सोमवार, 9 अक्टूबर 2023

बहुत कठिन बाटे वन की डगरिया रुक जईती ए सिया अवध नगरिया- रचना पंडित अजय त्रिपाठी गीतकार संगीतकार वाराणसी उत्तर प्रदेश

अवध के छोड़ के प्रभु चल दिहली बन में, 
पीछे लक्ष्मण भाई
अरे बिलखी बिलखी के कह सिया सुकुमारी
जग में होत बा हसाई

सुन ल ए रघुराई
सुखवा के रतिया संग में बितवनी
दुःख ओ में हथवा बटाईब

बहुत कठिन बाटे वन की डगरिया
रुक जईती ए सिया अवध नगरिया

बाबू जी के बात मनिह आदर दिह माई के
रखीह ध्यान तनी छोटकन भाई के-२
रहिह कौशल्या माता केकई के कगरिया 
रुक जईती ए सिया अवध नगरिया

बहुत कठिन बाटे वन की डगरिया
रुक जईती ए सिया अवध नगरिया

सही नाही पईबु धनी धूप बरसात के
लाग जाई ठार तोहके पुष वाली रात के-२
बन में मिली नाही महल अटरिया 
रुक जईती ए सिया अवध नगरिया

बहुत कठिन बाटे वन की डगरिया
रुक जईती ए सिया अवध नगरिया

रचना पंडित अजय त्रिपाठी गीतकार संगीतकार वाराणसी उत्तर प्रदेश



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