शुक्रवार, 30 जून 2023

हमसफ़र जैसी घटिया ट्रेन को लॉंच कर के गरीब रथ को पहले ही कई रूटों में बंद कर दिया गया है।

पटना से राँची के लिए वन्दे भारत ट्रेन शुरू की गई है।
AC Chair Car का किराया ₹1025 जबकि Executive Chair Car का किराया ₹1930 है। यात्रा पूरी होने में 6 घंटे का समय लगता है।

पटना से राँची के लिए जनशताब्दी भी चलती है।
Chair Car का किराया ₹195 जबकि
AC Chair Car का किराया ₹650 है। यात्रा पूरी होने में 7.45 घंटे का समय लगता है।

वन्दे भारत में केवल 1.45 घंटे का समय कम लग रहा है लेकिन किराया लगभग 300% अधिक है।

भारत के रेल यात्रियों ने समय के साथ देर चलने वाली रेलगाड़ियों से समझौता पहले से कर लिया है। दूसरी तरफ़ पेट पर लात पर ही रही है। अब पंत प्रधान अपने सुकुमार ट्रेन को हिट कराने के चक्कर में जनशताब्दी को बंद न करवा दे।

हमसफ़र जैसी घटिया ट्रेन को लॉंच कर के गरीब रथ को पहले ही कई रूटों में बंद कर दिया गया है। गरीब रथ का किराया भी अन्य ट्रेनों की थर्ड एसी से लगभग 30 फ़ीसदी कम था।

#VandeBharatExpress




ग़ाज़ीपुर के वीर रस के कवि श्री हेमन्त निर्भीक जी का सक्षिप्त परिचय एवं रचनायें

प्रारूप
नाम : हेमन्त निर्भीक
जन्मतिथि : 23 अगस्त 1988
माता का नाम : श्रीमति सविता देवी
पिता का नाम : श्री बंश नारायण उपाध्याय
जन्म स्थान : पचौरी गाजीपुर
शैक्षिक योग्यता : परास्नातक
संप्रति (पेशा) : नौकरी ( गैर सरकारी)
विधाएं : ओज
साहित्यिक गतिविधियां : मंचीय काव्य पाठ
प्रकाशित कृतियां :
पुरस्कार सम्मान :
संपर्क सूत्र : 6389042206
विशेष परिचय : कवि हेमन्त निर्भीक : एक परिचय...
हेमन्त निर्भीक वीर रस के प्रतिष्ठित कवि है l उनका जन्म ग्राम पचौरी , जिला गाजीपुर उत्तर प्रदेश में हुआ l पिछले 20 वर्षों से हिन्दी कवि सम्मेलन के मंचों से काव्य पाठ कर रहें हैं l
हेमन्त निर्भीक को उनके वीर रस की कविताओं के लिए अनेक प्रतिष्ठित सम्मान प्राप्त है I


कृतियां...
ना जाने कितने वीरों ने प्राणों की कुर्बानी दे दी,
बन्दीगृह की कालकोठरी में सम्पूर्ण जवानी दे दी l
इसी धरा पर मंगल ने अंग्रेजों को ललकारा था,
बागी बनकर गोरों के सीनों में गोली मारा था l
इसी भूमि पर शेखर ने भी लड़ने का ऐलान किया ,
पहले मारा गोरों को फिर स्वर्गलोक प्रस्थान किया l

जब भारत की बेटी हाथों में तलवार उठाती थी,
रणचंडी बन समर भूमि दुश्मन का लहू बहाती थी l
जिसके रण में आने से पूरा अरि दल थर्राता था,
या तो मौत उसे मिलती या चरणों में गिर जाता था ।
ढाल कटारी बरछी से अपना श्रृंगार रचाती थी,
रण से पहले माँ काली को अपना शीश झुकाती थी l
ऐसी हिन्द की बेटी जिसकी स्वर्णिम अमर कहानी है,
भारत माँ की हर एक बेटी झाँसी वाली रानी है ll


रोती है भारत माता भी बेटों की कुर्बानी पर,
राजगुरु सुखदेव भगत सिंह वीर अमर बलिदानी पर l
जिसने हंस कर एक साथ फाँसी फंदे को चूम लिया,
रंग बसंती पहन के चोला मन ही मन में झूम लिया ll हुए विदा इस दुनियाँ से हमें आजादी दिलवाकर,
अमर हो गए पृष्ठों में मृत्यु को गले लगाकर llll


महाराणा प्रताप....
कतरा कतरा रक्त जहां वीरों ने नित्य बहाया है ,

बलिदानो की वेदी पर निज हाथों शीश चढ़ाया है ।

घास की रोटी खाई पर मुगलो को, ना मंजूर किया ,

राज पाठ बैभव से फिर राणा ने खुद को दूर किया ।

उसने चितौड़ की रक्षा हेतु दृढ़ संकल्प उठाया था ,

राणा का रण कौशल देख के बैरी भी थर्राया था ।



तब एक हाथ में ढाल लिए दूजे प्रतापी भाला था,

चेतक की टापो से खुद यमराज हुआ मतवाला था ।

वो जिधर चला अरिदल सेना में त्राहिमाम और शोर हुआ ,

राणा की जीत सुनिश्चित थी और जयकारा चहुओर हुआ ।

फिर अकबर भी नादान हुआ विचलित थोड़ा परेशान हुआ ,

राणा के चर्चे घर घर में सुनकर थोड़ा हैरान हुआ ।

तब बिगुल बजा हल्दी घाटी शिव शम्भू का आह्वान हुआ ,

और तिलक लगा कर माथे पर उस राणा का सम्मान हुआ ।



फिर टूट पड़े मुगलों पर मानो रणचंडी ललकार उठी ,

मुगलों के रक्त की प्यासी होकर तलवारें टनकार उठी ।

कोई इधर पड़ा कोई उधर पड़ा ,

कोई मुर्छित होकर जिधर पड़ा ।

कोई दुबक गया अपने घर में ,

कोई बिना लड़े ही हार गया ।

हो मातृ भूमि के लिए समर्पित कोई स्वर्ग सिधार गया ।

कोई देख तेज उसके माथे के सूरज को पहचान गया ,

कोई शीश झुकाकर रण भूमि में भीख जान की मांग गया ।

कोई भांप गया था महाराणा के निश्चय अटल इरादो को ,

या मारू या मर जाऊं उस राष्ट्र भक्त के वादों को ।।

बिजली कड़की बादल गरजा पूरा भू मंडल डोल गया ,

और हर हर महादेव शिव शम्भू बच्चा बच्चा बोल गया ।



फिर चाल चली अकबर ने इक चेतक पर घातक वार किया ,

उस रवि पुत्र पर कायरता बस बारम्बार प्रहार किया ।

जब जीत न पाया राणा को वो बेजुबान से लड़ बैठा ,

युद्ध छिड़ी थी इंसानों में खुद चेतक से कर बैठा ।

छुप छुप कर आघात किया ऊपर नीचे दाएं बाएं,

जुटा नहीं पाया हिम्मत कि चेतक के वो सम्मुख आएं ।

हो बेखबर घोड़ा दौड़ा अरिदल सेना की टोली में ,

तलवारे भी झूम रहीं थीं लाल लहू की होली में ।

पर उन कटार के वारों से चेतक था लहूलुहान हुआ ,

स्वामी को संकट में पाकर वो भी थोड़ा परेशान हुआ ।

पर रुका नहीं था घायल होकर गहरी दरिया पार किया,

जिसपे सवार हो राणा ने था मुगलों का संहार किया ।



फिर थम गई सासे चेतक की इतिहास अभी तक जिंदा है ,

मुगलों के दामन पर अब तक उस बेईमानी का फंदा है ।

है फक्र हमारी धरती जिसके कड़ कड़ में बलिदानी है ,

सब जीव जन्तु और नर नारी की ऐसी अमर कहानी है ।l


गुरुवार, 29 जून 2023

दौड़-धूप कर आए बादल सूरज को ढक छाए बादल- डॉ एम डी सिंह ग़ाज़ीपुर

छाए बादल

दौड़-धूप कर आए बादल
सूरज को ढक छाए बादल

मोर मुदित हैं दादुर हर्षित
झींगुर हर्ष कर रहे प्रदर्शित
वायु बना रथ दौड़ रहा है
मेघदूत हो रहे आकर्षित

खूब सभी को भाए बादल
सूरज को ढक छाए बादल

ताल तलैया कूप भर रहे
लोग नदी को देख डर रहे
पानी -पानी हुई धरा है
मेघराज हर्षनाद कर रहे

साथ दामिनी लाए बादल
सूरज को ढक छाए बादल

देखो हुई प्रकृति बावली
हरियाली भी है उतावली
बादल सखे को देख काला
लो धरती भी हुई सांवली

