शिक्षा के साथ मेरे प्रयोग: अपराजिता सिंह
हमें अपने आस पास उन युवाओं को देखने और उनकी सफलताओं को प्रोजेक्ट करने की आवश्यकता है, जो नई पीढ़ी के लिए रोल मॉडल बन सकें। आज मैं फिर से एक ऐसी नवयुवती के विषय में लिखने जा रहा हूं, और वह हैं अपराजिता सिंह। गाजीपुर ने एक लंबे समय तक बड़े मकानों, गैंगस्टरों, दबंग नेताओं इत्यादि को अपना नायक बनाया है। उसमें माधव यादव और अपराजिता सिंह जैसे लोगों का सामने आना किसी ताजी हवा के मलयज स्पर्श से कम नहीं। अपराजिता के जीवन में चुनौतियां भी अनगिनत रही हैं। एक बार वह इतनी रुग्ण हो गईं शारीरिक और मानसिक रूप से, कि हम सभी चिंतित हो गए। लेकिन उनके पिता जी प्रिंस भैया मानसिक रूप से अत्यधिक दृढ़ व्यक्ति हैं और उन्होंने संघर्ष करके अपराजिता को पुनः स्वस्थ कर दिया।
अपराजिता मेरे अग्रज प्रिंस सिंह भैया की पुत्री हैं। वह लूर्ड्स कॉन्वेंट की छात्रा रह चुकी हैं। प्रिंस भैया चाहते थे कि अपराजिता को मैं गाइड करूं। अपराजिता आती थीं, और सबके साथ बैठकर ट्यूशन पढ़ती थीं। मेरा काम था केवल उनके संदेहों और प्रश्नों पर अपनी राय रखना, और शेष सारा काम वह स्वयं कर लेती थीं। एक शिक्षक का काम भी यही है, बच्चों को उस स्तर तक ले जाना जहां वे अपने प्रश्नों के उत्तर स्वयं ढूंढ़ सकें। अपराजिता की इच्छा शक्ति के कारण मुझे बहुत श्रम नहीं करना पड़ा। मेरे ऊपर केवल एक बोझ था, और वह था प्रिंस भैया का मुझ पर अतिशय विश्वास। और यह आज तक बना हुआ है इसलिए उनके साथ बच्चों के विषय में बातचीत करते समय मैं अत्यधिक असहज रहता हूं।
अपराजिता पढ़ती थीं, अपना सारा काम समय से पूरा करती रहीं और समय व्यतीत हो गया। अपराजिता बिना किसी सहायता के साथ कम उम्र में ऐसी पेंटिंग बनाती थीं कि पूरा भाव और चेहरा उतर जाय। एक दिन अचानक खबर मिलती है कि अपराजिता ने सबसे कम समय में पीरियॉडिक टेबल के सभी एलिमेंट्स को एक साथ बोलने का विश्व रिकॉर्ड बनाया है। एक दिन फिर खबर मिलती है कि अपराजिता को भारत के प्रीमियर फैशन इंस्टीट्यूट एन आई एफ टी भुवनेश्वर में प्रवेश मिल गया है। मैं और प्रिंस भैया हमेशा की तरह बच्चों के करियर और इस अवसर के विषय में बातचीत किए। यह हम सबके लिए गर्व की बात थी।
एक दिन पुनः समाचार मिलता है कि अपराजिता ने सबसे अधिक समय तक एक ही योग मुद्रा में रहने का विश्व रिकॉर्ड बनाया है। अब केवल उनकी उपलब्धियों के समाचार मिलते रहे। हम सब हर्षित होते रहे लेकिन एक दिन सूचना मिली कि वह अत्यधिक अस्वस्थ है और उसे अपने इंस्टीट्यूट से एक वर्ष के लिए घर आना पड़ा ताकि स्वास्थ्य लाभ ले सके। यह किसी भी मेधावी और समर्पित छात्रा के लिए एक सेटबैक होगा, लेकिन गाजीपुर आने के बाद अपराजिता अवसाद में जाने के बजाय रिसर्च में लग गई। उसने एक के बाद एक करीब १५ से ऊपर शोध पत्र लिख डाले और उसे केनेडी यूनिवर्सिटी से मानद डॉक्टरेट की उपाधि मिल गई। उसे गोवा के राज्यपाल से राजभवन में सम्मान मिला। एक शोध पत्र के लिए उसे भारत के रक्षा मंत्रालय से आमंत्रण आया और इस समय वह भारत सरकार की तरफ से रूस के अंतरिक्ष केंद्र में जाने वाले डेलिगेशन की सदस्य के रूप में मास्को में है।
कम उम्र, चुनौतियां, रोग, समस्याएं: ये सब किसके पास नहीं हैं? लेकिन अपराजिता उन सभी छात्रों छात्राओं के लिए एक रोल मॉडल है जो एक छोटी से असफलता पर अवसाद में चले जाते हैं, जो भविष्य को लेकर अत्यधिक आशंकित रहते हैं, जो शराब और ड्रग्स को जीवन बना लेते हैं, जो बॉयफ्रेंड और गर्लफ्रेंड को जीवन का अहम हिस्सा बना लेते हैं, जो इस तरह से इंस्टीट्यूट में एक साल खराब होने पर सब कुछ खत्म हुआ समझ लेते हैं, जो आरक्षण बेरोजगारी और न जाने किन किन बातों को दोष देते रहते है । उन्हें सीखना चाहिए कि जीवन अनंत संभावनाओं का द्वार है। यदि आप कुछ करना चाहते हैं तो आपके पास बहुत कुछ सकारात्मक करने को है, लेकिन यदि आप केवल दूसरों को दोष देना और चिंता करने में जीवन को बर्बाद करना चाहते हैं तो चयन आपका है। अपराजिता मुझसे नियमित मिलती हैं और उनकी बातचीत का बस एक केंद्र होता है: अब आगे और क्या?
फिलहाल, मेरी आज की हीरोइन या नायिका या रोल मॉडल: अपराजिता सिंह। उनसे अपने बच्चों का परिचय अवश्य करवाएं।
माधव कृष्ण, १४ जून २०२५, गाजीपुर
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें