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मई 2020 ~ Lav Tiwari ( लव तिवारी )

Lav Tiwari On Mahuaa Chanel

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शुक्रवार, 29 मई 2020

एक मजदूर से पूछो की भूख की तड़प कैसे सताती है- लव तिवारी

मुझे भूलने वाले तुम्हारी याद क्यों आती है।
जिंदगी प्यार नही और भी कुछ बात समझाती है।।

किसको पता था कि एक दौर ऐसा भी आयेगा।
एक मजदूर से पूछो की भूख की तड़प कैसे सताती है।।

महलों में जो बैठे है उन्हें क्या मालूम बदनसीबी
सामने भूख से बच्चा रोये तो माँ कैसे रह पाती है।।

आदमी के अनेकों रूप है इस कठिन दौर में भी।
तभी तो इस महामारी में करोड़ो की शराब तक बिक जाती है।।

रचना- लव तिवारी
दिनांक- 29- मई- 2020

गुरुवार, 28 मई 2020

जो कल थे वो अब नही है। जो है वो कल नही रहेंगे गांव की परंपरा की अब अनोखी दस्तान- लव तिवारी

ये जो तस्वीर है वो दो भाइयों के बीच बंटवारे के बाद बने घर की तस्वीर है। बाप-दादा के घर की देहलीज को जिस तरह बांटा गया है, वह समाज के हर गांव-घर की असलियत को भी दर्शाता है। दरअसल हम गांव के लोग अब जितने खुशहाल दिखते हैं उतने हैं नहीं।जमीनों के केस, पानी के केस, खेत-मेढ के केस, रास्ते के केस, मुआवजे के केस, शादी विवाह के झगड़े, दीवार के केस, आपसी मनमुटाव, चुनावी रंजिशों ने समाज को खोखला कर दिया है।अब गांव वो नहीं रहे कि जब, बस में गांव की लडकी को देखते ही सीट खाली कर देते थे बच्चे,दो चार थप्पड गलती करने पर किसी बुजुर्ग या ताऊ ने टेक दिए तो इश्यू नहीं बनता था तब, अब हम पूरी तरह बंटे हुए लोग हैं। गांव में अब एक दूसरे के उपलब्धियों का सम्मान करने वाले, प्यार से सिर पर हाथ रखने वाले लोग संभवत अब मिलने मुश्किल हैं। हालात इस कदर खराब है कि अगर पडोसी फलां व्यक्ति को वोट देगा तो हम नहीं देंगे।इतनी नफरत कहां से आई है समाज के लोगों में ये सोचने और चिंतन का विषय है। गांवों में कितने मर्डर होते हैं, कितने झगडे होते हैं और कितने केस अदालतों व संवैधानिक संस्थाओं में लंबित है इसकी कल्पना भी भयावह है। संयुक्त परिवार अब गांवों में एक आध ही हैं, लस्सी-दूध जगह वहां भी पेप्सी कोका पिलाई जाने लगी है।
बंटवारा केवल भारत का नहीं हुआ था, आजादी के बाद हमारा समाज भी बंटा है और शायद अब हम भरपाई की सीमाओ से भी अब दूर आ गए हैं। अब तो वक्त ही तय करेगा कि हम और कितना बंटेंगे। एक दिन यूं ही बातचीत में एक मित्र ने कहा कि जितना हम पढे हैं दरअसल हम उतने ही बेईमान बने हैं। गहराई से सोचें तो ये बात सही लगती है कि पढे लिखे लोग हर चीज को मुनाफे से तोलते हैं और ये बात समाज को तोड रही है।आजकल के माहौल को देखते हुए गाँव के ऊपर मेरे दो शब्द हैं आशा करता हूँ आपको पसंद जरूर आएंगे मैं गाँव हूँ!!मैं वहीं गाँव हूँ जिसपर ये आरोप है, कि यहाँ रहोगे तो भूखे मर जाओगे।मैं वहीं गाँव हूँ जिस पर आरोप है कि यहाँ अशिक्षा रहती है!मैं वहीं गाँव हूँ जिस पर असभ्यता और जाहिल गवाँर का भी आरोप है! हाँ मैं वहीं गाँव हूँ जिस पर आरोप लगाकर मेरे ही बच्चे मुझे छोड़कर दूर बड़े-बड़े शहरों में चले गए
जब मेरे बच्चे मुझे छोड़कर जाते हैं मैं रात भर सिसक सिसक कर रोता हूँ, फिर भी मरा नही। मन में एक आश लिए आज भी निर्निमेष पलकों से बांट जोहता हूँ शायद मेरे बच्चे आ जायँ, देखने की ललक में सोता भी नहीं हूँ।लेकिन हाय! जो जहाँ गया वहीं का हो गया।मैं पूछना चाहता हूँ अपने उन सभी बच्चों से क्या मेरी इस दुर्दशा के जिम्मेदार तुम नहीं हो अरे मैंने तो तुम्हे कमाने के लिए शहर भेजा था और तुम मुझे छोड़ शहर के ही हो गए। मेरा हक कहाँ है?
क्या तुम्हारी कमाई से मुझे घर,मकान,बड़ा स्कूल, कालेज, इंस्टीट्यूट, अस्पताल आदि बनाने का अधिकार नहीं है? ये अधिकार मात्र शहर को ही क्यों ? जब सारी कमाई शहर में दे दे रहे हो तो मैं कहाँ जाऊँ? मुझे मेरा हक क्यों नहीं मिलता?
इस महामारी में सारे मजदूर गाँव भाग रहे हैं, गाड़ी नहीं तो सैकड़ों मील पैदल बीबी बच्चों के साथ चल दिये आखिर क्यों? जो लोग यह कहकर मुझे छोड़ शहर चले गए थे, कि गाँव में रहेंगे तो भूख से मर जाएंगे, वो किस आश विश्वास पर पैदल ही गाँव लौटने लगे? मुझे तो लगता है निश्चित रूप से उन्हें ये विश्वास है कि गाँव पहुँच जाएंगे तो जिन्दगी बच जाएगी, भर पेट भोजन मिल जाएगा, परिवार बच जाएगा। सच तो यही है कि गाँव कभी किसी को भूख से नहीं मारता।
आओ मुझे फिर से सजाओ, मेरी गोद में फिर से चौपाल लगाओ, मेरे आंगन में चाक के पहिए घुमाओ, मेरे खेतों में अनाज उगाओ,खलिहानों में बैठकर, खुद भी खाओ दुनिया को खिलाओ, महुआ, पलास के पत्तों को बीनकर पत्तल बनाओ, गोपाल बनो, मेरे नदी ताल तलैया, बाग,बगीचे गुलजार करो, बच्चू बाबा की पीस-पीस कर प्यार भरी गालियाँ, रामजनम काका के उटपटांग डायलाग, पंडिताइन की अपनापन वाली खीज औरपिटाई, दशरथ साहू की आटे की मिठाई हजामत और मोची की दुकान, भड़भूजे की सोंधी महक, लईया, चना
कचरी, होरहा, बूट, खेसारी सब आज भी तुम्हे पुकार रहे है।
मैं तनाव भी कम करने का कारगर उपाय हूँ। मैं प्रकृति के गोद में जीने का प्रबन्ध कर सकता हूँ। मैं सब कुछ कर सकता हूँ ! बस तू समय समय पर आया कर मेरे पास, अपने बीबी बच्चों को मेरी गोद में डाल कर निश्चिंत हो जा, दुनिया की कृत्रिमता को त्याग दें।फ्रीज का नहीं घड़े का पानी पी,त्यौहारों समारोहों में पत्तलों में खाने और कुल्हड़ों में पीने की आदत डाल,अपने मोची के जूते,और दर्जी के सिरे कपड़े पर इतराने की आदत डाल,हलवाई की मिठाई,खेतों की हरी सब्जियाँ,फल फूल,गाय का दूध ,बैलों की खेती पर विस्वास रख कभी संकट में नहीं पड़ेगा। हमेशा खुशहाल जिन्दगी चाहता है तो मेरे लाल मेरी गोद में आकर कुछ दिन खेल लिया कर तू भी खुश और मैं भी खुश।
मैं गाँव हूँ।
मैं वहीं गाँव हूँ जिस पर ये आरोप है कि यहाँ रहोगे तो भूखे मर जाओगे।



शनिवार, 23 मई 2020

क्या कारण है कि किसी स्त्री को व्यासपीठ पर बैठने का शास्त्रीय विधान नहीं है- लव तिवारी

किसी भी स्त्री को व्यासपीठ पर बैठने का शास्त्रीय विधान नहीं है क्योंकि स्त्री का यज्ञोपवीत संस्कार नहीं होता है एवं स्त्री में रजस्वला धर्म होना एक स्वाभाविक स्त्री शरीर की प्रक्रिया है जो सनातन धर्म में अशुद्ध माना गया है व्यासपीठ पर बैठकर श्रीमद्भागवत कहना रामायण का प्रवचन करना या अन्य किसी भी शास्त्र पर प्रवचन करते हुए स्त्री रजस्वला हो जाती है तो क्या वह व्यासपीठ पर बैठने की अधिकार आणि है नहीं है इसलिए हमारे सनातन धर्म में व्यास पीठ पर बैठकर किसी भी स्त्री को प्रवचन करना निषेध किया गया है स्त्री धार्मिक चर्चाओं में भाग ले सकती है कथा पुराण सुन सकती है परंतु वह व्यास पीठ पर बैठकर किसी तरह का अनुष्ठान करने का अधिकारी हमारे सनातन धर्म के अनुसार नहीं कर सकती है जिसका उदाहरण वेद रामायण उपनिषद पुराण इत्यादि सनातन धर्म ग्रंथों में आया है यदि कहीं इसी पुराण में स्त्री को व्यास पीठ पर बैठकर अनुष्ठान कर कथा करने का प्रमाण नहीं मिलता है



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शुक्रवार, 22 मई 2020

कुछ तो दे दो इनको सहारे मजदूरों का कौन है प्यारे- लव तिवारी

कैसे दिन है कैसी है राते ।
आते जाते सड़क किनारे।।

कुछ तो दे दो इनको सहारे।
मजदूरों का कौन है प्यारे।।

पैसा का अब क्या है भरोसा।
मानवता को समझ लो सारे।।

हिन्दू मुस्लिम की बात नही है।
फिर भी राजनीति करते हत्यारे।।

दुनिया में भी खौफ में इस वक़्त।
ग़रीब अमीर सब है बेचारे।।

रचना- लव तिवारी
दिनांक- 21- मई-2020




मंगलवार, 19 मई 2020

प्यार हमारा अमर रहेगा नही दुनिया को खबर रहेगा- लव तिवारी

कुछ तो बोलो सहमे से क्यो हो ।
मुझे बताओ सदमे में क्यो हो।।

एक बार आजमा कर देखो,
इस दुनिया से डरे से क्यो हो।।

प्यार हमारा अमर रहेगा।
 दुनिया को नही खबर रहेगा।।

जहाँ तुम हो जैसी रहना।
और दुनिया से कुछ मत कहना।।

अब तो राजी हो जाओ रानी।
चलो लिखे मिलकर कहानी।।

रचना- लव तिवारी
दिनांक- 20- मई- 2020



वही पुराने दिन लौटा दो मेरे मालिक मेरे ख़ुदा। वही गांव की खुशहाली और शहर की रौनकता- लव तिवारी

वही पुराने दिन लौटा दो,मेरे ईश्वर मेरे ख़ुदा।
वही गांव की खुशहाली और शहर की रौनकता।।

कैसे दिन है दिखाए यहाँ पर क्या हो गया दुनिया को
सबके पास है भय बना हुआ, आयी जीवन में विषमता।

मजदूरों की मजबूरी को, नही समझता ज़मीदार यहां
देश की पार्टिया राजनीती करती, रही नही कोई मानवता

महामारी के इस चक्कर मे,  जो मरते भूखे और चलते नँगे।
हमसब मिलकर मदद करें, और समझे इनकी विवशता।।

रचना-लव तिवारी
दिनांक- 20- मई-2020



राजनीति के पक्ष और विपक्ष की भूमिका में मरते गरीब ही है - लव तिवारी

एक बार किसी गाँव के गरीब बस्ती में आग लग गई। सर ढकने की एक ही जगह थी और उसे भी आग के लपटों में जलता देख बस्ती वालों का कलेजा फटा जा रहा था। केवल झोपड़ी नहीं जली थी, उस झोपड़ी के साथ ही कपड़े, अनाज और वो नकदी भी जल के राख हो चुकी थी जो उन्होंने बेटी की शादी , बेटे की पढाई के लिए जोड़ रखे थे। प्रधान जी आये थे देखने, बोले की दरबार में आना, उचित मुआवजा दे देंगे। पर वहाँ जाने पर उन्हें अंदर ही नहीं जाने दिया गया।

अगले दिन मदद भिजवाई थी प्रधान जी ने पर वो नाकाफी थी।

सबसे ज्यादा दुःख तो इस बात का था कि अनाज का एक दाना नहीं बचा था जिसे पकाकर बच्चों को खिला सके। शुरु के २-४ दिन पड़ोसियों ने खाना भिजवा तो दिया पर धीरे - धीरे वो भी बंद हो गया। गरीब का परिवार अब सुबह खाता तो शाम को भूखा ही सो जाता।

गाँव के पूर्व प्रधान जो कि अब शहर रहते थे उन्हें यह सूचना मिली तो उन्होंने प्रधान जी को चिट्ठी लिखी कि हम आपके पास ₹१० हजार नकदी और कुछ अनाज जिसमें चावल, गेहूं और अरहर की दाल है भिजवा रहे आप उन्हें दिलवा दीजियेगा। प्रधान जी भी कैसे मना करते चिट्ठी तो पोस्टमास्टर जी के सामने पढ़ी गई थी।

पूरे गाँव में ये खबर फैल गई, सब के चेहरे पर मुस्कान थी कि चलो अब सब ठीक हो जायेगा।
उम्मीद की रोशनी में दो दिवस कैसे निकल गए पता ही नहीं चला। शाम को प्रधान जी ने मीटिंग बुलाई और बताया कि पूर्व प्रधान ने ₹10 हजार का बोलकर ₹8500 ही भेजा है और अनाज में चावल और मटर की दाल है जबकि उन्होंने अरहर की दाल देने को बोला था। उन्होंने आप सबकी गरीबी का मज़ाक बनाया है, हम इसे नहीं सहेंगे। इसलिए हमनें उनके पैसे और अनाज वापस भिजवा दिये।

गाँव के कुछ बुद्धिजीवी प्रधान जी को सही साबित करने में जुट गए क्योंकि पूर्व प्रधान से उनकी कुछ ज्यादा बनती नहीं थी। सब एक दूसरे से बात करते हुए अपने - अपने घर गए, खाना खाये और सो गए। पर बस्ती वालों को आज भी भूखा पेट ही सोना पड़ा।

आप सब ही फैसला करिये और बताइये कि इसमें उन बस्ती वालों का क्या दोष ?

👉कहानी लिखने का पहला प्रयास है, आप सबके बहुमुल्य सुझाव आमंत्रित हैं 🙏
#शुभ रात्रि 💐@💐





एक कहानी गुजरे दौर की - लव तिवारी

सन 2004-05 जब में इंटरमीडियट का स्टूडेंट था उस समय जीव विज्ञान और इंग्लिश की कोचिंग में अक्सर उससे मुलाकात होती थी एक अंजान व्यक्तितव की तरह हम दोनों को केवल पढ़ाई और लिखाई से तालुकात था वो कोचिंग की पढ़ाई कर अपने घर और मैं अपने घर लौट आता था। उसी समय ग़ाज़ीपुर में एक फंक्शन कन्याविद्या धन ऑर्गनाइज हुआ उस फंक्शन में हम दोनों भाइयों ने शिरकत की और बहुत शोहरत और नाम कमाया। उस फक्शन को उसका छोटा भाई देख रहा था इन मोहतरमा के घर पर इंग्लिश की कोचिंग चलती थी। जब हम लोग अगले दिन शाम को पहुचे तो उसने अपने दीदी को सारी बात बता रखी थी । वो इंग्लिश के टीचर से जिद करने लगी सर प्लीज गवा दो ना दोनो भाइयो से कुछ सर प्लीज मुझे पता नही कि मैंने गाना गया था कि नही इस बात का मुझे ख्याल नही लेकिन कुछ दिन बाद सेसन खत्म हो गया और गर्मी की छुट्टी आ गयी बाद में में जब पास हुआ तो में बीएससी में एडमिशन के लिए जिस कॉलेज में गया वहाँ ये भी आ गई जो उसने या मेरे मन मे जो बात थी या पिछले वर्ष जो कसर छोड़ी थी उसे पूरा करने के चाह में हमें देखने लगी । मुझे भी इसका देखना बहुत अच्छा लगता था।

मुझे भी बहुत अच्छा लगता था उसका देखना जब नजर मिलती एक अलग सुखद अहसास दिल को विशेष आनंद देता में नही चाहता कि में बदनाम हु और मेरी इस आशिकी को कोई पहचान पाए लेकिन में गलत था क्यो कि किसी शायर ने कहा है-

हालात मेरे मुझसे ना मालूम कीजिये,
मुद्दत हुई मुझसे मेरा ही कोई वास्ता नहीं

2-कभी कहा न किसी से तेरे फसाने को 
और न जाने कैसे खबर हो गयी जमाने को
सुना है गैर की महफ़िल में आप न जाओगें
कहो तो आज सजा दु गरीब खाने को

फिर वही हुआ जामने को खबर लग गई । लेकिन में इस बात को जान कर भी अंजान बना था क्यो की एक लड़के और लड़की जितनी सोहरत थी उससे बहुत ज्यादा अपनी हस्ती थी इसकी वजह हमारी गायकी और साथ मे मेरे भाई का अलग विषय से बीएससी करना । इस बात का अंदाजा मुझे तब लगा जब मै अपनी गैर सहयोगी लड़की जो रिश्ते में मेरी बहन लगती थी उस के साथ एक बार सायकिल से बात करते जा रहा था बहन बगल में मेरे साथ साईकल चला कर मेरे साथ ही मेरे क्लास में पढ़ती थी। शाम तक शहर में खबर फेल गई कि आप के भाई एक लड़की के साथ पी जी कॉलेज आ रहे थे सभी ने ये समझ की मेरी गर्ल फ्रेंड है वो शाम को घर आते भाई ने पूछा किसके साथ बात करते हुए जा रहे थे। मैंने कहा बहन के साथ जब मैंने बहन का नाम लिया तो भाई हस पड़ा बोला शहर में तो कुछ दूसरी ही बात के चर्चे हो रहे है।

इसी दौरान मैंने एक ग़ज़ल लिखी और मुझे खुशी का ठिकाना न था कोई कि किसी व्यक्ति को अगर एक शोहरत से बहुत कुछ मिला हो और कोई दूसरी विषय वस्तु भी उससे पास अपने आप चलकर आ जाये तो खुशी का ठिकाना नही होता। मैं केवल गायक था और आप राइटर हो गया था पहली ग़ज़ल और वो भी इतनी खूबसूरत जिसका मुझे अंदाजा नही था कि मैं भी ऐसा लिख सकता हूँ मैंने इस ग़ज़ल को कई लोगो को दिखाया कई ने तारीफ की कुछ की मोहब्बत मेरे जैसे चरम थी वो तो पीछे पड़ गए बोले दोस्त मुझे भी लिख कर दो मैंने कहा मन्त्र है क्या की लिख के दु अपनी ग़ज़ल और आप सभी को पता है किसी के लिए लिखा हूँ तो आप को कैसे दु। क्या था इस ग़ज़ल को लेकर मेरा एक दोस्त अपनी गर्ल फ्रेंड को लुभाने की फिराक में था। फिर उसने मुझसे आग्रह किया कि अगर ग़ज़ल दे नही सकते तो सुना तो सकते हो न फिर मुझे ये ग़ज़ल याद थी मैंने उसे कई बार सुनाई तो उसे भी शुरू की चंद लाइन याद हो गयी और बाद में पता चला कि उसने उन लाइनो की बदौलत अपनी प्यार की कहानी लिख दी और कुछ समय तक कामयाब भी रहा। वैसे क्या थी वो ग़ज़ल आओ भी सुने और पढ़े।

लिखने की जो गुडवक्ता मेरी में इसी दौर में विकसित हुई थी ।उस दौर मैंने एक डायरी बनाई थी क्यो की वो हार्ड कॉपी का दौर था जो कुछ भी लिखना होता कागज कलम और डायरी की जरूरत पड़ती आज का दौर सॉफ्ट कॉपी का दौर है जो भी लिखो किसी वेबसाइट पर लिखो या एक ब्लॉग बना लो उसपर अपडेट करो। डायरी में मैंने 100 से ऊपर ग़ज़ल कई ग़ज़ल गायको के गीत को टेप रिकॉर्डर में सुनकर लिखा था। कई ग़ज़लों के सुनने और उनके यादो ने मूझे लेखक बना दिया वैसे तो मैंने बहुत ग़ज़ल लिखी थी लेकिन कहा ग़ुम हुई ग़ज़लें या कहिये की हम सम्भाल नही पाए उन बेहतरीन दौर को लेकिन पहली ग़ज़ल मुझे आज भी याद है जिसे में नीचे शेयर कर रहा हूं आप भी पढ़िए और आनंद लीजिये-----

बहुत खूबसूरत जवां एक लड़की ।
न जाने कहा से ख्यालो में आयी।।

तकल्लुफ़ की बातें बनावट नही।
न जाने वो कैसे मेरे दिल को भाई।।

वो चेहरा गुलाबी वो आँखे शराबी।
मगर उसके होंठो पर लाली थी ऐसी

न जाने कहाँ से ख्यालो में आयी 
बहुत खूबसूरत जवां एक लड़की।।

परी तो ये मैंने ये देखी नही है ।
यू लगती है मुझको परी से भी प्यारी।।

मेरे दिल की ख्वाईश तमन्ना है ऐसी।
हो जाये वो मेरे सपनों की रानी ।।
बहुत खूबसूरत.......