सागर के हैं जाए बादल
सूरज को ढक छाए बादल

रचना-डॉ एम डी सिंह




स्वर्ग से सुंदर बाटे युवराजपुर गंउवा हमार रचना नृपजीत सिंह ग़ाज़ीपुर



पावनी गंगा माई के होखेला पहरा जहाँ,नृपजीत
माई के गर्भवे में गूंजे रामनामी लहरा जहाँ,
साधु संतन से होला जहवाँ माटी के सिंगार
स्वर्ग से सुंदर बाटे युवराजपुर गंउवा हमार,

संस्कृति संस्कार जहवाँ जनमे से बा
अतिथि सत्कार जहवाँ कण कण में बा
जहवाँ उपजेलन बिरना देसवा के कर्णधार
स्वर्ग से सुंदर बाटे युवराजपुर गंउवा हमार,

नृपजीत सिंह (निप्पी सिंह)



दीपक राग से दीप जलाकर राग मिलन से दिल मिलाओ- रचना नृपजीत सिंह ( पप्पू सिंह)

दीपक राग से दीप जलाकर
राग मिलन से दिल मिलाओ
मिश्र राग में घोल के सबको
राग देश से देश जगाओ

प्रेम के सुर से सजा के बंदिश
एक दूजे को गले लगाओ
ताल मिलाओ चाल मिलाओ
मिलकर दीपावली मनाओ

आप सभी भारतवासियों को दीपावली की मंगलमयी शुभकामनाएं

नृपजीत सिंह ( पप्पू सिंह)
9711906728


लौटते समय कोई भी रामनाम सत्य है नहीं बोलता क्या रामनाम सत्य है बोलना मृत शरीर के अंतिम यात्रा का संकेत मात्र है ?

जीवन के क्रम में मृत्यु निश्चित है । अपने जीवन यात्रा में इंसान अनेक रिश्तों से गुजरता हुआ अंतिम पड़ाव पर पहुँचता है । ऐसे में मृत्यु की खबर तरंग की भाँति सभी रिश्तों को झकझोर देती है और उस व्यक्ति को जानने वाले सभी लोग मृत व्यक्ति के अंतिम यात्रा में शामिल होने पहुँच जाते हैं जो बिल्कुल करीबी होते हैं वो अनेक तरह की यादों को यादकरकरके दहाड़े मारमार कर रोते हैं कुछलोग रोते हुए लोगों को देखदेखकर रोते हैं । इसी क्रम में मृत व्यक्ति को चारलोग अपने कंधों पर उठा लेते हैं घर की संबंधी महिलाएं मृतशरीर को खुद से दूर जाते देख करूण क्रंदन करती हैं जिनको कुछ लोग संभालते ढाढस बंधाते हैं और बाकी लोग शव यात्रा में रामनाम सत्य है बोलते हुए घाट की तरफ चल देते हैं । रामनाम सत्य है की आवाज़ सुनकर राह से गुजरते बहुत से लोग नतमस्तक हो जाते हैं । फिर मृत शरीर घाट पर पहुंच जाता है । जहाँ लकड़ियों की खरीददारी, चिता निर्माण शुरु होता है । डोम अग्नि देने के लिए मुँह मागी रकम मांगता है । वहाँ भी मोलभाव शुरू हो जाता है । चिता अग्नि को समर्पित हो जाती है राख को पवित्र जल में समर्पित करने हेतु पुनः मोलभाव होता है । वहाँ उपस्थित सभी लोग जीवन की क्षणभंगुरता की चर्चा कर कहते हैं कि जीवन में कुछ रखा नहीं है । झूठमूठ का सभी लोग हायहाय किये रहते हैं । राजा रंक सभी को एक दिन यहीं आना है ।

इसप्रकार अंतिम यात्रा में शामिल सभी लोग घाटस्नान करके वापस अपने अपने गंतव्य की ओर चल देते हैं ।

लौटते समय कोई भी रामनाम सत्य है नहीं बोलता । क्या रामनाम सत्य है बोलना मृत शरीर के अंतिम यात्रा का संकेत मात्र है ?

लेखक- प्रवीण तिवारी पेड़ बाबा
ग़ाज़ीपुर उत्तर प्रदेश


सोच रहा हूं किससे पूछूं डॉ एम डी सिंह ग़ाज़ीपुर उत्तर प्रदेश

सोच रहा हूं किससे पूछूं

अमूर्त की अभिलाषा है भाषा
मूर्त की परिभाषा है भाषा
हम कह सकें समझा सकें
अंतःकरण को गा सकें
अभिव्यक्ति की प्रत्याशा है भाषा

परभाषा पहचान नहीं है
बातचीत की जान नहीं है
कौन राष्ट्र क्या बोल रहा है
किन शब्दों से मुख खोल रहा है
वर्तिका किन अक्षरों से तोल रहा है
पूछ रहे संपूर्ण जगत की
जिज्ञासा है भाषा

मैं मिला एक दिन पूछा उससे
तुम किस देश की भाषा हो हिंदी
चुप क्लान्त
बोल रहे भिन्न-भिन्न तुम सभी जन
तुम्हारी गढ़ भाषा क्या है
चुप नितांत
पूछा मैंने अपने जनक राष्ट्र से
तुम ही बोलो तुम्हारी भाषा क्या
चुप आद्यांत

सोच रहा हूं किससे पूछें ?


रिश्तों की दीवार खड़ी तो दर का होना बनता है- डॉ एम डी सिंह ग़ाज़ीपुर

रिश्तों की दीवार खड़ी तो दर का होना बनता है
माता-पिता हैं पास फिर तो डर का होना बनता है

चला आ रहा जो मुद्दत से दुनिया का दस्तूर है यह
पत्नी का हो गया जुगाड़ तो घर का होना बनता है

बिना उड़े न मिले आकाश बड़े बुजुर्ग हैं बता गए
सपने जुटा लिए हैं कुछ तो पर का होना बनता है

घिसट -घिसट ना चले जिन्दगी दौड़ लगाना तो होगा
बोझ जग का ढोना है तो सर का होना बनता है

दिखना है तो जलना होगा धू-धू करके
कर्म पथ पर
बहते हुए पसीने से तो तर का होना बनता है

डॉ एम डी सिंह


शीर्षासन हठ योग का प्रमुख आसन है- डॉ एम डी सिंह ग़ाज़ीपुर उत्तर प्रदेश

शीर्षासन

हठ योग का प्रमुख आसन है शीर्षासन। देखने में बहुत आसान है, किंतु है नहीं। सच पूछिए तो हठयोग शरीर को कठोर बनाने वाला योग है। हठयोग के योगासन दर्शक को तो चमत्कृत करते ही हैं सहज योगियों को भी प्रलोभित करते हैं। यही कारण है की अनेक हठयोगीय आसन सहजयोगीय आसनों के साथ स्वीकार कर लिए गए हैं। उनमें से प्रमुख है शीर्षासन।

कभी आपने उदरासन, वक्षासन, पृष्ठासन
अथवा हस्तासन का नाम सुना क्या? नहीं न? फिर शीर्षासन ही क्यों? जी हां आपने सही सुना, सिर के बल उल्टा खड़े हो जाने मात्र से शीर्षासन संपन्न नहीं हो सकता। अध्यात्म की तरह बहुत ही गंभीर और गूढ़ आसन है यह। शीर्षासन नहीं इसे जड़ासन कहना उचित रहेगा। इस आसन का सबसे बड़ा योगी है वृक्ष। सर मिट्टी में गाड़, मन को जड़ बनाकर जीवन पर्यंत एक स्थान पर खड़ा वृक्ष ही इस आसन का प्रतीक है।

जब हम सीधा खड़ा होकर वृक्षासन करते हैं तो उसके वाह्य वैभव को अपने भीतर आवाहित करते हैं। किंतु जब हम सिर के बल खड़ा होकर वृक्षासन करते हैं तो उसकी अंतर चेतना, उसके जड़त्व को अपने भीतर आवाहित करते हैं।

मन पर विजय, अवसाद से मुक्ति और जगत को समर्पित लंबा जीवन चाहिए तो शीर्षासन अर्थात जड़ासन सर्वोत्तम है।
वृक्ष की सबसे बड़ी शक्ति उसका सहज समाधिस्थ होना है। जब मन विचलित हो, सुस्त हो जाए, अनिर्णय की स्थिति हो, याददाश्त में कमी आ रही हो अथवा चिंताओं का पहाड़ सर पर टूट पड़े तो कुछ देर शीर्षासन कर लेना अत्यंत लाभदायक होगा।

