शनिवार, 31 अक्तूबर 2020

आये है सो जायेगे राजा रंक फ़क़ीर। एक सिंहासन चढ़ चले एक बने जंजीर- कबीर दास

आये है सो जायेगे राजा रंक फ़क़ीर।
एक सिंहासन चढ़ चले एक बने जंजीर।।

जब कोई इंसान की मृत्यु अथवा इस दुनिया से विदा होकर जाता है तो उसके कपड़े,उसका बिस्तर,उसके द्वारा इस्तेमाल किया हुआ सभी सामान उसी के साथ तुरन्त घर से निकाल दिया जाता है,या फिर उस वस्तु को अग्नि देने वाला डोम के हाथों में सौप दिया जाता है। क्यूं .?

पर कभी कोई उसके द्वारा कमाया गया धन-दौलत. प्रोपर्टी,उसका घर,उसका पैसा,उसके जवाहरात आदि,इन सबको क्यों नही छोड़ता है यहां तक मृतक के शरीर मे उस समय पहने सोने के आभूषण भी उनके सगे सम्बन्धियो द्वारा निकाल लिए जाते है ?

बल्कि उन चीजों को तो ढूंढते है,मरे हुए व्यक्ति के हाथ,पैर,गले से खोज-खोजकर,खींच-खींचकर निकालकर चुपके से जेब मे डाल लेते है,वसीयत की तो मरने वाले से कहीं ज्यादा चिंता करते है ।।

इससे पता चलता है कि आखिर रिश्ता किन चीजों से था ।।
ये सब किसके लिए करता रहा साथ में ले जाने के लिए..!!

दो दिन का जग में मेला चला चली का खेला
कोई चला गया कोई जाए कोई गठरी बाध सिधारे
कोई चला तैयार अकेला चला चली का खेला

मात पिता सब बन्धु भाई अंत सभी का होए
फिर क्यों भरता पाप का ठेला
चला चली का खेला

इस भजन को आप जरूर सुने।।

इसलिए पुण्य परोपकार और नाम की कमाई करो ।।
इसे कोई ले नही सकता,और न ही चुरा सकता है ।।
ये कमाई तो ऐसी है,जो जाने वाले के साथ ही जाती है ।।

किसी के मरने पर लोगों की प्रतिक्रिया क्या होगी ये
उसके जीवित रहते हुए किए गए कर्म पर निर्भर है ।।



गुरुवार, 29 अक्तूबर 2020

चंद मुसलमान गद्दार है इस मुल्क में आज भी। और सरकार केवल वोट में असर दिखता है- लव तिवारी

हर शख्स केवल अपनी खबर देखता है।
हिन्दू परेशान केवल अपनी शजर दिखता है।

कितनी कुर्बान हुई बेगुनाह बहन बेटी अबतक।
नादान को केवल अपने घर की तरफ दिखता है।।

चंद मुसलमान गद्दार है इस मुल्क में आज भी।
और सरकार को केवल वोट में असर दिखता है।।

बर्बाद देश मे हर तरफ है आतंक का है माहौल।
मूर्ख इंसान को केवल हाथरस में मंजर दिखताहै।।

मैं चाहता हूँ, तुम हम और सब एक हो इस समय।।
हिन्दू में बस ब्राम्हण क्षत्रिय वैश्य शुद्र में भेद दिखता है।।

बचपन से हमेशा टॉपर रही निकिता अफसर बन देश की सेवा करना चाहती थी लेकिन दिनदहाड़े उसको गोली मार दी गयी, अभी परसों ही हमने रावण को जला कर बुराई पर अच्छाई के जीत का जश्न मनाया है अब आवश्यकता है समाज के इन रावणों का अंत करने का जो देश की बेटियों पर बुरी नजर डालते हैं तभी निकिता को न्याय मिल सकता है।जिसने हमारी बहन को मारा उसे भी मरना होगा तभी न्याय होगा !

रचना- #लव_तिवारी
#JusticeForNikita



बुधवार, 28 अक्तूबर 2020

बनाइब साधन रोजगार के गौवआ में परधानी के भोजपुरी रचना प्रधान चुनाव युवराजपुर ग़ाज़ीपुर।

बनाइब साधन रोजगार के
गौवआ में परधानी के।
घूमत रहब जिला जवार
औरी राजधानी के।
करब कल्याण तोहरो भैया
दुखवा दूर भगाइब्,
बनी पैखाना तोहरो दुआरा
ललका काडॅ दियाऐब्
समझब आपन, तोहरो छोट मोट परेशानी के। 
बनाइब साधन रोजगार के गौवआ में परधानी के।

आवेदा परधानी निअरा
यसन् चौपाल लगाइब
दारू, मुर्गा चली जो यसन्
सब कुछ रउआ भुलाइब
गिरत, ढहत् देखब सपना, अपना रंगीन जवानी के।
बनाइब साधन रोजगार के गौवआ में परधानी के।

ग्राम सभा के बाचल रकबा,
अपने नाम कराइब
तोहरा खातिर तोड़ब तारा,
अस सपना देखाइब्,
कि जीते मगरुआ जलदी , लगाबा पूजे भवानी के।
बनाइब साधन रोजगार के गौवआ में परधानी के।

झारब कुर्ता खादी के,
चूड़ीदार पैंजामा सिलवाइब,
झारन झुरन गौवआ के,
अपने करोड़ कमाइब,
देब कमीशन अधिकारी के, कि माफ करे शैतानी के।
बनाइब साधन रोजगार के गौवआ में परधानी के।

नाली, खडेनज़ा कागज मे,
खाली दस्कत् करवाइब्,
छोटो मोटो कमवा के,
लाखों के बजट बनाइब,
लड़ब मुकदमा भलही, दिवानी और फौजदारी के।
बनाइब साधन रोजगार के, गौवआ में परधानी के।


शनिवार, 24 अक्तूबर 2020

अवैध एवं डूब क्षेत्र के साथ शम्म-ए-हुसैनी हॉस्पिटल ही कोरोना काल में मरीज़ों के लिए एक मात्र सहारा था - लव तिवारी

आज शम्म-ए-हुसैनी टूट रही! सैकड़ों परिवारों की आजीविका के रास्ते बंद हो रहे! क्षेत्र के एक बड़े तबके की आस टूट रही जो जिला अस्पताल की दुर्दशा के बीच इलाज के लिए यहां आया करता था! नर्सिंग कोर्स कर रहीं पैरा-मेडिकल की छात्राओं की पैरों तले जमीन ही खिसक गई!

कोरोना महामारी खासकर लॉकडाउन के दौरान जब पूरे जनपद में नामी-गिरामी डॉक्टरों या हॉस्पिटलों ने मरीजों को देखने से मना कर दिया तो यही हॉस्पिटल सहारा था! अब ये हॉस्पिटल टूट रहा है और कल तक पूरी तरह नामो-निशान मिट जाएगा!

आज़म क़ादरी साहब का हॉस्पिटल था! समाज का एक छोटा तबका खुश भी दिखेगा शायद! लेकिन सवाल है कि यह नौबत ही क्यों आयी?

यह भी सही है कि अवैध को जायज नहीं ठहराया जा सकता! लोगों को पता चलना चाहिए कि अवैध कर्मों का परिणाम हमेशा सुखद नहीं होता! उस समय के अधिकारियों की भी जवाबदेही यहां से ट्रांसफर होने भर से खत्म नहीं होनी चाहिए! संलिप्तता तो सबकी रही होगी... प्रशासन से लेकर नेताओं और खुद सरकार की।

इस संदर्भ में मैं एक बात रख रहा हूँ अगर मैं गलत हूँ तो आप हमें जरूर बतायें पिछले कुछ वर्षों से मैं नोइडा और एनसीआर का निवासी हुँ वहाँ दो नदियों का समावेश है। एक तो बड़ी नदी यमुना जो दिल्ली वासियो की नरक और कचड़े को अपने मे समाहित करती है। तो दूसरी हिंडन जो नॉएडा और ग्रेटर नोएडा के क्षेत्र के अपशिष्ठ पदार्थ, कारखानों से निकले केमीकल युक्त पानी कचड़े को अपने अंदर वहन करती है। उस क्षेत्र में भी प्राइवेट और लोकल बिल्डर उनके आस पास की जमीनों पर कब्जा और प्लॉटिंग करते है और समय समय पर सरकार उन्हें दिशा निर्देश देती है कि वो जगह डूब क्षेत्र या फ्लड जोन के अंतर्गत आता है। यही कारण है कि उस स्थान पर बने आवास या जमीन के लिये कोई भी राष्ट्रीय बैंक लोन भी नही करता, जिस जमीन को सरकार, बैंक तथा लोग गैर कानूनी कह सकता है। वो कानूनी कैसी हो सकती है। हा अगर आप की बात यह है कि पिछली सरकार ने कुछ नही करती तो वो सरकार और उसके राजनेता भृष्ट थे। और नदी और नाले के समीप की जमीनें अगर दिल्ली एनसीआर में गैर कानूनी हो सकती है तो यहां ग़ाज़ीपुर में क्यों नही।।

अगर वाक़ई गलती और गैर कानूनी होने की वजह से ध्वस्त किया गया है तो आने वाले नए पीढ़ी को इस बात से सबक मिलेगी की गलत तो गलत है अगर राजनीति लाभ के वजह से कुछ किया गया है तो वाकई में ये घटना बहुत दुःखद और निन्दनीय है।।

एक बात और आप इतने बड़े हॉस्पिटल का निर्माण कर सकते है। करोड़ो रूपये इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश कर सकते है। उसी निवेश का कुछ भाग तो आप सही और कानूनी जमीन खरीद कर उस पर ये निर्माण करा सकते है जिससे आप सरकार की नजर में 100% सही और अपने को उचित दर्शाते।।

हां अभी सरकार से एक दरख्वास्त भी है कि कम से कम जिला अस्पताल में पर्याप्त डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ की नियुक्ति भी करें। और इस व्यवस्था को जल्द से जल्द पूरा करे इसके साथ पैथालॉजी को दुरुस्त करें! ताकि लोगों को प्राईवेट हॉस्पिटल जाने की जरूरत न पड़े। जनपद में गवर्नमेंट पैरा-मेडिकल कॉलेज खोले ताकि खासकर लड़कियों को एक सुरक्षित भविष्य के लिए रास्तें खुलें!

इस हॉस्पिटल के टूटने के बाद सरकार को अपनी पीठ थपथपाने के बजाय अपनी बढ़ी हुई जिम्मेदारी निभाने की जरूरत पड़ेगी! क्यो की समाज का हर वर्ग का व्यक्ति अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में पढ़ना तो चाहता है। लेकिन अपने घर के किसी भी सदस्य का इलाज सरकारी अस्पताल में ही करना चाहता है।

लेखक- लव तिवारी
समाजसेवी ग़ाज़ीपुर उत्तर प्रदेश









छुट्टा पशुओं से परेशान रात में लाठी डंडा एवं टॉर्च लेकर अपने खेत की रखवाली करता है किसान - लव तिवारी

आज मैं अपने मित्र से मिलने गया था मिलकर आते समय बरही राजापुर भड़सर जो एनएच 29 पर स्थित है मैंने देखा कि छुट्टा पशुओं का झुंड इकट्ठा है पशुओं के झुंड में अच्छी अच्छी गाय बछिया एवं बछड़े थे झुंड के अंदर अधमरा कमजोर सड़क के किनारे एक गाय एक छोटी बछिया एवं एक बछड़ा जो बड़े कद का था उसका आगे का पैर कटा हुआ था पैर से रक्त निकल रहा था एक छोटे बछड़ा का आंख के ऊपर चोट लगी थी देखने में लग रहा था कि कोई इसको लाठी से मार दिया हो यह सब दृश्य देखकर बहुत ही दुःखी हुआ मैं मुख्यमंत्री माननीय श्री योगी आदित्यनाथ जी से निवेदन करता हूं कि ब्लॉक तहसील जिला स्तर पर जो गो आश्रय बना है उसकी मॉनिटरिंग एक ईमानदार छवि वाले अफसर से कराएं आप से एक और अनुरोध करता हूं कि इन घुमक्कड़ जानवरों से हम किसान बहुत ही परेशान हैं। जिसका हम व्याख्या नहीं कर सकते किसान दिन में अपने खेतों में काम करता है और रात में लाठी डंडा  एवं टॉर्च लेकर अपने खेत की रखवाली करता है जिसके चलते 24 घंटा जागना पड़ता है कुछ किसान दिन में काम रात में अपने फसल की सुरक्षा मैं लगे रहते हैं जिससे किसानों को शारीरिक रूप से अस्वस्थ भी होना पड़ता है जो माननीय प्रधानमंत्री जी या आपके द्वारा किसानों की आय दोगुना होने की बात की जाती है उसमें यह दृश्य बाधक है किसान तभी खुशहाल हो सकता है जब तक कि इन छुट्टा पशुओं का कोई मुकम्मल व्यवस्था न हो जाए।।

जय जवान जय किसान जय विज्ञान
जय हिंद जय भारत मेरा देश महान




शुक्रवार, 23 अक्तूबर 2020

संघर्ष में परम शांति का अनुभव करते हैं वस्तुत: उन्ही का जीवन सार्थक है श्री प्रवीण तिवारी पेड़ बाबा गाज़ीपुर

हमनें संघर्ष किया है ::--
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संघर्ष जीवन को परिभाषित करते हैं । जो कठिन संघर्ष में परम शांति का अनुभव करते हैं वस्तुत: उन्ही का जीवन सार्थक है । जो संघर्ष किया है , खतरों के बीच रहा है उन्ही का जीवन विकसित हो सका है ।जिंदगी में यदि खतरा नहीं है , संघर्ष नहीं है तो सोचिए कुछ न कुछ गड़बड़ है । व्यक्तित्व का विकास संघर्षों से ही तो होता है । और हम गर्व से कह सकते हैं कि हमने संघर्ष किया है ।

पढ़ाई समाप्त करने के बाद हमारे सभी मित्र कहीं ना कहीं ऐडजस्ट हो गए लेकिन हमने संघर्ष को चुना । हमारा लक्ष्य कभी भी धन कमाने का नहीं रहा । हम तो स्वक्षंद रूप से अपना जीवन जीने का रास्ता चुने । थोड़े दिनों तक हमसे जुड़े लोग परेशान हुए लेकिन बाद में वो हमारे बारे में सोचना ही छोड़ दिए । दैवयोग से हमें छोड़ कर बाकी सभी लोग नौकरी करते हैं । इसीलिए हमारे न कमाने से हमारे घर में किसी को अधिक परेशानी नहीं हुई । हमारी भी परवरिश इस ढंग से हुई थी सादगी हमारा स्वभाव बन गया , किसी से रत्ती मात्र भी आपेक्षा नहीं है । इसका परिणाम यह निकला कि हमारे घर के सभी लोग हमारी आवश्यकताओं का ध्यान रखते हैं ।

वैसे तो हम अबतक के जीवन में बहुत कुछ किए और छोड़े लेकिन एक काम लगातार करते रहे वह है गायत्री मंत्र का लेखन । गायत्री मंत्र लिखते-लिखते गायत्री परिवार के संसथापक वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं.श्री राम शर्मा आचार्य को पढ़ने का अवसर मिला और हमने उनको अपने जीवन में जीना शुरू कर दिया । अब हम उनको पढ़ते हैं और वही करते हैं जो उसमें लिखा होता है । अब हम कह सकते हैं कि हमारे पास पारस है ।
अब हम अपना मूल्य समझ चुके हैं कि हम इस संसार के सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं । अब हम परिस्थितियों के दास नहीं हैं बल्कि उसके निर्माता , नियंत्रणकर्ता और स्वामी हैं । अभी तक हमने जो किया है वह अपने पुरुषार्थ से किया है इसके लिए किसी के सामने हाथ नहीं फैलाया है । हाँ जो भी किया है लोगों के सहयोग से किया है । लोगों ने हमारे ऊपर भरोसा किया है और हम भी अपने मास्टर को , अपने गुरु को बदनाम नहीं होने देंगे , लोगों के भरोसे को बनाए रखेंगे ।

आने वाले समय में हमें कुछ बड़ा करना है । सहयोग की भावना को विकसित करना है । लोगों को यह बताना है कि आपके धन पर मात्र आपका और आपके परिवार का ही अधिकार नहीं है बल्कि समाज का भी इसमें अंश है । अब मात्र व्यक्तिगत विकास से काम चलने वाला नहीं है बल्कि आपको सामूहिक विकास में भी अपना योगदान देना ही पड़ेगा , बिना इसके काम चलने वाला नहीं है ।

हमे इस बारे में गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है कि क्या हम सुख और सुख की अभिलाषा करने के लिए , अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए पैदा हुए हैं या फिर प्रकृति ने हमें अपने एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में पैदा किया है ।

आपके सोचने में कहीं विलंब न हो जाए और हमें भी कहीं हुदहुद , सुनामी , उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर जैसे प्रलयंकारी विभीषिका से न जुझना पड़े ।

हमारी कुछ समाज निर्माण की योजनायें हैं , हमें आपके सहयोग की आवश्यकता है । आइए हम लोग मिलजुलकर एक नये समाज की , एक नये जमाने की कल्पना को साकार करते हैं ।



गुरुवार, 22 अक्तूबर 2020

ऐसी दुनियां रब ने क्यो दी,मानवता फिर सूली चढ़ गई- लव तिवारी

खाना दिया पर इज्जत ना दी।
ऐसी दुनियां रब ने क्यो दी।।

जात पात के भेद भाव में।
मानवता फिर सूली चढ़ गई।।

आदमी में रहा न इंसानियत,
देखते-2 ये जमाना बदल गई।।

ब्राम्हण भी न रहा पवित्र अब,
उसको भाये मुर्गा और मच्छी।।

इस दुनियां का अब क्या होगा।
बेटी बहु में इज्जत मर गई।।

रचना - लव तिवारी
संपर्क सूत्र- +919458668566



बुधवार, 21 अक्तूबर 2020

बोला का बा, हमरे गाँव में का बा। (प्रधानी चुनाव के सन्दर्भ में) - लव तिवारी

बोला का बा, हमरे गाँव में का बा।
प्रधान होला केहू
केहू मोहर मारेला
पैसा होला जनता के
केहू कुरता पैजामा झारेला
बोला का बा, हमरे गाँव में का बा।

नारी बजबजात बा
सफाई कर्मी ठठात बा
रोज न फेरा लागे जिनकर
पैंतीस हज़ार जे कमात बा
बोला का बा, हमरे गाँव में का बा।

