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आदिपुरुष: फिल्म देखनी है या नहीं ? अगर देखनी है तो क्यों देखनी है- श्री माधव कृष्ण ~ Lav Tiwari ( लव तिवारी )

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बुधवार, 14 जून 2023

आदिपुरुष: फिल्म देखनी है या नहीं ? अगर देखनी है तो क्यों देखनी है- श्री माधव कृष्ण

आदिपुरुष: फिल्म देखनी है या नहीं?

प्रभास अभिनीत आदिपुरुष रिलीज़ होने वाली है. इस पर कुछ विवाद भी हो रहे हैं, कुछ प्रतिक्रियाएं भी आ रही हैं, कुछ लोग बहिष्कार करने की घोषणा कर चुके हैं और कुछ लोग इस फिल्म को न देखने के कारणों पर चर्चा कर रहे हैं.

पहले निष्कर्ष: यह फिल्म देखनी चाहिए क्योंकिं इस फिल्म में आदिपुरुष भगवान् श्रीराम अपने उदात्त चरित्र और मानवीय मूल्यों के साथ वैश्विक स्तर पर बड़े पर्दे पर उपस्थित होंगे.

अब कारण:
अनेक लोग कुछ समय पहले इस बात पर दुःख व्यक्त कर रहे थे कि फिल्मों में हिन्दुओं और हिन्दू धर्म को विकृत करके दिखाया जाता है. अब उन्हें आपत्ति क्यों जब भारत के महानायक का महिमामंडन किया जा रहा है! इतने बड़े स्केल पर.

एक धर्मचार्य ने कहा कि भगवान् राम और लक्ष्मण को दाढ़ी और मूंछों के साथ दिखाया जाना गलत है. धर्माचार्य साहब के धर्म की समझ पर मुझे संदेह है. भगवान अपने भक्तों के सामने उसके इष्ट रूप में प्रकट होते हैं. भयाक्रांत प्रहलाद के समक्ष वह संसार का विनाश कर देने वाले नृसिंह के रूप में प्रकट होते हैं. यदि एक भक्त उन्हें दाढ़ी मूंछों के साथ देखना चाहता है तो क्या समस्या है? वह तो बंदर, सिंह, वराह और बौने के रूप में भी प्रकट होते हैं.

किसी ने कहा कि इतिहास को इतिहास की तरह दिखाया जाना चाहिए. नवीन तकनीकी जैसे vfx का प्रयोग कर इस फिल्म को कार्टून और अविश्वसनीय बना दिया गया है. मैं तो कहता हूँ कि भगवान् श्री राम और हनुमान जी जैसे सभी रामायण के नायकों के जीवन मूल्य अविश्वसनीय हैं.

हर प्रकार की नवीन तकनीकी का प्रयोग कर आज भगवान् श्रीराम की कथा को और नए तरीके से दिखाना और सुनाना चाहिए जिससे कि आधुनिक पीढ़ी आनन्द के साथ उस कथा और लीला को ग्रहण करे.

एक विवाद जुड़ गया फिल्म के निर्देशक द्वारा माँ सीता की भूमिका निभा रही अभिनेत्री कृति सेनन को गले लगाना और पाश्चात्य तरीके से गाल पर हल्का विदाई चुम्बन देना. अब इस पर भी यदि बहस करनी पड़े, तो लानत है लोगों की बुद्धि पर. अभिनेत्री का कार्य है एक भूमिका निभाना, और आप उससे आशा करेंगे कि वह आजीवन माँ सीता बनकर रहे, तो आप इस धरती पर निश्चित ही बोझ हैं.

इस फिल्म को देखना इसलिए भी जरूरी है ताकि ऐसी फ़िल्में बनती रहें. पृथ्वीराज चौहान बनाने वाले डॉ चन्द्र प्रकाश द्विवेदी का फिल्म के फ्लॉप होने पर हताशा दुखद थी. यदि यह फिल्म भी फ्लॉप हो जाए तो आप सभी सेक्स, कॉमेडी, आतंकियों माफियाओं व आक्रमणकारियों को महिमामंडित तथा भारतीय मूल्यों को विकृत करने वाली फ़िल्में देखने के लिए ही बने हैं.

कुल मिलाकर, आदिपुरुष से जुड़े सभी दुराग्रहों और दुराशाओं को त्यागकर रामायण की कहानी को सिनेमाघरों में बड़ी संख्या में सपरिवार जाकर देखिये, और हाँ! ये बात-बात पर बहिष्कार करना छोड़ दीजिये. शोभा नहीं देता शास्त्रार्थ की भूमि भारत पर ऐसा बचकानापन.

माधव कृष्ण
१४.६.२३
वृन्दावन