अकेले अथवा किसी के सहयोग से या किसी दीवाल के सहारे सर के बल खड़ा होकर शांति चित्र भाव से वृक्ष के जड़त्व को अपने भीतर प्रवाहित होते हुए महसूस कीजिए।

अत्यंत उच्च रक्तचाप एवं सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस से पीड़ित व्यक्ति इस आसन को करने से बचें।

यह आसन होम्योपैथिक औषधियों इग्नेशिया, एनाकार्डियम ओरियंटेलिस, जेलसिमिय., ओपियम , बेराईटा कार्ब,
पिक्रिक एसिड इत्यादि की कार्य क्षमता को बढ़ा सकता है।
(दवा के साथ योग का निर्णय होमियोपैथिक चिकित्सक को करना चाहिए)

(अपनी पुस्तक 'समग्र योग सिद्धांत एवं होम्योपैथिक दृष्टिकोण' से)
डॉ एम डी सिंह


प्रेम किया पूर्णिमा से,अमावस वाली रात थी- रचना नृपजीत सिंह


प्रेम किया पूर्णिमा से,अमावस वाली रात थी
चाँद मेरे साथ था, घनघोर बरसात थी,
तड़प रहा था आसमां, चाँदनी बदहवास थी
कड़कड़ाती बिजली को भी चूमने की आस थी
बादलों की गड़गड़ाहट में बारिस की अट्टहास थी
प्रेम किया पूर्णिमा से,अमावस वाली रात थी

तन्हाई नग्न थी, ख़ामोशी मग्न थी
यादों का तांडव था, दिल में द्वन्द थी
सन्नाटे का बसेरा था, उम्मीदों का सबेरा था
सपनों के गाँव में, दोनों का डेरा था
साँसों की सरसराहट में संबंधों की सौगात थी
प्रेम किया पूर्णिमा से,अमावस वाली रात थी

जुगनुओं का पहरा था, राज बड़ा गहरा था
झिंगुरों की झनझनाहट थी समय भी ठहरा था
धड़कनो का शोर था, चित्त में चित्तचोर था
प्यार के अफ़साने थे, बहकने के बहाने थे
अंगड़ाई के कारवां में ख़यालों की ज़मात थी
प्रेम किया पूर्णिमा से,अमावस वाली रात थी

रचना- नृपजीत सिंह
युवराजपुर ग़ाज़ीपुर उत्तर प्रदेश





बहुत कठिन बा जिनिगिया के जिईल सुख दुख के सुई धागा लेके एके सियल- अजय त्रिपाठी

बहुत कठिन बा जिनिगिया के जिईल-२
सुख दुख के सुई धागा-२ लेके एके सियल।
बहुत कठिन बा जिनिगिया के जिईल-२

केहू के भरोस नईखे मन भयभीत बा
परला पर केहू नाही हित के मीत बा-२
रोज रोज आँसुओ के-२ घोट इहा पीयल
बहुत कठिन बा जिनिगिया के जिईल-२

केकरा का आपन कही केकरा गैर हो
आगे बढ़त देख खींचे सब पैर हो-२
सहे के बधाव एहिजा-२ अपने के दीहल
बहुत कठिन बा जिनिगिया के जिईल-२

साथ रही तबले तोहरा जबले बा अरथ
छोड़ी दही साथ तुरते पुरते सवारथ-२
चुकता करके के पड़ी-२ जवन बाटे लिहल

बहुत कठिन बा जिनिगिया के जिईल-२
सुख दुख के सुई धागा-२ लेके एके सियल।
बहुत कठिन बा जिनिगिया के जिईल-२

गायक- श्री मदन राय जी
रचना- श्री अजय त्रिपाठी



ईत बेटी नाही हई गंगा जल हई हो, ईत परम् पवित्र तुलसी दल हई हो

ईत बेटी नाही हई गंगा जल हई हो-२
ई त परम् पवित्र तुलसी दल हई हो

ईत बेटी नाही हई गंगा जल हई हो-२
ई त परम् पवित्र तुलसी दल हई हो

नइहर आ ससुरा में उमर बट जाला-२
सुखवा अ दुखवा में दिन कट जाला
दिन कट जाला
बारहो मास फले वाली ऋतु फल हई हो

ई त परम् पवित्र तुलसी दल हई हो
ईत बेटी नाही हई गंगा जल हई हो

सीमा वाले सैया के कटान हई बेटी
भाई के कलाई के दुलार हई बेटी
दुलार हई बेटी
पति पुत्र और धरती के बल हई हो

ई त परम् पवित्र तुलसी दल हई हो
ईत बेटी नाही हई गंगा जल हई हो

अन्नपूरर्णा लक्ष्मी सरस्वती कहाली-२
हो जब समर रण चण्डी बन जाली
रण चण्डी बन जाली
भलही अबला कहाली ई सबल हई हो

ई त परम् पवित्र तुलसी दल हई हो
ईत बेटी नाही हई गंगा जल हई हो

गायक- व्यास जी मौर्या


बुधवार, 28 जून 2023

है शम्भू तिहारी इच्छा से हम द्वार तिहारे आये है संताप भरा मन ले करके संताप छुड़ाने आये है।। गीत अभय नाथ तिवारी

है शम्भू तिहारी इच्छा से हम द्वार तिहारे आये है।-२
संताप भरा मन ले करके संताप छुड़ाने आये है।।

है देवेश्वर, है त्रिपुरारी है नीलकंठ कल्याण करो
इस जनम मरण के बंधन को आसान करो
हम श्रद्धा सुमन चढ़ाने को ही अब द्वार तिहारे आये है
है शम्भू तिहारे…

है महादेव, है आदिदेव, है कामदई, है कालदेई, है काशी वासी, है भोले, है गंगाधर, है प्रेममयी
ॐ नमः शिवाय, हरि ॐ नमः शिवाय, हरि ॐ नमः शिवाय
महादेव, है आदि देव है है कामदई है कालदेई है काशी वासी, है गंगाधर
हम भंग धतूरा और बेल पत्र लेकर तुम्हें मनाने आये है

है शम्भू तिहारी इच्छा से द्वार तिहारे आये है।
ॐ नमः शिवाय, हरि ॐ नमः शिवाय, हरि ॐ नमः शिवाय

गीत- अभय नाथ तिवारी जी
गायन- श्री व्यास जी मौर्या


अपने कर्मो के प्रति ईमानदारी की भावना रख कर भविष्य की चिंता परमात्मा पर छोड़ दीजिए

किसी जंगल मे एक गर्भवती हिरणी थी जिसका प्रसव होने को ही था . उसने एक तेज धार वाली नदी के किनारे घनी झाड़ियों और घास के पास एक जगह देखी जो उसे प्रसव हेतु सुरक्षित स्थान लगा.
अचानक उसे प्रसव पीड़ा शुरू होने लगी, लगभग उसी समय आसमान मे काले काले बादल छा गए और घनघोर बिजली कड़कने लगी जिससे जंगल मे आग भड़क उठी .
वो घबरा गयी उसने अपनी दायीं और देखा लेकिन ये क्या वहां एक बहेलिया उसकी और तीर का निशाना लगाये हुए था, उसकी बाईं और भी एक शेर उस पर घात लगाये हुए उसकी और बढ़ रहा था अब वो हिरणी क्या करे ?,
वो तो प्रसव पीड़ा से गुजर रही है ,
अब क्या होगा?,
क्या वो सुरक्षित रह सकेगी?,
क्या वो अपने बच्चे को जन्म दे सकेगी ?,
क्या वो नवजात सुरक्षित रहेगा?,
या सब कुछ जंगल की आग मे जल जायेगा?,
अगर इनसे बच भी गयी तो क्या वो बहेलिये के तीर से बच पायेगी ?
या क्या वो उस खूंखार शेर के पंजों की मार से दर्दनाक मौत मारी जाएगी?
जो उसकी और बढ़ रहा है,
उसके एक और जंगल की आग, दूसरी और तेज धार वाली बहती नदी, और सामने उत्पन्न सभी संकट, अब वो क्या करे?
लेकिन फिर उसने अपना ध्यान अपने नव आगंतुक को जन्म देने की और केन्द्रित कर दिया .
फिर जो हुआ वो आश्चर्य जनक था .
कडकडाती बिजली की चमक से शिकारी की आँखों के सामने अँधेरा छा गया, और उसके हाथो से तीर चल गया और सीधे भूखे शेर को जा लगा . बादलो से तेज वर्षा होने लगी और जंगल की आग धीरे धीरे बुझ गयी.
इसी बीच हिरणी ने एक स्वस्थ शावक को जन्म दिया .
ऐसा हमारी जिन्दगी मे भी होता है, जब हम चारो और से समस्याओं से घिर जाते है, नकारात्मक विचार हमारे दिमाग को जकड लेते है, कोई संभावना दिखाई नहीं देती , हमें कोई एक उपाय करना होता है.,
उस समय कुछ विचार बहुत ही नकारात्मक होते है, जो हमें चिंता ग्रस्त कर कुछ सोचने समझने लायक नहीं छोड़ते .
ऐसे मे हमें उस हिरणी से ये शिक्षा मिलती है की हमें अपनी प्राथमिकता की और देखना चाहिए, जिस प्रकार हिरणी ने सभी नकारात्मक परिस्तिथियाँ उत्पन्न होने पर भी अपनी प्राथमिकता "प्रसव "पर ध्यान केन्द्रित किया, जो उसकी पहली प्राथमिकता थी. बाकी तो मौत या जिन्दगी कुछ भी उसके हाथ मे था ही नहीं, और उसकी कोई भी क्रिया या प्रतिक्रिया उसकी और गर्भस्थ बच्चे की जान ले सकती थी
उसी प्रकार हमें भी अपनी प्राथमिकता की और ही ध्यान देना चाहिए .
हम अपने आप से सवाल करें,
हमारा उद्देश्य क्या है, हमारा फोकस क्या है ?,
हमारा विश्वास, हमारी आशा कहाँ है,
ऐसे ही मझधार मे फंसने पर हमें अपने इश्वर को याद करना चाहिए ,
उस पर विश्वास करना चाहिए जो की हमारे ह्रदय मे ही बसा हुआ है .
जो हमारा सच्चा रखवाला और साथी है..


शनिवार, 24 जून 2023

जग के पालन हार बने कैसे ललना झूले नन्दलाल आज यशोदा के पलना- अजय त्रिपाठी

जग के पालन हार बने कैसे ललना
झूले नन्दलाल आज यशोदा के पलना

जिसके भरोसे ये जग सारा,1
मांग रहा मईया से दे दे सहारा-२
टुकुर टुकुर देख रहा पलने से ललना
झूले नन्दलाल आज यशोदा के पलना
जग के पालन हार बने कैसे ललना

पर्वत नदिया जिससे बनती,दया दृष्टि से दुनिया चलती-२
गिर गिर उठ उठ सिख रहा ललना
झूले नन्दलाल आज यशोदा के पलना
जग के पालन हार बने कैसे ललना

अजब रूप प्रभु अपना बनाये, रुदन करत कभी कभी मुस्काये-२
देती है मईया ला के खिलौना
झूले नन्दलाल आज यशोदा के पलना
जग के पालन हार बने कैसे ललना

गीत संगीत - अजय त्रिपाठी
युवराजपुर ग़ाज़ीपुर
उत्तर प्रदेश


गौरी के पुत्र गणेश जी मेरे घर मे पधारों- गीत संगीत - श्री अजय त्रिपाठी

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

गौरी के पुत्र गणेश जी मेरे घर मे पधारों-४
घर मे पधारों मेरे घर मे पधारों-२
काटो सकल क्लेश जी मेरे घर मे पधारों
गौरी के पुत्र गणेश जी मेरे घर मे पधारों-२

एक दन्त दया वंत चार भुजा धारी
माथे सिंदुर शोभे मुस की सवारी
सर्व सिद्ध सर्वेश जी मेरे घर मे पधारों
गौरी के पुत्र गणेश जी मेरे घर मे पधारों-२

मोदक प्रिय मुद मंगल दाता
विद्या वारि धी बुद्धि विधाता
गणपति पुत्र उमेश जी मेरे घर मे पधारों
गौरी के पुत्र गणेश जी मेरे घर मे पधारों-२

शंकर सुवन भवानी नन्दन
चरण कमल पर सत सत बन्दन
रिद्धि सिद्धि के प्राणेश जी मेरे घर में पधारों
गौरी के पुत्र गणेश जी मेरे घर मे पधारों-२

पधारों ---
काटो सकल क्लेश जी मेरे घर मे पधारों
गौरी के पुत्र गणेश जी मेरे घर मे पधारों-२


गुरुवार, 22 जून 2023

गाँव बेचकर शहर खरीदा, कीमत बड़ी चुकाई है। जीवन के उल्लास बेच के, खरीदी हमने तन्हाई है।

गाँव बेचकर शहर खरीदा, कीमत बड़ी चुकाई है।
जीवन के उल्लास बेच के, खरीदी हमने तन्हाई है।

बेचा है ईमान धरम तब, घर में शानो शौकत आई है।
संतोष बेच, तृष्णा खरीदी, देखो कितनी मंहगाई है।। 

बीघा बेच स्कवायर फीट खरीदा, ये कैसी सौदाई है।  
संयुक्त परिवार के वट वृक्ष से टूटी, ये पीढ़ी मुरझाई है।।
  
रिश्तों में है भरी चालाकी, हर बात में दिखती चतुराई है।
कहीं गुम हो गई मिठास, जीवन से, हर जगह कड़वाहट भर आई है।।    

रस्सी की बुनी खाट बेच दी, मैट्रेस ने जगह बनाई है। 
अचार, मुरब्बे को धकेल कर, शो केस में सजी दवाई है।।  

माटी की सोंधी महक बेच के, रुम स्प्रे की खुशबू पाई है।  
मिट्टी का चुल्हा बेच दिया, आज गैस पे बेस्वाद सी खीर बनाई  है।।  

पांच पैसे का लेमनचूस बेचा, तब कैडबरी हमने पाई है।
बेच दिया भोलापन अपना, फिर मक्कारी पाई है।।
सैलून में अब बाल कट रहे, कहाँ घूमता घर- घर नाई है।
दोपहर में अम्मा के संग, गप्प मारने क्या कोई आती चाची ताई है।।  

मलाई बरफ के गोले बिक गये, तब कोक की बोतल आई है।  
मिट्टी के कितने घड़े बिक गये, तब फ्रिज में ठंढक आई है ।।
खपरैल बेच फॉल्स सीलिंग खरीदा, हमने अपनी नींद  उड़ाई है। 
बरकत के कई दीये बुझा कर, रौशनी बल्बों में आई है।।

गोबर से लिपे फर्श बेच दिये, तब टाईल्स में चमक आई है।
देहरी से गौ माता बेची, फिर संग लेटे कुत्ते ने पूँछ हिलाई है ।।
बेच दिये संस्कार सभी, और खरीदी हमने बेहयाई  है।
ब्लड प्रेशर, शुगर ने तो अब, हर घर में ली अंगड़ाई है।।  

दादी नानी की कहानियां हुईं झूठी, वेब सीरीज ने जगह बनाई है।
बहुत तनाव है जीवन में, ये कह के मम्मी ने दो पैग लगाई है।।
खोखले हुए हैं रिश्ते सारे, नहीं बची उनमें सच्चाई है।।

चमक रहे हैं बदन सभी के, दिल पे जमी गहरी काई है।

गाँव बेच कर शहर खरीदा, कीमत बड़ी चुकाई  है।।
जीवन के उल्लास बेच के, खरीदी हमने तन्हाई है।।

सादर!

मंगलवार, 20 जून 2023

ग़ाज़ीपुर संगीत के महान गुरु पं राम नरेश विश्वकर्मा जी का देहांत की खबर सुनकर मन व्यथीत है- लव तिवारी

मेरे संगीत के प्रथम गुरु पं॰ राम नरेश विश्वकर्मा जी का देहांत की खबर सुनकर मन व्यथीत हो गया है |अपने जीवन काल में गुरु जी ने हजारों शिष्य शिष्याओ को संगीत की शिक्षा प्रदान की |विगत कई दशकों से गुरुजी प्रयाग संगीत समिति की शाखा के द्वारा संगीत की शिक्षा दे रहे थे |आप लोगों को जानकर यह आश्चर्य होगा कि लगभग 100 वर्षों की आयु में भी वह संगीत की शिक्षा अपने शिष्यों को देते हुए मां सरस्वती के चरणों में विलीन हुए |अपने जीवन काल में मैंने ऐसे विलक्षण व्यक्ति को नहीं देखा जो तबला, सितार, गिटार, बांसुरी, जलतरंग, संतूर, हारमोनियम, माउथ ऑर्गन, इत्यादि वाद्य यंत्र कुशलता के साथ बजाते एवं सिखाते हो नृत्य की बारीकियां हो या गायन की चातुर्यता सभी कलाओं में गुरूजी प्रवीण एवं सिद्ध कलाकार थे |अपना गुरु मां सरस्वती को ही मानते थे इसी कारण से वे संगीत के उस शिखर पर पहुंच पाए जहां तक लोग सोच नहीं सकते हैं |बहुत ही ज्यादा यादें जुड़ी हुई हैं जो कि लिखकर बताया नहीं जा सकता है |भगवान गुरु जी के आत्मा को शांति प्रदान करें |ओम शांति शांति शांति 🙏🙏🙏🙏🙏



रविवार, 18 जून 2023

गाजीपुर की महान लेखिका एवं समाजिककार्यकर्ता डॉ विमला मिश्रा जी का संक्षिप्त परिचय एवं रचनाएं

प्रारूप
नाम : डॉ विमला मिश्रा
जन्मतिथि : ०१-१२-१९४९
माता का नाम : स्वर्गीय सुन्दरी देवी
पिता का नाम : स्वर्गीय राम सूरत मिश्र
जन्म स्थान : जिला ग़ाज़ीपुर उत्तर प्रदेश
शैक्षिक योग्यता : बी. ए., बीएड, एम. ए. संस्कृत पी.एच.डी
संप्रति (पेशा) : शिक्षण संप्रति अवकाश प्राप्त
विधाएं : काव्य विधा, कहानी लेख विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित
साहित्यिक गतिविधियां : सहित्यगोष्टी में प्रतिभाग, काव्यपाठ
प्रकाशित कृतियां : काव्य संकलन, कहानी संग्रह शीघ्र प्रकाशन
पुरस्कार सम्मान : युवा गौरव सम्मान, तहरी के मसावत समान, अनेक सम्मान।
संपर्क सूत्र : डॉक्टर विमला मिश्रा मुहल्ला नियाज़ी ग़ाज़ीपुर उत्तर प्रदेश २३३००१

मोबाइल न.- +91-9415887230, +91-7905372216
ईमेल - vimla22mishra@gmail.com

विशेष परिचय : डॉक्टर विमला मिश्रा जी राजकीय बालिका विद्यालय गाजीपुर में प्रवक्ता के पद पर कार्यरत थी। अच्छी शिक्षक होने के साथ-साथ एक अच्छे समाजसेविका के रूप में गाजीपुर की जनता इन्हें जानती है। साथ-साथ गद्य लेखन, काव्य पाठ, विचार गोष्ठी तथा गाजीपुर की तमाम साहित्यिक मंच पर उनकी जज के रूप में एक बेहतरीन कार्य और सहभागिता देखी जाती है।।





शनिवार, 17 जून 2023

रुस्तमे हिंद भारत के प्रसिद्ध पहलवान मंगला राय ग़ाज़ीपुर उत्तर प्रदेश

भारत के प्रख्यात पहलवान -5
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मंगला राय भारत के एक प्रसिद्ध पहलवान थे। मंगला राय का जन्म 24 जून 1916 में उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जनपद के जोगा मुसाहिब गांव में क्वार महीने में हुआ था। उनके पिता का नाम रामचंद्र राय था। रामचंद्र राय और उनके छोटे भाई राधा राय अपने जमाने के मशहूर पहलवान थे। उन्ही की तरह मंगला राय और उनके छोटे भाई कमला राय ने भी कुश्ती में काफी नाम और यश प्राप्त किया। रामचंद्र राय और राधा राय दोनों अपने जवानी के दिनों में जीविकोपार्जन के चलते म्यांमार (बर्मा) के रंगून में रहते थे जहाँ दोनों एक अखाड़े में रोजाना अभ्यास और कसरत करते थे। दोनो भाइयों में राधा राय ज्यादा कुशल पहलवान थे और उन्होंने ही अपने दोनों भतीजों को कुश्ती की पहली तालीम दी और दाव-पेंच के गुर सिखाए।
महान पहलवान रुस्तम-ए-हिंद मंगला राय का जन्म अक्टूबर, 1916 में उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के जोगा मुसाहिब गांव के एक भूमिहार ब्राह्मण किसान परिवार में हुआ था।. उनके पिता रामचंद्र राय और उनके चाचा राधा राय भी प्रसिद्ध पहलवान थे। 16 वर्ष की आयु प्राप्त करने के बाद वे सिपाही के रूप में पुलिस सेवाओं में शामिल हुए लेकिन उनकी नियति कुछ अलग और महत्वपूर्ण की प्रतीक्षा कर रही थी। उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और बर्मा (म्यांमार) चले गए जहां उनके पिता और चाचा रह रहे थे और अपने पेशेवर करियर का पीछा कर रहे थे। रंगून में मंगला ने कुश्ती सीखना शुरू किया। उन दिनों बनारस के महान पहलवान शिव मूरत तिवारी भी रंगून के एक अखाड़े में अभ्यास कर रहे थे। उन्होंने इस युवा आकांक्षी की काया को देखा और उसे प्रशिक्षित करना शुरू किया। शिव मूरत तिवारी ने मंगला को कुश्ती की दक्षिण-पूर्व एशियाई चालों का मास्टर बना दिया। कुछ वर्षों के बाद मंगला राय अपनी मातृभूमि वापस आ गए लेकिन वे अपने पहले गुरु को कभी नहीं भूले। उन्होंने अपने गुरु के प्रति आभार प्रकट करते हुए अपनी बड़ी पुत्री का नाम 'शिव मूरत' रखा।
मंगला राय ने व्यायाम के कठिन नियम का पालन किया। 9 किलोमीटर पैदल चलने के बाद वे चार हजार स्क्वैट्स और दो हजार पांच सौ पुशअप्स करते थे। कभी-कभी वे रोप ट्रेनिंग भी किया करते थे। मंगला राय की लंबाई 6 फीट 3 इंच और वजन 160 किलोग्राम था।
रंगून में फत्ते सिंह और ईशा नट के साथ अपनी पहली बाउट के ठीक बाद मंगला राय लोगों के ध्यान में आए। उन्होंने अपने मशहूर मूव 'गदाहलेट' से दोनों चैंपियंस को रिंग में धूल चटाई। 1933 में वे भारत वापस आए और इलाहाबाद के मुस्तफा पहलवान को चुनौती दी। मुस्तफा ने उन्हें नौसिखिए के तौर पर लिया लेकिन 5 मिनट में ही फिदा हो गए जब मंगला राय ने पूरी ताकत से बाहराली का इस्तेमाल किया। इस प्रसिद्ध मुकाबले के बाद भारत में कुश्ती के एक सितारे का जन्म हुआ।

फख्र-ए-हिंद और रुस्तम-ए-पाकिस्तान गुलाम ग़ौस को हराने के बाद उन्होंने रुस्तम-ए-हिंद की उपाधि अर्जित की। अपने कैरियर के तीन दशकों में उन्होंने पचानवे प्रतिशत मुकाबलों में जीत हासिल की, जो लगभग एक जीवित मिथक बन गया। कुश्ती का यह दिग्गज इतना करिश्माई खिलाड़ी था कि वह पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बना रहा। दुख हरण झा कुश्ती में परास्त होने के बाद इनके अनन्य भक्त हो गए ।
बनारस में गुलाम गौस को हराने के बाद भारत नरकेसरी मंगला राय ने जार्ज कांस्टेनटाइन की चुनौती स्वीकार की। रोमानियाई पहलवान जॉर्ज को 'यूरोप का टाइगर' कहा जाता था। यूरोप में अपने सभी प्रतिद्वंद्वियों को हराने के बाद उन्होंने कलकत्ता ( कोलकाता ) में डेरा डाला कि कोई भी उन्हें रिंग में चुनौती दे सकता है। उनकी चुनौती को स्वीकार करने के लिए प्रसिद्ध पूरन सिंह और केसर सिंह आगे आए। लेकिन महामल्ल मंगला राय ने न केवल उनका सामना किया बल्कि उन्हें धूल चटाई।
1963 के वर्ष में मंगला राय ने प्रसिद्ध पहलवान मेहरदीन के साथ कुश्ती के अपने अंतिम मुकाबले का सामना किया। मंगला राय 47 साल के थे जबकि मेहरदीन केवल 27 साल के थे, हालांकि मंगला राय ने अपने प्रसिद्ध बहारल्ली दाव का इस्तेमाल किया और मेहरद्दीन को रिंग से बाहर कर दिया गया। लेकिन बुढ़ाते रुस्तम-ए-हिंद की सहनशक्ति कम होने के कारण लड़ाई ड्रा घोषित कर दी गई। इस लड़ाई के बाद मंगला राय ने कुश्ती के कैरियर से संन्यास की घोषणा कर दी। उन्होंने अपने पैतृक गाँव में एक शांतिपूर्ण किसान का जीवन व्यतीत करना शुरू कर दिया। उन्होंने व्यायाम के कठिन आहार को बंद कर दिया और दुर्भाग्य से उन्हें मधुमेह हो गया। उनका स्वास्थ्य बिगड़ने लगा। मल्टी ऑर्गन फेलियर के कारण उन्होंने 24 जून 1976 को वाराणसी शहर में अंतिम सांस ली । मंगला राय का शरीर कितना बलिष्ट था उतना उनका शरीर सौष्टौ अद्भुत था । वे आपवादिक तौर पर खूबसूरत थे । लंबाई और गठा कसरती देह के कारण कही भी अलग से पहचाने जाते थे। इसी कारण इन्हें रुस्तमे हिंद कहा जाता था।


