से जाकर मनन हैं करते,
बीत जाती है सारी रात,
देर से जगते नींद में रहते,
जिद में करते ज़ख्मी बात।।

कन्हैया लाल
शिक्षक
जनता उच्चतर माध्यमिक विद्यालय जंगीपुर गाज़ीपुर मोबाइल संख्या ८४१३३९७१०६


मांग भर कर हैं लाये जिसको मांगे भरना ना आसान- श्री कन्हैया लाल जी जंगीपुर गाज़ीपुर उत्तर प्रदेश

मांग

मांग भर कर हैं लाये जिसको,
मांगे भरना ना आसान,
कई जनम भी खप जाएगा,
ना होगा पूरा फरमान,

इनकी सूची लम्बी इतनी,
सूचित करने भर समय कहां,
जितने समय में करेंगी सूचित,
नखरें करेंगी यहां वहां,
गुस्सा, बेलन हाथ है झाड़ू,
झाड़ेगी वह पूरी जहान,
मांग भर कर हैं लाये जिसको,
मांगे भरना ना आसान,।।

तुम सोचते जानें ना कोई,
घर की इज्ज़त खड़ा सवाल,
उनका उल्लू सीधा होता,
जितना करती बड़ा बवाल,
सवाल बवाल मंथरा कैकेई,
टूट के आता है आसमान,
मांग भर कर हैं लाये जिसको,
मांगे भरना ना आसान।।

अमीर घर से आयी जितनी,
उन्हें अमीरी खूब सताती,
पढ़ने में जो किया है नाटक,
अपनी पाठन खूब बताती,
श्रृंगार में उनके पड़ी कमी तो,
पति नहीं हो, तुम बेईमान,
मांग भर कर हैं लाये जिसको,
मांगे भरना ना आसान।।

नखरे नाटक में पली बढ़ी है,
नहीं जनक की जानें सेवा,
सास ससुर तो बोझ हैं लगते,
कैसे उनको मिले कलेवा,
नाक सिकोड़ती दांत पिसती,
पीस के रखती घर सम्मान,
तिलक लेकर आई ज्यादा,
घर लगता है कब्रिस्तान।।

मूल मंत्र मैं बतलाता हूं,
संस्कार को लेकर आना,
रूप रंग ना पड़ना चक्कर,
कल्पित शिक्षा दूर भगाना,
अहंकार से रख के दूरी,
सहनशील ही दे भगवान,
सुख शांति सब मिल जायेगी,
शुकून मिलेगा और सम्मान।।

कन्हैया लाल
शिक्षक
जनता उच्चतर माध्यमिक विद्यालय जंगीपुर गाज़ीपुर मोबाइल संख्या ८४२३३९७१०६


बुल्डोजर राज ना जाने वाला- श्री कन्हैया लाल जी जंगीपुर गाज़ीपुर उत्तर प्रदेश

दया नहीं है तुमको बुल्डोजर,
माफिया हैं सब बने भिखारी,
कानून सदैव था डरता रहता,
उनके सामने थी लाचारी,
क्या करें वे कहां पर जाएं,
कोई नहीं बतलाने वाला,
हर चौराहों पर है अंधेरा,
रोशनी नहीं दिखलाने वाला,
जमीन जहां वे देखा करते,
कमज़ोर की धरा है पड़ी नजर
उनका महल वहां था बनता
अपराधों की खड़ी सजर,
उखाड़ के उनको फेंका तुमने,
उनका दिन कर दिया है काला,
बुल्डोजर तुम कहां से सीखे
माफिया पर दुर्दिन छाने वाला।।
आज चमन में शान्ति हवा है,
जहां शुकून के खिलते फूल,
कांटो को अब चुभन है होती,
अपराध की राह है बिसरे भूल,
अपने बच्चे को चले पढ़ाने,
बुल्डोजर राज ना जाने वाला,
अब चमन में शान्ति हवा है,
माफिया राज है जाने वाला


संसद उद्घाटन- श्री कन्हैयालाल शिक्षक जनता उच्चतर माध्यमिक विद्यालय जंगीपुर गाज़ीपुर

संसद उद्घाटन

लोकतंत्र की आड़ है लेकर ,
लूट तंत्र है जिन्हें बचाना ,
नयनों में तो शर्म नहीं है,
फिर समाज में क्या शर्माना ।।

देश जिन्हें तो भूल रहा है ,
कर न सके ऐतिहासिक काम,
संसद उद्घाटन दिया है मौका ,
संसद विरोध में चमके नाम ,
चौबीस खातिर विरोध शुरू है ,
विपक्ष को भी उन्हें जुटाना ,
लोकतंत्र की आड़ है लेकर ,
लूटतंत्र है जिन्हें बचाना ।।

सत्तर सालों में किए हैं कितना,
देशद्रोह का दिखता कांटा,
आतंकवाद ही फूला फला है ,
भारत मां के मुंह पर चांटा ,
डांट सके ना उग्रवादी को ,
छिप न सका बेशर्म बहाना ,
लोकतंत्र की आड़ है लेकर,
लूटतंत्र है जिन्हें बचाना ।।

शौर सेना को पचा न पाए ,
संसद भवन बचेगा कैसे ,
कौन उद्घाटन करेगा इसका ?
तूल देते हो खुल के ऐसे,
तुम बनाकर उद्घाटन कर लेते ,
नहीं है पड़ता आज लजाना ,
लोकतंत्र की आड़ है लेकर ,
लूट तंत्र है जिन्हें बचाना ।।

इ डी पर तो प्रश्न उठाते ,
प्रश्न उठाना है अधिकार ,
सीबीआई का विरोध हो करते ,
कहीं न कहीं है नोट भरमार ,
उस समय क्यों पहनी चूड़ी ?
पड़े थे सत्ता नहीं निशाना ,
लोकतंत्र की आड़ है लेकर
लूट तंत्र है जिन्हें बचाना ।।

जांच अभिकरण बंद किए थे,
दिल में तेरे पड़ा था डर ,
तुम भेजोगे नेता विरोध को ,
वे भी भेजेंगे तेरे घर ,
इससे अच्छा मौन ही रहना,
नहीं है फसना नहीं फसाना ,
आज विरोध में खड़े हैं जितने,
लूट तंत्र को तुम्हें बचाना ,।।

जिस प्रदेश में तुम हो सत्ता,
क्यों नहीं करवाते जांच ?
किस बात की डर वहां पर ,
जल जाओगे तुम भी आंच,
डर फसने की स्वयं सताये,
जनता को ही बेवकूफ बनाना,
लोकतंत्र की आड़ है लेकर ,
लूट तंत्र को तुम्हें बचाना।।

कन्हैयालाल
शिक्षक
जनता उच्चतर माध्यमिक विद्यालय जंगीपुर गाज़ीपुर

 बहुत-बहुत धन्यवाद


दो हज़ार हुआ है घायल श्री कन्हैया लाल शिक्षक जनता उच्चतर माध्यमिक विद्यालय जंगीपुर गाज़ीपुर

दो हज़ार हुआ है घायल

दो हज़ार तो हुआ है घायल,
तीस सितंबर तक उपचार ,
बड़ों का बड़प्पन इसने छीना,
कर चोरों को किया लचार,
दो हज़ार तो पड़ा है घायल ,
तीस सितंबर तक उपचार ।।

रखने में तो सरल था इतना,
खतना ही बस किया गरीब ,
छिप छिपाकर पड़ा था बक्सा ,
काला धन को किया करीब,
अजीब अजीब रंगत था इसका,
रंग गुलाबी करता प्यार ,
दो हज़ार का नोट है घायल,
तीस सितंबर तक उपचार।।

फेक करंसी पाक भेजता,
पाक सरकार का था श्रृंगार
दरिद्र अवस्था बनी व्यवस्था,
पाक पड़ा था बहुत उदार,
कौन संभाले उसको अब,
घायल हो गईं पाक सरकार ,
दो हज़ार के नोट है घायल ,
तीस सितंबर तक उपचार ।।