दारू अब दवाई जईसन
जुवा खेले लइकवा गईनन
घर में खाएके जेकरा नइखे
ओकरा के जुवा मिठाई जईसन
बोला का बा, हमरे गाँव में का बा।

प्रधानी अब आइल देख
प्रत्याशी लोग के बौराइल देख
झूठ मुठ के वादा करके
फिर जनता भरमाईल देखब
बोला का बा, हमरे गाँव में का बा।

गढ़ही में पानी के जगह पर
गांव के कूड़ा करकट जमलस
घर दुवार के छोड़कर लोगवा
ओकरा ऊपरा माटी पटलस।
बोला का बा, हमरे गाँव में का बा।

गरीबन कार्ड धारक के चाऊर
दोकनिया पर बेचाला,
बेच के एकरे पैसा से,
कतरनी चाउर किनाला,
बोला का बा, हमरे गाँव में का बा।

फर्जी काम नरेगा में,
रोज देखावल जाला,
काम करे केहू, केहू के,
झूठही हाज़री भरल जाला
बोला का बा, हमरे गाँव में का बा।
हर गांव की यह बिडम्बना
लव तिवारी






सोमवार, 19 अक्तूबर 2020

लावारिश लाशों का नि:स्वार्थ भाव से अन्तिम संस्कार करने वाले कृष्णा नन्द उपाध्याय ग़ाज़ीपुर - लव तिवारी


  • दाह संस्कार  का मतलब देह रूपी शरीर का संस्कार है। मृत्यु के पश्चात वेदमंत्रों के उच्चारण द्वारा किए जाने वाले इस संस्कार को दाह-संस्कार कहते है। , श्मशान कर्म तथा अन्त्येष्टि-क्रिया आदि भी कहते हैं। इसमें मृत्यु के बाद शव को विधी पूर्वक मुखाग्नि के द्वारा उस व्यक्ति के कुल का व्यक्ति के द्वारा अग्नि को समर्पित किया जाता है। यह प्रत्येक हिंदू के लिए आवश्यक है। केवल संन्यासी-महात्माओं के लिए एक विशेष प्रकार का प्रावधान है जो समाधि होने के कारण शरीर छूट जाने पर भूमिसमाधि या जलसमाधि आदि देने का विधान है। कहीं-कहीं संन्यासी का भी दाह-संस्कार किया जाता है और उसमें कोई दोष नहीं माना जाता है।

  • इसी धरती पर कई ऐसी लावारिस लाशें होती है जिनका न कोई आगे है न कोई पीछे रोने वाला होता है। जिसका कोई नही होता उसके लिए भगवान ने एक ऐसे व्यक्ति का चुनाव करता है। ऐसे ही एक महान व्यक्तित्व आदरणीय श्री कृष्णा नन्द उपाध्याय जी जिन्होंने ग़ाज़ीपुर था ग़ाज़ीपुर के आस पास क्षेत्र के 600 लावारिश लाशो का विधि पूर्वक ढाह संस्कार किया है।

  • भगवान से यही विनती करते है ऐसे व्यक्तित्व को इसी तरह समर्थवान बनाये एवं शक्ति दे जिससे यह इस तरह के सामाजिक कार्यो को विधि पूर्वक अंजाम देते रहे।।
  • धन्य है बड़े भैया आप आप की हमेशा जय हो चरण बन्दन आप को।।
  • लेखक- लव तिवारी




रविवार, 18 अक्तूबर 2020

किसी जाति समुदाय से नही बल्कि भ्रष्ठ राजनेताओं व अधिकारियों का विरोध करें भारतीय नागरिक- लव तिवारी

किसी जाति समुदाय नही बल्कि भ्रष्ठ राजनेताओ अधिकारियों से धृणा करनी चाहिए। चुनाव एक संवैधानिक व्यवस्था है। जो किसी गांव क्षेत्र या देश के जन प्रतिनिधि को सर्व सम्मति से चुनने का अधिकार देता है। 

भारतीय राजव्यवस्था पूर्ण रूप से परिवार वाद से जुड़ी है। जिस सस्ता का मुखिया उस सत्ता की बाग डोर संभालता है। उसके अनुचित ढंग से की गई शासन प्रणाली के बाद जातिगत राजनीति की वजह से या तो वो खुद देश या क्षेत्र की बागडौर सम्भलता है या फिर उसका उत्तराधिकारी। इस विशेष व्यवस्था के चलते देश का सर्वनाश हो चुका है।

मुझे एक तस्वीर जो शोशल मीडिया के माध्यम से मिली जिसमे ये दर्शाया गया है कि अमेरिका जैसे महान देश के 2 बार राष्ट्रपति रह चुके बराक ओबामा किसी प्राइवेट संस्था में नौकरी करके अपने बीते जीवन को जी रहे है। वही हमारे भारत देश का राजनेता जब तक कब्र में नही जाता देश को दीमक की तरह खोखला करता है और उसके जाने के बाद उसका उत्तराधिकारी। हमारे प्रदेश के 1 दिन तक भी रहे चुके विधायक सांसद एवं अन्य नेताओं को पेंशन मिलती है जो एक विशेष व्यवस्थित जीवन जीने के लिये पर्याप्त है। लेकिन दुःख की बात यह है बड़े नेताओं के साथ वो व्यक्ति भी उसी तरह के भृष्ट जीवन को जी रहा है जैसे बड़े नेता। ग्राम सभा का चुनाव अपने जन अपने गांव के छोटे बड़े भाइयों एवं बड़े बुजुर्गों के मदद से लड़ा जाता है। बाद में उनके विश्वास पर खरा उतरना भी एक नैतिक पूर्ण दायित्व व जिमेवारी है। आप को बता दे कि BDC में जीते प्रत्याशी को भी 7 से 8 लाख की बड़ी रकम वाली राशि गांव के विकास के लिए मिली थी लेकिन उस राशि का 10 प्रतिशत भी उपयोग गांव के विकास में नही किया गया। ग्राम प्रधान की इनकम को तो मत ही समझिए इनके 5 वर्षों में आये विकास के लिए धन करोड़ो में होते है। और विकास के नाम पर थोड़े से काम और जनता नही बल्कि अपने गांव के अपने लोगो को मूर्ख बनने की मुहिम उसी तरह चलती है जैसे वर्षो से चली आ रही है।

