शुक्रवार, 23 अक्टूबर 2020

संघर्ष में परम शांति का अनुभव करते हैं वस्तुत: उन्ही का जीवन सार्थक है श्री प्रवीण तिवारी पेड़ बाबा गाज़ीपुर

हमनें संघर्ष किया है ::--
****************
संघर्ष जीवन को परिभाषित करते हैं । जो कठिन संघर्ष में परम शांति का अनुभव करते हैं वस्तुत: उन्ही का जीवन सार्थक है । जो संघर्ष किया है , खतरों के बीच रहा है उन्ही का जीवन विकसित हो सका है ।जिंदगी में यदि खतरा नहीं है , संघर्ष नहीं है तो सोचिए कुछ न कुछ गड़बड़ है । व्यक्तित्व का विकास संघर्षों से ही तो होता है । और हम गर्व से कह सकते हैं कि हमने संघर्ष किया है ।

पढ़ाई समाप्त करने के बाद हमारे सभी मित्र कहीं ना कहीं ऐडजस्ट हो गए लेकिन हमने संघर्ष को चुना । हमारा लक्ष्य कभी भी धन कमाने का नहीं रहा । हम तो स्वक्षंद रूप से अपना जीवन जीने का रास्ता चुने । थोड़े दिनों तक हमसे जुड़े लोग परेशान हुए लेकिन बाद में वो हमारे बारे में सोचना ही छोड़ दिए । दैवयोग से हमें छोड़ कर बाकी सभी लोग नौकरी करते हैं । इसीलिए हमारे न कमाने से हमारे घर में किसी को अधिक परेशानी नहीं हुई । हमारी भी परवरिश इस ढंग से हुई थी सादगी हमारा स्वभाव बन गया , किसी से रत्ती मात्र भी आपेक्षा नहीं है । इसका परिणाम यह निकला कि हमारे घर के सभी लोग हमारी आवश्यकताओं का ध्यान रखते हैं ।

वैसे तो हम अबतक के जीवन में बहुत कुछ किए और छोड़े लेकिन एक काम लगातार करते रहे वह है गायत्री मंत्र का लेखन । गायत्री मंत्र लिखते-लिखते गायत्री परिवार के संसथापक वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं.श्री राम शर्मा आचार्य को पढ़ने का अवसर मिला और हमने उनको अपने जीवन में जीना शुरू कर दिया । अब हम उनको पढ़ते हैं और वही करते हैं जो उसमें लिखा होता है । अब हम कह सकते हैं कि हमारे पास पारस है ।
अब हम अपना मूल्य समझ चुके हैं कि हम इस संसार के सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं । अब हम परिस्थितियों के दास नहीं हैं बल्कि उसके निर्माता , नियंत्रणकर्ता और स्वामी हैं । अभी तक हमने जो किया है वह अपने पुरुषार्थ से किया है इसके लिए किसी के सामने हाथ नहीं फैलाया है । हाँ जो भी किया है लोगों के सहयोग से किया है । लोगों ने हमारे ऊपर भरोसा किया है और हम भी अपने मास्टर को , अपने गुरु को बदनाम नहीं होने देंगे , लोगों के भरोसे को बनाए रखेंगे ।

आने वाले समय में हमें कुछ बड़ा करना है । सहयोग की भावना को विकसित करना है । लोगों को यह बताना है कि आपके धन पर मात्र आपका और आपके परिवार का ही अधिकार नहीं है बल्कि समाज का भी इसमें अंश है । अब मात्र व्यक्तिगत विकास से काम चलने वाला नहीं है बल्कि आपको सामूहिक विकास में भी अपना योगदान देना ही पड़ेगा , बिना इसके काम चलने वाला नहीं है ।

हमे इस बारे में गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है कि क्या हम सुख और सुख की अभिलाषा करने के लिए , अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए पैदा हुए हैं या फिर प्रकृति ने हमें अपने एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में पैदा किया है ।

आपके सोचने में कहीं विलंब न हो जाए और हमें भी कहीं हुदहुद , सुनामी , उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर जैसे प्रलयंकारी विभीषिका से न जुझना पड़े ।

हमारी कुछ समाज निर्माण की योजनायें हैं , हमें आपके सहयोग की आवश्यकता है । आइए हम लोग मिलजुलकर एक नये समाज की , एक नये जमाने की कल्पना को साकार करते हैं ।



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें