शुक्रवार, 6 अक्तूबर 2023

कोई अपना खास नहीं है अपनों से भी आस नहीं है जनवादी कवि एम•एस•अंसारी बेबस

मेरा कोई इतिहास नहीं है !
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कोई अपना खास नहीं है ।
अपनों से भी आस नहीं है ।
बिखरे हुए इस तन मन में
पलभर की भी साँस नहीं है ।
कोई अपना खास नहीं है ।
अपनों से भी आस नहीं है ।

प्यासा हूँ पर प्यास नहीं है ।
जिंदा हूँ आभास नहीं है ।
नफ़रत की इस दुनिया में
मैं भी हूँ एहसास नहीं है ।
कोई अपना खास नहीं है ।
अपनों से भी आस नहीं है ।

कोई प्रियतमा पास नहीं है ।
जीवन में अब रास नहीं है ।
उम्मीदों के इस पतझड़ में
बनने को देवदास नहीं है ।
   कोई अपना खास नहीं है ।
     अपनों से भी आस नहीं है ।

दुनिया पर विश्वास नहीं है ।
मन में हास परिहास नहीं है ।
लिखी सबने अपनी गाथा
मेरा कोई इतिहास नहीं है ।
     कोई अपना खास नहीं है ।
     अपनों से भी आस नहीं है ।

मेरा मन निराश नहीं है ।
बगिया में सुवास नहीं है ।
धन्ना सेठ बन नहीं पाया
मेरा कोई दास नहीं है ।
     कोई अपना खास नहीं है ।
     अपनों से भी आस नहीं है ।

जिंदादिली अब लाश नहीं है ।
मंज़िल तिनका घास नहीं है ।
मानवता का हूँ मैं रक्षक
पल में मेरा नाश नहीं है ।
     कोई अपना खास नहीं है ।
     अपनों से भी आस नहीं है ।

लुटने को कुछ खास नहीं है ।
'बेबस' तनिक उदास नहीं है ।
दिया दान में सब कुछ अपना
नफ़रत भी अब पास नहीं है ।
     कोई अपना खास नहीं है ।
     अपनों से भी आस नहीं है ।

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जनवादी कवि -©️®️🙏🏾
एम•एस•अंसारी "बेबस"
ग्राम  - चरौवाँ
तहसील  - बिल्थरा रोड
बलिया उ•प्र•



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