फिर चुनाव पास है और ऐसे ही कार्यो का लेखा जोखा फिर आप को देखने को मिलेगा। और गांव के विकास की कहानी फिर उन्ही पन्नो में रह कर सिमट जाएगी।।

कुछ हिन्दू विरोधी संगठन द्वारा हिन्दू धर्म और संस्कृति को बदनाम करने की साजिश- लव तिवारी

कुछ हिन्दू विरोधी संगठन द्वारा कुछ सवालों के जवाब माँगे है जो कि सोशल मीडिया की सबसे बड़ी अफवाह है और इस अफवाह को लेकर हिन्दू धर्म और संस्कृति को बदनाम और लज्जित किया जाता है। ये काम पहली बार नही किया जा रहा है जिस प्रकार भारतीय पाठ्यक्रम से हिन्दू सम्राटों व उनके योगदान को हटाकर मुस्लिम शासकों की महत्ता बताई जाती है उसी तरह विवाह की झूठी अफवाह भी इसी तरह फैलाई जाती है, उसका खंडन कर रहा हूँ बहूत खोज कर और सही जानकारी लाया हू अगर आपको भी सही लगे तो कृपया इस मैसेज को अधिक से अधिक शेयर करें और अपने मित्र को इस तरह की जानकारी से अवगत कराएं।।

प्रश्न- 1 विश्व हिन्दू परिषद के नेता अशोक सिंघल ने अपनी बेटी की शादी मुख़्तार अब्बास नकवी से की है।

खंडन अशोक सिंघल जी ने शादी नहीं की थी , वे ब्रह्मचारी थे, उनकी कोई औलाद नहीं है, फिर अशोक सिंघल जी की बेटी की शादी किसी मुस्लिम से होने का कोई सवाल ही पैदा नही होता।
हाँ मुख्तार अब्बास नकवी की पत्नी का नाम सीमा जरुर है, लेकिन वो भी एक हिन्दू पिता और. मुस्लिम माँ की सन्तान हैं) जहाँ पिता हिन्दू धर्म को छोड़कर कर मुस्लिम लड़की से शादी कर सकता है वहाँ बेटी भी मुस्लिमों के के साथ शादी करने की विशेष रुचि उसके गैर हिन्दू माता ने उसे दिए होंगे।।

2 मुरली मनोहर जोशी ने अपनी बेटी की शादी शाहनवाज़ हुसैन से की है।

खंडन = मुरली मनोहर जोशी की बेटी की शादी इलाहाबाद के हिन्दू परिवार में हुई है। श्री जगदीश स्वरुप के घराने में। जो इलाहाबाद के ECC में १९८५ बैच में नाम था, अनंत स्वरुप, जो आज कल स्विट्जरलैंड के जेनेवा में हैं। उनके बड़े भाई विकास स्वरुप विदेश सेवा के नामी अधिकारी हैं।
यहाँ भी एक बात और - (शहनवाज हुसैन की पत्नी रेनू हैं, जो एक प्रसिद्द टीचर हैं, और उन्होंने आज तक इस्लाम कुबूल नहीं किया है, आज भी उनके घर हिन्दू त्योहार मनाये जाते हैं)

3. मोदी की भतीजी की शादी मुस्लिम से हुई है।

खंडन= नरेंद्र मोदी जी की भतीजी की शादी कट्टर हिन्दू से हुई है जो RSS के हैं ! मोदी जी की सिर्फ दो भतीजियों की शादी हुई है, और दोनों के पति.. हिन्दू हैं।

4. लाल कृष्ण आडवानी की बेटी ने दूसरी शादी मुस्लिम से की है।

खंडन = लाल कृष्ण अडवानी की बेटी ने तो आज तक शादी ही नहीं की ! हाँ उनके बड़े भाई की बेटी, यानी भतीजी ने अपनी *दूसरी शादी* प्रेम विवाह के रूप में एक मुल्ले से की थी, लेकिन फिर सात महीने के बाद, मुस्लिम आदतों के कारण, तलाक हो गया। आडवानी जी की बेटी प्रतिभा ने शादी ही नहीं की है।

*5.* सुब्रह्मनियम स्वामी की बेटी "सुहासिनी " ने मुस्लिम से शादी की है ।

खंडन= सुब्रमन्यम स्वामी जी की लड़की ने अवश्य प्रेम विवाह किया मुस्लिम से। सुहासिनी स्वामी लन्दन में पढ़ती थीं, और वहीं पूर्व विदेश सचिव, शिया सलमान हैदर का बेटा शिया नदीम हैदर भी पढ़ता था, और दोनों में प्रेम हो गया। मगर सुहासिनी ने भी आज तक इस्लाम कबूल नहीं किया है, आज भी उनकी लड़की हिन्दू धर्म को मानती हैं, और अपने पति को भी हिन्दू बना चुकी हैं। शादी Civil Marriage Boston, US में हुयी, फिर भारत में Re-Register हुआ। उनकी शादी भी इस्लामिक रीति से नहीं हुई। उनको एक बेटा है, प्रतीक नामक जिसका धर्म आज तक हिन्दू धर्म है, और उसका आज तक खतना भी नहीं हुआ है।

6.शिव सेना प्रमुख बाल ठाकरे ने अपनी पोती की शादी मुस्लिम से की।

खंडन = बाला साहेब ठाकरे जी की पोती की शादी एक गुजराती लोहाना परिवार में हुई गई है। सामना के सम्पादक, प्रेम शुक्ल कई बार उस लड़के के पूरे खानदान का विवरण भी अखबारों में कई बार दे चुके हैं। ये अफवाह फैलाने वाले मुल्ले ने ये सोच भी कैसे लिया कि बाला साहेब ऐसा घिनौना काम करेंगें !