शुक्रवार, 16 जून 2023

एकलव्य ने अपना अंगूठा काटा था तो द्रोणाचार्य भी मात्र एक चुल्लू दूध के लिये तरसे -रामेश्वर शुक्ला

एकलव्य ने अपना अंगूठा काटा था तो द्रोणाचार्य भी मात्र एक चुल्लू दूध के लिये तरसे थे, अपमानित भी किये गये थे...
उस युग में एक ही अपराध के लिये ब्राह्मण को किसी शूद्र की अपेक्षा सोलह गुना अधिक दंड भी मिलता था... क्योंकि समझा जाता था कि ब्राह्मण ज्ञानी है और जानकर किया गया अपराध अज्ञानता में किये गये अपराध से अधिक दंडनीय है...
इस लिहाज से तो महाभारत काल ब्राह्मण विरोधी हो गया और "मनुस्मृति" भी ब्राह्मण विरोधी ही हुई फिर...!
उसी युग में एक मछुआरन की संतान "वेदव्यास" ने "महाभारत" लिखी थी, और "त्रेतायुग" में "वाल्मीकि" ने "रामायण" लिखी थी...!
जब एकलव्य की जाति बताते हो तो क्षत्रिय भीम की पत्नी हिडिम्बा की जाति भी बता दो और ये भी बता दो कि उसी हिडिम्बा के पोते "खाटू श्याम जी" (दलित) को साक्षात् श्रीकृष्ण भगवान् की तरह पूजा क्यों जाता है...?
न्याय-अन्याय हर युग में होते हैं और होते रहेंगे, अहंकार भी टकरायेंगे...कभी इनका तो कभी उनका...यह घटनायें दुर्भाग्यपूर्ण होती हैं पर उससे भी दुर्भाग्यपूर्ण होता है इनको जातिगत रंग देकर उस पर विभाजन की राजनीति करके राष्ट्र को कमजोर करना...!
यदि किसी मूर्ख सवर्ण ने अगर भीमराव जी का अपमान किया था तो *किसी समझदार सवर्ण ने ही उनको पढ़ाया भी था और किसी सवर्ण ने अपना सरनेम आम्बेडकर भी दिया था तो किसी ने चुनाव हारने पर राज्यसभा भी पहुचाया...किसी एक घटना को अपने स्वार्थ के लिए बार-बार उछालना और बाकी घटनाओं पर मिट्टी डालना कौन सा चिंतन है ?
सवर्ण क्षत्रिय नंदवंश का समूल नाश कर चंद्रगुप्त नाम के शूद्र पुत्र को चक्रवर्ती सम्राट् बनाने वाला चाणक्य कौटिल्य नाम का ब्राह्मण ही था...!

यह दलित चिंतन नहीं है, यह केवल राष्ट्रद्रोहियों द्वारा थोपा हुआ दोगला चिंतन है जो बटवारे की राजनीति करते हैं...!

विवाद गढना, विवाद को हवा देना, वातावरण मलीन करना विरोध का विघातक तरीका है। जब दर्शन/दृष्टि ही नहीं है राष्ट्र के लिए तो समाज को बांटकर ही सत्ता संधान की कोशिश हो रही है। इस विधि से दशकों तक सत्ता का दोहन कर चुके गिरोह फिर सक्रिय है... इनके पास न सोच है न ही विचार।

वन्दे मातरम! ( साभार ) Rameshwar shukla




बुधवार, 14 जून 2023

हवस की एक अनोखी कहानी जो आदमी को हैवान बना दी है- लेखक लव तिवारी ग़ाज़ीपुर


वास्तव में जाति मनुष्यों के अंतर्विवाही समूह या समूहों का योग है जिसका एक सामान्य नाम होता है, जिसकी सदस्यता व्यक्ति द्वारा अर्जित न होकर उसकी जन्मना से प्राप्त होती है, जिसके सदस्य समान या मिलते जुलते पैतृक धंधे या धंधा करते हैं और जिसकी विभिन्न शाखाएँ समाज के अन्य समूहों की अपेक्षा एक दूसरे से अधिक निकटता का अनुभव करती हैं।

प्राचीन काल में जाति का वास्तविक और उनके कार्यों से होता था कार्य का तात्पर्य है अगर व्यक्ति पानी संबंधी काम करता था तो उसे हम कमकर खैरवार करते थे अगर व्यक्ति का सम्बंध पशुपालन तो यादव अहीर, ३ व्यक्ति मिट्टी के बर्तन बनाता था तो कुम्हार कहलाता है। ४ पान संबंधी व्यवसाय को करने वाला व्यक्ति पुणेरी कहलाता था, ६ दैनिक जीवन की संपूर्ण आवश्यक वस्तु की पूर्ति करने के लिए एक व्यवसाय को करने वाले व्यक्ति को हम बनिया खाते थे। ऐसे ही अन्य जीवन यापन करने के लिए तमाम प्रकार की जाति की व्यवस्था थी।

प्राचीन काल में भारत के जीवन को यापन करने के लिए जैसा कि मैंने दूसरे पैराग्राफ में लिखा है जातिवाद की व्यवस्था थी, भारत के स्वतंत्रता के बाद जातियों को आरक्षण के आधार पर मुख्यतः 4 या 5 भागों में बांटा गया।

सामान्य, पिछड़ी, अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति।

प्राचीन काल और अब भी आधुनिक काल जातियों के बीच में वर्चस्व को लेकर मतभेद रहे हैं, लेकिन बड़ी जाति छोटी जाति के शारिरिक उत्पीड़न के संबंध में उनका सारा प्राचीन काल की परंपरा, संस्कार, सभ्यता, संस्कृति, और पुरानी आधार पर बनाए गए रीति रिवाज को ताख पर रखकर उसे शारीरिक संबंध रखने को आतुर हो जाते हैं। ऐसी सामाजिक प्रपंच, ढकोसले पन , रूढ़िवादी से क्या लाभ है।

हमारी गाजीपुर शहर में एक बसुका गांव है। जहां इस क्षेत्र की तमाम बड़ी जाति छोटी जाति अपने शारीरिक हवस को मिटाने के लिए वहां उनके घर आते जाते हैं। वेश्यावृत्ति एवं वेश्याओं के घर अक्सर बड़े जाति के लोगों का ही आना जाना है। उदाहरण के रूप में वेश्या से शारीरिक सम्बन्ध बनाकर उसके द्वारा उतपन्न लड़की फिर से वेश्यावृत्ति में और लड़के भडुआ का काम करते है। उतपन्न वेश्या से उनके घर परिवार की अगली पीढ़ी फिर से वेश्यावृत्ति करती है। कहने का सीधा मतलब की वेश्या की माँ से लड़के का पिता लगा है तो वेश्या स खुद लड़का । इस घोर कलयुग में इस तरह के और भी अन्याय हो रहे है। अभी धरती पर ऐसे बहुत से पाप है जिसका उजागर होना बाकी है, हम अपनी अगले पोस्ट में ऐसे ही कुछ नए ज्वलंत मुद्दों को लेकर आपके पास हाजिर होंगे।

धन्यवाद- लेखक लव तिवारी


श्वेत कफ़न में लिपटी वह निर्जीव काया कुछ क्षणों पहले कुछ रिश्तों से बंधी एक पहचान लिये सजीव थी, हम सब के मध्य में।

मृत्यु- 
श्वेत कफ़न में लिपटी
वह निर्जीव काया
कुछ क्षणों पहले
कुछ रिश्तों से बंधी
एक पहचान लिये
सजीव थी, हम सब के मध्य में।

एक प्यारा नाम था
कुछ प्यारे सम्बोधन थे
सिर्फ कुछ समय पहले ही
सब के मन में बसी थी
जब साँसों की तार जुडी थी
उसकी अपने ह्रदय से।

काल की पदचाप की
न कोई पहचान थी
बस हाथ बढ़ा उसने तोड़ी
साँसों की एक डोर थी
हम सब के समक्ष ही
बुझ गई जीवन ज्योति थी।

सम्बोधन सब मिट गए
नाम पता सब खो गया
अंत में नाम बस
पार्थिव शरीर ही रह गया
भूल गए सब क्या कभी
इसकी कोई पहचान थी?