कहीं रजनी की रात अंधेरी,
अब सजनी बन जाए चोर,
बक्सा के भीतर बना था नक्शा,
ना नुकुर है अब बलजोर ,
अब तो चोरी चली कुरेदने,
छिप छिपाने का अधिभार,
दो हज़ार के नोट है घायल,
तीस सितंबर तक उपचार ।।

आधिकारी अधिकार दुखी है,
सुख सुविधा का है संक्षेप ,
समझ पर उनके खड़ा है संकट,
समझ न आता अब विक्षेप,
 विक्षेपण को चले सवारने ,
बड़ा दुखित है अब अधिकार ,
दो हज़ार का नोट है घायल ,
तीस सितंबर तक उपचार ।।

कन्हैया लाल 
शिक्षक 
जनता उच्चतर माध्यमिक विद्यालय जंगीपुर
 गाज़ीपुर 
आनंद में इसको पढ़ें और मौज में,
 गंभीरता से लेने की आवश्यकता नहीं है


एक गिलास मट्ठा कन्हैया लाल शिक्षक जनता उच्चतर माध्यमिक विद्यालय जंगीपुर गाज़ीपुर

एक गिलास मट्ठा 

समाज के लोगों सुन लो मुझको 
 सत्य कहूं कर लो स्वीकार ,
अगर नहीं सच्चाई इसमें,
कर देना तुम इंकार,
मेरी बातें सुन समाज,
सत्य कहूं कर लो स्वीकार,।।

 सभी अमीर ना समूह हैं तेरे,
 कुछ के पास है ज्यादा धन,
उन्हें बीमारी घेर के बैठी,
सुख रहा उनका उपवन,
दान दया करो योग्य पर,
जो पढ़ने को हरपल तैयार,
 मेरी बातें सुन व्यापारी ,
सत्य कहूं कर लो स्वीकार ।।

अपने सुख को सुख ना मानो ,
यह बुलबुल का जख्मी पानी ,
बिना हवा के जब फटता है,
 खो देता है तुरत ज़वानी,
इससे अच्छा धन सदुपयोग हो,
एक गरीब का हो उद्धार
 देते वक्त तो मोह है लगता ,
भगवन करते इससे प्यार
 मेरी बातें सुन व्यापारी ,
सत्य कहूं कर लो स्वीकार।।

अपनी आय जरूर ही देखो ,
देख लेना नेक कमाई,
 उससे  ज्यादा खर्च ना करना 
खर्च है बनता कठोर कसाई 
आय से अधिक खर्च करेंगे 
कंगाली का खोले द्वार ,
मेरी बातें सुनो समाज ,
सत्य कहूं कर लो स्वीकार।।

  सभी तरफ़ बस नजर घुमाओ ,
गरीब बच्चे हैं पढ़ ना पाते,
उनके अंदर पड़ी है क्षमता,
शुल्क बिना है ना दिखलाते,
शुल्क बिना वे सुख जाएं,
तेरे धन को है धिक्कार,
समाज वालों सुन लो मुझको,
सत्य कहूं कर लो स्वीकार।l
ज्यादा नहीं तो एक पढ़ाओ,
एक का कर दो अब उद्धार।।
समाज के लोगों सुन लो मुझको,
सत्य कहूं कर लो स्वीकार।।

 कन्हैया लाल 
शिक्षक 
जनता उच्चतर माध्यमिक विद्यालय जंगीपुर गाज़ीपुर मोबाइल संख्या 84 23397106


एक को जाने कन्हैया लाल शिक्षक जनता उच्चतर माध्यमिक विद्यालय जंगीपुर

एक को जाने

एक के विरुद्ध एक को करना,
राजनीति का असली हिस्सा ,
एक से एक को मिलने ना देना ,
कूटनीति है कहती किस्सा ,
एक के विरुद्ध एक को करना,
राजनीति का असली हिस्सा।।

एक एक जब मिल जाते हैं ,
दो गणित है उसे बनाती,
एक की हिम्मत मिली एक से,
ग्यारह जैसी ताकत दिखलाती,
यही दुश्मन से करें मुकाबला,
कहती संघर्षों का असली किस्सा ,
एक के विरुद्ध एक को करना,
राजनीति का असली हिस्सा ।।

एक एक जब दिल से मिलते ,
बन जाता है एक परिवार ,
सुकून शांति है दिल में उनके,
 जीवन का करते उद्धार ,
जीवन के लिए यही जरूरी ,
सुंदर जीवन का यह हिस्सा,
 एक के विरुद्ध एक ना होना,
सुन लेना सुख का किस्सा।।
 

एक कृपा एक पर हो जाए ,
आध्यात्म यहीं से हुआ शुरू,
 जीवन को यह मोक्ष दिलाता,
 सतकर्म ही बनता सही गुरु,
 नरक स्वर्ग का भेद मिटाता ,
भक्ति है कहती अनुपम किस्सा,
 सत्कर्म मार्ग पर चल के देखो,
लक्ष्य जीवन का असली हिस्सा ।।

जय प्रभु जय श्री राम 
कन्हैया लाल 
 शिक्षक जनता उच्चतर माध्यमिक विद्यालय जंगीपुर गाज़ीपुर मोबाइल संख्या 84 2339 7106 बहुत-बहुत धन्यवाद


जगने का महत्व- कन्हैया लाल शिक्षक जनता उच्चतर माध्यमिक विद्यालय जंगीपुर

जगने का महत्व

आप जगेंगे, जगेंगे बच्चे ,
तभी जगेगा उनका ज्ञान ,
साहित्य जगेगी , जगेगी शिक्षा,
यहीं से जगता है विज्ञान ,
आप जगेंगे जगेंगे बच्चे,
तभी जगेगा उनका ज्ञान।।

बिना जगे कुछ नहीं है जगता,
नहीं है जगती कभी पढ़ाई ,
जो जगने को बोझ समझते ,
आलस लेती है अंगड़ाई ,
शौर सफलता अगर जगाना,
रूचि में जगा दो सुन्दर मान,
आप भी जगे जग जाये बच्चे,
जगा दो उनके अंदर ज्ञान। ।

आप हैं जगते श्रम है जगता ,
जहां है मिलती दौलत छाव ,
साथी संहाती सभी है मिलते ,
मिल जाय सफलता सुंदर पांव,
बिना जगे उम्मीद ना जगती,
सोने से जगता बस अपमान,
आप जगेंगे जगेंगे बच्चे ,
तभी जगेगा उनका ज्ञान ,।।

समय से जागे दैव काल में ,
समय चक्र संयम शिक्षालय,
शिक्षक जी शिक्षण समझाये,
दोहराये घर सा विद्यालय ,
मनन चिंतन लेखन हो उसका,
 शब्द से सीखे हर संज्ञान ,
समय को कभी ना सोने देना ,
जीवन देगा जगह महान,
स्वयं जगे जगा  दें  बच्चे,
इसी से जगता   हिन्दुस्तान।।

कन्हैया लाल 
शिक्षक 
जनता उच्चतर माध्यमिक विद्यालय जंगीपुर गाज़ीपुर मोबाइल संख्या 84 2339 7106


बहुत कठिन बाटे वन की डगरिया रुक जईती ए सिया अवध नगरिया- रचना पंडित अजय त्रिपाठी गीतकार संगीतकार वाराणसी उत्तर प्रदेश

अवध के छोड़ के प्रभु चल दिहली बन में, 
पीछे लक्ष्मण भाई
अरे बिलखी बिलखी के कह सिया सुकुमारी
जग में होत बा हसाई

सुन ल ए रघुराई
सुखवा के रतिया संग में बितवनी
दुःख ओ में हथवा बटाईब

बहुत कठिन बाटे वन की डगरिया
रुक जईती ए सिया अवध नगरिया

बाबू जी के बात मनिह आदर दिह माई के
रखीह ध्यान तनी छोटकन भाई के-२
रहिह कौशल्या माता केकई के कगरिया 
रुक जईती ए सिया अवध नगरिया

