मेरे संगीत के प्रथम गुरु पं॰ राम नरेश विश्वकर्मा जी का देहांत की खबर सुनकर मन व्यथीत हो गया है |अपने जीवन काल में गुरु जी ने हजारों शिष्य शिष्याओ को संगीत की शिक्षा प्रदान की |विगत कई दशकों से गुरुजी प्रयाग संगीत समिति की शाखा के द्वारा संगीत की शिक्षा दे रहे थे |आप लोगों को जानकर यह आश्चर्य होगा कि लगभग 100 वर्षों की आयु में भी वह संगीत की शिक्षा अपने शिष्यों को देते हुए मां सरस्वती के चरणों में विलीन हुए |अपने जीवन काल में मैंने ऐसे विलक्षण व्यक्ति को नहीं देखा जो तबला, सितार, गिटार, बांसुरी, जलतरंग, संतूर, हारमोनियम, माउथ ऑर्गन, इत्यादि वाद्य यंत्र कुशलता के साथ बजाते एवं सिखाते हो नृत्य की बारीकियां हो या गायन की चातुर्यता सभी कलाओं में गुरूजी प्रवीण एवं सिद्ध कलाकार थे |अपना गुरु मां सरस्वती को ही मानते थे इसी कारण से वे संगीत के उस शिखर पर पहुंच पाए जहां तक लोग सोच नहीं सकते हैं |बहुत ही ज्यादा यादें जुड़ी हुई हैं जो कि लिखकर बताया नहीं जा सकता है |भगवान गुरु जी के आत्मा को शांति प्रदान करें |ओम शांति शांति शांति 🙏🙏🙏🙏🙏
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें