लागल माई के कचहरी दुःख सुना ल भाई जी
दर्शन पाके आपन मनवा जुड़ाल भाई जी
पहीले दिनवा शैलपुत्री के कलिह दर्शनवा
दूसरे दिनवा ब्रम्हचारणी के सज गइले असनवा-२
प्रथमे शैलपुत्री च द्वितीय ब्रम्हचारणी
तीसरे दिनवा चन्द्रघण्टा के रूप अलौकिक सोही
चौथे कुष्मांडा माई धरती अम्बर मोही
माई लगे आके बिगड़ी बना ल भाई जी
लागल माई के कचहरी दुःख सुना ल भाई जी-२
जय सकन्द मात पचवें दिन बोले सकल जहनवां
छःठवे दिन कात्यायनी माई के करे सब पूजनवा-२
एक बार प्रेम से बोलिये कात्यायनी मैया की जय
सातवे दिन माँ कालरात्रि बन सिंह चढ़ल माई अइहें
महा गौरी माई आठवें दिन दुष्टदलन हित आइहे
आके नारियल आ चुनरी चढ़ाल भाई जी-२
दर्शन पाके आपन मनवा जुड़ाल भाई जी-२
लागल माई के कचहरी दुःख सुना ल भाई जी
दर्शन पाके आपन मनवा जुड़ाल भाई जी
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