संसद उद्घाटन
लोकतंत्र की आड़ है लेकर ,
लूट तंत्र है जिन्हें बचाना ,
नयनों में तो शर्म नहीं है,
फिर समाज में क्या शर्माना ।।
देश जिन्हें तो भूल रहा है ,
कर न सके ऐतिहासिक काम,
संसद उद्घाटन दिया है मौका ,
संसद विरोध में चमके नाम ,
चौबीस खातिर विरोध शुरू है ,
विपक्ष को भी उन्हें जुटाना ,
लोकतंत्र की आड़ है लेकर ,
लूटतंत्र है जिन्हें बचाना ।।
सत्तर सालों में किए हैं कितना,
देशद्रोह का दिखता कांटा,
आतंकवाद ही फूला फला है ,
भारत मां के मुंह पर चांटा ,
डांट सके ना उग्रवादी को ,
छिप न सका बेशर्म बहाना ,
लोकतंत्र की आड़ है लेकर,
लूटतंत्र है जिन्हें बचाना ।।
शौर सेना को पचा न पाए ,
संसद भवन बचेगा कैसे ,
कौन उद्घाटन करेगा इसका ?
तूल देते हो खुल के ऐसे,
तुम बनाकर उद्घाटन कर लेते ,
नहीं है पड़ता आज लजाना ,
लोकतंत्र की आड़ है लेकर ,
लूट तंत्र है जिन्हें बचाना ।।
इ डी पर तो प्रश्न उठाते ,
प्रश्न उठाना है अधिकार ,
सीबीआई का विरोध हो करते ,
कहीं न कहीं है नोट भरमार ,
उस समय क्यों पहनी चूड़ी ?
पड़े थे सत्ता नहीं निशाना ,
लोकतंत्र की आड़ है लेकर
लूट तंत्र है जिन्हें बचाना ।।
जांच अभिकरण बंद किए थे,
दिल में तेरे पड़ा था डर ,
तुम भेजोगे नेता विरोध को ,
वे भी भेजेंगे तेरे घर ,
इससे अच्छा मौन ही रहना,
नहीं है फसना नहीं फसाना ,
आज विरोध में खड़े हैं जितने,
लूट तंत्र को तुम्हें बचाना ,।।
जिस प्रदेश में तुम हो सत्ता,
क्यों नहीं करवाते जांच ?
किस बात की डर वहां पर ,
जल जाओगे तुम भी आंच,
डर फसने की स्वयं सताये,
जनता को ही बेवकूफ बनाना,
लोकतंत्र की आड़ है लेकर ,
लूट तंत्र को तुम्हें बचाना।।
कन्हैयालाल
शिक्षक
जनता उच्चतर माध्यमिक विद्यालय जंगीपुर गाज़ीपुर
बहुत-बहुत धन्यवाद
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