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हमारे देश के महान वैज्ञानिक मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के इलाज के लिए दूसरों देशों पर निर्भर नहीं रह सकते- लव तिवारी ~ Lav Tiwari ( लव तिवारी )

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शुक्रवार, 12 मार्च 2021

हमारे देश के महान वैज्ञानिक मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के इलाज के लिए दूसरों देशों पर निर्भर नहीं रह सकते- लव तिवारी

Subject :: Muscular dystrophy

मस्कुलर डिस्ट्रॉफी एक अनुवांशिक बीमारी है , परंतु आनुवंशिक करण ना होने पर भी हो सकती है ,

एक परिवार में दो तीन या चार पीड़ित भी हो सकते हैं मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से बच्चे और युवा दोनों पीड़ित है , बच्चों में यह बीमारी बचपन में 2-3 या 5 साल से और युवाओं में 15 - 16 या 20 वर्ष की उम्र में शुरू होती है और बहुत तेजी से पूरे शरीर की मांसपेशियां काम करना बंद कर देती हैं । पीड़ित इस प्रकार दूसरों पर निर्भर हो जाता है कि वह अपने आप हिल - डुल भी नहीं सकता , खाना नहीं खा सकता , पानी नहीं पी सकता , मच्छर नहीं उड़ा सकता , शरीर में कहीं भी खुजली हो तो खुजा नहीं सकता , रोगी बहुत कम आयु में ही बिस्तर पर पहुंच जाता है और कुछ ही समय में पीड़ित की मृत्यु हो जाती है , अगर बीमारी बचपन में शुरू होती है तो पीड़ित मुश्किल से 10 - 12 या 18 साल तक जी पाता है , और अगर युवावस्था में शुरू हो तो पीड़ित 32-35 या 40 साल तक जी सकता है ,

मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के शुरुआती लक्षण निम्न हैं ।।

शुरुआत में पीड़ित एड़ीयों पर चलना शुरू करता है , चलते चलते गिर जाना , घुटनों पर हाथ रखकर उठना , पेट का अत्यधिक आगे निकल आना , रीढ़ की हड्डी का मुड़ना , हाथ - पैर लगातार पतले होते जाना , लगातार तीव्र गति से पूरे शरीर की मांसपेशियों का कमजोर होना , सांस लेने में परेशानी होना , बीमारी से पीड़ित व्यक्ति जिंदा लाश के समान होता है ।

अपने आप सभी सामान्य कार्य जैसे- शौचालय , पेशाब , स्नान , कपड़े पहनना , लेटना , उठना - बैठना , आदि भी करने में सक्षम नहीं होता है , मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पीड़ित सभी कार्यों के लिए दूसरों पर निर्भर होता है ,

मस्कुलर डिस्ट्रॉफी कई प्रकार की होती है , कुछ मुख्य प्रकार निम्न हैं ,

DMD - Duchene Muscular Dystrophy
BMD - Becker Muscular Dystrophy
LGMD - Limb Girdle Muscular Dystrophy
FSHD - Facioscapulohumeral Muscular Dystrophy

मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के सभी टाईप जानलेवा है प्रतिदिन पीड़ित जान गंवा रहे हैं ,

मस्कुलर डिस्ट्रॉफी एक बेहद गंभीर , भयानक एवं जटिल बीमारी है , मस्कुलर डिस्ट्रॉफी वर्तमान समय में भारत एवं उत्तर प्रदेश में बड़ी महामारी के रूप में विकसित हो रही है , ध्यान रहे यह एक आनुवंशिक बीमारी है , इसलिए यह पीढ़ी दर पीढ़ी चलती रहती है , कई परिवारों में तीन - तीन , चार - चार पीड़ित हो जाते हैं , इस गंभीर बीमारी के कारण परिवार बर्बाद हो चुके हैं , घर और जमीन भी बिकने के कगार पर है , पीड़ित एवं उनके परिवार मानसिक प्रताड़ना से गुजर रहे हैं ,

अमेरिका में मस्कुलर डिस्ट्रॉफी का इलाज Exon Skipping द्वारा हो रहा है , Pfizer की Gene therapy 3rd Phase में चल रही है , जीन थेरेपी से इसका पूरा इलाज होगा , Pfizer की Gene therapy के 2021 में होने की पूरी संभावना है ,

अमेरिका के अलावा जापान , कनाडा , आस्ट्रेलिया , इंग्लैंड अथवा कुछ अन्य देशों में इस बीमारी का इलाज जीन थेरेपी से करने की कोशिश कर रहे हैं तथा इस पर बहुत तेजी से काम कर रहे हैं , Pfizer के अलावा भी दुनिया की कई कंपनियां Clinical trials और Human Trials कर रही है , जल्द हम इसका पूरा इलाज आने की उम्मीद कर रहे हैं , परंतु भारत में मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के लिए अभी तक कोई बड़ी रिसर्च नहीं हो रही हैं ,

मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पीड़ितों के इलाज ( जीन थेरेपी या अन्य कोई भी इलाज ) के लिए तीव्र गति से प्रयास किया जाना चाहिए तथा सरकार द्वारा सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि अब मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पीड़ितों को इलाज के अभाव में अपना जीवन गंवाना नहीं पड़ेगा

केन्द्र सरकार और राज्य सरकार को मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पीड़ितों के बचाव तथा इलाज के लिए निम्न कार्य करने चाहिए

1. देश और प्रदेश के सभी अस्पतालों में मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पीड़ितों के सभी टेस्ट फ्री किए जाए , क्योंकि इसके टेस्ट बहुत महंगे होते हैं ,

2. माँ के गर्भ में ही मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के टेस्ट किए जाएं जिससे भविष्य में किसी भी बच्चे को मस्कुलर डिस्ट्रॉफी जैसी गंभीर बीमारी से ना जूझना पड़े ,

3. इस बीमारी के लिए जागरूकता बहुत जरूरी है जानकारी के अभाव में भी बहुत से पीड़ित बहुत जल्दी जान गंवा रहे हैं , इसलिए केन्द्र सरकार और प्रदेश सरकार संयुक्त रूप से इसके लिए अभियान चलाएं ,

4. जिस रफ्तार के साथ कोरोना वैक्सीन पर काम किया गया है उतनी रफ्तार के साथ मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के इलाज के लिए काम किया जाए , जिससे सभी पीड़ितों को इस गंभीर बीमारी से हमेशा के लिए राहत और छटकारा मिल सकें .

5. हमारे देश के वैज्ञानिक दुनिया में नेतृत्व कर रहे हैं इसलिए हम मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के इलाज के लिए दूसरों देशों पर निर्भर नहीं रह सकते , चूंकि केन्द्र और राज्य सरकार आत्मनिर्भर बनाने पर जोर दे रही हैं इसलिए हमें भी आत्मनिर्भर बनना चाहिए ,