वास्तव में जाति मनुष्यों के अंतर्विवाही समूह या समूहों का योग है जिसका एक सामान्य नाम होता है, जिसकी सदस्यता व्यक्ति द्वारा अर्जित न होकर उसकी जन्मना से प्राप्त होती है, जिसके सदस्य समान या मिलते जुलते पैतृक धंधे या धंधा करते हैं और जिसकी विभिन्न शाखाएँ समाज के अन्य समूहों की अपेक्षा एक दूसरे से अधिक निकटता का अनुभव करती हैं।
प्राचीन काल में जाति का वास्तविक और उनके कार्यों से होता था कार्य का तात्पर्य है अगर व्यक्ति पानी संबंधी काम करता था तो उसे हम कमकर खैरवार करते थे अगर व्यक्ति का सम्बंध पशुपालन तो यादव अहीर, ३ व्यक्ति मिट्टी के बर्तन बनाता था तो कुम्हार कहलाता है। ४ पान संबंधी व्यवसाय को करने वाला व्यक्ति पुणेरी कहलाता था, ६ दैनिक जीवन की संपूर्ण आवश्यक वस्तु की पूर्ति करने के लिए एक व्यवसाय को करने वाले व्यक्ति को हम बनिया खाते थे। ऐसे ही अन्य जीवन यापन करने के लिए तमाम प्रकार की जाति की व्यवस्था थी।
प्राचीन काल में भारत के जीवन को यापन करने के लिए जैसा कि मैंने दूसरे पैराग्राफ में लिखा है जातिवाद की व्यवस्था थी, भारत के स्वतंत्रता के बाद जातियों को आरक्षण के आधार पर मुख्यतः 4 या 5 भागों में बांटा गया।
सामान्य, पिछड़ी, अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति।
प्राचीन काल और अब भी आधुनिक काल जातियों के बीच में वर्चस्व को लेकर मतभेद रहे हैं, लेकिन बड़ी जाति छोटी जाति के शारिरिक उत्पीड़न के संबंध में उनका सारा प्राचीन काल की परंपरा, संस्कार, सभ्यता, संस्कृति, और पुरानी आधार पर बनाए गए रीति रिवाज को ताख पर रखकर उसे शारीरिक संबंध रखने को आतुर हो जाते हैं। ऐसी सामाजिक प्रपंच, ढकोसले पन , रूढ़िवादी से क्या लाभ है।
हमारी गाजीपुर शहर में एक बसुका गांव है। जहां इस क्षेत्र की तमाम बड़ी जाति छोटी जाति अपने शारीरिक हवस को मिटाने के लिए वहां उनके घर आते जाते हैं। वेश्यावृत्ति एवं वेश्याओं के घर अक्सर बड़े जाति के लोगों का ही आना जाना है। उदाहरण के रूप में वेश्या से शारीरिक सम्बन्ध बनाकर उसके द्वारा उतपन्न लड़की फिर से वेश्यावृत्ति में और लड़के भडुआ का काम करते है। उतपन्न वेश्या से उनके घर परिवार की अगली पीढ़ी फिर से वेश्यावृत्ति करती है। कहने का सीधा मतलब की वेश्या की माँ से लड़के का पिता लगा है तो वेश्या स खुद लड़का । इस घोर कलयुग में इस तरह के और भी अन्याय हो रहे है। अभी धरती पर ऐसे बहुत से पाप है जिसका उजागर होना बाकी है, हम अपनी अगले पोस्ट में ऐसे ही कुछ नए ज्वलंत मुद्दों को लेकर आपके पास हाजिर होंगे।
धन्यवाद- लेखक लव तिवारी
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