बहुत कठिन बाटे वन की डगरिया
रुक जईती ए सिया अवध नगरिया

सही नाही पईबु धनी धूप बरसात के
लाग जाई ठार तोहके पुष वाली रात के-२
बन में मिली नाही महल अटरिया 
रुक जईती ए सिया अवध नगरिया

बहुत कठिन बाटे वन की डगरिया
रुक जईती ए सिया अवध नगरिया

रचना पंडित अजय त्रिपाठी गीतकार संगीतकार वाराणसी उत्तर प्रदेश



रविवार, 8 अक्टूबर 2023

श्राद्ध की श्रद्धा- कन्हैयालाल शिक्षक जनता उच्चतर माध्यमिक विद्यालय जंगीपुर गाज़ीपुर

श्राद्ध की श्रद्धा

दाढ़ी पर झंखाड़ है झाड़ी,
गाल को घेरे उजले बाल,
सतिल जल स्वधा पितृ गण,
ब्राह्मण का है यही कमाल ,
दाढ़ी पर झंखाड़ है झाड़ी,
गाल को घेरे उजले बाल।।

सुबह है उठना स्नान है करना,
नवीन व्यंजन पड़ा बनाना ,
अक्षत जल से अर्पण तर्पण ,
देव  ऋषि को जरूर बुलाना ,
पितृगण से अनुनय विनय  ,
सतिल जल स्वधा जंजाल,
दाढ़ी पर झंखाड़ है झाड़ी ,
गाल को घेरे उजले बाल ।।

 व्यंजन की अब बात सुनो ,
मंडप में बस लाना है ,
अर्पित आचमन पितृगण को ,
काग को छत पर बुलाना है ,
स्वान गऊ हो तृप्ति व्यंजन से,
पितृ पक्ष करना हर हाल ,
दाढ़ी पर झंखाड़ है झाड़ी ,
गाल  को घेरे उजले बाल ।।

अर्पण तर्पण किया समर्पण ,
देख न पाया कौन है पाए ,
कौन-कौन ले लिए हैं हिस्सा,
 हम अंधों को ना दिखलाये,
रही  तन्यता श्राद्ध मान्यता,
सनातन चलता अपनी चाल ,
तृप्ति आत्मा से कष्ट दूर हो ,
खुश दिल तृप्ति संतृप्ति कमाल ,
दाढ़ी पर झंखाड़ है झाड़ी ,
गाल को घेरे उजले बाल,
 सतिल जल स्वधा पितृ गण ,
ब्राह्मण का है यही कमाल ।।

कन्हैयालाल
 शिक्षक 
जनता उच्चतर माध्यमिक विद्यालय जंगीपुर गाज़ीपुर 
पसंद आए तो अधिक से अधिक अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाएं
 बहुत-बहुत धन्यवाद


शुक्रवार, 6 अक्टूबर 2023

कोई अपना खास नहीं है अपनों से भी आस नहीं है जनवादी कवि एम•एस•अंसारी बेबस

मेरा कोई इतिहास नहीं है !
""""""""""""""""""""""""""""""""
कोई अपना खास नहीं है ।
अपनों से भी आस नहीं है ।
बिखरे हुए इस तन मन में
पलभर की भी साँस नहीं है ।
कोई अपना खास नहीं है ।
अपनों से भी आस नहीं है ।

प्यासा हूँ पर प्यास नहीं है ।
जिंदा हूँ आभास नहीं है ।
नफ़रत की इस दुनिया में
मैं भी हूँ एहसास नहीं है ।
कोई अपना खास नहीं है ।
अपनों से भी आस नहीं है ।

कोई प्रियतमा पास नहीं है ।
जीवन में अब रास नहीं है ।
उम्मीदों के इस पतझड़ में
बनने को देवदास नहीं है ।
   कोई अपना खास नहीं है ।
     अपनों से भी आस नहीं है ।

दुनिया पर विश्वास नहीं है ।
मन में हास परिहास नहीं है ।
लिखी सबने अपनी गाथा
मेरा कोई इतिहास नहीं है ।
     कोई अपना खास नहीं है ।
     अपनों से भी आस नहीं है ।

