जय जय गुरु नंदन हाथ जोड़ हम बन्दना करते है।
हम दीन दुःखी है भारी आप दुःखियों के रखवारे
हम आये शरण तुम्हारी तेरी हम पूजा करते है।
माथे तिलक बिराजे गले मे माला साजे
स्वामी तीन लोक के राज ध्यान हम तुम्हरा करते है।
दास दासी को ये बर दीजो मेरा चित चरणों मे लीजो
स्वामी आये शरण तुम्हारी ध्यान हम तुम्हारा करते है।।
हरि ॐ जय श्री जग तारण
कलि के कलुष बिभंजन भव पार
हरि ॐ जय श्री जग तारण
संत मत परमहंस रूप धरी नाम तत्व दरशाओ
दस गुण ब्रम्ह सनातन करके आयो
जप जपाय न हद बतलाकर भक्ति योग प्रकटायो
पतित होय शरणागत तुरतहि अपनायो
हरि ॐ जय श्री जग तारण ......
परम् दयालु शरण अशरण हरि रूप मनोहर धरी
आरती करत पतित गुरु सेवक आरती हरि को
हरि ॐ जय श्री जग तारण ......
स्तुति
मैं अवगुण हार की विनती सुनहु गरीब निवार
जो मैं पूत कपूत हू स्वामी बहुरी पिता को लाज
नही विद्या नही बाह बला है नही ख़र्चन को दाम
मौसे ऐसे पतित की लाज रखो भगवान
अवसर राखो द्रोपदी संकट से प्रह्लाद
कहन सुनन को कछु नही स्वामी
शरण परे की लाज
माता पिता मरी स्वामी शरण जाऊ किसके
स्वामी बिन और दूजा आस करु किसीकी
पार ब्रम्ह परमेश्वर पूरण सचितानन्द
नमस्कार स्वामी आप की सब सन्तन के सुख कंद
अकाल मृत्युहरणम सर्व व्याधि विनाशितम।
गुरु चरणामृत जो पिये पूर्वजन्म न आवतरणम।।
काली मंत्र- ओम काली काली महाकाली बैठी नीम की डाली खाये पान बजावे ताली जय माँ दुर्गा जय माँ काली।।
त्राहिमाम रक्षा करो।।
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