छूट गयी जब आत्मा भी
तन के इस बंधन से तो
छोड़ इस काय का मोह
उड़ चली अनंत में वो
साँसों की एक डोर से ही
क्या इससे जुडी थी वो ?

चल पड़ी कन्धों पर सवार
सब कुछ पीछे छोड़ कर
नया नाम 'अर्थी' का ले
कैसे है खामोश पड़ी
अपनी अंतिम यात्रा में
अपने ही संस्कार को।



आदिपुरुष: फिल्म देखनी है या नहीं ? अगर देखनी है तो क्यों देखनी है- श्री माधव कृष्ण

आदिपुरुष: फिल्म देखनी है या नहीं?

प्रभास अभिनीत आदिपुरुष रिलीज़ होने वाली है. इस पर कुछ विवाद भी हो रहे हैं, कुछ प्रतिक्रियाएं भी आ रही हैं, कुछ लोग बहिष्कार करने की घोषणा कर चुके हैं और कुछ लोग इस फिल्म को न देखने के कारणों पर चर्चा कर रहे हैं.

पहले निष्कर्ष: यह फिल्म देखनी चाहिए क्योंकिं इस फिल्म में आदिपुरुष भगवान् श्रीराम अपने उदात्त चरित्र और मानवीय मूल्यों के साथ वैश्विक स्तर पर बड़े पर्दे पर उपस्थित होंगे.

अब कारण:
अनेक लोग कुछ समय पहले इस बात पर दुःख व्यक्त कर रहे थे कि फिल्मों में हिन्दुओं और हिन्दू धर्म को विकृत करके दिखाया जाता है. अब उन्हें आपत्ति क्यों जब भारत के महानायक का महिमामंडन किया जा रहा है! इतने बड़े स्केल पर.

एक धर्मचार्य ने कहा कि भगवान् राम और लक्ष्मण को दाढ़ी और मूंछों के साथ दिखाया जाना गलत है. धर्माचार्य साहब के धर्म की समझ पर मुझे संदेह है. भगवान अपने भक्तों के सामने उसके इष्ट रूप में प्रकट होते हैं. भयाक्रांत प्रहलाद के समक्ष वह संसार का विनाश कर देने वाले नृसिंह के रूप में प्रकट होते हैं. यदि एक भक्त उन्हें दाढ़ी मूंछों के साथ देखना चाहता है तो क्या समस्या है? वह तो बंदर, सिंह, वराह और बौने के रूप में भी प्रकट होते हैं.

किसी ने कहा कि इतिहास को इतिहास की तरह दिखाया जाना चाहिए. नवीन तकनीकी जैसे vfx का प्रयोग कर इस फिल्म को कार्टून और अविश्वसनीय बना दिया गया है. मैं तो कहता हूँ कि भगवान् श्री राम और हनुमान जी जैसे सभी रामायण के नायकों के जीवन मूल्य अविश्वसनीय हैं.

हर प्रकार की नवीन तकनीकी का प्रयोग कर आज भगवान् श्रीराम की कथा को और नए तरीके से दिखाना और सुनाना चाहिए जिससे कि आधुनिक पीढ़ी आनन्द के साथ उस कथा और लीला को ग्रहण करे.

एक विवाद जुड़ गया फिल्म के निर्देशक द्वारा माँ सीता की भूमिका निभा रही अभिनेत्री कृति सेनन को गले लगाना और पाश्चात्य तरीके से गाल पर हल्का विदाई चुम्बन देना. अब इस पर भी यदि बहस करनी पड़े, तो लानत है लोगों की बुद्धि पर. अभिनेत्री का कार्य है एक भूमिका निभाना, और आप उससे आशा करेंगे कि वह आजीवन माँ सीता बनकर रहे, तो आप इस धरती पर निश्चित ही बोझ हैं.

इस फिल्म को देखना इसलिए भी जरूरी है ताकि ऐसी फ़िल्में बनती रहें. पृथ्वीराज चौहान बनाने वाले डॉ चन्द्र प्रकाश द्विवेदी का फिल्म के फ्लॉप होने पर हताशा दुखद थी. यदि यह फिल्म भी फ्लॉप हो जाए तो आप सभी सेक्स, कॉमेडी, आतंकियों माफियाओं व आक्रमणकारियों को महिमामंडित तथा भारतीय मूल्यों को विकृत करने वाली फ़िल्में देखने के लिए ही बने हैं.

कुल मिलाकर, आदिपुरुष से जुड़े सभी दुराग्रहों और दुराशाओं को त्यागकर रामायण की कहानी को सिनेमाघरों में बड़ी संख्या में सपरिवार जाकर देखिये, और हाँ! ये बात-बात पर बहिष्कार करना छोड़ दीजिये. शोभा नहीं देता शास्त्रार्थ की भूमि भारत पर ऐसा बचकानापन.

माधव कृष्ण
१४.६.२३
वृन्दावन






रविवार, 11 जून 2023

कोई दूध से नहा रहा है, किसी को पीने को पानी नसीब नही है- लव तिवारी

 ग़रीबी एक अभिशाप है
भूख और गरीबी इतना सताती है कभी-कभी जान निकल जाती, आज के दौर में किसी को नहाने के दूधों तो किसी को पीने को पानी तक नसीब नही है। एक बात और मजे की लोग भुखमरी से कम मरते लेकिन खाकर मरने वालों की संख्या इस दुनिया में ज्यादा है आप न्यूज़ पेपर उठा कर देख लीजिए तमाम बड़े हस्तियों को तमाम लोगों के बारे में आप जानते हो जानते होंगे, खबर मिलती है कि उन्हें मौत हो गई मौत के पीछे का रहस्य हार्ट अटैक हार्ट अटैक क्यों होता है और असंयमित भोजन खाने तथा धूम्रपान करने से, नशा का भारी मात्रा में प्रयोग करने एवं तनाव भरे जीवन को जीने से।

यह सब गरीब के पास नहीं है गरीब खाने को और सोने को मिल जा तो उसे किसी बात की चिंता नहीं सताती, पता है झुग्गियों में रहने वाले गरीब तो केवल उसी दिन की चिंता रहती हैं अगले दिन जीवन के संघर्ष में जीवन को जीते हो अपनी पूरी उम्र को निकाल देते हैं। इस आर्टिकल को लिखने के पीछे उद्देश्य क्या है, अगर भगवान ने आपको धन दिया उस धन का सदुपयोग करें न की दुरुपयोग। उतना ही भोजन करें जितना शरीर की आवश्यकता है। उस से बढ़कर करेंगे तो तमाम तरह एवं विभिन्न प्रकार की बीमारियां आपकी तरह प्रभावित करेगी। इस तस्वीर में आप देख रहे होंगे कैसी एक बच्चा अपनी जीवन की कष्ट वाले समय को आनंद पूर्वक जी रहा है। जीवन की यही कहानी बहुत के पास पैसा है बहुत के पास खाने को भी धन नहीं हैं आपको कैसे सुखी रहना है, क्या आप संतोष भरे जीवन को जीना है या फिर वही जीवन जिसमें पैसा है लेकिन सुकून नहीं है घर है बिस्तर है लेकिन नींद नहीं औलाद है लेकिन सामाजिक दायित्व नहीं भोजन है लेकिन किसी बीमारी की वजह से खाना नहीं, तमाम तरह की बातें हैं आप खुद समझदार हैं अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए आप गरीबों के प्रति उदारवादी बने।

जीवन में कमाए हुए अपने धन का कुछ अंश जरूर गरीबों की भोजन एवं कपड़े तथा उनके अन्य जरूरतों के प्रति खर्च करें।



उम्र क़े अंतिम पड़ाव पर, बैठा रहता ताकता है अकेला

जीवन भर चलता रहा मै, लेकर पुरे परिवार का रेला !
उम्र क़े अंतिम पड़ाव पर, बैठा रहता ताकता है अकेला !!

बजाई थी बड़ी शान से जिनके पैदा होने पर थाली !
वही आज हमें बजाते दे -देकर जोर जोर से गाली !!

गुजर जाती है उम्र सारी, नहीं गुजरती अब अंतिम बेला !
आँखे भी थक चुकी अब, देख जीवन का ये खेल अलबेला !!

बचपन से सुनते आए, वही काटोगे जैसा था तुमने बोया !
पिता क़े थे हम श्रवण-कुमार, देख अपनी दिल है रोया !!




