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शहर से जो तुम भाग रहे हो, क्या सही है गांव के हालात- लव तिवारी ~ Lav Tiwari ( लव तिवारी )

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बुधवार, 13 मई 2020

शहर से जो तुम भाग रहे हो, क्या सही है गांव के हालात- लव तिवारी

शहर से जो तुम भाग रहे हो, क्या सही है गांव के हालात।
क्या कमाओगे और खाओगे कैसे होगी दिन की शुरुआत।

पगडंडो से भरी दुपहरी में जब सब कुछ निपट चुका है।

नही रहा कोई रोज़गार नही कमाने के अवसर का ज्ञान।
कैसे पेट भरेगा तुम्हरा क्या होगा तुम्हारे जन का हाल

गांव की मिट्टी सुख देती है और मिलता अद्भुत संम्मान।
अगर गांव में सब कुछ होता तो न बढ़ाता शहर का मान।।

स्वरचित- लव तिवारी


आज दिन भर ये तस्वीर और इस औरत का वीडियो कई बार आंखों के सामने से गुजरा..हर बार इसको आगे बढ़ाते गया..दरअसल इस औरत के आंसू देखे नहीं जा रहे थे. ये रो रो कर अपना दर्द बता रही है कि 'हमार आदमी मर गइल बाड़न'..

इसका जो दर्द है हम और आप शायद ही समझ पाएं..लेकिन हमें इसका दर्द समझना होगा..समझना होगा कि ये भी तो इंसान हैं..समझना होगा कि ये रोकर यह नहीं मांग रही कि इसके पति को दोबारा जिंदा कर दो..ये बस यह कह रही है कि मुझे घर पहुंचा दो..विधवा हो चुकी इस औरत को चिंता हो रही है अपने बच्चों की.. ये चाहती है कि आखिरी बार अपने उजड़ चुके सुहाग का मुंह देख सके..क्या ये जिम्मेदारी इस सरकार या किसी भी सभ्य समाज की नहीं बनती कि इसे इसके सुहाग के अंतिम दर्शन के लिए इसके गांव पहुंचा सके. 

इस महिला का दर्द तो बस एक उदाहरण है हमारी मर चुकी संवेदनशीलता का.इसी औरत की तरह हर वो मजदूर, मजबूर और गरीब परेशान है जो इस तपती गर्मी में अपने गांव घर अपनों के पास पहुंचना चाहता है.. 

जनता की जनता द्वारा जनता के लिए चुनी गई कोई भी सरकार इतनी असंवेदनशील कैसे हो सकती है कि उसे ऐसे मंजर देखने के बाद भी तकलीफ नहीं हो रही..





4 comments:

Sangeeta Pandey ने कहा…

बहुत ही सुन्दर रचना

Lav Tiwari ने कहा…

धन्यबाद महोदय

Lav Tiwari ने कहा…

धन्यबाद महोदय

Lav Tiwari ने कहा…

धन्यबाद महोदय