7. प्रवीण तोगड़िया की बहन की शादी कब हुई बे जिहादियों.जिससे हिन्दुओं का विश्वास हिन्दू नेताओं के प्रति कम हो।

इसलिए आप सच जानिये, ताकि उन बिके हुए जिहादी और सेक्युलरों को जवाब दे सकें ।।

इस मेसेज को फ़ॉरवर्ड करना न भूलें। कम से कम अपने दोस्तों को तो जरूर बताएँ। इसी संक्षेप में भारतीय शिक्षा पद्धति से हिन्दू सम्राटो और उनके योगदानों के बारे में न बताकर मुस्लिम शासको के बारे में बताया जाता है।जो बच्चा बचपन से ही इस तरह की अध्ययन को अपना चुका है। वो तो मुस्लिमों के आदर्श को अपनायेगा ही। भारत के उन दो महापुरषों को विशेष नमन जिनकी वजह से आज भी भारत देश मे भारतीय संस्कृति पूर्ण रूप से बची हुई है।

तुलसीदास- जिन्होंने ने रामचरित मानस की रचना कर के भारतीयों में प्रभु राम की भक्ति और चरित को उजागर किया।।

रामानन्द सागर- इस महान व्यक्तित्व ने भारतीय पुराणों और धर्म के आधार पर सीरियल बनाकर भारतीय जनो में फिर से हिन्दू धर्म के उच्च कोटि की सँस्कृति का विस्तार किया।।
भारत माता की जय !

लेखक- लव तिवारी



🙏🏻

विवाहभोज एवं मृत्युभोज कुरीति नहीं है समाज और रिश्तों को सँगठित करने का अवसर है- लव तिवारी

मृत्युभोज के विरोध पर बहुत से मत है बहुत ज्ञानी समुदाय द्वारा कुछ न कुछ लिखा जा रहा है आजकल इस विषय वस्तु पर मेरा मत जरा अलग है मित्रों पोस्ट का प्रारंभ मानवता को शर्मसार करने वाले एक खबर से करुँ, अमेरिका में स्थापित दो धनाढ्य भाइयों के पिता की जब मौत हो जाती है तो एक भाई दूसरे भाई से कहता है कि इस बार तुम चले जाओ, माँ मरेगी तो मै चला जाउंगा, पिता के मरने के बाद जो माता के जल्द मरने की इच्छा करे वो पूत नही कपूत है।।

मृत्युभोज कुरीति नहीं है. समाज और रिश्तों को सँगठित करने के अवसर की पवित्र परम्परा है,
हमारे पूर्वज बिना मोबाइल और कम पढ़ लिखकर भी हमसे ज्यादा ज्ञानी थे ।आज मृत्युभोज का विरोध है, कल विवाह भोज का भी विरोध होगा.. हर उस सनातन धर्म परंपरा का विरोध होगा, या ये कहिये कि किसी न किसी रूप में विरोध हो रहा है। लोगों के द्वारा निमंत्रण में आना केवल खाना पीना ही नही बल्कि उनसे रिश्ते और समाज मजबूत होता है।।

इसका विरोध करने वाले मूर्खो इस बात को समझो हमारे बाप दादाओ ने रिश्तों को जिंदा रखने के लिए ये परम्पराएं बनाई हैं। ये सब बंद हो गए तो रिश्तेदारों, सगे समबंधियों, शुभचिंतकों को एक जगह एकत्रित कर मेल जोल का दूसरा माध्यम क्या है, केवल दुःख और सुख दो ऐसे पहलू है जहाँ आदमी अब भी एकत्रित हो रहा है, दुख की घड़ी मे भी रिश्तों को कैसे प्रगाढ़ किया जाय ये हमारे पूर्वज अच्छे से जानते थे। हमारे पूर्वज बहुत समझदार थे, वो ऐसे आयोजन रिश्तों को सहेजने और जिंदा रखने के किए करते थे हाँ ये सही है की कुछ लोगों ने मृत्युभोज को हेकड़ी और शान शौकत दिखाने का माध्यम बना लिया, आप पूड़ी सब्जी ही खिलाओ. और हमारे उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में बरहा यानी अपने आस पास के 12 से 21 गांव के लोगो को बुलाकर खिलाने का प्रयोजन था और कुछ धनी समुदाय आज भी करते है।।

1.कौन कहता है की 56 भोग परोसो..
2.कौन कहता है कि 4000-5000 लोगों को ही भोजन कराओ और बर्चश्व दिखाओ, परम्परा तो केवल 16 ब्राह्मणों की थी। आगर ब्राम्हण जाति से परहेज है तो किसी निर्धन व्यक्ति को ही भोजन कराओ।

मैं खुद दिखावे की विरोधी हूँ लेकिन अपनी उन परंपराओं की कट्टर समर्थक हूँ, जिनसे आपसी प्रेम, मेलजोल और भाईचारा बढ़ता हो.कुछ कुतर्कों की वजह से हमारे बाप दादाओं ने जो रिश्ते सहजने की परंपरा दी उसे मत छोड़ो, यही वो परम्पराएँ हैं जो दूर दूर के रिश्ते नाते को एक जगह लाकर फिर से समय समय पर जान डालते हैं । सुधारना हो तो लोगों को सुधारो जो आयोजन रिश्तों की बजाय हेकड़ी दिखाने के लिए करते हैं,

किसी परंपरा की कुछ विधियां यदि समय सम्मत नही है तो उसका सुधार किया जाये ना की उस परंपरा को ही बंद कर दिया जाये, हमारे बाप दादा जो परम्पराएं देकर गए हैं रिश्ते सहेजने के लिए उसको बन्द करने का ज्ञान मत बाँटिये मित्रों, वरना तरस जाओगे मेल जोल को, बंद बिल्कुल मत करो, समय समय पर शुभचिंतकों ओर रिश्तेदारों को एक जगह एकत्रित होने की परम्परा जारी रखो. ये संजीवनी है रिश्ते नातों को जिन्दा करने की...

अब वो दिन दूर नही जब पास बैठे माँ की बात सुनने वाला भी नही रहेगा एक छत के नीचे रहकर इस मोबाइल और इनरनेट युग ने अपने आप इस परंपरा से होने वाले मेलजोल को खत्म कर दिया है। मृत्यु भोज का समर्थन मैं खुद भी नही करता था लेकिन अगर मृत्यु भोज एवं विवाह भोज की व्यवस्था अगर बन्द हुई तो एक सभ्यता और सँस्कृति का भी नाश होगा जो बहुत से हिन्दू विरोधी संगठनों की रणनीति है। 

लेखक- लव तिवारी





शनिवार, 17 अक्तूबर 2020

जय जय गुरु नंदन हाथ जोड़ हम बन्दना करते है। हम आये शरण तुम्हारी तेरी हम पूजा करते है।

जय जय गुरु नंदन हाथ जोड़ हम बन्दना करते है।
हम दीन दुःखी है भारी आप दुःखियों के रखवारे 
हम आये शरण तुम्हारी तेरी हम पूजा करते है।

माथे तिलक बिराजे गले मे माला साजे
स्वामी तीन लोक के राज ध्यान हम तुम्हरा करते है।
दास दासी को ये बर दीजो मेरा चित चरणों मे लीजो
स्वामी आये शरण तुम्हारी ध्यान हम तुम्हारा करते है।।

हरि ॐ जय श्री जग तारण 
कलि के कलुष बिभंजन भव पार 
हरि ॐ जय श्री जग तारण 

संत मत परमहंस रूप धरी नाम तत्व दरशाओ
दस गुण ब्रम्ह सनातन करके आयो
जप जपाय न हद बतलाकर भक्ति योग प्रकटायो
पतित होय शरणागत तुरतहि अपनायो
हरि ॐ जय श्री जग तारण ......

परम् दयालु शरण अशरण हरि रूप मनोहर धरी
आरती करत पतित गुरु सेवक आरती हरि को 
हरि ॐ जय श्री जग तारण ......

स्तुति
मैं अवगुण हार की विनती सुनहु गरीब निवार
जो मैं पूत कपूत हू स्वामी बहुरी पिता को लाज
नही विद्या नही बाह बला है नही ख़र्चन को दाम
मौसे ऐसे पतित की लाज रखो भगवान
अवसर राखो द्रोपदी संकट से प्रह्लाद
कहन सुनन को कछु नही स्वामी
शरण परे की लाज
माता पिता मरी स्वामी शरण जाऊ किसके
स्वामी बिन और दूजा आस करु किसीकी
पार ब्रम्ह परमेश्वर पूरण सचितानन्द
नमस्कार स्वामी आप की सब सन्तन के सुख कंद

अकाल मृत्युहरणम सर्व व्याधि विनाशितम।
गुरु चरणामृत जो पिये पूर्वजन्म न आवतरणम।।

काली मंत्र- ओम काली काली महाकाली बैठी नीम की डाली खाये पान बजावे ताली जय माँ दुर्गा जय माँ काली।।
त्राहिमाम रक्षा करो।।



रविवार, 11 अक्तूबर 2020

महान समाज सेवी आदरणीय श्री प्रवीण तिवारी जी के साथ अपने गांव युवराजपुर में देववृक्ष हरिशंकरी का वृक्षारोपड़- लव तिवारी

हमारे विशेष अनुरोध पर ग़ाज़ीपुर के महान समाज सेवी आदरणीय श्री Praveen Tree पेड़ बाबा जी एवं रेवतीपुर ब्लाक प्रमुख आदरणीय श्री Mukesh Rai जी के साथ ग्राम के विशेष सम्मानित जन क्रमशः श्री Heera Singh जी , अम्बरीष सिंह (गुड्डू भैया) Ud Somvanshy दीपक सिंह जी बड़े भैया श्री Ajit Singh Yogi मेरे चाचा श्री Ajay Tiwari के साथ मेरे ग्राम समाज के मेरे प्रिय अनुज भाइयों में क्रमशः Kush Tiwari पंडित Piyush Dubey , Vikas Singh , Vivek Singh Chandan Singh, Sandeep Singh अमित सिंह, अंकित सिंह दादा , Vishal Yadav S K एवं Sushil Tiwari अपना गाँव युवराजपुर के सहयोग से हमारे ग्राम युवराजपुर में देव वृक्ष हरिशंकरी के पांच पेड़ो के लगाने का कार्य सफलतापूर्वक संम्पन हुआ।

"गांव में युवाओं के साथ हमारे बड़े भाइयों के उत्साह को देखकर हमारे समाजसेवी श्री प्रवीण तिवारी जी के साथ आये रेवतीपुर के ब्लाक प्रमुख श्री मुकेश राय जी ने विशेष प्रसंसा की,एवं भाविष्य में इस तरह के और आयोजन की बात कही"

दिव्य #देववृक्ष #हरिशंकरी की अपने गांव युवराजपुर में विस्तृत जानकारी

1- फुलवारी दाई गंगा मैया मुख्य मार्ग युवराजपुर
2- युवराजपुर गंगा मैया के अरार से 20 मीटर पहले
3- प्राथमिक विद्यालय युवराजपुर ग़ाज़ीपुर
4- श्री नाथ बाबा मंदिर परिसर युवराजपुर ग़ाज़ीपुर
5- उच्चमाध्यमिक विद्यालय परिसर युवराजपुर ग़ाज़ीपुर

विशेष_आभार- हीरा सिंह, अम्बरीष सिंह ( गुड्डू भैया) उधम सिंह जी, Ajit Singh Jogi

आप सभी अन्य ग्रमीणजनो से विशेष अनुरोध है कि जिस प्रकार इस विशेष देववृक्ष को लगाने में आप सभी का विशेष सहयोग मिला है, उसी प्रकार आप सभी इस पेड़ो के विशेष सुरक्षा का दायित्व भी ले और इन पेड़ों के विशालकाय और अपने पूर्णरूप होने तक सहयोग करे। जिन व्यक्ति विशेष को अपने ग्राम क्षेत्र में इसतरह के विशेष देववृक्ष लगवाने है वो मेरे से संपर्क करके अपने स्थान व गांव की सूचना दे सकता है।।

धन्यबाद-
#लव_तिवारी
#युवराजपुर #ग़ाज़ीपुर #उत्तर_प्रदेश 232332











शनिवार, 3 अक्तूबर 2020

प्रसिद्ध समाजसेवी श्री प्रवीण तिवारी जी के साथ अपने ननिहाल में हरिशंकरी देववृक्ष लगाते हुए- लव तिवारी