तकल्लुफ़= दिखवाया, बनावटी
रचना- लव तिवारी
पहली ग़ज़ल - वर्ष 2005

फिर इस बात की जानकारी मेरी साथ पढ़ने वाली बहन को चली तो उसने जाकर इस बात को उस लड़की से शेयर कर दिया कि भैया आप की याद में बहुत खूबसूरत ग़ज़ल लिखे है। अगर आप को सुनना है तो बताइए फिर में आप लिखवा के लाती हु फिर एक दिन सुबह सुबह मेरे पास आई और बोली भैया उस ग़ज़ल को लिखकर दीजिये मुझे जिसकी याद में आप ने लिखी हैं उन्होंने ने आग्रह किया है। मैं भी खुश हुआ कि बिना मेहनत और मसक्कत का मेरा पैगाम इस डाकिया के माध्यम से आसानी से पहुच जाएगा। जब उन मोहतरमा को ग़ज़ल मिली तो दोनों गुटों में बात ये आग तरह फैल गई लड़को वाले मुझसे पूछती लड़किया उस लड़की से और ग़ज़ल के बाद कुछ दिनों तक मोहब्बत पिक पर था यानी कि पूर्ण शिखर पर था लेकिन कुछ ही दिनों बाद ये शिखर खाई बन गया इसके पीछे मेरे दोस्तों की बदसलूकी और कुछ ना समझी भी थी। दोस्तो के इस रवैये से परेशान भी था और प्रभावित भी। लेकिन जो होना होता है वो पहले से


बीएससी में एक वर्ष की पढ़ाई बर्बाद होने बाद में मैंने कभी इन सब बातों से दूर हो गया था। क्यो की वो किसी वजह से मेरे कॉलेज को छोड़ चुकी थी और में उसे, स्नातक की पढ़ाई के बाद हम राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली नोएडा में प्रबंधन की पढ़ाई के लिए आ गए। और पढ़ाई   कंपलीट करने के बाद नौकरी के तलाश में कई प्राइवेट कंपनियों में अपनी सेवाएं दी। उसमे एक रियल एस्टेट कंपनी में एक लड़की मिली थी थोड़ी मुलाक़ात में उसे उतने अच्छे से नही जानता था । कुछ दिन के बाद उसने उस कंपनी को छोड़ा और उसके छोड़ने के कुछ दिन बाद मैंने तब तक कुछ ऐसी बातें नही थी जो मुझे उसके प्रति ज्यादा झुकाव या अलग बर्ताव के प्रति प्रेरित करे। फिर उस कंपनी के छोड़ने के बाद मैंने कई लोगो को सोशल मीडिया फेसबुक पर मित्र बनाया जिसमे उसका भी नाम शामिल था। 

मुझे लिखने का शौक़ बचपन से था मैं बहुत कुछ लिखता इस वक्त की तरह लिखने पर बहुत ज्यादा पकड़ नही थी लेकिन कुछ लिख देता जो मेरे दोस्त को बहुत प्रभावित करता । और वो अक्सर उन पोस्टो को पढ़ती और कुछ न कुछ सोचती रहती। इस बात की पुष्टि उससे ख़ुद मुझसे की थी । फिर एक दिन मैंने उसे इसीतरह फ़ेसबुक चेट पर चेट के लिए आमंत्रित किया।चेट पर जैसे मैंने हाय लिखा जैसे लगा कि उसको मेरे कई वर्षों के मैसेज का इंतेजार था। बोली कि मैं पिछले 3 साल से आप की हर एक पोस्ट पढ़ती हु मुझे बहुत अच्छा लगता है। मैंने कहा शुक्रिया इसतरह के तरफ के लिए  सही पूछिये तो मुझे भी खुशी थी की मेरा लिखा हुई कविता कई लोग पड़ते और पसन्द करते है और फिर हमारी उनकी रोजाना चेट होने लगी। रोज मैसेंजर पर बात करते करते वो मुझे बहुत अच्छी लगने लगी थी और उसके खूबसूरत चेहरे से ये भी अंदाजा नही लगया जा सकता कि वो शादी शुदा और बच्चों की माँ है। मैं अपने काम मे पूर्ण रूप से ब्यस्त था फेसबुक मैसेंजर पर उससे बात औऱ फिर उसके प्यारे अहसासों से कई बेहतरीन रचनाओ को अंजाम देता था।मुझे  भी अपनी वो लिखने की पुरानी आदत पर धीरे धीरे पकड़ पाने की वजह और उसमें निपुणता की वजह से लिखना और उससे बात करना बहुत अच्छा लगता था। धीरे धीरे समय बीतता गया और हमारी रचनाओ में वो खूबसूरती आने लगी थी जिसकी प्रसंसा मुझे अन्य फसबूक मित्रो से मिल जाती थी। उस दौर में यही कुछ काम थे उससे बात  थोड़ा बहुत आफिस का काम और फिर उसके द्वारा प्राप्त अहसासों को अपने शब्दों में पिरोना और ग़ज़ल और शायरी की रचना करना

 एक दिन फिर मुझे अपने इलाज के चक्कर मे मुझे दूसरे प्रदेश को जाना था। उस दिन ट्रैन की टिकट भी कन्फर्म नही थी और अंत तक  ना हुई और मुझे कुछ पैसों की भी जरूरत थी जितने पैसे दवा के लिए चाहिए थे उतने मेरे पास थे नही और उस समय जिस व्यक्ति ने मुझे पैसे देने की बात कही थी वो उसी वक़्त मुकुर गया,  मैं बहुत परेशान था तभी मैंने उस लड़की को अपनी परेशानी बताई उस लड़की ने मुझसे ये कहा कहो तो मैं कुछ मदद करू । फिर क्या जो इज्जत और मोहब्बत उस लड़की की मेरे नजरो में थी वो उस दिन बहुत ज्यादा बढ़ गयी में बेचैन मन से बैठे यही सोच रहा था कि अपने तो पैसे रख कर भी बहाना बना लेते है। और बहाना भी बनाते है कि मेरे पास पैसा नही है। ये गैर होकर भी इतना मदद के लिए तैयार है, जिंदगी उस दिन बहुत खुश  भी थी और बहुत दुःखी भी एक तरफ जहाँ पैसे की कमी ने दुख के सागर में मुझे छोड़ रखा था वही दूसरी तरफ एक नए हमसफ़र की ख्वाईश दिल मे एक नए उमंग के साथ खुशी का अहसास दिला रही थी। कि तुम अकेले नही हो तुम्हारे साथ भी कोई है लेकिन मैंने उस लड़की से पैसे नही लिए लेकिन अपना बहुत कुछ दे चुका था । दिल दिमाग और सब कुछ खाली समय मे पूरे जहन में बस उसी का ख्याल आता और मुझे सुखद अहसासों का अनुभव देता ।

 मैंने भी पूरी तरह से मूड बना लिया था कि इस लड़की को प्रपोज करेंगे । औऱ इस नेक काम को हम दिल्ली पहुचते कर दिए फिर क्या वो नाराज हो गई और मुझे बहुत कुछ सुनाया उसे कहा तुम भी इन दिल्ली के लड़कों की तरह हो । मुझे आज तुम्हारी बात बहुत बुरी लग रही है । लेकिन मैं पूर्ण रुप से पुष्टि कर चुका था कि  वो मुझे चाहती है कि नही उसने कई बार इस बात की पूर्ण रूप से पुष्टि की थी कि हा मुझे आप बहुत अच्छे लगते हो और और में आप को चाहती हूं इसी की जिक्र बाकी रह गयी थी जो मैं उसे प्रोपस करके कन्फर्म करना चाहता था। प्रपोस सफल  नही हुआ उस दिन उस लड़की ने मुझे हर जगह से ब्लॉक कर दिया और मुझे नही याद है लेकिन कुछ लाइन याद है जैसा में समझती थी वैसे आप नही निकले आप भी दूसरों लड़को की तरह निकले। मुझ इस बात का पता अब चलता है जब जिंदगी में किसी को तकलीफ और धोखा मिला हो तो उसे अच्छे लोग भी बुरे लगते है। वैसे में बुरा नही था न कभी किसी लड़की से मिला था न किसी से प्यार का प्रोपस किया था। मुझे ये लगा कि अगर उसके दिल मे मेरे प्रति कुछ होगा तो ये उसके और मेरे सोचने में ही निकल जायेगा। वैसे जो भी हुआ मेरे साथ बहुत बुरा था उसकी जिंदगी उसे बहुत तकलीफ दी थी और मेरी जिंदगी को एक ऐसे साथी की तलाश जो मेरे अहसासों को उत्पन्न करें और मैं कुछ लिख सकू । जब मुझे इस बात का पता चला कि उसकी शादी किसी व्यक्ति से हुई है और अभी लड़ाई और झगङे ने उसकी जिंदगी को बर्बाद कर रखा है। तो मुझे अपने प्यार की कामयाबी पर जितना दुःख नही था उतना उसके इस बात को जानकर था।

 फिर मुझे दूसरी कंपनी में जॉब मिल गया वहाँ में कंपनी के कार्य मे बहुत बिजी रहता था। मुझे उससे बात करने की फुरसत भी नही मिलती लेकिन 20 और 30 दिन पर कभी उससे बात हो जाती या फिर जब वो बिजी रहती तो बोलती की बाद में फोन करता हूं। इसी दौर में बात करने का सिलसिला 2 महीने के अंतराल पर होता था। एक दिन पता चला कि उसकी खोई हुई खुशिया उसे मिल गई । उससे उसका परिवार मिल गया पता है मुझे भी इस बात को जानकर उससे ज्यादा खुशी थी । क्यो कि मैंने उसके लिए भगवान से कई बार खुशी मान रखी थी। फिर एक दिन मुझे फेसबुक पर पूरे परिवार के साथ दिखी में पूर्ण रुप से संतुष्ट और धीरे धीरे उसके जिंदगी से दूर होता गया

सोमवार, 18 मई 2020

कोविड-19 लॉक डाउन पिता बीमार हैं। घर में खाने को कुछ नहीं है- लव तिवारी


अपने हिस्से का कुछ दान करो
कुछ धन से तो पुण्य काम करो

ना धन संपदा रही किसी की
मत कभी भी अभिमान करो

धन का सही दिशा में खर्च कर
गरीबों व भूखों का सम्मान करो

इन बच्चों को रोता देखकर
एक तो अदभुत काम करो

क्या लाये हो क्या लेकर जाओगे।
इनके दुखों का संघार करो।।

तुम्हारा बाप कहाँ है जो तेज धूप में तुम लोगों को तरबूज बेचने भेज दिया ? अरे, तुम चुप क्यों हो गए? बोलो गुड़िया तुम बताओ तुम्हारे पिता जी कहाँ हैं जो तुम लोगों को तरबूज बेचने के लिए भेज दिया ? अरे तुम दोनों तो रोने लगे क्या हुआ?
“पापा, बीमार हैं। घर में खाने को कुछ नहीं है।










घर वाले भी केवल मरघट तक ही साथ निभाते है- लव तिवारी

लिखते है मिटाते है फिर पन्ने बिखर जाते है।
इस दुनिया की रीत यही है देखो कैसे सम्भल पाते है।।

मजदूरों से काम था जब मालिक में था अपनापन।
दुःख इस दौर में देखो कैसे सब बदल जाते है।।

गरीबों की आह लेकर धन दौलत किस काम है।
इन लोगो को कौन समझाए सब यही रह जाते है।।

दुनिया से रुखसत के समय कोई तुम्हारा साथ न देगा।
घर वाले भी केवल मरघट तक ही साथ निभाते है।।

रचना- लव तिवारी
दिनांक- 18- मई- 2020






रविवार, 17 मई 2020

चिट्ठी आई है आई है चिट्ठी आई है- पंकज उदास

चिट्ठी आई है आई है चिट्ठी आई है
चिट्ठी आई है आई है चिट्ठी आई है
चिट्ठी आई है
वतन से चिट्ठी आयी है

बड़े दिनों के बाद
हम बेवतनों को याद
बड़े दिनों के बाद
हम बेवतनों को याद
वतन की मिट्टी आई है
चिट्ठी आई है आई है चिट्ठी आई है
चिट्ठी आई है
वतन से चिट्ठी आयी है

ऊपर मेरा नाम लिखा हैं
अंदर ये पैगाम लिखा हैं
ओ परदेस को जाने वाले
लौट के फिर ना आने वाले
सात समुंदर पार गया तू
हमको ज़िंदा मार गया तू
खून के रिश्ते तोड़ गया तू
आँख में आँसू छोड़ गया तू
कम खाते हैं कम सोते हैं
बहुत ज़्यादा हम रोते हैं
चिट्ठी आई है

चिट्ठी आई है आई है चिट्ठी आई है
चिट्ठी आई है
वतन से चिट्ठी आयी है

सूनी हो गईं शहर की गलियाँ
कांटे बन गईं बाग की कलियाँ
कहते हैं सावन के झूले
भूल गया तू हम नहीं भूले
तेरे बिन जब आई दीवाली
दीप नहीं दिल जले हैं खाली
तेरे बिन जब आई होली
पिचकारी से छूटी गोली
पीपल सूना पनघट सूना
घर शमशान का बना नमूना
फ़सल कटी आई बैसाखी
तेरा आना रह गया बाकी
चिट्ठी आई है

चिट्ठी आई है आई है चिट्ठी आई है
चिट्ठी आई है
वतन से चिट्ठी आयी है

पहले जब तू ख़त लिखता था
कागज़ में चेहरा दिखता था
बंद हुआ ये मेल भी अब तो
खतम हुआ ये खेल भी अब तो
डोली में जब बैठी बहना
रस्ता देख रहे थे नैना
मैं तो बाप हूँ मेरा क्या है
तेरी माँ का हाल बुरा है
तेरी बीवी करती है सेवा
सूरत से लगती हैं बेवा
तूने पैसा बहुत कमाया
इस पैसे ने देश छुड़ाया
देश पराया छोड़ के आजा
पंछी पिंजरा तोड़ के आजा
देश पराया छोड़ के आजा
पंछी पिंजरा तोड़ के आजा
आजा उमर बहुत है छोटी
अपने घर में भी हैं रोटी
चिट्ठी आई है

चिट्ठी आई है आई है चिट्ठी आई है
बड़े दिनों के बाद
हम बेवतनों को याद
वतन की मिट्टी आई है

चिट्ठी आई है आई है चिट्ठी आई है
चिट्ठी आई है वतन से चिट्ठी आयी है
बड़े दिनों के बाद(चिट्ठी आई है आई है चिट्ठी आई है)
हम बेवतनों को याद (वतन से चिट्ठी आयी है)
वतन की मिट्टी आई है

(चिट्ठी आई है आई है चिट्ठी आई है)
(चिट्ठी आई है वतन से चिट्ठी आयी।





इतना दो क़ाबलियत की गरीबों की मदद कर संकु- लव तिवारी

कुछ दो तरकीब की जिंदगी बसर कर सकूं।
बहुत लंबी है सफ़र मै धीरे धीरे चल संकु।।

इस बुरे वक़्त में अच्छे बुरे दोनो परेशान है।
इतना दो क़ाबलियत की गरीबों की मदद कर संकु।।

मुझमे भी है बुराइयां में इंसान हूँ भगवान नही ।
जो ख़ुदा बने बैठे है उनमे इंसानियत भर सकुं।।

तुझपर जो भरम था वो टूट गया तेरी बेवफाई से।
इतनी तो सोहरत मिली कि तुम्हें सोच के मर संकु।।

रचना- लव तिवारी
दिनांक- 17- मई- 2020



शनिवार, 16 मई 2020

हो जाती तुम अपनी तो और सब कुछ था अपना। एक तुम्हारे बिन अब हम कैसे रह पायेंगे- लव तिवारी

नजर तुम्हारी ऐसी है कि हम तो मर जायेंगे
होठ गुलाबी तेरे ऐसे फूल भी शर्मा जाएंगे।

हो जाती तुम अपनी तो और सब कुछ था अपना।
एक तुम्हारे बिन अब हम कैसे रह पायेंगे।

कहते इसको ही मोहब्बत, देख ले अपना पागलपन।
रातो को अब नींद नही और दिन में भी सपने आते है।

चेहरा गुलाबी आँखे शराबी और मुस्काकर शर्माना
आज जाती जब ये सूरत और हम बेचैन हो जाते है।

