किसी जाति समुदाय नही बल्कि भ्रष्ठ राजनेताओ अधिकारियों से धृणा करनी चाहिए। चुनाव एक संवैधानिक व्यवस्था है। जो किसी गांव क्षेत्र या देश के जन प्रतिनिधि को सर्व सम्मति से चुनने का अधिकार देता है।
भारतीय राजव्यवस्था पूर्ण रूप से परिवार वाद से जुड़ी है। जिस सस्ता का मुखिया उस सत्ता की बाग डोर संभालता है। उसके अनुचित ढंग से की गई शासन प्रणाली के बाद जातिगत राजनीति की वजह से या तो वो खुद देश या क्षेत्र की बागडौर सम्भलता है या फिर उसका उत्तराधिकारी। इस विशेष व्यवस्था के चलते देश का सर्वनाश हो चुका है।
मुझे एक तस्वीर जो शोशल मीडिया के माध्यम से मिली जिसमे ये दर्शाया गया है कि अमेरिका जैसे महान देश के 2 बार राष्ट्रपति रह चुके बराक ओबामा किसी प्राइवेट संस्था में नौकरी करके अपने बीते जीवन को जी रहे है। वही हमारे भारत देश का राजनेता जब तक कब्र में नही जाता देश को दीमक की तरह खोखला करता है और उसके जाने के बाद उसका उत्तराधिकारी। हमारे प्रदेश के 1 दिन तक भी रहे चुके विधायक सांसद एवं अन्य नेताओं को पेंशन मिलती है जो एक विशेष व्यवस्थित जीवन जीने के लिये पर्याप्त है। लेकिन दुःख की बात यह है बड़े नेताओं के साथ वो व्यक्ति भी उसी तरह के भृष्ट जीवन को जी रहा है जैसे बड़े नेता। ग्राम सभा का चुनाव अपने जन अपने गांव के छोटे बड़े भाइयों एवं बड़े बुजुर्गों के मदद से लड़ा जाता है। बाद में उनके विश्वास पर खरा उतरना भी एक नैतिक पूर्ण दायित्व व जिमेवारी है। आप को बता दे कि BDC में जीते प्रत्याशी को भी 7 से 8 लाख की बड़ी रकम वाली राशि गांव के विकास के लिए मिली थी लेकिन उस राशि का 10 प्रतिशत भी उपयोग गांव के विकास में नही किया गया। ग्राम प्रधान की इनकम को तो मत ही समझिए इनके 5 वर्षों में आये विकास के लिए धन करोड़ो में होते है। और विकास के नाम पर थोड़े से काम और जनता नही बल्कि अपने गांव के अपने लोगो को मूर्ख बनने की मुहिम उसी तरह चलती है जैसे वर्षो से चली आ रही है।
फिर चुनाव पास है और ऐसे ही कार्यो का लेखा जोखा फिर आप को देखने को मिलेगा। और गांव के विकास की कहानी फिर उन्ही पन्नो में रह कर सिमट जाएगी।।
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