मेरा मन निराश नहीं है ।
बगिया में सुवास नहीं है ।
धन्ना सेठ बन नहीं पाया
मेरा कोई दास नहीं है ।
     कोई अपना खास नहीं है ।
     अपनों से भी आस नहीं है ।

जिंदादिली अब लाश नहीं है ।
मंज़िल तिनका घास नहीं है ।
मानवता का हूँ मैं रक्षक
पल में मेरा नाश नहीं है ।
     कोई अपना खास नहीं है ।
     अपनों से भी आस नहीं है ।

लुटने को कुछ खास नहीं है ।
'बेबस' तनिक उदास नहीं है ।
दिया दान में सब कुछ अपना
नफ़रत भी अब पास नहीं है ।
     कोई अपना खास नहीं है ।
     अपनों से भी आस नहीं है ।

"""""""""""""""""""""""""""""""""
जनवादी कवि -©️®️🙏🏾
एम•एस•अंसारी "बेबस"
ग्राम  - चरौवाँ
तहसील  - बिल्थरा रोड
बलिया उ•प्र•



बुधवार, 4 अक्टूबर 2023

बीता बहारों का मौसम तो क्या पतझड़ में हम गाएंगे- बीना राय गाज़ीपुर उत्तर प्रदेश

बीता बहारों का
मौसम तो क्या
पतझड़ में हम गाएंगे
अंधियारों में किस्मत के
अनुभव के दीप जलाएंगे
अब क्या चहकना
अब क्या बहकना
जज़्बातों में अब
क्या लुढ़कना
सांसों की सूरज
ढलने से पहले
दुनिया में में छा जाएंगे।
अंधियारों में किस्मत के
अनुभव के दीप जलाएंगे।

स्वरचित कविता से

बीना राय
गाज़ीपुर, उत्तर प्रदेश


निराशा कहीं छुप कर मुंह छुपाता होगा हे विप्र कुमार,तेरा दरश में ऐसी शक्ति है- राजेश कुमार सिंह श्रेयस

जी हां नमस्ते..
आप जो यह वीडियो देख रहे हैं इसमें ये दो युवा जो पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी की कविता का सस्वर पाठ कर रहे हैं,ये है जनपद गाजीपुर के लव तिवारी और कुश तिवारी हैं l

मस्कुलर डिस्ट्रॉफी जैसे गंभीर रोग से पीड़ित इन दोनों युवा सहोदर भाइयों के हौसले की बात करें, तो इनके हौसले चट्टान से भी मजबूत है l
इनका आत्मबल की आवाज इनके संगीत में सुना सकता है, और इनका आत्मबल इनके ज्ञान में झलकता है, इनकी बौद्धिकता में झलकता है l अपने मृदुल व्यवहार और सामजिक परोपकार भाव से अपनी पहचान बनाने वाले ये दोनों भाई,किसी पहचान के मोहताज नहीं है l शारीरिक विकलांगता ने कभी इन्हें विकल नहीं किया, बल्कि ये दोनों भाई आगे चलते रहे और इनका आत्मबल के पीछे दौड़ते हुए यह बोलता रहा है कि हम तुम्हारा साथ कभी नहीं छोड़ने वाले l ईश्वर के प्रति गहरी आस्था रखने वाले,इन होनहारो के अंदर सम्मान देने और सम्मान पाने जैसे दोनों ही उच्च मानवीय गुण विद्यमान है l