रचना- लव तिवारी
दिनांक- 17-मई-2020







मैं चुप रह कर किसी से कुछ नही कहूंगा- लव तिवारी

तेरे बगैर तन्हा था, हूँ और रहूंगा।
मैं चुप रह कर किसी से कुछ नही कहूंगा।।

मुद्दते बीत गई तुम्हारे दीदार को।
तुम्हें पता तो होगा न कि मैं तुमबिन कैसे जी सकूँगा।।

पल भर का न चैन और रातो को अब नीद नही।
तेरा बिना अब में कैसे एक पल जी सकूँगा।।

मेरे हालात को जानो और बन जाओ मेरे हकीम।
किसी ओर बैद्य में ताकत नही जो में उठ सकूँगा।।

रचना- लव तिवारी
दिनांक-16-मई-2020




पूछ लेते जो तुम हाल मेरा, बेहतर हो जाता हालात मेरा- लव तिवारी।

पूछ लेते जो तुम हाल मेरा।
बेहतर हो जाता हालात मेरा।।

कोई हकीम नही करेगा मुझे बेहतर।
तुम जो चाहो तो कर दो इलाज मेरा।।

कितना बदनसीब हू मे तेरे बगैर।
लोग पूछते है क्या समाधान है तेरा।।

मुझको चाहो कि में मौजूद रहू धरा पर।
बन जाओ फिर तुम हमराह मेरा।।

रचना- लव तिवारी
दिनांक- 16 मई 2020




हम भी सदा शिव को नमन हर बार करते है देवो के भी देव की जय जयकार करते है।

हम भी सदा शिव को नमन हर बार करते है 
देवो के भी देव की जय जयकार करते है।
हरि ओम हरि  हरि ओम हरि  हरि ओम नमः शिवाय।

शीश पे चन्दा सजे और कर डमरू सोहे
नृत्य तांडव करते शिव तृभुवन का मन मोहे-2
गिरजा संग कैलाश में बिहार करते है
देवो के भी देव की जय जयकार करते है।-2
हरि ओम हरि  हरि ओम हरि  हरि ओम नमः शिवाय।-4

भोले शंकर है दयालु दीन के दाता
थोड़ी भक्ति जो करे बरदान वो पाता-2
पापो से नित भक्तो का उद्धार करते है
देवो के भी देव की जय जयकार करते है।-2
हरि ओम हरि  हरि ओम हरि  हरि ओम नमः शिवाय।-4

नाथ हमको दीजिये पावन चरण धुली
तेरे भक्तो की सदा आशाये हो पूरी-2
कर दया भव सिंधु भोले पार करते है
देवो के भी देव की जय जयकार करते है।-2
हरि ओम हरि  हरि ओम हरि  हरि ओम नमः शिवाय।-4

हम भी सदा शिव को नमन हर बार करते है 
देवो के भी देव की जय जयकार करते है।
हरि ओम हरि  हरि ओम हरि  हरि ओम नमः शिवाय।-4





गंगा किनारे मन्दिर तेरा भूतो का तू स्वामी है सारी दुनिया बोले तुझको बाबा औधड़ दानी है।-

गंगा किनारे मन्दिर तेरा भूतो का तू स्वामी है
सारी दुनिया बोले तुझको बाबा औधड़ दानी है।- 2

मरघट के पास में डेरा है क्या अद्भुत तेरा बसेरा है-2
पीछे में गंग की धारा है तेरा धाम ही प्यारा है
तेरा धाम ही प्यारा है
देव तुम्हारी महिमा गावे माया किसने जानी है।
सारी दुनिया......
गंगा किनारे मन्दिर तेरा...........
सारी दुनिया बोले तुझको.............

माथे पर तेरे चन्दा है, और बहती जटा में गंगा है-2
भूतो के साथ मे रहता है और काटे यम का फंदा है
और काटे यम का फंदा है
शामसानो में धूनि रामाये ये क्या तूने ठानी है
सारी दुनिया......
गंगा किनारे मन्दिर तेरा...........
सारी दुनिया बोले तुझको.............

जिसने भी तेरा नाम जपा उसका तूने कल्याण किया-2
जो रोज नियम से पूजा करें उसको तो मालामाल किया
उसको तो मालामाल किया
तीनो लोकों में न जाना तुझसा कोई दानी है
सारी दुनिया......
गंगा किनारे मन्दिर तेरा...........
सारी दुनिया बोले तुझको.............

तू भूतेश्वर कहलाता है तू सबका भाग्य विधाता है-2
जो भक्त खुशी से ध्यान धरे तू उनका साथ निभाता है।
तू उनका साथ निभाता है।
भूतेश्वर बाबा का भक्तो और न कोई सानी है
सारी दुनिया......
गंगा किनारे मन्दिर तेरा...........
सारी दुनिया बोले तुझको.............4







शुक्रवार, 15 मई 2020

लॉक डाउन और कोरोना में गांव की गंदी राजनीति का शिकार हुआ मैं खुद लव तिवारी

मैं लव तिवारी घटना 10 मई की है। उस वक्त गांव एक बच्चे बिशाल यादव द्वारा मुझे खबर दी गई कि गांव में धोबी बस्ती के बेचू और उसके परिवार के कुछ लोग जो मुम्बई में रह रहे थे वो कोरोना की वजह से अपने गांव युवराजपुर में 11 मई को सुबह अपने निजी वाहन से घर आ रहे है। जब मैंने उस लड़के को बोला  कि आप खुद ही इस विषय को युवराजपुर ग्राम के ग्रुप में शेयर कर दो क्यों कि ये संदिग्ध मसला है जिससे युवराजपुर ग्राम वासी सचेत हो जाये तो उस बच्चे ने मुझसे ये कह कर पल्ला झाड़ लिया कि भैया हम उस व्हाटसअप ग्रुप के सदस्य नही है। फिर मैंने उसे ग्रुप में तुरन्त जोड़कर उसे तुरंत एडमिन भी बना दिया और बाद में मैंने उसे उसके नंबर पर मैसेज किया कि अब उस मुद्दे को ग्रुप में पोस्ट कर दो । फिर उस चतुर राजनीतिज्ञ दोस्त ने अपने व्हाटसअप नंबर से अपनी छोटी बहन की जगह लेकर मुझे पोस्ट किया कि भैया घर पर नही है। बहुत देर तक उस व्यक्ति द्वारा इस मामले को ग्रुप में न देखकर मैंने खुद गांव के जिम्मेवार नागरिक की भूमिका अदा करते हुए इस मैसेज को पोस्ट कर दिया और इस नन्हे से बालक के राजनीति को मैं समझ नही पाया।

पोस्ट करने की वजह- पोस्ट करने की वास्तविक वजह यह था उस दिन ही ग़ाज़ीपुर क्षेत्र के फत्तूलहपुर ग्राम के समीप खिदिरपुर गांव में फैजान नामक शख्स जो अपने निजी दो पहिये वाहन से कुछ रोज पहले मुुंबई से गांव आया था उसकी कोरोना पोसिटिव होने की पुष्टि उस दिन जिले के तत्कालीन मुख्य चिकित्सा अधिकारी श्री मौर्य ने की थी। और जनपद में 24 दिनों तक कोई कोरोना मरीज़ न होने से अपना जनपद ग़ाज़ीपुर ऑरेंज ज़ोन से ग्रीन जोन में ही पहुँचने ही वाला था जो फैजान की वजह से नही हो पाया। जिन लोगो की आने की सूचना मिली थी वो भारत के सबसे बड़े कोरोना ग्रसित राज्य मुम्बई से ही आने वाले थे। यह सोचकर कि वो मेरे जनपद में कोरोना मरीज की सख्या में इजाफा न कर दे। इस सोच से जब बच्चे ने पोस्ट नही किया तो मैंने गांव के नागरिक की भाती इस पोस्ट को अंजाम दिया। बहुत दुःख के साथ कहना पड़ता है कि इस ग्रुप में गांव के प्रधान प्रितिनिधि भी है। लेकिन गांव में उनके राजनीति छवि और वोट राजनीति पर कोई असर न पड़े इससे ये व्यक्ति या आने वाले प्रधान चुनाव में भाग लेने वाले कई प्रधान प्रत्यासी जो इस ग्रुप के सदस्य है वो इस पोस्ट को करने से बचते है जिसके कारण उनके राजनीतिक और वोट पर कोई बुरा प्रभाव न पड़े।

  
ब्लॉग पर लिखने की वजह- मुझे इस पोस्ट को ब्लॉग पर लिखने की जरूरत इस लिए पड़ी के मेरे इस पोस्ट को तुरंत राजनैतिक मोड़ एक ग्राम के निवासी अच्छे मित्र छोटे भाई ने दे दिया और बाद में मुझसे माफी भी मांगी लेकिन उनके द्वारा मांगी गई माफ़ी उस ग्रुप में न होकर मुझे पर्सनल मैसेज द्वारा की गई नीचे उन दोनों महानुभाव के स्क्रीन शॉट मैंने नीचे पोस्ट की हुई है। 










बुधवार, 13 मई 2020

शहर से जो तुम भाग रहे हो, क्या सही है गांव के हालात- लव तिवारी

शहर से जो तुम भाग रहे हो, क्या सही है गांव के हालात।
क्या कमाओगे और खाओगे कैसे होगी दिन की शुरुआत।

पगडंडो से भरी दुपहरी में जब सब कुछ निपट चुका है।

नही रहा कोई रोज़गार नही कमाने के अवसर का ज्ञान।
कैसे पेट भरेगा तुम्हरा क्या होगा तुम्हारे जन का हाल

गांव की मिट्टी सुख देती है और मिलता अद्भुत संम्मान।
अगर गांव में सब कुछ होता तो न बढ़ाता शहर का मान।।

स्वरचित- लव तिवारी


आज दिन भर ये तस्वीर और इस औरत का वीडियो कई बार आंखों के सामने से गुजरा..हर बार इसको आगे बढ़ाते गया..दरअसल इस औरत के आंसू देखे नहीं जा रहे थे. ये रो रो कर अपना दर्द बता रही है कि 'हमार आदमी मर गइल बाड़न'..

इसका जो दर्द है हम और आप शायद ही समझ पाएं..लेकिन हमें इसका दर्द समझना होगा..समझना होगा कि ये भी तो इंसान हैं..समझना होगा कि ये रोकर यह नहीं मांग रही कि इसके पति को दोबारा जिंदा कर दो..ये बस यह कह रही है कि मुझे घर पहुंचा दो..विधवा हो चुकी इस औरत को चिंता हो रही है अपने बच्चों की.. ये चाहती है कि आखिरी बार अपने उजड़ चुके सुहाग का मुंह देख सके..क्या ये जिम्मेदारी इस सरकार या किसी भी सभ्य समाज की नहीं बनती कि इसे इसके सुहाग के अंतिम दर्शन के लिए इसके गांव पहुंचा सके. 

इस महिला का दर्द तो बस एक उदाहरण है हमारी मर चुकी संवेदनशीलता का.इसी औरत की तरह हर वो मजदूर, मजबूर और गरीब परेशान है जो इस तपती गर्मी में अपने गांव घर अपनों के पास पहुंचना चाहता है.. 

जनता की जनता द्वारा जनता के लिए चुनी गई कोई भी सरकार इतनी असंवेदनशील कैसे हो सकती है कि उसे ऐसे मंजर देखने के बाद भी तकलीफ नहीं हो रही..





रविवार, 10 मई 2020

गैर समझ जाते है अपनो को कैसे समझाया जाय- लव तिवारी

कौन अपना है कौन पराया है।
इस बात का अंदाजा कैसे लगाया जाय।

किसकी को समझाने के चाह में हम बुरे हो जाते,
घर के इस बदलते हालात को कैसे अपनाया जाय।।

जिससे उम्मीद करो वो खरा नही उतरता इस दौर में।
गैर समझ जाते है अपनो को कैसे समझाया जाय।।

बात निकल कर बहुत दूर तलक जा पहुँचती है।
जिसको बताना चाहे उसे फिर कैसे बताया जाय।।

आदमी में कई रूप है इस बहुरंगी दुनिया में
चेहरे पर कई नक़ाब है इसे कैसे पहचाना जाय।।






शुक्रवार, 8 मई 2020

रखो भगवान पर भरोसा ये दिन भी बदलने वाला है- लव तिवारी

रात ठहर गई है मुझमे दिन भी रुक सा गया है।
यह कैसा आलम है सब कुछ टूट सा गया है।

लोग समझते नहीं इस भयानक त्रासदी को
अभी तू कुछ नही हुआ बहुत कुछ बिगड़ने वाला हैं।

घर मे रहो और जहाँ हो वही रहो तुम चुप चाप
जिंदगी अगर रही तो सब कुछ ही मिलने वाला है।

अपने निवाले के साथ कुछ करो चिंता गरीबों की
रखो भगवान पर भरोसा ये दिन भी बदलने वाला है।

रचना- लव तिवारी
09- मई-2020


दोनो के दिल हैं मजबूर प्यार से - मजरूह सुल्तानपुरी


दोनो के दिल हैं मजबूर प्यार से
हम क्या करें मेरी जाँ तुम क्या करो मेरी जाँ

हम तो सनम तुमको चाहे उम्र भर देखें
दिल की प्यास कहती है और एक नज़र देखें

देखों हमारा भी हाल हरदम तुम्हारा ख़याल
दिल में उठाता हैं तूफ़ान हम क्या करें

लेकर तुम्हारा नाम ऐसे खोए रहते हैं
आज हमको दीवाना हँसके लोग कहते हैं

जिस दिल में होता हैं प्यार कैसे ना हो बेक़रार
ये दिल अगर हैं परेशान हम क्या करें



-मजरूह सुल्तानपुरी






गुरुवार, 7 मई 2020

मौत के डर से जिंदगी की बस कदर ही ना रही- लव तिवारी

मौत के डर से जिंदगी की बस कदर ही ना रही।
कैसे संभले इस दौर से इसकी किसीको न फिक्र रही।

आदमी में हैवानियत की प्यास इन कदर मौजूद है।
पीने को शराब चाहिए, चाहे घर मे खाने को अन्न नही।।

इस बात को जानकर जो घूमते है बेख़ौफ़ सड़को पर।
कोई उनको भी समझाये जिनके पास रहने को घर नही।।

इंसान बस केवल एक आदत से परेशान है आज कल।
जो कल तक सैर पर थे उनको घूमने को जगह ना रही।।

रचना- लव तिवारी
दिनांक- 7-मई-2020

कैसे हो अब मेरे बिन तुम कुछ तो बताओ मेरे सनम- लव तिवारी

कैसे हो अब मेरे बिन तुम
कुछ तो बताओ मेरे सनम

तुमसे बिछड़ कर जीता कैसे
सोचूँ मरु या तड़पु तुम बिन

मुझको तुम्हरा साथ चाहिए
और हाथों में हाथ चाहिए।।

और मिले न कुछ दुनिया से
एक बार फिर से आ जाओ तुम।।

कुछ तो बताओ........?
कैसे हो अब मेरे.......?