आपके के पास भी कोई उचित स्थान है कृपया करके हमे सूचित करें आपका थोड़ा सा सहयोग इस प्रकृति को हरा भरा और स्वच्छ वातावरण दे सकती है हम करेगे तभी हमारी आने वाली पीढियां उसका उपयोग कर सकेगी दिनांक 27-09-2020 दिन रविवार को हम दोनों भाई आपने गुरु जी प्रसिद्ध समाजसेवी श्री प्रवीण तिवारी जी Praveen Tree के साथ आपने ननिहाल जैसा कि नीचे के लिंक में गुरुजी के द्वारा वर्णन किया गया है पेड़ लगाने मोहम्दाबाद तहसील के अंतर्गत सिलाइच गांव के लिए प्रस्थान किये रास्ते मे बहुत सारे पीपल पाकड़ के छायादार वृक्ष देखने को मिले जिसमे से कुछ 100 साल तो कुछ 200 साल पुराने थे आज हम किसी पूर्वजो ने ये पूण्य कार्य किया है तभी हम देख रहे थे कि बहुत कड़ी धूप के चलते पैदल या साइकिल राहगीर वहां पर छायादार पेड़ के नीचे आराम कर रहे थे हमे ये सोचना है हमारे पूर्वज तो ये पूण्य कार्य कर के गए है जिसे हम उसका प्रयोग कर रहे है लेकिन हमने क्या दिया है जो हमारे आने वाली पीढ़ियो के लिए सहायक हो सके क्यो दुनिया मे सभी चीजें नश्वर है एक न एक दिन सभी नष्ट हुई है हमारा भी कुछ कर्तव्य बनता है कि हम भी कुछ प्रकृति को सुंदर बनाने में कुछ सहयोग करे धन्यवाद

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=3364327110282921&id=100001169968497







शुक्रवार, 2 अक्तूबर 2020

पिता का कर्तव्य निभाते हुए आधे राष्ट्र का कन्यादान देने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी- लव तिवारी

जानिए नोट वाले गांधी के बारे में

ये कोई सन्त,भगवान या फरिश्ता नही था बल्कि एक आम आदमी था.

इंग्लेंड मे पढ़ा एक बैरिस्टर अफ्रीका मे एक स्मगलार की केस लड़ने गया, जहाँ अपमानित होने पर बदले की भावना से धधकते हुए, बेबसी मे अहिंसक आंदोलन किया.उसने मूल अफ्रीकियों के खिलाफ "बोअर युद्ध" मे अंग्रेज सैनिकों की ओर से अश्वेत लोगों के खिलाफ "हिंसक युद्ध" मे भी भाग लिया.
उसके भाषण कौशल्य को देख कर अँग्रेज़ों ने उसे भारत मे, लोकमान्य तिलक द्वारा आम जनता मे जगाई हुई -"संपूर्ण स्वातन्त्र्य की धधकने लगी हुई आग" - को बुझाने के लिए सुपारी दी जिसको उसने बड़ी ही - "धूर्तता - कुशलता और असीम कुटिलता" से पूरा किया. उसने लोगों को दिल्ली वाले कंजर की तरह सत्ताधारी अंग्रेज़ो से मिलीभगत करके झुठेऔर दिखावटी आंदोलन करके "बाल गंगाधर तिलक" की सारी मेहनत और देशभक्ति की उर्जा को - जनता के मन से नष्ट कर दिया.
इसका सबसे बड़ा सबूत है कि, उसने कोई भी आंदोलन पूर्णता की ओर नही ले गया....
एक आदमी सारी दुनिया को बेवकूफ़ कैसे बना सकता है यह तो केवल इस "महात्मा(?)" ने ही साबित किया...
जब कांग्रेस अध्यक्ष के लिए चुनाव हो रहा था नेताजी सुभाष चंद्र बोस लड़ रहे थे और मोहनदास ने अपना उम्मीदवार "पट्टाभी सीतारमैया" को खड़ा किया था..
उसके उम्मीदवार -"पट्टाभी सीतारमैया" को मात्र दो मत मिले और सुभाष चंद्र बोस को 17 वोट मिले।
मोहन ने कहा कि -- "पट्टाभी सीतारामय्या" की हार मेरी हार है और मैं कांग्रेस से इस्तीफा देता हूं।"

यह सुनकर - सुभाष चंद्र बोस को बहुत दुख हुआ कि - मेरी जीत की वजह से चूतिया कांग्रेस से इस्तीफा दे रहा और खुद सुभाष चंद्र बोस ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया
और चूतिये से कहा कि आप कांग्रेस मत छोड़िए .
वो इस्लामियों" को बख़ूबी समझता था और उनसे डरता था
इसीलिए सदैव उनके पक्ष में खड़ा होता था चाहे "ख़िलाफ़त आंदोलन" हो, "मोपला के दंगे" हों या "अब्दुल रशीद" हो, हर जगह ये उनके पक्ष में खड़ा दिखा
कोई भी कोई एक उदाहरण देखने को नही मिलेगा जब ये हिन्दुओं के पक्ष में खड़ा हुआ हो।
अरे पक्ष छोड़िए, ये निष्पक्ष भी रहा हो तो कोई बात होती।
हम गोडसे जी के ऋणी हैं जो इस नटवरलाल से हमें मुक्ति दिला दी।
आज हमारे देश में उत्पन्न अधिकतर समस्याओं का बीजारोपण इसी का किया है।
ये “चंगू मंगू” आपस में मिले, एक इस देश का “बाप” बन बैठा और दूसरा “चाचा”
इसलिए गांधी को आजादी का "हीरो" कहना उन "सभी क्रान्तिकारियों का अपमान" है जिन्होंने देश की आजादी के लिए "अपना खून बहाया" था।

यदि "चरखों" की "आजादी की रक्षा" सम्भव होती है तो बार्डर पर टैंकों की जगह चरखे क्यों नहीं रखवा दिए जाते ...??...
🙏🏻🙏🏻🙏🏻



गुरुवार, 1 अक्तूबर 2020

आदत तुम्हारी इतनी गन्दी और राजनेता कहलाते हो- लव तिवारी

राजनीति की आड़ लेकर तुम झूठा शोक मनाते है।
आदत तुम्हारी इतनी गन्दी और राजनेता कहलाते हो।।

जब सत्ता में रहते हो तो अपने मन की करते हो।।
और विपक्ष में होते तो सड़क पर जाम लगाते हो।।

मानवता से कुछ नही लेना और न कुछ दरिंदगी से।
भोली भाली जनता को तुम ऐसे ही मूर्ख बनाते हो।।

वोट की राजनीति में तुम्हें नही पहचान अपनों की।
सगे बेटे का कत्ल करके सिंहासन पर बैठ जाते हो।।

रचना- लव तिवारी
दिनांक- १-अक्टूबर-२०२०