इनकी संगीतमय युगल प्रस्तुति,न सिर्फ इन्हें शक्ति प्रदान करती है, बल्कि इनकी बातें उन लोगों में भी ओज और आशा के किरण को संचरित कर रही होती , जो मस्कुलर ट्रॉफी जैसी गंभीर बीमारी से निराशाग्रस्त हो, मानसिक पीड़ा से ग्रसित हो रहे होंगे  l लव और कुश दोनों भाइयों की मैं बात करूं तो इनकी ओज भरी बातें, उन लोगों को भी संबल प्रदान करने की ताकत रखती है, जिनके अंग प्रत्यंग स्वस्थ है फिर भी वह निराशा और अवसाद में इस प्रकार डूबे हुए होते हैं, मानों वे वास्तविक विकलांग हो  l मानव शरीर इतना क्षणभंगुर है, इतना कमजोर है, जिसकी व्याख्या नहीं की जा सकती है  l इसे तो बस इसी प्रकार समझा जा सकता है कि किसी भी व्यक्ति को यह पता नहीं कि उसकी अगली सांस उसकी है या नहीं l फिर नैराश्य का भाव किस बात का l अटल जी की कविता आओ फिर से दीया जलाएं, लव कुश के मुंह से निकले हुए इस गीत के स्वर, निराशा से भरे हुए जीवन में,  न सिर्फ आशा का संचार करते हैं, बल्कि जीवन के सर्वोच्च लक्ष्य को प्राप्त करने की शक्ति और सामर्थ प्रदान करते है l महाराज गांधि की नगरी गाजीपुर के युवराजपुर मैं जन्मे इन युगल ज्योति का दिव्य प्रकाश, आज साहित्य, संगीत,  कला और ज्ञान जगत में अपनी प्रभा विखेर रहा है l
तो इनके लिये मेरी दो पंक्तियाँ कि....
  तुम्हें देखकर हौसले  का भी हौसला बढ़ जाता होगा l

 निराशा कहीं छुप कर,मुंह छुपाता होगा ll
 हे विप्र कुमार,तेरा दरश में ऐसी शक्ति है,
 कि संगीत भी छुपकर,तुम्हारा ही गीत गाता होगा ll
          राजेश कुमार सिंह श्रेयस
     लखनऊ / बलिया


पितृपक्ष है पक्ष एक ऐसा महता इसकी भारी- साधना शाही वाराणसी

पितृपक्ष (कविता)

पितृपक्ष है पक्ष एक ऐसा,
महता इसकी भारी।
16 दिन समर्पित पितरों को,
चाहे नर हों या नारी।

भाद्र पूर्णिमा से आरंभ यह होता ,
क्वार अमावस जाता।
इस पक्ष में पूज लो पूर्वज,
आत्म शांति हो जाता।

पूर्णिमा जो बैकुंठ सिधारे,
भादो पूर्णिमा आग़ाज़ करें।
जिस तिथि परिजन स्वर्ग सिधारें,
उस तिथि उनका श्राद्ध करें।

विस्मित हो गया तिथि यदि तो,
आश्विन अमावस्या तर्पण कर लें।
तरह-तरह के स्वादिष्ट व्यंजन,
पूर्वज को अपने अर्पण कर लें।

सभी का तर्पण इस दिन होता ,
सर्वपितृ अमावस्या
कहलाता ।
देवों सम पूर्वज हैं हमारे,
उनको इस दिन पूजा जाता।

अकाल मृत्यु यदि हुई किसी की,
चतुर्दशी तिथि श्राद्ध करो तुम।
मोक्ष प्राप्ति की जिसको इच्छा,
श्रद्धा -भक्ति से काज करो तुम।

अति पावन अवसर यह होता,
पित्तृ धरा पर विचरण को आते।
तर्पण से वो तृप्त जो होते,
परिजन को आशीष दे जाते।

पितृ प्रसन्न यदि रहते तो,
घर में सुख-समृद्धि है रहती।
रुष्ट यदि ये हमसे हो गए,
आई खुशियाँ भी हैं छिनतीं।

पितृ श्राद्ध करिए अष्टमी को,
माता का नवमी को करिए।
छप्पन भोजन काग खिलाकर,
दुख- बाधा अपनी ले हरिए।

पूर्वज प्रसन्न श्राद्ध से होते,
देवी- देवता होते पूर्वज से।
श्राद्ध पक्ष ऐसा इक पक्ष है,
यम जीवों को मुक्ति देते।

यम से मुक्त हो धरा पर आकर,
परिजन से वो तर्पण लेते।
खुशी-खुशी फिर स्वर्ग को जाते ,
आशीषों से झोली भर देते।।

साधना शाही, वाराणसी