सोमवार, 4 मई 2020

बेवजह घर से निकलने की जरूरत क्या है - गुलज़ार

बेवजह घर से निकलने की जरूरत क्या है |
मौत से आँख मिलाने की जरूरत क्या है ||

सबको मालूम है बाहर की हवा है कातिल |
फिर कातिल से उलझने की जरूरत क्या है ||

जिन्दगी हजार नियामत है, संभाल कर रखे |
फिर कब्रगाहो को सजाने की जरूरत क्या है ||

दिल को बहलाने के लिये, घर में वजह काफी है |
फिर गलियों में बेवजह भटकने की जरूरत क्या है


देखिये आप के वेवजह घर से निकलने से

कोरोना लाइव ( सोमवार, रात 11:59 बजे तक)*

भारत में कुल कोरोना मरीज-: 46,437
भारत में सक्रिय कोरोना मरीज-: 32,025
अभी तक इलाज से ठीक हुए-: 12,847
  कोरोना से मरने वालों की संख्या-: 1,566

               राज्यवार कोरोना मरीज

महाराष्ट्र-: 14,541          गुजरात-: 5,804
दिल्ली-: 4,898          तमिलनाडु-: 3,550
राजस्थान-: 3,061      मध्य प्रदेश-: 2,942
उत्तर प्रदेश-:  2,766   आंध्र प्रदेश-: 1,650
पश्चिम बंगाल-: 1,259       पंजाब-: 1,232
तेलंगाना-: 1,085       जम्मू-कश्मीर-: 726
कर्नाटक-: 651                    बिहार-: 528
हरियाणा-: 517                    केरल-: 500
उड़ीसा-: 169                झारखण्ड-: 115        
चंडीगढ़-: 102                उत्तराखण्ड-: 60
छत्तीसगढ़ :- 58                     असम-: 43
लद्दाख-: 42               हिमाचल प्रदेश-: 41
अंडमान निकोबार-: 33           त्रिपुरा-: 29
मेघालय-: 12                       पुडुचेरी-: 12
गोवा:- 07                           मणिपुर-: 02
अरुणाचल प्रदेश-: 01          मिजोरम-: 01

पिछले 24 घंटे में कुल 3,656 नए कोरोना के मरीज मिले पिछले 24 घंटे में कोरोना से पीड़ित 103 मरीजों की मौत हुई।



जब मेरी हक़ीकत जा जाकर उनको जो सुनाई लोगो ने- चंदन दास

जब मेरी हक़ीकत जा जाकर
उनको जो सुनाई लोगो ने
कुछ सच भी कहाँ कुछ झूठ कहा
कुछ बात बनाई लोगो ने
जब मेरी ............

ढाई हैं हमेशा जुल्मो सितम
दुनिया ने मोहब्बत वालो पर
दो दिल को कभी मिलने ना दिया
दीवार उठाई लोगो ने

आँखों से ना आँसू पोछ सके
होंठो पे खुशी देखी ना गयी
आबाद देखा घर मेरा
तो आग लगाई लोगो ने

जब मेरी हक़ीकत जा जाकर
उनको जो सुनाई लोगो ने
कुछ सच भी कहाँ कुछ झूठ कहा
कुछ बात बनाई लोगो ने
जब मेरी ............



शनिवार, 2 मई 2020

शुक्रवार, 1 मई 2020

पांच सितारा होटल और बड़े सोसायटी के स्विमिंग पूल से भी खूबसूरत है अपने गांव का गंगा स्नान- लव तिवारी


गंगा मैया के तट पर बसा एक प्यारा सा गांव एक न्यारा सा गांव युवराजपुर ग़ाज़ीपुर उत्तर प्रदेश जैसा कि आप नीचे तस्वीरों से अवगत हो रहे है इस गांव की मिट्टी में गजब की खुश्बू और अहसास है। गर्मी के दिनों में गांव के नव युवको द्वारा गंगा स्नान का आनंद इस प्रकार लिया जाता है। जिसके सुखद आनन्द की तुलना किसी पंच सितारा होटल या किसी बड़े सोसाइटी में स्थित स्विमिंग पूल में भी नही हो सकती । आनंद की पूर्ण प्राप्ति गांव के बच्चों द्वारा अरार से लम्बी छलांग लगाकर गंगा मैया के अन्दर धारा में होता है।

गंगा मैया के धारा में बड़े जन अपने छोटे भाइयो को तैराकी के खूबसूरत कला को सिखाते है और घंटो तक तैरते है कभी कभी तो गांव के इन नव युवको द्वारा लगभग 1 किलो मीटर के पूरे नदी के धारा को पार कर उस पर स्थित खलिशपुर और बवाड़े जैसे गांव तक भी पहुच कर वहाँ के अरार पर स्थित ताजे फलों का आनन्द लेते हैं । यही है ग्रमीण जीवन के वास्तविक जीवन का आनंद, आप ऐसा सोचते होंगे कि ये बच्चो को इन क्रियाकलाप के अलावा और कोई काम नही होगा तो आप का इस तरह का सोचना गलत है। इसमें मुख्यतः सरकारी नौकरी के पद को भी सुशोभित करते है और पूर्ण रूप से अपने कार्यो का निर्वहन भी करते है।

योगा और ध्यान से क्रिया को भी बखूबी अंजाम दिया जाता है। गंगा मैया के रेत पर बच्चो द्वारा योग के कई पेतरो को बखूबी अंजाम दिया जाता है। जिसमे शीर्ष आसन, मयूर आसन, ध्यान, अनुलोम विलोम अन्य कई योग क्रियाओ द्वारा मन के साथ तन की भरपूर शुद्धि इन ग्रामीण नव युवको के द्वारा पूर्ण रूप से की जाती है।

भरपूर स्नान ध्यान के बाद जब बच्चो को भूख लगती है तो गंगा तट के किनारे लगे गर्मी के मौसमी फल जैसे ककड़ी खीरा तरबूज खरबूजे जैसे फलों के भरपूर आनंद लेते हुए बच्चों की टोली अपने घर को लौटती है। इस बहरीन और खूबसूरत जीवन का आनन्द केवल आप मेरे जैसे गंगातटीय बसे गांवो में ही ले सकते है।

लेखक- लव तिवारी
युवराजपुर ग़ाज़ीपुर 
उत्तर प्रदेश 232332







बाल मजदूरी एवं मजदुर दिवस पर विशेष- लव तिवारी

सो जाता है फ़ुटपाठ पे अख़बार बिछा कर
मज़दूर कभी नींद की गोली नहीं खाता

सिर्फ रश्म बन कर रह गया मजदुर दिवस , 1 मई 1986 को मजदुर दिवस का गठन किया गया था, मजदुर का मतलब गरीब नहीं होता है, मजदूर किसी संस्था की वह इकाई है , जो उस संस्था की सफलता और विकास की कुंजी मानी जाती है, फिर चाहे वो खेत में काम करता हुआ मजदुर, ईट साने में सना हुआ इंसान, या फिर ऑफिस के बोझ के तले दबा हुआ कर्मचारी, मजदूर वह है जो किसी सस्था के लिए काम करते है और उसके बदले पैसा लेता है, 1 मई 1986 से पहले जब मजदूर दिवस का गठन नहीं हुआ था, मजदूर पर विभिन्न प्रकार के अन्याय होते थे, समय पर पगार न मिलाना,16 से 18 घंटे की कड़ी मेहनत और मजदूरी, कार्य के द्वारान किसी मजदुर को चोट या मृत्यु पर संस्था के द्वारा हर्जाना या उसके परिवार को नौकरी, मजदूर दिवस के बाद ही मजदुर संघ ने निश्चय किया गया की हर मजदुर को उसके 24 घंटे में से 8 घंटे की ही कार्यप्रणाली की व्यवस्था होनी चाहिए अगर संस्थान को विशेष कार्य को पूर्ण करने की आवश्यकता हो तो मजदूर के अतिरिक्त कार्य के अनुसार उसे अतिरिक्त मजदूरी भी प्रदान किया जाय साथ में समय पर पगार की व्यवस्था उसके मृत्यु पर हर्जाने की व्यवस्था लेकिन आज के इस बदलते समाज और बेरोजगारी में बाल मजदूरी को बहुत बढ़ावा दिया जा रहा है,समाज में बाल मजदूरी को अनैतिक रूप से अपना कर जो बच्चों और उनके भविष्य के साथ अन्याय हो रहा है उस पर तो पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा देनी चाहिए

मजदुर दिवस पर विशेष-
प्रस्तुति- लव तिवारी