शनिवार, 10 जून 2023

वह प्यारा सा घर जहां बचपन बीता युवराजपुर ग़ाज़ीपुर- लव तिवारी

पतित पावनी गंगा बहती, सुंदर भेष परिधान यहाँ।
वह है अपनी प्यारी घरती, जिसको कहते गांव जहां।।

शहर के चकाचौंध और जरूरतों के मद्देनजर गांव की जीवन से हम दूर हो गए, लेकिन गांव आज भी हमारी सुंदर यादों को सँजोये जहन में बसता है। काली, दोमट, बलुई दोमट एवं बलुई मिट्टी को सुशोभित करते हुए गंगा मईया के तट पर बसा धरती का एक मात्र ऐसा गांव जहाँ चार तरह उपजाऊ मिट्टी पायी जाती है। कला, संस्कृति, खिलाड़ी और साहसी लोगों से परिपूर्ण अपने गांव की महिमा न्यारी है।

एक प्यारा सा गांव जिसमें पीपल की छांव।
छाव वो आशिया था एक छोटा मकान था।। छोड़कर गांव को उस घनी छांव को।
शहर के हो गए भीड़ में खो गए है।।
जन्मभूमि युवराजपुर ग़ाज़ीपुर उत्तरप्रदेश





शुक्रवार, 9 जून 2023

अष्ट शहीदों की वीर गाथा पर अष्ट बलिदानी लिख रहे भोजपुरी जगत के महान कवि श्री संजीव त्यागी जी - लव तिवारी

१८ अगस्त १९४२ स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान मोहम्दाबाद में अंग्रेजों के द्वारा सीने पर गोली खाकर शेरपुर गांव के आठ अमर शहीदों के साहसी कारनामों पर आधारित खण्ड काव्य "अष्ट बलिदानी" लिख रहे भोजपुरी जगत के महान लेखक रचनाकार बड़े भैया श्री संजीव कुमार त्यागी जी का स्नेह और आशीर्वाद हमें प्राप्त हुआ। ग़ाज़ीपुर लट्ठूडीह के निवासी भईया को उनकी सुप्रसिद्ध भोजपुरी काव्य संग्रह "ए सरकार किसान हई हम" को साल २०२१ के हिंदुस्तान एकादमी प्रयागराज के द्वारा भिखारी ठाकुर सम्मान एवं उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के द्वारा सहित्य सर्जना पुरस्कार से सम्मानित किया गया। परम आदरणीय संजीव कुमार त्यागी भैया जी पर मां सरस्वती एवं भगवान काशी विश्वनाथ भगवान की कृपा बनी रहे।

अन्य सम्मानित सदस्य-आदरणीय गुरुजी श्री Kameshwar Dubey जी, शिवांक राय आज़ाद जी, Anupam Rai जी एवं स्वतन्त्र पत्रकार श्री Sushil Tiwari जी
इंटरव्यू लिंक-https://youtu.be/I1BHnoxBMLs
#अष्टबलिदानी #मोहम्दाबाद #ग़ाज़ीपुर #उत्तरप्रदेश


नफ़रत नही हक़ीक़त साझा किया हैं कब सुधरेगी ये दरिन्दगी भरा समाज- लव तिवारी

तबाह और बर्बाद हो गयी ये तमाम सेक्युलर लड़कियां, मिला सिर्फ आंसू, प्रताड़ना, शोषण, मुस्लिम बच्चे और तलाक, इनके शौहर लाइफ में मस्त, ये हो गयी गुमनाम

अगर आप से पुछा जाये की आज सैफ अली खान से निकाह करने वाली अमृता सिंह कहाँ पर है, आमिर खान से निकाह करने वाली रीना दत्ता कहाँ पर है ? ओमर अब्दुल्ला से निकाह करने वाली पायल नाथ कहाँ पर है ? मोहम्मद अजहरुद्दीन से निकाह करने वाली संगीता बिजलानी कहाँ पर है, फरहान अख्तर से निकाह करने वाली अनुराधा कहाँ पर है ? और नवाजुद्दीन सिद्दीकी से निकाह करने वाली अंजना किशोर पांडे कहाँ पर है ?

ये सब अब गुमनाम हो चुकी है, इनका कोई अतापता नहीं है, पर हां जिन लोगो से इन्होने निकाह किया था वो अपनी जिंदगी में मस्त है, या तो वो और किसी महिला के साथ है या फिर अपने काम काज में व्यस्त है, ये आराम से है 

आज अंजना किशोर पांडे की खबर सामने आई थी जो की नवाजुद्दीन सिद्दीकी की बीवी बन कर आलिया सिद्दीकी बन गयी थी, अंजना ने आज कहा की - वो 10 साल से शोषण की शिकार है, 10 साल तक लाश बनकर रही है और अब वो और शोषण बर्दास्त नहीं कर सकती, अंजना ने ये भी कहा की अब वो आलिया से वापस अंजना किशोर पांडे बन चुकी है और नवाजुद्दीन सिद्दीकी से तलाक चाहती है 

सेक्युलर निकाह करने वाली इन तमाम महिलाओं की कहानी लगभग एक सी ही है, चाहे वो अंजना किशोर पांडे हो, अमृता सिंह हो, रीना दत्ता हो, संगीता बिजलानी हो, अनुराधा हो, पायल नाथ हो, ये लिस्ट काफी लम्बी है और यहाँ पर दिव्या भारती को तो बिलकुल नहीं भुला जा सकता, वो तो मर चुकी है

सेक्युलर निकाह करने वाली ये तमाम महिलाएं अब गुमनाम होकर जी रही है, इनको अपने जीवन में मिला तो मिला तलाक, इनको मुस्लिम बच्चे भी मिले, इन सभी के अगर बच्चे है तो वो मुस्लिम ही है, इनके शौहर अब या तो दूसरी महिलाओं से निकाह कर अपनी जिंदगी आराम से जी रहे है या अपनी जिंदगी में वो बिजी होकर मस्त है, जबकि ये महिलाएं गुमनाम है, इनकी जिंदगी अब तबाह और बर्बाद हो चुकी है और ये अपने जीवन के अंत का ही इंतज़ार कर रही है 

सेक्युलर निकाह करने वाली तमाम महिलाओं ने ये ही सोचा था की उनके शौहर बड़े अच्छे है और वो जीवन भर अपने शौहर के साथ सुखी जीवन व्यतीत करेंगी, इन सेक्युलर महिलाओं और इनके सेक्युलर शौहरों का जीवन कुछ दिन ठीक भी चला, बेगम शौहर ने जीवन में आनंद भी लिया पर आख़िरकार आनंद ख़त्म होने लगा और जीवन में रह गया सिर्फ मानसिक प्रताड़ना, सपनो का टूटना, शोषण और तलाक और साथ ही साथ मुस्लिम बच्चे 

कहा जा सकता है की इन सेक्युलर निकाहों का रिजल्ट काफी दर्दनाक निकला जहाँ पर आंसू, सपनो के टूटने, शोषण, पछतावे के अलावा कुछ नहीं मिला, कुछ नहीं मिला😠😠



गुरुवार, 8 जून 2023

भोजपुरी के बेहतर विकास के लिए समर्पित है आदरणीय गुरु जी श्री राम बहादुर राय- लव तिवारी

साहित्यकार समाज और अपने युग को साथ लिए बिना रचना कर ही नहीं सकता है, क्योंकि सच्चे साहित्यकार की दृष्टि में साहित्य ही अपने समाज की अस्मिता की पहचान होता है। इस संदर्भ में हिंदी, भोजपुरी भाषा के महान कवि लेखक परम् आदरणीय श्री राम बहादुर राय गुरु जी का स्नेह और आशीर्वाद हमें अपने निवास स्थान ग़ाज़ीपुर में प्राप्त हुआ। भोजपुरी के बेहतर विकास के लिए आदरणीय गुरु जी ने "भोजपुरी के मान्यता देई ए सरकार" सुंदर काव्य से सुशोभित पुस्तक का प्रकाशन किया है। संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 भाषाओं को मान्यता प्राप्त है, लेकिन भोजपुरी भाषा को नही, युद्ध क्षेत्र, राजनीति, फिल्म, मनोरंजन, खेल जगत वैज्ञानिक एवं अनुसंधान ऐसे तमाम क्षेत्रों में भोजपुरी भाषाई लोगों का विशेष योगदान रहा है लेकिन भोजपुरी को अभी भी संविधान की आठवीं अनुसूची से बाहर है। भोजपुरी के मान्यता देई ए सरकार के साथ साथ अपनी तीन प्रकाशित पुस्तक क्रमशः २- अब गंवुओ में शहर आ गईल, ३-धरती के परिंदे ४- आदमी कई रंग को हमें आशीर्वाद स्वरुप भेंट में प्रदान किए। ऐसे महान समाजसेवी रूपी साहित्यकार पर परमपिता परमेश्वर की कृपा बनी रहे।

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